कुंडली के अनुसार सही व्यवसाय कैसे चुनें?

कुंडली के अनुसार सही व्यवसाय कैसे चुनें? 



हर व्यक्ति जीवन में एक ऐसे क्षेत्र की तलाश करता है जिसमें वह सफलता, सम्मान और आर्थिक स्थिरता प्राप्त कर सके। लेकिन कई बार मेहनत करने के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए वर्षों तक प्रयास करता है पर सफलता नहीं मिलती, जबकि कोई दूसरा व्यक्ति व्यापार में अप्रत्याशित रूप से आगे बढ़ जाता है। इसका कारण केवल कर्म नहीं, बल्कि जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति और योग भी होते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, किसी व्यक्ति के लिए सही व्यवसाय या करियर का चयन उसकी कुंडली के गहन विश्लेषण से ही संभव है।

कुंडली में ग्रहों का संयोजन, भावों की स्थिति, दशा और गोचर यह बताते हैं कि व्यक्ति को किस दिशा में प्रयास करना चाहिए — नौकरी, व्यवसाय, या स्वतंत्र पेशेवर जीवन में। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि ग्रहों की स्थिति को समझकर करियर चुना जाए तो सफलता सुनिश्चित होती है, जबकि विपरीत ग्रह स्थिति व्यक्ति को संघर्ष और अस्थिरता की ओर ले जा सकती है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कुंडली के आधार पर सही व्यवसाय कैसे चुना जाए और किन ग्रहों का कौन से व्यवसाय से गहरा संबंध होता है।

जन्मकुंडली और व्यवसाय का संबंध

ज्योतिष शास्त्र में व्यवसाय से संबंधित मुख्य भाव 2, 6, 7, 10 और 11 माने जाते हैं। इनमें से दसवां भाव (कर्म भाव) व्यक्ति के पेशे, कार्यक्षेत्र और सार्वजनिक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। सातवां भाव व्यापार और साझेदारी से जुड़ा होता है। छठा भाव नौकरी और सेवा से संबंधित है, जबकि दूसरा भाव धन, वाणी और संसाधनों का सूचक है। ग्यारहवां भाव लाभ और आय से जुड़ा होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इन भावों के स्वामी ग्रहों की स्थिति और उनके पारस्परिक संबंध यह दर्शाते हैं कि व्यक्ति किस प्रकार के कार्य में सफल होगा। यदि सातवां और दसवां भाव मजबूत हो तो व्यक्ति व्यवसाय में प्रगति करता है। वहीं यदि छठा और दसवां भाव अधिक सक्रिय हो तो व्यक्ति नौकरी में सफलता प्राप्त करता है।

दसवां भाव – कर्म और करियर का आधार

दसवां भाव व्यक्ति के कर्म, कार्यक्षेत्र, समाज में प्रतिष्ठा और कार्य से मिलने वाले सम्मान का द्योतक है। यदि इस भाव में शुभ ग्रह जैसे सूर्य, गुरु या बुध स्थित हों तो व्यक्ति अपनी मेहनत से ऊँचे पद तक पहुँच सकता है। यदि यह भाव पाप ग्रहों जैसे राहु या शनि से प्रभावित हो, तो व्यक्ति को संघर्ष, अस्थिरता या दिशा भ्रम का सामना करना पड़ता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि दसवें भाव में ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के पेशे का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति प्रशासनिक सेवा, सरकारी कार्य या नेतृत्व से जुड़ा व्यवसाय करता है। यदि बुध मजबूत हो तो व्यक्ति व्यापार, लेखा, तकनीक या संचार से संबंधित क्षेत्रों में सफल होता है।

व्यवसाय से संबंधित ग्रहों की भूमिका

हर ग्रह किसी न किसी प्रकार के कार्य या व्यवसाय से जुड़ा होता है। ग्रहों की दशा और दृष्टि व्यक्ति के स्वभाव, योग्यता और निर्णय क्षमता को प्रभावित करती है। आइए देखें कौन-से ग्रह किस प्रकार के व्यवसाय से संबंधित हैं।

सूर्य: यह ग्रह प्रशासन, सरकारी कार्य, राजनीति, उच्च पद और नेतृत्व क्षमता से जुड़ा है। यदि सूर्य कुंडली में मजबूत है तो व्यक्ति अधिकारी, प्रशासक या स्वतंत्र रूप से नेतृत्व करने वाला उद्यमी बन सकता है।

चंद्रमा: यह मन और भावना का प्रतीक है। मजबूत चंद्रमा व्यक्ति को कल्पनाशील और संवेदनशील बनाता है। ऐसे लोग होटल, जल, वस्त्र, कला, मनोविज्ञान, या स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़कर सफलता प्राप्त करते हैं।

