क्या नवरत्न अंगूठी सबके लिए सही है?

क्या नवरत्न अंगूठी सबके लिए सही है? 

क्या नवरत्न अंगूठी सबके लिए सही है? 

नवरत्न अंगूठी को भारतीय ज्योतिष, आयुर्वेद, रत्न विज्ञान और वैदिक परंपराओं में अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य माना गया है। नौ ग्रहों का संयुक्त प्रभाव रखने वाली यह अंगूठी उन लोगों के लिए विशेष मानी जाती है जिनकी जन्म कुंडली में कई ग्रह एक साथ कमजोर हों, पीड़ित हों या ग्रहों की दशाएं लगातार जीवन में उतार-चढ़ाव ला रही हों। लेकिन मुख्य प्रश्न यह है कि क्या नवरत्न अंगूठी वास्तव में सबके लिए सही होती है या यह केवल कुछ विशेष व्यक्तियों के लिए ही लाभकारी होती है। इस विषय पर भ्रम, गलत धारणाएं और मिथक काफी समय से लोगों के मन में बने हुए हैं। इसलिए इसे गहराई से समझना आवश्यक है कि नवरत्न अंगूठी का वास्तविक प्रभाव किस तरह काम करता है और क्या इसे पहनने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि नवरत्न अंगूठी का प्रभाव तभी सकारात्मक होता है जब इसे उचित समय, सही धातु और सटीक ज्योतिषीय परामर्श लेकर धारण किया जाए। यदि इसे बिना सोचे-समझे या किसी अनुचित ग्रह संरचना में पहन लिया जाए तो यह लाभ देने के बजाय जीवन में अनचाहे परिणाम उत्पन्न कर सकती है। वहीं इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि नवरत्न अंगूठी को ऐसे नहीं पहन लेना चाहिए जैसे यह किसी भी व्यक्ति को लाभ देने वाली सामान्य वस्तु हो। यह रत्न संयोजन अत्यंत शक्तिशाली होता है और इसलिए इसे पहनने से पहले कुंडली का गहराई से विश्लेषण आवश्यक है।

इस ब्लॉग में नवरत्न अंगूठी, उसकी ऊर्जा, उसके प्रभाव, उसके उपयोग, और उसकी सीमाओं को विस्तार से समझाया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति यह निर्णय स्वयं ले सके कि यह अंगूठी उसके लिए सही है या नहीं।

नवरत्न अंगूठी का वैदिक महत्व और इसका शक्तिशाली प्रभाव

नवरत्न अंगूठी नौ ग्रहों के नौ रत्नों से मिलकर बनी होती है। इन रत्नों में माणिक्य (सूर्य), मोती (चंद्र), पन्ना (बुध), मूंगा (मंगल), पुष्पराज (गुरु), हीरा (शुक्र), नीलम (शनि), गोमेद (राहु) और लहसुनिया (केतु) शामिल होते हैं। ये सभी रत्न प्रकृति में अत्यंत ऊर्जा-संपन्न और आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली माने जाते हैं। इन रत्नों का संयुक्त प्रयोग व्यक्ति के जीवन में संतुलन, स्थिरता और ग्रहों की अनुकूलता बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य का जीवन ग्रहों की दशाओं, दृष्टियों और गोचर के प्रभाव में चलता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का संतुलन बिगड़ा हुआ हो या कई ग्रह एक साथ कमजोर हों, तो नवरत्न अंगूठी उसके जीवन में संतुलन बनाने का कार्य कर सकती है। यही कारण है कि भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इसे एक ऐसा संयोजन मानते हैं जो सही समय पर सही व्यक्ति को पहनने से अत्यंत शुभ फल देता है।

लेकिन साथ ही वे यह भी बताते हैं कि नवरत्न अंगूठी सभी के लिए समान रूप से लाभकारी नहीं होती, क्योंकि सभी लोगों की कुंडलियां अलग-अलग संरचनाओं और ग्रह योगों पर आधारित होती हैं। इसलिए नवरत्न अंगूठी का प्रभाव व्यक्ति के जन्म समय, ग्रहों की स्थिति और जीवन के मौजूदा दशा-चक्र पर निर्भर करता है।

क्या नवरत्न अंगूठी बिना सलाह के पहनना सही है?

बहुत से लोग यह मानते हैं कि नवरत्न अंगूठी एक सुरक्षित और सार्वभौमिक रत्न संयोजन है जिसे कोई भी पहन सकता है। लेकिन ज्योतिषीय रूप से यह सच नहीं है। यह अंगूठी एक साथ नौ ग्रहों की ऊर्जा को सक्रिय करती है, इसलिए इसका प्रभाव बहुत तेज और गहरा होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि नवरत्न अंगूठी को बिना परामर्श के पहन लेना कई बार उस व्यक्ति के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है जिसकी कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे ग्रह अत्यधिक पीड़ित स्थिति में हों। ऐसे में इन ग्रहों को सक्रिय करने से जीवन में और अधिक तनाव, बाधाएं या अचानक अप्रत्याशित घटनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी भी यह स्पष्ट करते हैं कि कई बार व्यक्ति केवल फैशन, आकर्षण या दूसरों को देखकर यह अंगूठी पहन लेता है जबकि उसकी कुंडली की ग्रह-दशाएं बिल्कुल विपरीत प्रभाव दे रही होती हैं। ऐसी स्थिति में नवरत्न अंगूठी लाभ की जगह अत्यधिक उथल-पुथल पैदा कर सकती है। इसलिए सबसे पहले कुंडली का विश्लेषण कराना अनिवार्य है।

नवरत्न अंगूठी कब लाभ देती है?

