कुंडली में गुरु ग्रह के दोष और उनके सरल ज्योतिष उपाय

कुंडली में गुरु ग्रह के दोष और उनके सरल ज्योतिष उपाय

कुंडली में गुरु ग्रह के दोष और उनके सरल ज्योतिष उपाय

ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह, जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है, ज्ञान, धर्म, शिक्षा, भाग्य, धन और संतान सुख का कारक माना गया है। यह ग्रह जीवन में नैतिक मूल्यों, विवेक और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतिनिधित्व करता है। जब गुरु शुभ स्थिति में होता है तो व्यक्ति का जीवन ज्ञान, सफलता, समृद्धि और संतुलन के मार्ग पर चलता है। इसके विपरीत, यदिकुंडली में गुरु ग्रह दोष युक्त या कमजोर स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में कई तरह की बाधाएँ और परेशानियाँ उत्पन्न कर सकता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गुरु ग्रह का दोष व्यक्ति की शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय, संतान सुख और धार्मिक जीवन में समस्याएँ ला सकता है। इसके अलावा, मानसिक शांति और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, समय पर उपाय करके इन नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और जीवन में स्थायी सुधार लाया जा सकता है।

गुरु ग्रह का महत्व और जीवन पर प्रभाव

गुरु ग्रह का प्रभाव केवल आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है। यह व्यक्ति की वित्तीय स्थिति, शिक्षा, निर्णय क्षमता, सामाजिक प्रतिष्ठा और भाग्य पर भी गहरा असर डालता है। यह ग्रह विशेष रूप से पांचवें, नौवें, चौथे और बारहवें भाव में प्रभावी माना जाता है।


  • पांचवाँ भाव: शिक्षा, संतान, बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में गुरु का प्रमुख प्रभाव देखा जाता है।

  • नवाँ भाव: भाग्य, धार्मिक कार्य, यात्राएँ और जीवन में अवसरों का कारक।

  • चौथा भाव: घर, माता-पिता और मानसिक शांति का प्रतीक।

  • बारहवाँ भाव: खर्च, विदेश यात्रा और मानसिक तनाव से संबंधित।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि गुरु ग्रह की सही स्थिति व्यक्ति को ज्ञान, धर्म और संपन्नता के मार्ग पर ले जाती है, जबकि दोषयुक्त गुरु व्यक्ति को मानसिक तनाव, शिक्षा और धन में कठिनाइयाँ, संतान सुख में बाधा और आध्यात्मिक मार्ग में विघ्न उत्पन्न कर सकता है।

गुरु दोष के कारण

गुरु ग्रह के दोष कई कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं।

  • नीच राशि में गुरु ग्रह:
    यदि गुरु ग्रह मकर या वृश्चिक राशि में नीच स्थिति में हो, तो इसका नकारात्मक प्रभाव विशेष रूप से शिक्षा, नौकरी और भाग्य पर पड़ता है।

  • दृष्टि दोष:
    शनि, राहु, केतु या मंगल की दृष्टि गुरु ग्रह पर पड़ने से भी दोष बन सकता है। यह दृष्टि शिक्षा, वित्त और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है।
  • मिथ्यातापूर्ण योग:
    यदि गुरु ग्रह किसी अशुभ योग या पाप ग्रहों के साथ युति में हो, तो यह दोष का कारण बनता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को निर्णय क्षमता में कमी, निवेश में हानि, संतान सुख में बाधा और मानसिक तनाव अनुभव होता है।
  • दशा और गोचर:
    गुरु ग्रह की दोषपूर्ण दशा और गोचर भी व्यक्ति के जीवन में कठिनाई लाते हैं। इस समय व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और जोखिमपूर्ण निर्णय टालने चाहिए।

गुरु ग्रह के दोष के प्रमुख संकेत

गुरु ग्रह के दोष का असर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न रूपों में प्रकट होता है।