मंगल: यह ऊर्जा, साहस और निर्णय का ग्रह है। मजबूत मंगल व्यक्ति को तकनीकी क्षेत्र, इंजीनियरिंग, रियल एस्टेट, खेल या सुरक्षा सेवाओं में सफलता दिलाता है।

बुध: यह व्यापार, गणना और संचार का ग्रह है। बुध मजबूत हो तो व्यक्ति बैंकिंग, लेखा, मार्केटिंग, मीडिया या आईटी क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है।

गुरु: यह ज्ञान, शिक्षा और सलाह का ग्रह है। गुरु मजबूत हो तो व्यक्ति शिक्षा, कानून, बैंकिंग, काउंसलिंग या धार्मिक क्षेत्रों में सफल होता है।

शुक्र: यह सौंदर्य, विलासिता और रचनात्मकता का ग्रह है। मजबूत शुक्र व्यक्ति को कला, फैशन, डिजाइन, मनोरंजन, या होटल उद्योग में उत्कृष्ट सफलता प्रदान करता है।

शनि: यह कर्म, अनुशासन और सेवा का प्रतीक है। शनि मजबूत हो तो व्यक्ति उद्योग, निर्माण, मशीनरी, ऑटोमोबाइल, या श्रम आधारित कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।

राहु और केतु: ये ग्रह असामान्य क्षेत्रों और नवीनता के कारक हैं। राहु तकनीक, मीडिया, विदेशी व्यापार और इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ा होता है जबकि केतु आध्यात्मिक, रहस्यवादी और शोध क्षेत्रों में व्यक्ति को सफलता देता है।

कुंडली से व्यवसायिक झुकाव का विश्लेषण कैसे करें

कुंडली का स्वामी और चंद्र लग्न से संबंधित ग्रह व्यक्ति के मानसिक रुझान और निर्णय शक्ति को दर्शाते हैं। यदि बुध, गुरु और शुक्र शुभ स्थिति में हों तो व्यक्ति विश्लेषणात्मक और व्यवसायिक सोच वाला होता है। यदि शनि या मंगल प्रभावी हों तो व्यक्ति मेहनतकश, तकनीकी या औद्योगिक क्षेत्रों में सफल होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, केवल ग्रहों की स्थिति ही नहीं, बल्कि दशा और गोचर का समय भी यह बताता है कि कब व्यक्ति के लिए व्यवसाय शुरू करना शुभ रहेगा। ग्रहों की अनुकूल दशा आने पर व्यवसाय में वृद्धि और स्थिरता प्राप्त होती है, जबकि विपरीत दशा में नुकसान या संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

नौकरी या व्यवसाय – कुंडली क्या कहती है

अक्सर लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि उनकी कुंडली में नौकरी अधिक उपयुक्त है या व्यापार। इस प्रश्न का उत्तर कुंडली के भावों और ग्रहों के सामंजस्य में छिपा होता है। यदि सातवां भाव और उसका स्वामी मजबूत है, तथा बुध, शुक्र या राहु का प्रभाव है, तो व्यक्ति में व्यवसायिक प्रवृत्ति होती है। वहीं यदि छठा भाव मजबूत हो और शनि, सूर्य या मंगल शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति नौकरी या सेवा में बेहतर प्रदर्शन करता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि कुछ कुंडलियाँ ऐसी होती हैं जिनमें स्वतंत्र व्यवसाय और सेवा दोनों के योग बनते हैं। ऐसे लोग पहले नौकरी करते हैं और बाद में स्वयं का व्यवसाय शुरू करके सफलता प्राप्त करते हैं।

ग्रहों के अनुसार उपयुक्त व्यवसाय

कुंडली के ग्रहों की शक्ति और योग्यता के अनुसार व्यक्ति के लिए विशेष व्यवसाय निर्धारित किए जा सकते हैं।

  • सूर्य प्रभावी हो तो सरकारी नौकरी, राजनीति, प्रशासन या प्रबंधन।

  • चंद्रमा मजबूत हो तो होटल, रेस्टोरेंट, जल संबंधी कार्य, नर्सिंग या कला क्षेत्र।

  • मंगल सक्रिय हो तो रियल एस्टेट, खेल, इंजीनियरिंग, सुरक्षा या सेना।

  • बुध शुभ हो तो व्यापार, मार्केटिंग, अकाउंटिंग, लेखन या आईटी क्षेत्र।

  • गुरु बलवान हो तो शिक्षा, बैंकिंग, कानून, काउंसलिंग या धार्मिक कार्य।

  • शुक्र प्रभावी हो तो फैशन, डिजाइन, सौंदर्य, मनोरंजन या फिल्म उद्योग।

  • शनि मजबूत हो तो उद्योग, मशीनरी, निर्माण, या सेवा आधारित कार्य।

  • राहु-केतु प्रभावी हों तो टेक्नोलॉजी, मीडिया, शोध या रहस्य विज्ञान।

कुंडली में व्यवसायिक सफलता के संकेत

व्यक्ति की कुंडली में कुछ विशेष योग ऐसे होते हैं जो व्यवसाय में सफलता का संकेत देते हैं।