नवरत्न अंगूठी उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है जिनकी कुंडली में कई ग्रह एक साथ कमजोर हो या किसी ग्रह की ताकत कम होने के कारण जीवन में रुकावटें आ रही हों। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का सूर्य कमजोर हो, चंद्रमा अशांत हो, बुध कुंडली में पीड़ित हो और राहु-केतु लगातार मन में भ्रम पैदा कर रहे हों, तो नवरत्न अंगूठी उस व्यक्ति की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह अंगूठी विशेष रूप से तब लाभ देती है जब व्यक्ति के जीवन में निरंतर संघर्ष, मानसिक अस्थिरता, वित्तीय समस्याएं, करियर में बाधाएं या जीवन में अनिश्चितता बनी हुई हो। ऐसी स्थिति में नौ ग्रहों का संतुलन जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और स्थिरता लाता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु अत्यधिक सक्रिय हों और बार-बार भ्रम, उलझन या असफलता ला रहे हों, तो नवरत्न अंगूठी कुछ हद तक राहत दे सकती है क्योंकि यह एक साथ सभी ग्रहों की ऊर्जा को नियंत्रित करती है।

किन लोगों को नवरत्न अंगूठी नहीं पहननी चाहिए

हालांकि नवरत्न अंगूठी शक्तिशाली मानी जाती है परंतु यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं होती। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अत्यधिक प्रबल हो, जैसे सूर्य अत्यधिक बलवान हो या मंगल बहुत आक्रामक प्रभाव दे रहा हो, तो यह अंगूठी उस ग्रह को और अधिक सक्रिय कर सकती है, जिससे उसके नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं।

इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी विशेष ग्रह के लिए रत्न पहन रहा है, जैसे कोई नीलम पहन रहा हो, लेकिन उसकी कुंडली शनि को अत्यधिक सशक्त दिखा रही हो, तो अचानक नवरत्न अंगूठी पहनने से ग्रहों की ऊर्जा में असंतुलन हो सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी बताते हैं कि कई बार व्यक्ति की कुंडली में ऐसे योग होते हैं जिनमें नवरत्न पहनना वर्जित माना जाता है। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु अत्यधिक नकारात्मक हों, तो नवरत्न एक साथ ग्रहोंग्रहों की ऊर्जा को उत्तेजित कर सकता है जिससे अनचाही घटनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

नवरत्न अंगूठी पहनने का सही तरीका क्या है

नवरत्न अंगूठी को किसी भी धातु में नहीं पहनना चाहिए। पंडितों के अनुसार सोने या पंचधातु में इसे पहनना शुभ माना जाता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इसे ज्योतिषीय विधि से सिद्ध करवाकर ही पहना जाए। बिना विधि के, बिना मंत्र-सिद्धि के या नकली रत्नों से बनी अंगूठी न केवल निष्फल हो सकती है बल्कि कई बार विपरीत परिणाम भी दे सकती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी हमेशा सलाह देते हैं कि नवरत्न अंगूठी पहनने से पहले ग्रहों की दशा, गोचर और योगों को जांचना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का समय अनुकूल है, तभी यह अंगूठी लाभ देगी। उचित मुहूर्त में, उचित दिशा-निर्देश के साथ और उचित धातु में बनी अंगूठी ही सकारात्मक फल देती है।

क्या नवरत्न अंगूठी वास्तव में जीवन बदल सकती है


कई लोग इस प्रश्न को लेकर उत्सुक रहते हैं कि क्या केवल नवरत्न अंगूठी पहनने से जीवन पूरी तरह बदल सकता है। इसका उत्तर यह है कि रत्न केवल ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करते हैं, पूरी तरह जीवन को नहीं बदलते। जीवन में परिवर्तन व्यक्ति के कर्म, प्रयास, मानसिक शक्ति और ग्रहों की अनुकूलता के संयोजन से होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि रत्न केवल ग्रहों द्वारा उत्पन्न बाधाओं को कम कर सकते हैं। वे आपके कर्म, आपके प्रयास और आपकी दिशा का स्थान नहीं ले सकते। यदि कोई व्यक्ति नवरत्न पहनने के बाद भी प्रयास नहीं करता, तो केवल रत्न जीवन में चमत्कार पैदा नहीं कर सकता।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस विषय पर कहते हैं कि नवरत्न अंगूठी केवल उन लोगों के लिए परिवर्तनकारी सिद्ध होती है जिनके जीवन में ग्रहों की असंतुलित ऊर्जा प्रमुख रूप से सक्रिय हो। जहां ग्रहों का संतुलन समस्या का मुख्य कारण हो, वहां नवरत्न वास्तव में राहत देता है।

नवरत्न अंगूठी एक अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जावान ज्योतिषीय उपाय है, लेकिन यह सर्वसाधारण के लिए उपयुक्त नहीं होती। इसे पहनने से पहले कुंडली का गहराई से विश्लेषण, ग्रहों की दशा की समझ और विशेषज्ञ मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों यह मानते हैं कि नवरत्न अंगूठी तभी लाभकारी होती है जब इसे व्यक्ति की जन्मकुंडली के आधार पर सही तरीके से चुना जाए।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की ऊर्जा असंतुलित हो, जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हों, या कई ग्रह एक साथ कमजोर हों, तो नवरत्न अंगूठी निश्चित रूप से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। लेकिन यदि इसे बिना परामर्श, बिना विधि और बिना ग्रह विश्लेषण के पहन लिया जाए, तो यह लाभ के बजाय परेशानी ला सकती है।

इसलिए सही निर्णय लेने, उचित परामर्श प्राप्त करने और ग्रहों के वास्तविक प्रभाव को समझने के बाद ही नवरत्न अंगूठी पहनना चाहिए। यही सावधानी इसे एक शक्तिशाली और लाभकारी उपाय बनाती है।

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