क्या गलत रत्न पहनने से जीवन में दुर्भाग्य आता है
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का अत्यंत गहरा महत्व है। रत्नों को ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने और जीवन में सकारात्मकता लाने का माध्यम माना गया है। यह व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार उसकी किस्मत, स्वास्थ्य, करियर और मानसिक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन यदि रत्न गलत तरीके से या बिना उचित ज्योतिषीय सलाह के धारण कर लिया जाए, तो उसका परिणाम विपरीत भी हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गलत रत्न धारण करने से जीवन में बाधाएं, मानसिक अस्थिरता, स्वास्थ्य समस्याएं और आर्थिक हानि जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। वहीं, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह मानते हैं कि रत्न की शक्ति बहुत तीव्र होती है, इसलिए इसे समझदारी और ज्योतिषीय गणना के आधार पर ही अपनाना चाहिए।
रत्न किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि वे सीधे उस ग्रह की ऊर्जा से जुड़े होते हैं जिसे वे प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी ग्रह का रत्न पहनता है जो उसकी कुंडली में पहले से ही अशुभ स्थिति में है, तो वह ग्रह और भी अधिक सक्रिय होकर जीवन में समस्याएँ बढ़ा सकता है।
रत्नों का ज्योतिषीय आधार और उनका प्रभाव
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों के लिए नौ रत्न निर्धारित किए गए हैं जिन्हें “नवरत्न” कहा जाता है। प्रत्येक रत्न अपनी विशिष्ट ऊर्जा, रंग और कंपन तरंगों के माध्यम से ग्रह की शक्ति को प्रसारित करता है। उदाहरण के लिए –
-
सूर्य के लिए माणिक्य
-
चंद्रमा के लिए मोती
-
मंगल के लिए मूंगा
-
बुध के लिए पन्ना
-
गुरु के लिए पुखराज
-
शुक्र के लिए हीरा
-
शनि के लिए नीलम
-
राहु के लिए गोमेद
-
केतु के लिए लहसुनिया
इन रत्नों की तरंगें शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली पर असर डालती हैं और व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक स्तर पर परिवर्तन लाती हैं। परंतु जब यह रत्न कुंडली के विपरीत ग्रहों के लिए धारण किया जाता है, तो इसका प्रभाव हानिकारक हो सकता है।
गलत रत्न पहनने के संभावित दुष्परिणाम
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि हर रत्न अपने ग्रह की ऊर्जा को तीव्र करता है। यदि वह ग्रह व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थिति में है या किसी अन्य ग्रह से शत्रुता रखता है, तो रत्न धारण करने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ भाव में स्थित है और वह व्यक्ति नीलम धारण कर ले, तो उसे आर्थिक हानि, मानसिक तनाव या असफलता का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति राहु के प्रभाव में पहले से पीड़ित है और वह गोमेद पहन ले, तो भ्रम, अस्थिरता और भय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गलत रत्न पहनने से ग्रहों के बीच असंतुलन पैदा होता है जिससे जीवन में कई प्रकार के संकट उत्पन्न हो सकते हैं — जैसे कि अचानक हानि, रिश्तों में तनाव, स्वास्थ्य में गिरावट और मानसिक भ्रम।
गलत रत्न पहनने के ज्योतिषीय कारण
-
कुंडली में ग्रहों की स्थिति की अनदेखी – कई लोग केवल राशि या नक्षत्र देखकर रत्न चुन लेते हैं, जबकि सही रत्न का चयन लग्न और दशा को देखकर किया जाना चाहिए।
- ग्रहों की दशा और अंतरदशा का ध्यान न रखना – यदि किसी ग्रह की दशा चल रही है और वह ग्रह अशुभ है, तो उसका रत्न पहनना जीवन में विपरीत परिणाम दे सकता है।