  • शिक्षा में बाधाएँ:
    छात्र वर्ग में गुरु दोष होने पर अध्ययन में मन नहीं लगता, परीक्षा में परिणाम असंतोषजनक आते हैं, और ज्ञान प्राप्ति में रुकावट होती है।

  • धन और वित्तीय हानि:
    व्यवसाय में लाभ नहीं होता, निवेश घाटे में चलता है, और वित्तीय समस्याएँ बढ़ती हैं।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक बाधाएँ:
    पूजा, व्रत और धार्मिक अनुष्ठान में कठिनाई आती है। व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग से भटक सकता है।
  • संतान सुख में कमी:
    विवाहिता जीवन में संतान सुख में बाधा और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • मानसिक और भावनात्मक प्रभाव:
    मानसिक असंतुलन, निराशा, आत्मविश्वास की कमी और निर्णय क्षमता में बाधा पैदा हो सकती है।

गुरु दोष के सरल उपाय

गुरु ग्रह के दोष को कम करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ये उपाय व्यक्ति के जीवन में शिक्षा, धन, संतान सुख और मानसिक शांति लाने में अत्यंत प्रभावी हैं।

गुरु मंत्र का जाप

  • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का नियमित जाप करने से गुरु ग्रह के दोष कम होते हैं।

  • गुरुवार को मंत्र का जाप विशेष लाभकारी होता है।

गुरु से संबंधित दान

  • पीले वस्त्र, चने, हल्दी और पुस्तकों का दान करना शुभ फल देता है।

  • गुरुवार को दान करने से शिक्षा और भाग्य में सुधार आता है।

रत्न धारण

  • गुरु ग्रह का प्रमुख रत्न पुखराज (Yellow Sapphire) है।

  • योग्य ज्योतिषी की सलाह से पुखराज धारण करना लाभकारी होता है।

धार्मिक कर्म और पूजा

  • गुरुवार को व्रत और मां सरस्वती या भगवान विष्णु की पूजा करना लाभकारी होता है।

  • सरस्वती स्तोत्र और गुरु मंत्र का पाठ मानसिक और आध्यात्मिक शांति देता है।

आहार और जीवनशैली सुधार

  • सात्विक आहार ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करता है।

  • शराब, मांस और नशीले पदार्थों से परहेज़ करना गुरु ग्रह को प्रसन्न करता है।

गुरु दोष के समय सावधानियाँ

  • बड़े निवेश और जोखिमपूर्ण निर्णय टालें।

  • शिक्षा और अध्ययन में अतिरिक्त प्रयास करें।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में समय दें।
  • गुरु ग्रह की दशा और गोचर पर विशेष ध्यान दें।

गुरु दोष और भाग्य का संबंध

गुरु ग्रह के दोष के प्रभाव से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उचित उपाय करना चाहिए। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गुरु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करके व्यक्ति शिक्षा, संतान सुख, आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा और आध्यात्मिक उन्नति पा सकता है।

गुरु ग्रह की स्थिति और उपायों की सही जानकारी के लिए भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से परामर्श लेना अत्यंत लाभकारी साबित होता है।

कुंडली में गुरु ग्रह का दोष व्यक्ति के जीवन में शिक्षा, धन, संतान, धर्म और मानसिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। लेकिन सही उपाय, मंत्र, दान, पूजा, रत्न और जीवनशैली सुधार के माध्यम से इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गुरु ग्रह के दोष को पहचानना और समय पर उपाय करना व्यक्ति के जीवन में स्थायी सुधार लाता है।

सही ज्योतिष मार्गदर्शन, गुरु मंत्र का जाप और नियमित उपाय के माध्यम से व्यक्ति न केवल जीवन में आने वाली बाधाओं से बच सकता है, बल्कि अपने शिक्षा, धन, संतान सुख और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को भी सुदृढ़ कर सकता है।

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:

Suggested Post

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत?

 भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत? भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ...