अंक ज्योतिष से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता

 अंक ज्योतिष से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता 

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अंक ज्योतिष से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता पाना एक कठिन चुनौती हो सकता है, लेकिन अंक ज्योतिष के माध्यम से आप अपने भाग्य और मेहनत के तालमेल से इसे सरल बना सकते हैं। अंक ज्योतिष न केवल आपकी मेहनत को सही दिशा में मार्गदर्शन करता है, बल्कि शुभ अंक और उपायों से सफलता के अवसर भी बढ़ाता है।

अंक ज्योतिष का महत्व:

अंक ज्योतिष में हर अंक का एक विशेष अर्थ और ऊर्जा होती है, जो व्यक्ति के जीवन और करियर पर प्रभाव डालती है। मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह जानना आवश्यक है कि कौन से अंक उनके लिए शुभ हैं और किस प्रकार के उपाय सफलता दिला सकते हैं।

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता के लिए शुभ अंक:

  • अंक 3: इस अंक का संबंध गुरु (बृहस्पति) से होता है, जो शिक्षा, ज्ञान और उच्च शिक्षा में सफलता का प्रतीक है। मेडिकल क्षेत्र में परीक्षा में सफलता पाने के लिए यह अंक बहुत महत्वपूर्ण है।
  • अंक 6: अंक 6 का संबंध शुक्र ग्रह से होता है, जो स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति देता है। इस अंक के प्रभाव से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में मानसिक स्थिरता और एकाग्रता बढ़ती है।

  • अंक 9: यह अंक मंगल ग्रह का प्रतीक है, जो साहस, ऊर्जा और तीव्रता प्रदान करता है। मेडिकल एंट्रेंस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अंक का होना अत्यंत लाभकारी होता है।

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता के अंक ज्योतिषीय टिप्स:

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता

  • शुभ तिथियों का चयन करें: परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन, प्रवेश पत्र डाउनलोड और परीक्षा देने के लिए अपने शुभ अंक वाली तिथि का चयन करें।
  • शुभ रंगों का प्रयोग: अपने मूलांक के अनुसार वस्त्रों का चयन करें। जैसे अंक 3 के लिए पीला, अंक 6 के लिए सफेद और अंक 9 के लिए लाल रंग शुभ होता है।
  • शुभ दिशा में पढ़ाई करें: अंक ज्योतिष के अनुसार अपने अध्ययन कक्ष में उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके पढ़ाई करें।

मंत्र जाप और उपाय:
  • अंक 3 वालों के लिए "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें।

  • अंक 6 वालों के लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करें।

  • अंक 9 वालों के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें।

अंकज्योतिषीय रत्नों का प्रयोग:

अंकज्योतिषीय रत्नों
  • अंक 3 के लिए पुखराज धारण करें।

  • अंक 6 के लिए ओपल या हीरा पहनें।

  • अंक 9 के लिए मूंगा (कोरल) धारण करें।

मेडिकल एंट्रेंस में सफलता के लिए अन्य उपाय:

  • परीक्षा के दिन हल्का भोजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।

  • परीक्षा से एक रात पहले सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

  • अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर ही घर से निकलें।

अंक ज्योतिष के माध्यम से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता पाना संभव है, बशर्ते कि आप इसे अपने मेहनत और विश्वास के साथ अपनाएं। शुभ अंक, सही दिशा और उचित उपाय आपको सफलता की ओर ले जाएंगे। ध्यान रखें कि आपकी मेहनत और सकारात्मक दृष्टिकोण ही आपके सपनों को साकार करेंगे।



स्नेहा तिवारी, विजय नगर, इंदौर

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बार-बार असफल हो रही थी। तब मुझे किसी ने इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के बारे में बताया। मैंने उनसे संपर्क किया और उन्होंने मेरी जन्मतिथि के अनुसार अंकज्योतिष का विश्लेषण किया। उन्होंने मुझे कुछ विशेष उपाय बताए, जैसे हर गुरुवार पीली वस्तुओं का दान करना, बृहस्पति मंत्र का जाप और एक खास रत्न धारण करना। इन उपायों को करने के बाद मेरी एकाग्रता बढ़ी और इस बार मैंने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में शानदार सफलता हासिल की। साहू जी की सटीक सलाह और उपायों ने मेरी जिंदगी बदल दी।"

राहुल शर्मा, स्कीम नंबर 78, इंदौर

मेरा सपना था कि मैं एक सफल डॉक्टर बनूं, लेकिन मेडिकल एंट्रेंस में बार-बार असफल हो रहा था। तभी मेरे परिवार ने इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से संपर्क करने की सलाह दी। साहू जी ने मेरी कुंडली और अंकज्योतिष का गहरा विश्लेषण किया। उन्होंने मुझे रत्न धारण करने, मंत्र जाप और कुछ विशेष उपाय जैसे रोज सूर्योदय के समय 108 बार 'ॐ' का उच्चारण करने की सलाह दी। इन उपायों को अपनाने के कुछ ही महीनों में मेरी एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ने लगा। इस बार मैंने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बेहतरीन रैंक हासिल की। साहू जी की सलाह ने मेरी जिंदगी को नई दिशा दी।"

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नाड़ी दोष: वैवाहिक जीवन में इसका प्रभाव

 

नाड़ी दोष: वैवाहिक जीवन में इसका प्रभाव

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नाड़ी दोष:

भारतीय ज्योतिष में विवाह को दो आत्माओं का पवित्र मिलन माना गया है। कुंडली मिलान में नाड़ी दोष को अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जाता है। यह दोष दो व्यक्तियों के जैविक और मानसिक स्वास्थ्य, संतान सुख और दांपत्य जीवन की स्थिरता पर गहरा प्रभाव डालता है। नाड़ी दोष को नज़रअंदाज़ करने से विवाह में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस ब्लॉग में हम नाड़ी दोष  के कारण, प्रभाव और समाधान को विस्तार से जानेंगे।

नाड़ी दोष क्या है?

नाड़ी दोष क्या है?

नाड़ी दोष  तब बनता है जब विवाह के लिए मिलाई जा रही कुंडलियों में दोनों वर-वधू की नाड़ी समान होती है। ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी को तीन भागों में विभाजित किया गया है:

  • आद्या नाड़ी (वात): यह वात तत्व को दर्शाती है। ऐसे व्यक्ति अधिक चिंतनशील, अस्थिर और संवेदनशील होते हैं।

  • मध्य नाड़ी (पित्त): यह पित्त तत्व को दर्शाती है। ऐसे लोग क्रोधी, तेजस्वी और महत्वाकांक्षी होते हैं।

  • अंत्य नाड़ी (कफ): यह कफ तत्व को दर्शाती है। ऐसे व्यक्ति शांत, स्थिर और सहनशील स्वभाव के होते हैं।

जब वर और वधू की नाड़ी समान होती है, तो नाड़ी दोष  बनता है, जो कई ज्योतिषीय समस्याओं को जन्म देता है।

नाड़ी दोष के दुष्प्रभाव

नाड़ी दोष  को गंभीरता से लेना आवश्यक है, क्योंकि यह कई नकारात्मक परिणाम ला सकता है:

  • संतान सुख में बाधा: समान नाड़ी होने पर संतान की सेहत कमजोर हो सकती है या संतान प्राप्ति में देरी या कठिनाइयां आ सकती हैं।

  • स्वास्थ्य समस्याएं: दंपति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • वैवाहिक जीवन में अस्थिरता: दोनों के स्वभाव में तालमेल की कमी हो सकती है, जिससे विवाद और तनाव बढ़ सकते हैं।

  • आर्थिक समस्याएं: दंपति को धन हानि या आर्थिक संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है।

  • भावनात्मक दूरी: भावनात्मक जुड़ाव में कमी के कारण संबंधों में ठंडापन आ सकता है।

नाड़ी दोष को दूर करने के उपाय

नाड़ी दोष को दूर करने के उपाय

नाड़ी दोष को समाप्त करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं:

  • महामृत्युंजय मंत्र जाप: इस मंत्र का जाप करने से नाड़ी दोष का नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है।

  • कुंभ विवाह: यदि लड़की की कुंडली मेंनाड़ी दोष है, तो पहले उसे कुंभ (मिट्टी के घड़े) से विवाह करवाया जाता है।

  • नाड़ी दोष निवारण पूजा: किसी अनुभवी पंडित द्वारा इस विशेष पूजा को करवाने से दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

  • रुद्राभिषेक: भगवान शिव की आराधना द्वारा नाड़ी दोष  को शांत किया जा सकता है।

  • दान और सेवा: निर्धनों को अन्न, वस्त्र और शिक्षा का दान करना शुभ फल देता है।

क्या नाड़ी दोष को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है?

हालांकि नाड़ी दोष एक गंभीर दोष है, लेकिन सही उपायों और ज्योतिषीय सलाह के द्वारा इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अनुभवी ज्योतिषी की सलाह से उचित समाधान अपनाने पर वैवाहिक जीवन सुखमय बनाया जा सकता है।

नाड़ी दोष को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ भी नहीं करना चाहिए। उचित कुंडली मिलान और विशेषज्ञ की सलाह लेकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। यदि सही उपाय किए जाएं, तो नाड़ी दोष  के बावजूद एक सफल और सुखद वैवाहिक जीवन संभव है।


"पलासिया इंदौर, के निवासी को नाड़ी दोष के उपाय से वैवाहिक जीवन में शांति!"

मेरा नाम अरविंद गुप्ता है, मैं पलासिया, इंदौर में रहता हूँ। शादी के बाद से ही मेरे और मेरी पत्नी के बीच हमेशा अनबन रहती थी। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे थे। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। साहू जी ने हमारी कुंडली देखकर बताया कि नाड़ी दोष  हमारे वैवाहिक जीवन में अशांति का कारण है। उन्होंने हमें विशेष पूजा और उपाय बताए। उन उपायों को करने के बाद हमारे जीवन में शांति आई और आज हम दोनों एक-दूसरे के साथ खुश हैं।

"राऊ इंदौर, के निवासी ने नाड़ी दोष से मुक्ति पाकर वैवाहिक जीवन को सुदृढ़ बनाया!"

मेरा नाम विकास जैन है, मैं राऊ, इंदौर में रहता हूँ। शादी के कुछ समय बाद ही हमारे रिश्ते में खटास आ गई थी। हर दिन विवाद होने लगे थे। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी की सलाह ली। साहू जी ने हमारी कुंडलीका विश्लेषण किया और नाड़ी दोष को समस्या का कारण बताया। उन्होंने हमें नाड़ी दोष निवारण के कुछ सरल उपाय बताए। उपाय करने के बाद हमारे बीच प्यार और समझ बढ़ी, आज हम खुशहाल जीवन जी रहे हैं।


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विदेशी मेडिकल करियर में सफलता के लिए अंकज्योतिष

 विदेशी मेडिकल करियर में सफलता के लिए अंकज्योतिष

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विदेशी मेडिकल करियर

 विदेशी मेडिकल करियर में सफलता प्राप्त करना हर छात्र का सपना होता है। इसके लिए न केवल कठोर परिश्रम और योग्यता की आवश्यकता होती है, बल्कि भाग्य और अंकज्योतिष का भी विशेष महत्व होता है। अंकज्योतिष के माध्यम से हम जान सकते हैं कि कौन से अंक आपके मेडिकल करियर में सफलता के द्वार खोल सकते हैं।

अंकज्योतिष का महत्व: 

अंकज्योतिष एक प्राचीन विद्या है, जिसमें अंकों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यह विद्या आपकी जन्मतिथि और नाम के अंकों के आधार पर आपके भाग्य और करियर में सफलता की संभावना को दर्शाती है।

मेडिकल करियर के लिए शुभ अंक:

  • अंक 3: इस अंक वाले लोग चिकित्सा क्षेत्र में अनुसंधान और उच्च शिक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं। इनका विदेश में मेडिकल करियर बनने की संभावना अधिक होती है।

  • अंक 6: यह अंक स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस अंक के प्रभाव वाले लोग डॉक्टर, नर्स या स्वास्थ्य सलाहकार के रूप में सफल होते हैं।

  • अंक 9: इस अंक का संबंध सेवा और परोपकार से है। डॉक्टरों के लिए यह अंक अत्यंत शुभ माना जाता है, खासकर जब विदेशी अवसरों की बात हो।

अंकज्योतिष के अनुसार सफलता के उपाय:

अंकज्योतिष 

  • अंक 3 के लिए: प्रतिदिन गुरु मंत्र का जाप करें और पीले वस्त्र धारण करें।

  • अंक 6 के लिए: शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा करें और सफेद वस्त्र पहनें।

  • अंक 9 के लिए: मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और लाल रंग का प्रयोग करें।

विदेशी मेडिकल संस्थानों में प्रवेश के लिए अंकज्योतिष उपाय:

  • परीक्षा के लिए शुभ तिथियों का चयन करें।

  • इंटरव्यू के दौरान अपने शुभ अंक के रंग का रुमाल या वस्त्र धारण करें।

  • यात्रा से पहले अपने मूलांक के अनुसार दिशा का चयन करें।

 अंकज्योतिष आपके मेडिकल करियर को एक नई दिशा दे सकता है, विशेषकर जब आप विदेश में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। भाग्य, अंक और कठिन परिश्रम के संयोग से आप अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप अपने अंकज्योतिष के अनुसार उपाय अपनाते हैं, तो निश्चित रूप से आपके विदेशी मेडिकल करियर में सफलता के द्वार खुलेंगे।


स्नेहा जोशी, विजय नगर, इंदौर

मैंने कई बार विदेशी मेडिकल कॉलेजों में आवेदन किया, लेकिन बार-बार रिजेक्शन मिल रहा था। बहुत निराश था, तभी मैंने इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी जन्मतिथि के आधार पर अंकज्योतिष के उपाय बताए। उन्होंने 5 नंबर के प्रभाव को मजबूत करने के लिए बुध मंत्र का जाप, हरे रंग का उपयोग और बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने को कहा। उनके बताए उपाय करने के कुछ ही समय में मेरा एडमिशन एक प्रतिष्ठित विदेशी मेडिकल कॉलेज में हो गया। सच में, साहू जी की सलाह ने मेरा सपना पूरा किया।"

अमित वर्मा, बापट स्क्वेयर, इंदौर

विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करना मेरा सपना था, लेकिन बार-बार कोशिश करने के बावजूद सफलता नहीं मिल रही थी। तब मैंने इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से सलाह ली। उन्होंने मेरी कुंडली और अंकज्योतिष का गहरा विश्लेषण किया और बताया कि राहु की स्थिति बाधा डाल रही है। साहू जी ने मुझे रोज महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने, नारियल जल में प्रवाहित करने और काले तिल का दान करने की सलाह दी। इन उपायों को अपनाने के कुछ ही हफ्तों में मेरा एडमिशन एक प्रतिष्ठित मेडिकल यूनिवर्सिटी में हो गया। साहू जी की मदद से मेरा सपना पूरा हुआ।

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घर में बांसुरी रखने के लाभ

 

घर में बांसुरी रखने के लाभ

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घर में बांसुरी रखने के लाभ

भारतीय संस्कृति में बांसुरी को भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय वाद्य यंत्र के रूप में जाना जाता है। बांसुरी सिर्फ एक संगीत वाद्य नहीं है, बल्कि यह प्रेम, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी मानी जाती है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, घर में बांसुरी रखने से कई शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं कि घर में बांसुरी रखने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं और इसे रखने के सही तरीके क्या हैं।

बांसुरी रखने के ज्योतिषीय लाभ

बांसुरी रखने के ज्योतिषीय लाभ

  • घर में सुख-शांति लाती है बांसुरी:  वास्तु शास्त्र के अनुसार, बांसुरी घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। इसे रखने से घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम, सौहार्द और शांति बनी रहती है। यदि आपके घर में अक्सर झगड़े या तनाव की स्थिति बनी रहती है, तो बांसुरी रखना इस समस्या का समाधान कर सकता है।

  • विवाह में आ रही बाधाओं का समाधान: अगर विवाह में देरी हो रही है या वैवाहिक जीवन में समस्याएं हैं, तो घर में चांदी की बांसुरी रखना शुभ होता है। इससे दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।

  • आर्थिक स्थिति में सुधार: तिजोरी या धन रखने की जगह पर बांसुरी रखने से धन की वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत बनती है। यह उपाय जीवन में स्थिरता लाता है।

  • स्वास्थ्य में लाभ: बांसुरी में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो घर के वातावरण को शुद्ध करती है। इससे मानसिक तनाव कम होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

  • शत्रु बाधा से मुक्ति: घर में बांसुरी रखने से शत्रु बाधाओं से बचाव होता है। विशेष रूप से पीतल या चांदी की बांसुरी इस समस्या के निवारण के लिए कारगर मानी जाती है।

  • बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: बांसुरी को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। इसे घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती। साथ ही, बुरी नजर से बचाव होता है।

  • संतान सुख की प्राप्ति: वास्तु और ज्योतिष के अनुसार, बांसुरी संतान प्राप्ति में भी सहायक होती है। जिन दंपतियों को संतान सुख में परेशानी हो रही हो, उन्हें अपने पूजा स्थान में पीली या सुनहरी बांसुरी रखनी चाहिए।

 बांसुरी रखने के सही तरीके:

 बांसुरी रखने के सही तरीके:

  • दिशा: बांसुरी को उत्तर-पूर्व या पूरब दिशा में रखें।

  • सामग्री: पीतल, चांदी या बांस की बांसुरी रखना शुभ माना जाता है।

  • संख्या: घर में दो बांसुरियों को क्रॉस करके रखने से लाभ दोगुना होता है।

  • स्थान: बांसुरी को पूजा स्थान, बेडरूम या मुख्य द्वार पर लगाना सबसे अधिक लाभकारी होता है।

किस प्रकार की बांसुरी है शुभ

  • चांदी की बांसुरी: विवाह और प्रेम संबंधों में मजबूती के लिए।

  • पीतल की बांसुरी: आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के लिए।

  • लकड़ी की बांसुरी: घर में शांति और सौहार्द के लिए।

घर में बांसुरी रखना सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह वास्तु और ज्योतिषय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया है। इससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यदि सही दिशा और विधि से इसे रखा जाए, तो जीवन के कई कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। अतः अपने घर में बांसुरी जरूर रखें और इसके चमत्कारी लाभों का अनुभव करें।



विजय नगर इंदौर, के निवासी को घर में बांसुरी रखने से मिली शांति!

मेरा नाम राहुल वर्मा है, मैं विजय नगर, इंदौर में रहता हूँ। मेरे घर में लगातार कलह और नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती थी। मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने सलाह दी कि घर के उत्तर-पूर्व दिशा में बांसुरी रखें। बांसुरी रखते ही घर का माहौल बदल गया, शांति और सकारात्मकता का अनुभव होने लगा। अब घर में प्रेमभाव और समृद्धि है।

महालक्ष्मी नगर इंदौर, के निवासी को बांसुरी से व्यापार में लाभ!

मेरा नाम सौरभ है, मैं महालक्ष्मी नगर, इंदौर में रहता हूँ। व्यापार में लगातार घाटा हो रहा था और मन अशांत रहता था। ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी ने बताया कि घर में बांसुरी रखने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होगी। मैंने बांसुरी को मुख्य द्वार के पास रखा और जल्द ही व्यापार में तरक्की और मन की शांति का अनुभव हुआ।


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शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से कैसे बदलता है भाग्य?

 शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से कैसे बदलता है भाग्य? 

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शुभ मुहूर्त 

भारतीय संस्कृति और ज्योतिष शास्त्र में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। चाहे विवाह हो, नया व्यवसाय शुरू करना हो, गृह प्रवेश हो या कोई और बड़ा फैसला — हम हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही इन कार्यों की शुरुआत करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शुभ मुहूर्त में किए गए काम से वास्तव में भाग्य कैसे बदल सकता है? इसके पीछे ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से गहरी वजहें हैं।

“सही समय पर किया गया सही कार्य, सफलता की ओर पहला कदम है।”

शुभ मुहूर्त क्या है?

शुभ मुहूर्त वह विशेष समय होता है, जब ग्रह, नक्षत्र और ब्रह्मांडीय ऊर्जा सबसे अनुकूल स्थिति में होते हैं। इस समय में किए गए कार्यों को सकारात्मक ऊर्जा और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शुभ मुहूर्त तय करने के मुख्य आधार

  • पंचांग: तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।
  • ग्रहों की स्थिति: कुंडली में ग्रहों का शुभ स्थान पर होना।
  • चंद्रमा की स्थिति: चंद्रमा की अनुकूल स्थिति मन की शांति और सफलता के लिए ज़रूरी है।
  • लग्न और नक्षत्र: कार्य की प्रकृति के अनुसार शुभ लग्न और नक्षत्र देखे जाते हैं।

शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से भाग्य कैसे बदलता है?

शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से भाग्य

 सकारात्मक ऊर्जा और सफलता में वृद्धि: 

शुभ मुहूर्त में किए गए काम ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अनुकूल होते हैं। इस समय ग्रहों की स्थिति हमारी मेहनत को सकारात्मक दिशा में ले जाती है, जिससे सफलता जल्दी और आसानी से मिलती है।

उदाहरण:

  • विवाह: शुभ मुहूर्त में किया गया विवाह सुखी और समृद्ध दांपत्य जीवन की ओर ले जाता है।
  • व्यवसाय शुरू करना: इस समय शुरू किए गए बिज़नेस में तरक्की और मुनाफ़े की संभावना बढ़ जाती है।

बाधाओं का नाश: 

जब ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो हमारे कार्यों में बाधाएँ आती हैं। लेकिन शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और राहु-केतु, शनि जैसी बाधाएँ शांत हो जाती हैं।

उदाहरण:

  • गृह प्रवेश: सही मुहूर्त में घर में प्रवेश करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

निर्णय में स्पष्टता और सही दिशा: 

शुभ मुहूर्त में हमारा मन शांत और सकारात्मक रहता है। ऐसे समय में लिए गए फैसले सही दिशा में ले जाते हैं और उनका असर दीर्घकालिक रूप से शुभ होता है।

उदाहरण:

स्वास्थ्य और दीर्घायु में सुधार: 

स्वास्थ्य और दीर्घायु

शुभ मुहूर्त में किए गए चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय (जैसे ऑपरेशन, आयुर्वेदिक उपचार) जल्द ठीक होने और बेहतर स्वास्थ्य की संभावना बढ़ाते हैं।

उदाहरण:

  • सर्जरी: शुभ समय में की गई सर्जरी सफल होती है और रोगी जल्दी ठीक होता है।

आर्थिक समृद्धि और स्थिरता: 

शुभ मुहूर्त में किए गए निवेश, व्यापार की शुरुआत या नई नौकरी में स्थिरता और मुनाफ़े की संभावना अधिक होती है।

उदाहरण:

  • प्रॉपर्टी खरीदना: शुभ समय पर खरीदी गई संपत्ति भविष्य में लाभदायक होती है।

शुभ मुहूर्त के बिना किए गए कार्यों के दुष्प्रभाव: 

  • बाधाएँ और असफलता: गलत समय में शुरू किए गए कार्यों में बार-बार अड़चनें आती हैं।
  • आर्थिक नुकसान: गलत समय पर निवेश करने से धन हानि की संभावना बढ़ जाती है।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ: अशुभ मुहूर्त में किए गए इलाज या सर्जरी में जटिलताएँ बढ़ सकती हैं।
  • रिश्तों में तनाव: अशुभ समय में किए गए विवाह में मतभेद और असहमति की संभावना अधिक रहती है।

शुभ मुहूर्त देखने के लिए सरल उपाय: 

  • पंचांग का अध्ययन करें: किसी भी कार्य से पहले तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण देखें।
  • कुंडली मिलान करें: विशेषकर विवाह और व्यापारिक साझेदारी जैसे बड़े फैसलों में कुंडली मिलाना ज़रूरी है।
  • ग्रहों की स्थिति जाँचें: चंद्रमा, सूर्य, गुरु और शनि की स्थिति को ध्यान में रखें।
  • ज्योतिषी की सलाह लें: सही मुहूर्त तय करने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से मार्गदर्शन लें।

