किन कारणों से बनता है कुंडली में गंडमूल दोष

किन कारणों से बनता है कुंडली में गंडमूल दोष 

किन कारणों से बनता है कुंडली में गंडमूल दोष

वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली को जीवन का एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन माना जाता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति, राशियाँ और भाव व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य, भाग्य, धन, करियर और संबंधों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इसी संदर्भ में एक ऐसा दोष है जिसे गंडमूल दोष कहा जाता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितताओं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों, मानसिक तनाव और सामाजिक बाधाओं का कारण बन सकता है। गंडमूल दोष केवल एक साधारण दोष नहीं है, बल्कि यह जन्म से पहले ग्रहों की स्थिति, राशि परिवर्तन और दशा के कारण उत्पन्न होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार गंडमूल दोष की पहचान और उसके कारण को समझना प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की दिशा को सुधारने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

गंडमूल दोष मुख्य रूप से जन्म कुंडली के लग्न, चतुर्थ और आठवें भाव में ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष जन्म के समय ग्रहों की युति और दृष्टि के आधार पर बनता है। कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल और सूर्य की अशुभ स्थिति इस दोष के मुख्य कारण माने जाते हैं। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, नौकरी या व्यवसाय में रुकावट, वैवाहिक जीवन में तनाव और आर्थिक स्थिति में अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।

गंडमूल दोष के जन्म के मुख्य कारण

गंडमूल दोष के निर्माण में कई ज्योतिषीय कारण होते हैं। सबसे पहला कारण है ग्रहों की अशुभ युति और दृष्टि। यदि जन्म के समय शनि, राहु, केतु या मंगल किसी महत्वपूर्ण भाव में युति करते हैं या लग्न, चतुर्थ या आठवें भाव पर दृष्टि डालते हैं, तो यह दोष उत्पन्न हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शनि का लग्न या चतुर्थ भाव में प्रभाव व्यक्ति को मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और स्थायित्व में कमी का कारण बन सकता है।

दूसरा मुख्य कारण है नक्षत्र दोष या राशि दोष। जन्म कुंडली में यदि किसी व्यक्ति का जन्म अशुभ नक्षत्र में होता है, जैसे भरणी, अश्विनी या पूर्वाभाद्रपदा, और साथ ही ग्रहों की दृष्टि अशुभ होती है, तो गंडमूल दोष उत्पन्न होता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में संघर्ष, आकस्मिक घटनाओं और धन संबंधी अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।

तीसरा कारण है जन्म समय की अशुद्धि या ग्रह स्थिति में दोष। कभी-कभी जन्म समय सही न होने या ग्रहों की सही स्थिति न होने के कारण गंडमूल दोष बन सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि इस दोष का प्रभाव जीवन के शुरुआती वर्षों में अधिक दिखाई देता है और यह धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन में विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करता है।

चौथा कारण है शनि और राहु के दृष्टि दोष या उनके अशुभ ग्रहों से युति। शनि और राहु दोनों ही ग्रह जीवन में कठिनाइयाँ और बाधाएँ उत्पन्न करते हैं। यदि ये ग्रह लग्न, चतुर्थ या आठवें भाव में अशुभ स्थिति में हों, तो गंडमूल दोष उत्पन्न हो सकता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी, मानसिक तनाव और सामाजिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है।

कुंडली के विभिन्न भावों में गंडमूल दोष का प्रभाव

गंडमूल दोष कुंडली के विभिन्न भावों में अलग-अलग परिणाम उत्पन्न करता है। यह दोष केवल स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के पूरे जीवन पर असर डालता है।

लग्न में गंडमूल दोष व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है। इस दोष से व्यक्ति आत्मविश्वासी होने के बावजूद सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी या सम्मान के मामले में बाधा का सामना कर सकता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इस दोष वाले व्यक्ति में कभी-कभी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और जीवन में स्थायित्व बनाए रखना कठिन हो जाता है।

चतुर्थ भाव में गंडमूल दोष परिवार, माता और गृहस्थ जीवन पर असर डालता है। इस दोष के प्रभाव से परिवार में तनाव, गृहस्थ जीवन में अनिश्चितता और माता के स्वास्थ्य में समस्या उत्पन्न हो सकती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि इस दोष का प्रभाव आर्थिक स्थिति और घर के वातावरण पर भी दिखाई देता है।

