ग्रहों की दशा – रिश्तों को कैसे प्रभावित करती है?
मानव जीवन में रिश्ते एक ऐसा तत्व हैं, जो हमारी भावनाओं, सोच, व्यवहार और निर्णयों को गहराई से प्रभावित करते हैं। चाहे वह प्रेम संबंध हो, विवाह, परिवार, मित्रता या सामाजिक जुड़ाव, हर रिश्ता किसी न किसी रूप में हमारी कुंडली और ग्रहों की दशाओं से प्रभावित होता है। वैदिक ज्योतिष में यह माना जाता है कि ग्रहों की दशा, अंतरदशा और गोचर एक व्यक्ति के जीवन की दिशा को नियंत्रित करते हैं। रिश्तों की मजबूती, प्रेम, आकर्षण, दांपत्य सुख, संघर्ष, दूरी, गलतफहमियां और पुनर्मिलन जैसे सभी अनुभव ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव से आकार लेते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि ग्रह शुभ स्थिति में हों तो जीवन में प्रेम, सम्मान और सामंजस्य बढ़ता है, जबकि अशुभ दशाएं रिश्तों में तनाव और दूरी ला सकती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी समझाते हैं कि किस दशा में किस तरह के अनुभव आते हैं और कैसे उचित उपायों द्वारा स्थिति को सुधारा जा सकता है।
ग्रहों की दशा का महत्व और रिश्तों में उनकी भूमिका
कुंडली में हर ग्रह का अपना एक मनोवैज्ञानिक और ऊर्जात्मक प्रभाव रहता है। सूर्य अहंकार और आत्मविश्वास का प्रतीक है, चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधि है, शुक्र प्रेम और आकर्षण का कारक है, जबकि मंगल ऊर्जा, इच्छाशक्ति और विवाद का कारक माना जाता है। इसी तरह बृहस्पति ज्ञान और विस्तार देता है, शनि धैर्य और जिम्मेदारी का भाव जगाता है, राहु भ्रम पैदा करता है तो केतु वैराग्य का कारण बनता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी विशेष ग्रह की महादशा या अंतरदशा शुरू होती है, तब वह ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार उसके रिश्तों पर प्रभाव डालता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मनुष्य के भावनात्मक उतार-चढ़ाव, प्रेम संबंधों की शुरुआत, विवाह का समय, रिश्तों में दूरी या नजदीकी—सब दशाओं के बदलाव से प्रभावित होते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि सही विश्लेषण करके इन प्रभावों को अच्छे परिणामों में बदला जा सकता है।
शुक्र की दशा और रिश्तों पर उसका प्रभाव
शुक्र प्रेम, सौंदर्य, कला, रोमांस और दांपत्य जीवन का कारक ग्रह है। जब कुंडली में शुक्र की महादशा या अंतरदशा चल रही होती है, तब व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है, प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आती है और दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ती है। यह समय विवाह योग्य व्यक्तियों के लिए शुभ माना जाता है। यदि शुक्र शुभ स्थानों में हो, जैसे कि लग्न, पंचम, सप्तम, नवम या एकादश घर में, तो व्यक्ति को साथी का भरपूर सहयोग मिलता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि शुक्र की दशा में रिश्ते सहज रूप से संतुलित रहते हैं, लेकिन यदि शुक्र दूषित हो या छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो गलतफहमियां, मोहभंग या प्रेम में धोखे जैसे अनुभव हो सकते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुरूप, शुक्र संबंधित दोषों को सुधारकर व्यक्ति अपने रिश्तों को ज्यादा स्थिर बना सकता है।
मंगल की दशा और संबंधों में उग्रता का प्रभाव
मंगल एक ऊर्जावान और तेजस्वी ग्रह है, जो साहस के साथ-साथ क्रोध, आवेग और संघर्ष का भी प्रतीक है। जब मंगल की दशा शुरू होती है, तब व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता, अधीरता और जल्दबाजी बढ़ सकती है। यह समय रिश्तों में विवाद, तर्क-वितर्क और विचारों में टकराव बढ़ा देता है। मंगल यदि अनुकूल हो तो यह साहस, सुरक्षा और परिवार के प्रति जिम्मेदारी की भावना बढ़ाता है। लेकिन यदि ग्रह अशुभ हो या मंगल दोष का योग बने, तो वैवाहिक जीवन में तनाव, मनमुटाव, क्रोध, अविश्वास जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, मंगल की खराब दशा में रिश्तों को बचाने के लिए धैर्य, संवाद और ग्रह शांति उपाय बेहद आवश्यक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी कहते हैं कि उचित उपाय ग्रहों की उग्रता को कम करके रिश्तों में संतुलन ला सकते हैं।
चंद्रमा की दशा और भावनात्मक रिश्ते
चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतीक है। चंद्रमा की महादशा या अंतरदशा व्यक्ति को बहुत संवेदनशील, कोमल और भावुक बनाती है। रिश्तों में भावनात्मक निकटता बढ़ती है। प्रेम, समझ और सहानुभूति इस समय गहरी हो सकती है। यदि चंद्रमा मजबूत हो, तो व्यक्ति रिश्तों में स्थिरता और शांति का अनुभव करता है। लेकिन यदि चंद्रमा अशुभ हो, राहु से प्रभावित हो या अमावस्या जन्म हो, तो व्यक्ति को मूड स्विंग, अनावश्यक भावुकता, असुरक्षा और गलतफहमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि चंद्रमा की कमजोर दशा में रिश्ते मानसिक तनाव और भावनात्मक दूरी से प्रभावित हो सकते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी बताते हैं कि चंद्रमा को मजबूत करने से रिश्तों में शांति और संतुलन स्थापित होता है।
सूर्य की दशा और रिश्तों में अहं का प्रभाव
सूर्य नेतृत्व, सम्मान, आत्मविश्वास और अहं का प्रतिनिधि ग्रह है। जब सूर्य की दशा शुरू होती है, व्यक्ति का स्वभाव थोड़ा अधिकारपूर्ण हो सकता है। आत्मसम्मान बढ़ता है और व्यक्ति अपने विचारों को अधिक प्राथमिकता देता है। यदि सूर्य शुभ हो, तो व्यक्ति रिश्तों में सुरक्षा, सहयोग और सम्मान देता है। लेकिन यदि सूर्य अशुभ स्थिति में हो, विशेषकर सप्तम भाव में, तो अहं की टकराहट, विचारों में मतभेद और संवाद के अभाव जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि सूर्य की खराब दशा में रिश्तों में अधिकारपूर्वक व्यवहार बढ़ जाता है, जिससे दूरी और संघर्ष पैदा होते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि सूर्य को शांत करके रिश्तों में विनम्रता और समझ बढ़ाई जा सकती है।
बुध की दशा और संवाद का महत्व
बुध बुद्धि, संवाद और समझ का ग्रह है। जब बुध की दशा होती है, व्यक्ति अपने साथी के साथ बेहतर संवाद स्थापित करता है। रिश्तों में स्पष्टता और सहयोग बढ़ता है। यदि बुध कमजोर हो तो गलतफहमियां, बातें बढ़ा-चढ़ाकर कहना या छोटी बात को बड़ा बनाने जैसी प्रवृत्तियां बढ़ सकती हैं। रिश्तों के लिए यह समय उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार,बुध की अच्छी दशा प्रेम और विवाह दोनों में स्पष्टता लाती है, जबकि खराब दशा रिश्तों को भ्रम और विवादों की ओर ले जा सकती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि बुध को मजबूत करने से संवाद बेहतर होता है, जिससे रिश्ते स्थिर होते हैं।
शनि की दशा और रिश्तों में परीक्षण का समय
शनि वह ग्रह है जो धैर्य, जिम्मेदारी, परिपक्वता और कर्म के आधार पर परिणाम देता है। शनि की महादशा अक्सर रिश्तों की परीक्षा का समय मानी जाती है। यह समय व्यक्ति को रिश्तों के प्रति गंभीर बनाता है, लेकिन साथ ही चुनौतियों का सामना भी करवाता है। यदि शनि अनुकूल हो तो रिश्ते मजबूत होते हैं और दीर्घकालिक स्थिरता मिलती है। लेकिन यदि शनि अशुभ हो, तो दूरी, गलतफहमी, अकेलापन, उदासी और रिश्तों में बोझ जैसा अनुभव बढ़ सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि शनि की दशा व्यक्ति को कर्म और धैर्य का पाठ सिखाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शनि की ऊर्जा अगर सकारात्मक दिशा में मोड़ दी जाए तो कोई भी रिश्ता मजबूत और स्थायी बन सकता है।
राहु-केतु की दशा और रिश्तों में अचानक बदलाव
राहु और केतु छाया ग्रह हैं, जो भ्रम, मोह, अस्थिरता, आकर्षण, दूरी, आध्यात्मिकता और अचानक परिवर्तनों को दर्शाते हैं। राहु की दशा में व्यक्ति असामान्य आकर्षण, अस्थिर प्रेम, अपेक्षाओं में अचानक वृद्धि या भ्रम जैसी स्थितियों का सामना कर सकता है। वहीं केतु की दशा रिश्तों में दूरी, वैराग्य या मानसिक खिंचाव ला सकती है।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि राहु-केतु की दशाएं रिश्तों की दिशा अचानक बदल सकती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यह समय व्यक्ति को पूरी तरह परखता है और अपनी गलतियों से सीखने का अवसर देता है।
रिश्तों में सुधार के ज्योतिषीय उपाय
ग्रहों की दशाओं का प्रभाव पूरी तरह नकारात्मक नहीं होता, क्योंकि हर ग्रह अपने साथ सीख, शक्ति और बदलाव का अवसर लेकर आता है। लेकिन यदि ग्रहों का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाए तो ज्योतिषीय उपाय बहुत सहायक होते हैं। मंत्र जाप, ग्रह शांति पूजा, रत्न, दान, उपवास, सहयोगी रंग और दिशा उपाय रिश्तों में सकारात्मकता लाते हैं।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि सही उपायों से ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के हित में काम करने लगता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी कहते हैं कि रिश्तों की मजबूती ग्रहों की दशाओं के साथ-साथ व्यक्ति के व्यवहार और संवाद पर भी निर्भर करती है।