कुछ महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त:

  • विवाह: अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी, देवउठनी एकादशी।
  • गृह प्रवेश: नवरात्रि, पुष्य नक्षत्र।
  • व्यापार शुरू करना: दिवाली, धनतेरस, वैशाख मास।
  • संतान जन्म: अभिजीत मुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग।
शुभ मुहूर्त केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और ज्योतिषीय आधार पर तय किया गया समय है, जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा हमारे पक्ष में होती है। इस समय किए गए कार्यों से सकारात्मक परिणाम जल्दी मिलते हैं और बाधाओं का नाश होता है। चाहे व्यक्तिगत जीवन हो या पेशेवर — सही समय पर सही निर्णय लेने से भाग्य भी आपका साथ देता है।


अजय पाटिल, स्कीम नंबर 78, इंदौर
बिज़नेस में लगातार घाटा हो रहा था। तब साहू जी ने मेरी कुंडली देखी और शनि और मंगल के उपाय बताए। काले तिल का दान, मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ और लाल मसूर की दाल का दान किया। उनके बताए उपायों से बिज़नेस में तेजी से मुनाफा बढ़ने लगा।

रोहित अग्रवाल, एमआर 10 रोड, इंदौर
मेरा सपना था कि मैं विदेश जाकर नौकरी करूं, लेकिन वीज़ा बार-बार रिजेक्ट हो रहा था। साहू जी ने राहु और केतु के उपाय बताए — शनिवार को पीपल की पूजा, सरसों के तेल का दान और महामृत्युंजय मंत्र का जाप। कुछ ही समय में वीज़ा अप्रूव हो गया। सच में उनकी सलाह बहुत काम आई।

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बिना सोचे-समझे पहना गया नीलम होता है घातक

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 बिना सोचे-समझे पहना गया नीलम

रत्नों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है, और इनमें से एक बेहद शक्तिशाली रत्न है — नीलम। इसे अंग्रेज़ी में ब्लू सैफायर (Blue Sapphire) कहा जाता है और यह  शनि ग्रह  का प्रतिनिधित्व करता है। नीलम रत्न अपनी तीव्र ऊर्जा और प्रभावशाली परिणामों के लिए जाना जाता है, लेकिन यह रत्न जितना लाभकारी हो सकता है, उतना ही घातक भी साबित हो सकता है यदि इसे बिना सही जानकारी और सलाह के पहना जाए।

नीलम रत्न की विशेषताएँ:

  • ग्रह: शनि (Saturn)

  • रंग: गहरा नीला, हल्का नीला

  • ऊर्जा: त्वरित और तीव्र

  • राशियाँ: मकर, कुंभ (मुख्य रूप से)

  • धातु: चांदी, सोना, पंचधातु

बिना सलाह के नीलम पहनने के खतरे:

बिना सलाह के नीलम पहनने के खतरे

  • शनि की अशुभ दृष्टि: यदि किसी की कुंडली में शनि अशुभ स्थान पर स्थित हो, तो नीलम पहनने से जीवन में कठिनाइयाँ और परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ: गलत तरीके से या बिना जांचे नीलम पहनने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे सिरदर्द, हड्डियों में दर्द, रक्तचाप में असंतुलन हो सकता है।
  • आर्थिक हानि: नीलम रत्न की विपरीत ऊर्जा के कारण अचानक धन हानि, निवेश में नुकसान या कर्ज बढ़ने की स्थिति बन सकती है।
  • मानसिक अशांति: शनि का प्रभाव मानसिक संतुलन को भी प्रभावित करता है। बिना सोचे-समझे पहना गया नीलम तनाव, चिंता और अवसाद को बढ़ा सकता है।
  • रिश्तों में तनाव: नीलम की विपरीत ऊर्जा पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में विवाद और कलह को बढ़ावा दे सकती है।

नीलम पहनने से पहले आवश्यक सावधानियाँ:

  • किसी अनुभवी और प्रसिद्ध ज्योतिषी की सलाह लें।

  • अपनी कुंडली का सही विश्लेषण कराएँ।

  • नीलम पहनने से पहले इसे 3-7 दिन तक अपने तकिए के नीचे रखकर इसके प्रभावों का निरीक्षण करें।

  • रत्न की शुद्धता और गुणवत्ता की जाँच करें।

  • नीलम को उचित धातु (चांदी या सोना) में सही विधि से बनवाएँ।

नीलम पहनने की सही विधि:

नीलम पहनने की सही विधि:

  • दिन: शनिवार

  • उंगली: मध्यमा 

  • मंत्र: 'ॐ शं शनैश्चराय नमः'

  • विधि: शुद्ध जल या गंगा जल में डुबोकर, धूप-दीप दिखाकर पहनें।


नीलम रत्न अद्भुत शक्तियों का भंडार है, लेकिन यह तभी लाभकारी होता है जब इसे सही समय, सही व्यक्ति और सही विधि से पहना जाए। बिना सोचे-समझे या बिना ज्योतिषीय परामर्श के इसे धारण करना जीवन में कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, किसी भी रत्न को पहनने से पहले उसकी संपूर्ण जानकारी और ज्योतिषीय सलाह अवश्य लें।


विजय नगर इंदौर, के निवासी को नीलम रत्न से मिली परेशानी!

