मंगल ग्रह को शांत करने के सरल ज्योतिषीय उपाय क्या हैं?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम का ग्रह माना गया है। यह व्यक्ति की इच्छाशक्ति, शारीरिक शक्ति और निर्णय क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। जब कुंडली में मंगल ग्रह शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति में अपार ऊर्जा, नेतृत्व क्षमता और संघर्ष करने की शक्ति होती है। वहीं यदि मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध, अस्थिरता, विवाद और मानसिक अशांति ला सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, अशुभ मंगल का प्रभाव जीवन के कई क्षेत्रों में दिखाई देता है – जैसे वैवाहिक जीवन में असहमति, करियर में बाधा, दुर्घटनाओं की संभावना या आर्थिक अस्थिरता। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष को शांत करने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं जो ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम कर व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और शांति लाते हैं।
मंगल ग्रह का महत्व और प्रभाव
मंगल ग्रह को नवग्रहों में सेनापति की उपाधि दी गई है। यह ग्रह व्यक्ति को ऊर्जा, आत्मबल और कार्यक्षमता प्रदान करता है। कुंडली में मंगल की स्थिति यह तय करती है कि व्यक्ति कितनी दृढ़ता से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा।
जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति में साहस, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व का गुण विकसित होता है। वह अपने जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होता है। वहीं यदि मंगल अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति का स्वभाव उग्र हो सकता है, वह बिना सोचे समझे निर्णय लेता है और कई बार अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि अशुभ मंगल व्यक्ति के संबंधों, स्वास्थ्य और करियर पर भी प्रभाव डालता है। ऐसे लोगों को सिरदर्द, रक्तचाप, या त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
कुंडली में अशुभ मंगल के लक्षण
यदि आपकी कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में है, तो इसके कुछ लक्षण जीवन में स्पष्ट दिखाई देते हैं।
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व्यक्ति में अत्यधिक क्रोध और अधीरता होती है।
निर्णय जल्दी लेने की प्रवृत्ति जिसके कारण गलतियाँ होती हैं।
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वैवाहिक जीवन में तनाव या देरी।
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बार-बार चोट या दुर्घटना की संभावना।
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आर्थिक हानि या निवेश में असफलता।
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परिवार या कार्यस्थल पर बार-बार झगड़े या असहमति।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इन लक्षणों के दिखने पर यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी कुंडली का गहराई से विश्लेषण करवाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि मंगल किस भाव में स्थित है और किस ग्रह से दृष्टि प्राप्त कर रहा है। तभी सही उपाय अपनाया जा सकता है।
मंगल दोष क्या होता है?
जब कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित होता है, तो उसे मंगलिक दोष कहा जाता है। यह दोष व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अक्सर मंगलिक व्यक्ति के विवाह में देरी होती है या विवाह के बाद तनाव और असहमति का सामना करना पड़ता है।
मंगल दोष केवल विवाह तक सीमित नहीं है। यह व्यक्ति के जीवन में गुस्सा, अधीरता और मानसिक असंतुलन भी ला सकता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि यह दोष हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। सही उपायों और पूजा-पाठ के माध्यम से मंगल को शांत कर इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है।
मंगल ग्रह को शांत करने के प्रभावी ज्योतिषीय उपाय
मंगल ग्रह को शांत करने के लिए ज्योतिष में अनेक सरल और प्रभावी उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को श्रद्धा और नियमितता से करने पर शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
हनुमान जी की उपासना करें