  • दसवें भाव का स्वामी लाभ भाव में हो।

  • सातवें भाव का स्वामी शुभ ग्रहों से युक्त हो।

  • गुरु या बुध दशम भाव पर दृष्टि डालें।

  • लग्नेश और कर्मेश के बीच शुभ संबंध हों।

  • चंद्र लग्न से दसवां भाव मजबूत हो।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब ये योग कुंडली में मौजूद होते हैं तो व्यक्ति अपनी मेहनत और योजना से व्यापार में अद्भुत प्रगति करता है।

व्यवसाय में बाधाएँ और उनके उपाय

कई बार कुंडली में शुभ योग होने के बावजूद व्यवसाय में बाधाएँ आती हैं। इसका कारण ग्रहों की अशुभ दशा, राहु-केतु का प्रभाव, या शनि की साढ़ेसाती हो सकता है। ऐसे समय में उचित ज्योतिषीय उपाय करने से बाधाएँ कम की जा सकती हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी सलाह देते हैं कि प्रत्येक ग्रह के लिए विशेष उपाय करने से व्यवसाय में स्थिरता आती है। जैसे –

  • सूर्य को प्रतिदिन जल अर्पित करें।

  • बुधवार को हरी वस्तुएँ दान करें।

  • शनिवार को गरीबों को भोजन कराएँ और शनि मंत्र का जाप करें।

  • गुरु को मजबूत करने के लिए पीले वस्त्र पहनें और गुरुवार को व्रत रखें।

  • राहु-केतु शांति के लिए मंत्र जाप करें और मंदिर में दीपक जलाएँ।

इन उपायों से ग्रहों की अनुकूलता बढ़ती है और व्यवसायिक उन्नति का मार्ग खुलता है।

सही समय पर व्यवसाय शुरू करने का महत्व

ग्रहों की दशा और गोचर यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति को कब नया व्यवसाय आरंभ करना चाहिए। गुरु और बुध की अनुकूल दशा में व्यापार शुरू करना सबसे शुभ माना गया है। शनि की शुभ दशा भी लंबे समय तक स्थिरता और सफलता प्रदान करती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, व्यवसाय शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त और दशा-गोचर का विश्लेषण अवश्य कराना चाहिए, ताकि प्रारंभ से ही सफलता की संभावना बढ़े।

कुंडली आधारित व्यवसाय चयन का वास्तविक लाभ

जब व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार व्यवसाय चुनता है, तो उसे अपने स्वभाव, क्षमता और ग्रहों की शक्ति के अनुरूप कार्य मिलता है। इससे उसकी मेहनत सही दिशा में लगती है और सफलता शीघ्र मिलती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ऐसे लोग न केवल आर्थिक दृष्टि से सफल होते हैं बल्कि मानसिक रूप से भी संतुष्ट रहते हैं। वहीं, जिनका व्यवसाय ग्रहों के विपरीत दिशा में होता है, उन्हें निरंतर अस्थिरता, नुकसान और तनाव का सामना करना पड़ता है।

कुंडली व्यक्ति के जीवन का खाका होती है। उसमें छिपे ग्रहों के योग और भावों की स्थिति यह बताते हैं कि कौन-सा कार्य व्यक्ति के लिए लाभकारी रहेगा। सही व्यवसाय का चुनाव केवल योग्यता या बाजार की स्थिति पर नहीं, बल्कि ग्रहों की अनुकूलता पर भी निर्भर करता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, कुंडली के विश्लेषण से व्यक्ति अपने जीवन की दिशा बदल सकता है। ग्रहों की स्थिति को समझकर और उचित उपाय अपनाकर वह सफलता, स्थिरता और समृद्धि की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में सफलता के योग छिपे होते हैं, बस उन्हें पहचानने और सही दिशा में कार्य करने की आवश्यकता होती है। कुंडली केवल भविष्य बताने का माध्यम नहीं, बल्कि यह जीवन को सही मार्ग दिखाने वाला ज्योतिषीय विज्ञान है। यदि आप अपने करियर या व्यवसाय को लेकर भ्रमित हैं, तो अपनी जन्मकुंडली के अनुसार सही दिशा प्राप्त करें — यही स्थायी सफलता की कुंजी है।

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