मेरा नाम अरविंद शर्मा है, मैं विजय नगर, इंदौर में रहता हूँ। कुछ समय पहले, मैंने बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के नीलम रत्न (Blue Sapphire) धारण कर लिया था। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा, लेकिन कुछ ही दिनों में जीवन में समस्याएं शुरू हो गईं। नौकरी में कठिनाइयाँ, आर्थिक नुकसान और पारिवारिक कलह ने मुझे घेर लिया।

फिर मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली का गहराई से अध्ययन किया और बताया कि मेरी कुंडली में शनि ग्रह कमजोर स्थिति में था, जिसके कारण नीलम रत्न ने विपरीत प्रभाव दिखाया। साहू जी के मार्गदर्शन में मैंने नीलम उतारकर कुछ विशेष उपाय किए, जिसके बाद जीवन में धीरे-धीरे सुधार होने लगा।

पलासिया इंदौर, के निवासी को नीलम पहनने से नुकसान!

मेरा नाम दीपक जैन है, मैं पलासिया, इंदौर में रहता हूँ। मैं अपने करियर में उन्नति के लिए नीलम रत्न पहनना चाहता था। किसी मित्र की सलाह पर मैंने बिना किसी ज्योतिषीय मार्गदर्शन के नीलम धारण कर लिया। लेकिन इसके बाद मेरा जीवन मानो उलट-पुलट हो गया। स्वास्थ्य बिगड़ गया, व्यापार में हानि हुई और मानसिक तनाव बढ़ता गया।

तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। साहू जी ने मेरी कुंडली देखकर बताया कि मेरी कुंडली में  शनि ग्रह अशुभ स्थिति में था, जिसके कारण नीलम ने नकारात्मक प्रभाव डाला। उन्होंने मुझे तुरंत नीलम उतारने और कुछ उपाय करने की सलाह दी। उपायों का पालन करने के बाद मेरे जीवन में फिर से संतुलन आया और समस्याएं कम हुईं।


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माँ नर्मदा जी का महत्व और इतिहास

माँ नर्मदा जी का महत्व और इतिहास: 

Importance of Narmada-best astrology indore
माँ नर्मदा जी का महत्व और इतिहास

माँ नर्मदा केवल एक नदी नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। उन्हें "रेवा" और "शक्ति की स्वरूपिणी" भी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों की तरह ही नर्मदा जी का भी विशेष महत्व है।

मध्य भारत की जीवनरेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वतों के बीच बहती हुई अपनी पवित्रता, रहस्यमयी इतिहास और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि नर्मदा जी के केवल दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है, जबकि अन्य नदियों में स्नान करने से पवित्रता प्राप्त होती है।

इस ब्लॉग में हम माँ नर्मदा जी के महत्व, इतिहास, धार्मिक मान्यताओं और उनके पावन तटों पर बसे तीर्थस्थलों के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

माँ नर्मदा जी का इतिहास और उत्पत्ति

पौराणिक कथा:
स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार, माँ नर्मदा भगवान शिव के पसीने की बूँद से उत्पन्न हुई थीं। जब भगवान शिव तपस्या कर रहे थे, तो उनके शरीर से एक बूँद गिरकर एक जलधारा में परिवर्तित हो गई — वही नर्मदा जी बनीं। इसलिए उन्हें शिवपुत्री भी कहा जाता है।

अमरकंटक: नर्मदा जी का उद्गम स्थल
नर्मदा जी मध्य प्रदेश के अमरकंटक पर्वत से निकलती हैं। अमरकंटक को बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली तीर्थ स्थल माना जाता है। यहाँ से नर्मदा जी पश्चिम दिशा में बहती हैं, जो भारतीय नदियों में एक दुर्लभ विशेषता है।

माँ नर्मदा जी का धार्मिक महत्व 

माँ नर्मदा जी का धार्मिक महत्व 

  • पाप नाशिनी:
  • ऐसा माना जाता है कि नर्मदा जी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है, जबकि अन्य नदियों में स्नान करने पर यह फल मिलता है।

  • शिवलिंग स्वरूप बाणलिंग:
    नर्मदा जी के तट पर पाए जाने वाले बाणलिंग (काले, चिकने, अंडाकार पत्थर) भगवान शिव का प्रतीक माने जाते हैं। इन प्राकृतिक शिवलिंगों की पूजा से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