- ग्रहों की शत्रुता की अनदेखी – हर ग्रह का कुछ अन्य ग्रहों से शत्रुता संबंध होता है। जैसे कि सूर्य और शनि परस्पर शत्रु हैं। अतः यदि कोई व्यक्ति दोनों ग्रहों के रत्न एक साथ पहन ले तो यह गंभीर असंतुलन पैदा कर सकता है।
- धारण करने की गलत विधि – रत्न धारण करने से पहले उसकी शुद्धि, मंत्र जाप और सही दिन-समय का चयन न करने पर भी उसका प्रभाव नकारात्मक हो सकता है।
रत्न धारण करने से पहले आवश्यक सावधानियाँ
रत्न पहनने से पहले सबसे पहले कुंडली का विस्तृत विश्लेषण आवश्यक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग होती है। इसलिए, जो रत्न एक व्यक्ति के लिए शुभ है, वही दूसरे के लिए अशुभ हो सकता है।
रत्न धारण करने से पहले निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए –
-
रत्न हमेशा किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बाद ही पहनें।
-
रत्न की शुद्धता और असलीपन की जांच अवश्य करें।
-
धारण करने से पहले रत्न को गंगाजल, दूध और शहद से अभिषेक कर शुद्ध करें।
-
ग्रह संबंधित मंत्र का जाप अवश्य करें।
-
उचित धातु में रत्न को जड़वाएं (जैसे सोना, चांदी या पंचधातु)।
-
धारण करने का दिन और समय कुंडली के अनुसार तय करें।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि रत्न पहनने की विधि भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितना कि उसका चयन। यदि विधि गलत हो, तो शुभ रत्न भी असर नहीं करता।
गलत रत्न के दुष्प्रभावों से कैसे बचें
यदि किसी व्यक्ति ने अनजाने में गलत रत्न धारण कर लिया है, तो उसे तुरंत किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ऐसे मामलों में पहले रत्न को उतारकर शुद्धिकरण प्रक्रिया करनी चाहिए।
इसके बाद, उचित ग्रह शांति उपाय या वैकल्पिक रत्न धारण करना चाहिए।
कई बार मंत्र जाप, दान या ग्रह शांति यंत्र धारण करके भी रत्न के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि नीलम के कारण कष्ट बढ़ा हो तो शनि शांति पाठ या काले तिल का दान करना लाभकारी होता है।
सही रत्न चुनने के ज्योतिषीय उपाय
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि रत्न चयन करते समय केवल राशि नहीं, बल्कि निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए –
-
ग्रह की दशा और भाव स्थिति
-
लग्न का स्वामी ग्रह
-
ग्रहों की परस्पर दृष्टि
-
नक्षत्र स्वामी की स्थिति
-
ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभाव
जब इन सभी पहलुओं का अध्ययन कर रत्न चुना जाता है, तब वह जीवन में शुभ परिणाम देता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि सही रत्न व्यक्ति की किस्मत को उन्नति की दिशा में मोड़ सकता है, जबकि गलत रत्न व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक रूप से गिरावट की ओर धकेल सकता है।
रत्न केवल आभूषण नहीं, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को नियंत्रित करने का शक्तिशाली माध्यम हैं। लेकिन यह तभी लाभ देते हैं जब सही रत्न सही व्यक्ति की कुंडली के अनुरूप पहना जाए। बिना ज्योतिषीय परामर्श के रत्न धारण करना कभी-कभी जीवन में दुर्भाग्य का कारण भी बन सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि रत्नों की शक्ति अत्यंत प्रभावशाली होती है। अतः इसे केवल अनुभवी ज्योतिषीय सलाह के अनुसार ही अपनाना चाहिए।
सही रत्न जहां भाग्य को संवार सकता है, वहीं गलत रत्न जीवन में अंधकार ला सकता है। इसलिए रत्न धारण करने से पहले अपने ग्रहों को भलीभांति समझें और उचित परामर्श के बाद ही निर्णय लें। यही वास्तविक ज्योतिषीय बुद्धिमानी का प्रतीक है।

