क्या मंगल दो-दो बार शादी के योग बनाता है?

क्या मंगल दो-दो बार शादी के योग बनाता है? 

क्या मंगल दो-दो बार शादी के योग बनाता है? 

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को साहस, ऊर्जा, क्रियाशीलता, और निर्णय क्षमता का कारक माना गया है। यह ग्रह केवल व्यक्ति के स्वभाव और कर्मों को प्रभावित नहीं करता, बल्कि विवाह, संबंध और दांपत्य जीवन में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जब मंगल कुंडली में विशेष स्थिति बनाता है, तब यह वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव, संघर्ष या कभी-कभी दो विवाह के योग भी दर्शा सकता है। हालांकि यह गलत धारणा है कि केवल मंगल ही दो-दो बार शादी कराता है। वास्तविकता यह है कि दो विवाह के योग कई ग्रहों के संयुक्त प्रभाव से बनते हैं, जिसमें 7वें भाव, शुक्र, राहु, केतु, शनि और मंगल का महत्व विशेष होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मंगल के प्रभाव का सही अध्ययन कुंडली के प्रत्येक भाव, ग्रह और दशा-अंतरदशा की स्थिति देखकर किया जाता है। केवल मंगल दोष को देखकर यह निष्कर्ष निकालना कि व्यक्ति को दो-दो बार विवाह करना होगा, ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार पूरी तरह सही नहीं है। कुंडली  का गहन अध्ययन आवश्यक है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि विवाह का योग केवल मंगल से नहीं बनता, बल्कि 7वें भाव का स्वामी, उसके साथ दृष्टि बनाने वाले ग्रह, 2रे और 8वें भाव में ग्रहों की स्थिति तथा दशा-अंतरदशा का योग मिलकर निर्णय करते हैं। मंगल केवल इन परिस्थितियों को प्रभावित कर सकता है।

मंगल ग्रह और विवाह का सम्बन्ध

ज्योतिष में 7वां भाव विवाह का मुख्य भाव माना गया है। 7वें भाव के साथ 2रे, 8वें और 12वें भाव भी विवाह, प्रेम और दांपत्य सुख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मंगल ग्रह इस भाव को प्रभावित करता है और जब यह अशुभ स्थिति में हो या अन्य ग्रहों के साथ कठिन योग बनाए, तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, विवाद या पुनर्विवाह के योग उत्पन्न हो सकते हैं।

मंगल ग्रह का स्वभाव तेज और उग्र है। यह क्रियाशीलता, साहस और ऊर्जा का प्रतीक है। जब यह ग्रह असंतुलित हो जाता है, तो व्यक्ति का स्वभाव अत्यधिक आक्रामक या चिड़चिड़ा हो सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव पैदा हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मंगल ग्रह की स्थिति और उसके प्रभाव को समझना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह केवल दो विवाह का योग नहीं देता, बल्कि विवाह जीवन में कई तरह की चुनौतियां भी लाता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मंगल ग्रह का संबंध केवल विवाह से नहीं, बल्कि व्यक्ति के निर्णय, करियर और संबंधों की स्थिरता से भी है। यदि मंगल अशुभ स्थिति में हो, तो यह विवाह जीवन को अस्थिर कर सकता है, जिससे पहली शादी टूटने और दूसरी शादी के योग बनने की संभावना बढ़ जाती है।

दो विवाह के योग और मंगल ग्रह

यह मानना कि केवल मंगल ग्रह ही दो विवाह कराता है, पूरी तरह सही नहीं है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में मंगल ग्रह पुनर्विवाह के योग को प्रभावित करता है। ज्योतिष में दो विवाह के संकेत विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं। इनमें मुख्य हैं:

7वें भाव में मंगल का अशुभ प्रभाव

यदि मंगल 7वें भाव में बैठा हो और राहु, केतु, शनि या सूर्य जैसे अशुभ ग्रहों का संयोग बन जाए, तो यह वैवाहिक जीवन में अस्थिरता का संकेत देता है। इस स्थिति में व्यक्ति का स्वभाव क्रोधी या अधीर हो सकता है, जिससे दांपत्य जीवन में तनाव उत्पन्न होता है।

मंगल की 7वें भाव पर दृष्टि

यदि मंगल 4, 7 या 8वें भाव से 7वें भाव को दृष्टि करता है, तो विवाह जीवन में संघर्ष और असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। इससे पहली शादी में विफलता और फिर पुनर्विवाह की संभावना बढ़ जाती है।

