क्या कुंडली मिलान के बिना विवाह सफल हो सकता है?

क्या कुंडली मिलान के बिना विवाह सफल हो सकता है?

क्या कुंडली मिलान के बिना विवाह सफल हो सकता है?

भारत में विवाह केवल एक सामाजिक संबंध नहीं माना जाता, बल्कि इसे दो आत्माओं का पवित्र मिलन, दो परिवारों का समन्वय और जीवन भर साथ निभाने वाली जिम्मेदारी के रूप में देखा जाता है। विवाह को सफल बनाने के लिए कई पहलुओं पर विचार किया जाता है, और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उनमें से सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कुंडली मिलान। लेकिन आधुनिक समय में कई लोग यह प्रश्न करते हैं कि क्या कुंडली मिलान के बिना भी विवाह सफल हो सकता है। क्या केवल दो लोगों का आपसी प्रेम और समझ विवाह की सफलता के लिए पर्याप्त है, या फिर ग्रहों का मेल-जोल और गुण मिलान अनिवार्य है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि विवाह जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है और इसे केवल भावनाओं के आधार पर समझना काफी नहीं होता। दो व्यक्तियों के बीच अनुकूलता, स्वभाव, भावनात्मक तालमेल, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य और भविष्य के ग्रहयोग सभी मिलकर विवाह की सफलता तय करते हैं। इसलिए कुंडली मिलान का उद्देश्य किसी को रोकना नहीं, बल्कि दोनों पक्षों की अनुकूलता को बेहतर समझना होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली मिलान यह बताता है कि दो लोगों का ग्रहों का संतुलन कैसा है, उनके स्वभाव में कितनी समानता है, उनके जीवन में कौन से संभावित संघर्ष उभर सकते हैं और कौन से समाधान अपनाकर विवाह को अधिक सुखद बनाया जा सकता है। कई बार बिना कुंडली मिलान के भी विवाह सफल होते हैं, लेकिन ऐसे मामलों में अक्सर ग्रहों का स्वाभाविक मेल पहले से मौजूद होता है या फिर दंपत्ति अपने व्यवहार, धैर्य और आपसी समझ से कई समस्याओं पर जीत पाते हैं।

अब विस्तार से समझते हैं कि कुंडली मिलान का महत्व क्या है, किन परिस्थितियों में बिना कुंडली मिलान के भी विवाह सफल हो सकता है, और किन स्थितियों में सावधानी बरतना आवश्यक है।

कुंडली मिलान का वास्तविक उद्देश्य

कुंडली मिलान का महत्व केवल गुणों के अंक जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक और मानसिक दोनों स्तरों पर गहरा प्रभाव है। ज्योतिष के अनुसार विवाह केवल दो व्यक्ति नहीं, बल्कि दो ग्रहस्थितियों का मिलन भी होता है। जब ग्रह एक-दूसरे के साथ तालमेल में रहते हैं, तब जीवन में सुख, शांति और सामंजस्य बढ़ता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कुंडली मिलान से यह ज्ञात होता है कि दंपत्ति के बीच मानसिक अनुकूलता कैसी रहेगी, उनके विचार, आदतें, जीवनशैली और भविष्य की दिशा कितनी मिलती-जुलती है। यह केवल सुखद भविष्य की संभावना बढ़ाने का उपाय है, कोई बाधा नहीं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि कुंडली मिलान से प्राप्त जानकारी विवाह में आने वाली संभावित चुनौतियों को पहले से पहचानने में मदद देती है, जिससे उनका समाधान समय पर किया जा सके।

क्या बिना कुंडली मिलान के भी विवाह सफल हो सकता है?

यह प्रश्न अक्सर उन लोगों के मन में आता है जो प्रेम विवाह करते हैं या जिनके परिवार कुंडली मिलान की परंपरा नहीं मानते। ज्योतिष शास्त्र का दृष्टिकोण संतुलित है। यह कहता है कि बिना कुंडली मिलान के भी विवाह सफल हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कुछ विशेष कारण होते हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कई लोगों की कुंडली स्वाभाविक रूप से संतुलित होती है। ऐसे लोग भावनात्मक रूप से परिपक्व, धैर्यवान और समझदार होते हैं। उनका ग्रहस्वभाव अनुकूल होने के कारण वे अपने संबंधों को सहजता से निभाते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि कुछ लोगों के जन्म से ही कुंडली में शुभ योग उपस्थित होते हैं, जैसे गजकेसरी योग, शुभ चंद्र-मंगल योग, मजबूत सप्तम भाव, शुभ शुक्र, और गुरु की अनुकूल दृष्टि। ऐसे लोग विवाह संबंधों में सामान्यतः कम संघर्ष का सामना करते हैं और उनका जीवन साथी भी उनके स्वभाव से प्रभावित होकर संबंध निभाने में सहज महसूस करता है।

लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हर व्यक्ति के साथ ऐसा ही होगा। इसलिए ज्योतिष विवाह के लिए कुंडली मिलान को महत्वपूर्ण मानता है, ताकि किसी भी तरह की संभावित समस्या को पहले से समझा जा सके।