मंगल ग्रह का सीधा संबंध भगवान हनुमान जी से है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करने से मंगल ग्रह के दोष कम होते हैं। यह उपाय व्यक्ति के जीवन में आत्मबल, साहस और स्थिरता लाता है।
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का जाप करें
यह मंगल ग्रह का बीज मंत्र है। रोज़ाना 108 बार इस मंत्र का जाप करने से ग्रह का प्रभाव संतुलित होता है और व्यक्ति के भीतर की उग्र ऊर्जा सकारात्मक दिशा में प्रवाहित होती है।
लाल वस्त्र और ताम्र धातु का प्रयोग करें
मंगल ग्रह का रंग लाल और धातु तांबा मानी जाती है। इसलिए मंगलवार को लाल वस्त्र धारण करना, ताम्र पात्र में जल पीना और तांबे का छल्ला पहनना लाभकारी होता है।
लाल मसूर दाल और गुड़ का दान करें
दान मंगल दोष को शांत करने का सबसे प्रभावी उपाय है। मंगलवार के दिन लाल मसूर दाल, गुड़, लाल फूल या लाल वस्त्र का दान करने से मंगल की शांति होती है।
हनुमान मंदिर में दीया जलाएं
मंगलवार की शाम को हनुमान मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और मन में स्थिरता आती है।
मंगला गायत्री मंत्र का जाप करें
“ॐ भौमाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो अंगारः प्रचोदयात्।”
इस मंत्र का जाप मानसिक शांति, संयम और आत्मबल प्रदान करता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यह मंत्र मंगल दोष के प्रभाव को कम करने में अत्यंत उपयोगी है।
रत्न उपाय: मूंगा धारण करने के लाभ
मंगल ग्रह से संबंधित रत्न “लाल मूंगा” होता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा में वृद्धि होती है। परंतु यह रत्न बिना ज्योतिष परामर्श के कभी न पहनें। गलत तरीके से धारण किया गया मूंगा उल्टा प्रभाव डाल सकता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि कुंडली में मंगल शुभ भाव में हो और उसका बल बढ़ाना आवश्यक हो, तभी मूंगा धारण करना चाहिए। मूंगा धारण करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है, रक्त संबंधी रोगों में सुधार होता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
मंगल ग्रह और वैवाहिक जीवन का संतुलन
अशुभ मंगल वैवाहिक जीवन में असहमति, झगड़े या दूरी ला सकता है। इसलिए विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करते समय मंगल दोष का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि वर-वधू दोनों में मंगलिक दोष हो, तो इसका प्रभाव संतुलित हो जाता है।
मंगल दोष के कारण विवाह में देरी या अस्थिरता हो तो मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत रखना, मंगल मंत्र का जाप करना और लाल वस्त्र पहनना शुभ माना गया है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि इन उपायों को अपनाने से वैवाहिक जीवन में स्थिरता और समझदारी बढ़ती है।
आध्यात्मिक उपायों से मंगल की शांति
मंगल दोष को शांत करने के लिए केवल पूजा या दान ही नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन भी आवश्यक है। ध्यान, योग और प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर की उग्र ऊर्जा को नियंत्रित कर सकता है।
मंगल की अशांति तब बढ़ती है जब व्यक्ति क्रोध, अहंकार या अधीरता को बढ़ावा देता है। इसलिए संयम, क्षमा और धैर्य का अभ्यास करना भी ग्रह शांति का एक प्रकार का उपाय है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, मानसिक स्थिरता के साथ किए गए उपाय शीघ्र फलदायक होते हैं।
मंगल ग्रह व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, आत्मविश्वास और कार्यक्षमता का प्रतीक है। यदि यह ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति के स्वभाव, संबंधों और करियर में अस्थिरता ला सकता है। लेकिन शुभ कार्यों, दान, मंत्रजप, और हनुमान उपासना के माध्यम से इसके प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि ज्योतिष केवल ग्रहों को समझने का विज्ञान नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और संतुलन का मार्ग है। मंगल ग्रह की शांति केवल बाहरी उपायों से नहीं, बल्कि भीतर के अनुशासन, संयम और श्रद्धा से संभव है।
जब व्यक्ति अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रयोग करता है, तो मंगल ग्रह उसे सफलता, आत्मबल और जीवन में स्थायित्व प्रदान करता है। इस प्रकार सही उपाय और सही दृष्टिकोण के माध्यम से अशुभ मंगल भी शुभ परिणाम दे सकता है।