शुक्र ग्रह का कमजोर होना

शुक्र ग्रह प्रेम, आकर्षण और वैवाहिक सुख का कारक है। जब कुंडली में शुक्र कमजोर हो और मंगल प्रबल स्थिति में हो, तो वैवाहिक जीवन में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। इससे पहली शादी में कठिनाई और दूसरी शादी का योग बन सकता है।

मंगल दोष का प्रभाव

मंगल दोष तब अधिक प्रभावशाली होता है जब मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित हो और उसके साथ अशुभ ग्रहों का संयोग बना हो। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति की पहली शादी में तनाव बढ़ सकता है, जिससे पुनर्विवाह के योग बन सकते हैं।

दशा और अंतरदशा

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कई बार कुंडली में दो विवाह का संकेत नहीं होता, लेकिन दशा-अंतरदशा के समय ग्रहों की स्थिति ऐसा बनाती है कि जीवन में बदलाव आता है। उदाहरण स्वरूप, मंगल की दशा में उग्रता, शनि की दशा में विलंब, राहु की दशा में भ्रम और केतु की दशा में दूरी बढ़ सकती है। ये परिस्थितियां पहली शादी के टूटने और पुनर्विवाह की संभावना को बढ़ाती हैं।

कुंडली में दो विवाह के संकेत

दो विवाह के योग कई कारणों से बनते हैं, जिनमें मंगल ग्रह की भूमिका केवल एक कारक है। यहाँ कुछ प्रमुख संकेत दिए जा रहे हैं:

  • 7वें भाव में अशुभ ग्रहों का संयोग – यदि 7वें भाव कमजोर या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो वैवाहिक जीवन अस्थिर हो सकता है।

  • शुक्र या 7वें भाव का स्वामी परिवर्तनशील राशि में होना – मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि में स्थित होने पर दो विवाह के योग बन सकते हैं।

  • राहु का 7वें भाव में प्रभाव – राहु भ्रम और अस्थिरता देता है। जब यह मंगल के साथ जुड़ता है, तो पुनर्विवाह के योग बढ़ते हैं।

  • 8वें भाव का अशुभ ग्रहों से प्रभावित होना – 8वें भाव दांपत्य जीवन की गहराई और स्थिरता को दर्शाता है। यदि यह अशुभ हो, तो पहली शादी कमजोर पड़ सकती है।

  • दशा और अंतरदशा का योग – कभी-कभी कुंडली में योग न होकर भी दशा के प्रभाव से दो विवाह का योग उत्पन्न होता है।

मंगल दोष के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

मंगल दोष हमेशा बुरा नहीं होता। यह व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और निर्णय शक्ति बढ़ाता है। यदि मंगल शुभ स्थिति में हो, तो यह वैवाहिक जीवन में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा भी देता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मंगल दोष का सही अध्ययन और उपाय करके वैवाहिक जीवन को संतुलित किया जा सकता है। उचित उपायों से क्रोध, तनाव और अस्थिरता कम होती है और दो विवाह के योग को नियंत्रित किया जा सकता है।

दो विवाह से बचने के उपाय

जब मंगल अशुभ योग बनाता है, तो कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं:

  • मंगलवार का व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ

  • मंगल मंत्र का जाप

  • लाल मूंगा या लाल कपड़े का प्रयोग

  • विवाह से पहले मंगल दोष का मिलान

  • नवग्रह शांति पूजा और ग्रहों के अनुरूप अन्य उपाय

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इन उपायों को काफी प्रभावी मानते हैं। इन उपायों से वैवाहिक जीवन स्थिर, सुखी और सफल बन सकता है।

मंगल ग्रह दो विवाह के योग का कारक हो सकता है, लेकिन अकेला मंगल ऐसा नहीं करता। दो विवाह का योग कुंडली के विभिन्न ग्रहों, भावों, दशा-अंतरदशा और स्थिति के संयुक्त प्रभाव से बनता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों स्पष्ट करते हैं कि सही अध्ययन, ग्रहों का संतुलन और उचित उपाय करने से मंगल दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है और वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाई जा सकती है।

यदि आपकी कुंडली में दो विवाह के संकेत हैं, तो विशेषज्ञ ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना अत्यंत आवश्यक है। केवल मंगल दोष पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है। कुंडली के सभी पहलुओं का समग्र अध्ययन करने पर ही सही निर्णय लिया जा सकता है।

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:

Suggested Post

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत?

 भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत? भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ...