क्या ग्रहों की दशा बदलने से अचानक जीवन में परिवर्तन आता है?

क्या ग्रहों की दशा बदलने से अचानक जीवन में परिवर्तन आता है?

क्या ग्रहों की दशा बदलने से अचानक जीवन में परिवर्तन आता है?

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की दशा को जीवन का वह अदृश्य सूत्र कहा गया है जो व्यक्ति के सुख-दुख, सफलता-असफलता और परिवर्तन के मूल में छिपा होता है। जन्म कुंडली में प्रत्येक ग्रह अपनी स्थिति, बल और भाव के अनुसार व्यक्ति के जीवन को दिशा देता है। लेकिन जब ग्रहों की दशा बदलती है, तब जीवन की गति, परिस्थिति और मानसिक स्थिति में अचानक परिवर्तन दिखाई देता है। यह परिवर्तन कभी अत्यंत शुभ होता है तो कभी चुनौतीपूर्ण भी। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों की दशा केवल भाग्य का नहीं बल्कि व्यक्ति के कर्मों का प्रतिबिंब होती है। यही कारण है कि जब ग्रह बदलते हैं, तो जीवन की कहानी भी एक नए अध्याय की ओर मुड़ जाती है।

ग्रहों की दशा का महत्व

ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतरदशा का क्रम चलता रहता है। यह समय ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव को दर्शाता है। महादशा किसी ग्रह का लम्बा प्रभाव होता है जो कई वर्षों तक चलता है, जबकि अंतर्दशा और प्रत्यंतरदशा अल्पकालिक प्रभाव डालती हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब किसी ग्रह की दशा प्रारंभ होती है, तो वह ग्रह व्यक्ति के जीवन में अपनी भूमिका निभाना शुरू करता है। यदि ग्रह शुभ स्थिति में है तो उन्नति, प्रतिष्ठा, धन और सम्मान की प्राप्ति होती है। लेकिन यदि ग्रह पीड़ित या अशुभ स्थिति में है, तो कठिनाइयों, संघर्षों और अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।

दशा परिवर्तन और जीवन की घटनाएं

जब किसी व्यक्ति की महादशा समाप्त होकर दूसरी ग्रह की महादशा प्रारंभ होती है, तो यह समय जीवन में सबसे बड़े बदलाव लेकर आता है। उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति की सूर्य महादशा समाप्त होकर चंद्रमा महादशा प्रारंभ होती है, तो उसका जीवन भौतिक से भावनात्मक दिशा की ओर मुड़ सकता है। इसी प्रकार यदि शनि की दशा प्रारंभ होती है, तो व्यक्ति को कर्म, अनुशासन और जिम्मेदारी से जुड़े अनुभव प्राप्त होते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, दशा परिवर्तन का अर्थ केवल ग्रहों का बदलाव नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन-शैली, सोच, और अवसरों के परिवर्तन का संकेत भी है।

शुभ ग्रहों की दशा और सकारात्मक परिवर्तन

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रह जैसे बृहस्पति, शुक्र, सूर्य या चंद्रमा की दशा आती है, तो जीवन में उन्नति के अवसर बढ़ जाते हैं। व्यक्ति के करियर, संबंधों और मानसिक स्थिति में सुधार देखने को मिलता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि बृहस्पति की दशा में व्यक्ति को ज्ञान, पद और प्रतिष्ठा मिलती है, जबकि शुक्र की दशा प्रेम, सौंदर्य, वैभव और कला के क्षेत्र में सफलता देती है। सूर्य की दशा व्यक्ति को आत्मविश्वास और नेतृत्व प्रदान करती है, जबकि चंद्रमा की दशा मन की शांति और पारिवारिक सुख को बढ़ाती है।

लेकिन यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि ग्रहों की दशा का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली के अनुसार भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, यदि शुक्र किसी व्यक्ति की कुंडली में छठे भाव में स्थित हो, तो उसकी दशा वैवाहिक जीवन में अस्थिरता ला सकती है। इसलिए प्रत्येक दशा का विश्लेषण व्यक्तिगत कुंडली के आधार पर ही किया जाना चाहिए।

अशुभ ग्रहों की दशा और संघर्षपूर्ण परिवर्तन

कई बार जब राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों की दशा प्रारंभ होती है, तो व्यक्ति को अचानक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। राहु और केतु भ्रम, मानसिक अस्थिरता, और अप्रत्याशित घटनाओं के कारक माने जाते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि राहु की दशा में व्यक्ति को ऐसे अनुभव मिल सकते हैं जो उसे भौतिक रूप से आकर्षित करें लेकिन मानसिक रूप से अस्थिर बना दें। वहीं केतु की दशा आत्मिक जागरण, वैराग्य और आत्ममंथन की ओर ले जाती है।