आठवें भाव में गंडमूल दोष व्यक्ति के जीवन में अचानक घटनाओं, दुर्घटनाओं, मानसिक तनाव और लंबी बीमारी का कारण बन सकता है। यह दोष जीवन में अप्रत्याशित बदलाव, जोखिम और अनिश्चितताओं को जन्म देता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के प्रति विशेष सतर्क रहना चाहिए।

दूसरे और पंचम भाव में दोष व्यक्ति के धन, शिक्षा और संतान से संबंधित मामलों में बाधा उत्पन्न कर सकता है। गंडमूल दोष व्यक्ति को आर्थिक मामलों में अधिक सतर्क और योजनाबद्ध बना देता है। शिक्षा और संतान के मामलों में समय-समय पर कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

गंडमूल दोष और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव

गंडमूल दोष के प्रभाव में व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। शारीरिक कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, पाचन तंत्र की समस्या, हृदय और रक्त संबंधी समस्याएँ इस दोष के सामान्य लक्षण माने जाते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि दोष की गंभीरता के अनुसार व्यक्ति को जीवन में शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य पर गंडमूल दोष का प्रभाव अधिक गहरा होता है। तनाव, चिंता, मानसिक अस्थिरता और निर्णय लेने में कठिनाई इस दोष के सामान्य परिणाम हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इस दोष वाले व्यक्ति को योग, ध्यान और नियमित स्वास्थ्य जाँच की सलाह दी जाती है।

गंडमूल दोष और करियर एवं आर्थिक स्थिति

करियर और आर्थिक स्थिति पर गंडमूल दोष का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। यह दोष व्यक्ति को करियर में स्थिरता बनाए रखने में कठिनाई देता है। नौकरी या व्यवसाय में बाधाएँ, प्रतियोगिता में पीछे रहना और आर्थिक नुकसान इस दोष के सामान्य प्रभाव हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह दोष व्यापारियों और नौकरीपेशा दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

व्यक्ति को वित्तीय निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए और जोखिमपूर्ण निवेश से बचना चाहिए। यदि दोष अनुकूल दशा में शांति प्राप्त कर ले, तो व्यक्ति को धीरे-धीरे करियर और धन संबंधी मामलों में लाभ हो सकता है।

गंडमूल दोष और वैवाहिक जीवन

वैवाहिक जीवन में भी गंडमूल दोष का प्रभाव दिखाई देता है। यह दोष पति-पत्नी के संबंधों में दूरी, गलतफहमी और तनाव पैदा कर सकता है। इस दोष वाले व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में धैर्य, समझ और सहयोग की आवश्यकता होती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, दोष के प्रभाव को कम करने के लिए वैवाहिक अनुकूलता और ग्रह दोष निवारण उपायों को अपनाना आवश्यक है।

गंडमूल दोष का निवारण और उपाय

गंडमूल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए वैदिक ज्योतिष में कई उपाय सुझाए गए हैं। सबसे प्रभावशाली उपाय है ग्रह शांति पूजा और यज्ञ। मंगल, शनि और राहु के दोष को शांत करने के लिए हनुमान, शनिदेव और नाग देवता की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

सूर्य और शनि के दोष को कम करने के लिए रविवार और शनिवार को उपासना करना, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य मंत्र का जाप करना, तिल और काले वस्त्र का दान करना लाभकारी होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गंडमूल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए नियमित पूजा, मंत्र जाप और सही दिशा में कर्म करना अत्यंत आवश्यक है।

साथ ही ध्यान और योग भी गंडमूल दोष के मानसिक प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। दोष से उत्पन्न तनाव और मानसिक अशांति को योग साधना, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

कुंडली में गंडमूल दोष जीवन के कई क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालता है। यह दोष व्यक्ति के स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, करियर, धन, वैवाहिक जीवन और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है। हालांकि, सही उपायों, पूजा और ध्यान के माध्यम से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार गंडमूल दोष का सही विश्लेषण और उपाय व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सहायक होता है।

गंडमूल दोष केवल समस्या नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को जीवन में अनुशासन, सावधानी और मानसिक मजबूती सिखाने वाला एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय संकेत भी है। इसलिए दोष की पहचान, उसके कारण और उपायों को समझना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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