विवाह की सफलता में ग्रहों की भूमिका

विवाह की स्थिरता और संतुलन का संकेत मुख्यतः सप्तम भाव (सातवां घर), शुक्र, गुरु, चंद्रमा और मंगल से मिलता है। यदि यह ग्रह मजबूत हों, शुभ दृष्टि हो और कुंडली में संबंधों से जुड़े योग सकारात्मक हों, तो विवाह सामान्य से अधिक सामंजस्यपूर्ण हो सकता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में सप्तम भाव मजबूत हो, शुक्र शुभ स्थान पर हो और शनि की क्रूर दृष्टि सप्तम भाव को प्रभावित न कर रही हो, ऐसे लोग विवाह को जिम्मेदारी, वफादारी और परिपक्वता के साथ निभाते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विवाह की सफलता में मानसिक स्थिति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे चंद्रमा नियंत्रित करता है। यदि चंद्रमा मजबूत है, तो व्यक्ति अपने जीवन साथी के प्रति सहिष्णु, समझदार और संतुलित रहता है।

किन परिस्थितियों में बिना कुंडली मिलान के विवाह असफल हो सकता है?

सभी विवाह बिना कुंडली मिलान के समान रूप से सफल नहीं होते। कुछ जन्म कुंडलियों में ऐसे दोष होते हैं जो विवाह जीवन में गंभीर चुनौतियाँ पैदा करते हैं। इनमें मंगलीक दोष, छठे या आठवें भाव का प्रभाव, शुक्र का नीच होना, शनि या राहु की कठिन दृष्टि, सप्तम भाव में गड़बड़ी या दंपत्ति के बीच महत्वपूर्ण ग्रहों का विरोध शामिल है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि लड़की या लड़के की कुंडली में गंभीर दोष हो और उसका समाधान या मेल न किया जाए, तो बाद में विवाह में गलतफहमियाँ, तनाव, असहमति, स्वास्थ्य समस्याएँ, या आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में बार-बार संबंध टूटने, अलगाव या मानसिक तनाव के योग हों, उन्हें बिना कुंडली मिलान के विवाह करने से पहले अवश्य किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए।

प्यार और समझ क्या कुंडली का विकल्प बन सकते हैं?

प्रेम, आपसी समझ, सम्मान और विश्वास विवाह की सफलता के मूल आधार हैं। यदि दंपत्ति एक-दूसरे के प्रति समर्पित हों, तो ग्रहों की प्रतिकूलता भी अक्सर कम प्रभाव डालती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि कई विवाह इसलिए सफल होते हैं क्योंकि दोनों लोग समस्याओं का समाधान मिलकर निकालते हैं और एक-दूसरे के साथ सहानुभूति रखते हैं। ग्रह केवल प्रवृत्ति को प्रभावित करते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय व्यक्ति की मंशा और कर्म से तय होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि दो लोग एक-दूसरे को समझने का प्रयास करें, संवाद बनाए रखें, और धैर्यपूर्वक अपने रिश्ते को निभाएँ, तो ग्रहों की कई बाधाएँ आसान हो जाती हैं।

किन परिस्थितियों में कुंडली मिलान अवश्य करना चाहिए?

कुछ विशेष स्थितियाँ ऐसी होती हैं जहाँ कुंडली मिलान अत्यंत आवश्यक हो जाता है, ताकि बाद में किसी बड़े संघर्ष से बचा जा सके।

पहली स्थिति तब होती है जब किसी एक की कुंडली में मंगलीक दोष हो। दूसरी स्थिति तब होती है जब दोनों के सप्तम भाव में गंभीर ग्रहदोष दिखाई देता हो। तीसरी स्थिति तब होती है जब किसी की कुंडली में विवाह में देरी, टूटने या अस्थिरता के योग हों।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ऐसे मामलों में केवल प्रेम या विश्वास काफी नहीं होता, बल्कि ग्रहदोषों का निवारण आवश्यक होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली मिलान यह स्पष्ट कर देता है कि विवाह के बाद कौन-सी चुनौतियाँ सामने आएंगी और क्या उपाय अपनाकर इन्हें दूर किया जा सकता है।

क्या उपाय विवाह को सफल बनाने में सहायक हो सकते हैं?

यदि कुंडली मिलान नहीं किया गया है, तब भी कुछ ज्योतिषीय उपाय विवाह को मजबूत रख सकते हैं।

ग्रहशांति, मंगल दोष निवारण, शनि शांति, शुक्र का मजबूत होना, पंचमुखी दीपक जलाना, नियमित पूजा-पाठ और दोनों व्यक्तियों का धार्मिक तथा आध्यात्मिक संतुलन विवाह को स्थिरता प्रदान करता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि विवाह केवल ग्रहों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि ग्रहों की सकारात्मक दिशा में क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए उपाय भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विवाह में विश्वास, धैर्य और आध्यात्मिक सम्मति ग्रहों की कठिनाइयों को कम करने में सहायक होती है।

कुंडली मिलान विवाह की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह दो व्यक्तियों और दो परिवारों के बीच अनुकूलता को समझने का वैज्ञानिक तरीका है। फिर भी कई विवाह बिना कुंडली मिलान के भी सफल होते हैं, क्योंकि संबंधों की सफलता केवल ग्रहों पर निर्भर नहीं होती, बल्कि दो लोगों के व्यवहार, धैर्य, आदर, समझ और आपसी सहयोग पर आधारित होती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह स्पष्ट करते हैं कि कुंडली मिलान विवाह को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यदि किसी कारणवश कुंडली मिलान नहीं हो पाया हो, तो भी उचित उपाय, सकारात्मक दृष्टिकोण और आपसी समझ विवाह को सुखद और स्थिर बना सकती है।

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