शनि की दशा कर्म परीक्षण की अवधि मानी जाती है। इस दौरान व्यक्ति को मेहनत, संघर्ष और धैर्य से गुजरना पड़ता है। हालांकि यदि व्यक्ति अपने कर्मों में सच्चाई रखे और अनुशासन का पालन करे, तो शनि की दशा के बाद मिलने वाला फल अत्यंत शुभ होता है।

दशा परिवर्तन और कर्म का संबंध

ग्रहों की दशा व्यक्ति के पिछले और वर्तमान कर्मों का परिणाम होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रह केवल वह माध्यम हैं जिनके द्वारा ब्रह्मांड व्यक्ति को उसके कर्मों का फल प्रदान करता है। जब किसी ग्रह की दशा प्रारंभ होती है, तो वह व्यक्ति के भीतर उन्हीं कर्मों की ऊर्जा को सक्रिय करता है। यही कारण है कि कुछ लोगों को शुभ दशा में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जबकि कुछ लोग अशुभ दशा में भी सफलता प्राप्त करते हैं। इसका मुख्य कारण व्यक्ति का कर्म और मनोबल होता है।

ग्रहों की दशा के दौरान अचानक परिवर्तन क्यों आता है?

कई बार देखा जाता है कि ग्रहों की दशा बदलते ही व्यक्ति के जीवन में अचानक बड़े परिवर्तन आते हैं — जैसे नौकरी का छूटना या लगना, विवाह का होना, स्वास्थ्य में गिरावट या सुधार, या आर्थिक स्थिति में बदलाव। ज्योतिषीय दृष्टि से यह इसलिए होता है क्योंकि जब ग्रह अपनी दशा में आता है, तो उसकी ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय हो जाती है। यदि वह ग्रह व्यक्ति की कुंडली के शुभ भावों का स्वामी है, तो वह सकारात्मक परिवर्तन लाता है। परंतु यदि ग्रह अशुभ भावों (जैसे 6, 8, या 12वें भाव) का स्वामी है, तो वह चुनौतियों का कारण बनता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कई बार ग्रहों का गोचर और दशा एक साथ प्रभाव डालते हैं। यदि गोचर में ग्रह की स्थिति भी अनुकूल हो, तो दशा परिवर्तन अत्यंत शुभ फल देती है। लेकिन यदि गोचर और दशा विपरीत दिशा में हों, तो जीवन में अस्थिरता और कठिनाइयां बढ़ सकती हैं।

दशा परिवर्तन के शुभ परिणाम पाने के उपाय

ज्योतिष केवल भविष्य बताने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन को संतुलित करने की दिशा भी दिखाता है।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कुछ उपाय बताते हैं जो दशा परिवर्तन के समय व्यक्ति को स्थिरता प्रदान कर सकते हैं —
नियमित रूप से ग्रहों से संबंधित मंत्रों का जाप करना, जैसे सूर्य के लिए "ॐ घृणि सूर्याय नमः", शनि के लिए "ॐ शं शनैश्चराय नमः", बृहस्पति के लिए "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" आदि।
सप्ताह के दिनों के अनुसार उपवास रखना और संबंधित ग्रह की वस्तुएं दान करना भी लाभकारी होता है।
इसके अलावा ध्यान और साधना ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करती हैं, जिससे मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

ग्रहों की दशा का परिवर्तन जीवन के प्राकृतिक प्रवाह का हिस्सा है। यह परिवर्तन व्यक्ति को नए अनुभव, नए अवसर और नई दिशा प्रदान करता है। यदि ग्रह शुभ स्थिति में हों, तो यह काल सफलता और समृद्धि लाता है, और यदि ग्रह पीड़ित हों, तो यह आत्ममंथन और अनुभव का समय होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, दशा परिवर्तन से डरने की बजाय उसे समझने की आवश्यकता है। यदि व्यक्ति अपने कर्मों को सही दिशा में रखे और ज्योतिषीय उपायों का पालन करे, तो ग्रहों का हर परिवर्तन उसके जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम बन सकता है। ज्योतिष केवल भाग्य नहीं बताता, बल्कि यह सिखाता है कि हम अपने ग्रहों की ऊर्जा को कैसे सही दिशा में परिवर्तित कर सकते हैं। यही सच्चा ज्योतिषीय ज्ञान और जीवन की वास्तविक शक्ति है।

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