  • नर्मदा परिक्रमा:
    नर्मदा जी की परिक्रमा को भारत की सबसे कठिन और पवित्र यात्राओं में से एक माना जाता है। यह करीब 2600 किलोमीटर की यात्रा है, जिसे श्रद्धालु पैदल पूरा करते हैं। इस परिक्रमा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • शक्ति और ऊर्जा की देवी:
    नर्मदा जी को ऊर्जा और शक्ति की देवी माना जाता है। उनके जल में स्नान करने से तन और मन दोनों की शुद्धि होती है।

  • नर्मदा अष्टक:
    आदि शंकराचार्य द्वारा रचित "नर्मदा अष्टक" नर्मदा जी की महिमा का गान करता है। इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

माँ नर्मदा जी का भौगोलिक महत्व 

  • पश्चिम दिशा में बहने वाली दुर्लभ नदी:
  • अधिकांश भारतीय नदियाँ पूर्व दिशा में बहती हैं, लेकिन नर्मदा जी पश्चिम की ओर बहती हैं और अरब सागर में समाहित होती हैं।

  • औषधीय गुणों वाला जल:
    नर्मदा जी का जल हमेशा स्वच्छ और पवित्र रहता है। इसके पानी में औषधीय गुण हैं, जो इसे कभी खराब नहीं होने देते।

  • सांस्कृतिक विरासत:
    नर्मदा तट पर कई प्राचीन मंदिर, आश्रम और तीर्थ स्थल स्थित हैं। महेश्वर, ओंकारेश्वर, होशंगाबाद और अमरकंटक जैसे पवित्र स्थल नर्मदा जी के तट पर बसे हैं।

माँ नर्मदा जी से जुड़ी मान्यताएँ और रहस्य 

माँ नर्मदा जी से जुड़ी मान्यताएँ 

  • सपने में नर्मदा जी के दर्शन:
  • ऐसा माना जाता है कि यदि किसी को सपने में नर्मदा जी के दर्शन होते हैं, तो उसके जीवन में बहुत बड़ा सौभाग्य आने वाला है।

  • नर्मदा जी में मछलियों का विशेष महत्व:
    नर्मदा जी की मछलियों को पवित्र माना जाता है। कई जगहों पर इन्हें माँ नर्मदा का रूप मानकर पूजा जाता है।

  • जल का कभी खराब न होना:
    वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि नर्मदा जी का जल लंबे समय तक शुद्ध और खराब न होने वाला होता है। यह उनके जल में मौजूद विशेष औषधीय तत्वों की वजह से है।

माँ नर्मदा जी के प्रमुख तीर्थ स्थल 

  • ओंकारेश्वर:
  • नर्मदा जी के तट पर स्थित यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाती है।

  • महेश्वर:
    प्राचीन महेश्वर शहर नर्मदा जी के तट पर बसा है, जिसे रानी अहिल्या बाई होल्कर ने विकसित किया। यहाँ महेश्वर घाट और शिव मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।

  • अमरकंटक:
    नर्मदा जी का उद्गम स्थल होने के कारण यह स्थल अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।

  • होशंगाबाद:
    यहाँ नर्मदा जी के भव्य घाट और धार्मिक अनुष्ठान प्रसिद्ध हैं।

माँ नर्मदा जी की आरती और पूजन विधि 

  • स्नान और शुद्धि: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • दीपक और अगरबत्ती जलाएँ: माँ नर्मदा जी की तस्वीर या उनके जल का ध्यान करें।
  • नर्मदा अष्टक का पाठ: इस स्तोत्र का पाठ करने से माँ नर्मदा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • प्रसाद चढ़ाएँ: फल, मिठाई या सूखे मेवे माँ को अर्पित करें।
  • आरती: "नर्मदा मैया की आरती" गाकर पूजा को संपन्न करें।

माँ नर्मदा जी केवल एक नदी नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और शक्ति का प्रतीक हैं। उनके तट पर बैठकर ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और उनके जल में स्नान करने से शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है।

माँ नर्मदा जी के दर्शन, परिक्रमा और उनके पावन जल से जीवन में आने वाली हर कठिनाई दूर होती है। उनकी पूजा और आराधना से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


विक्रम ठाकुर, खजराना, इंदौर

पैसे की तंगी से बहुत परेशान था। कर्ज बढ़ता जा रहा था। साहू जी ने बताया कि कुंडली में चंद्र और राहु की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने सोमवार का व्रत रखने, शिवलिंग पर जल चढ़ाने और सफेद चीजों का दान करने को कहा। उनके उपाय करने के बाद धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति में सुधार आया।"

मनीषा मिश्रा, राजेंद्र नगर, इंदौर

कई सालों से संतान सुख नहीं मिल रहा था। मेडिकल ट्रीटमेंट भी फेल हो गए। साहू जी ने कुंडली देखकर गुरु के उपाय बताए — गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करना, भगवान विष्णु की पूजा और चने की दाल का दान। कुछ महीनों बाद हमें खुशखबरी मिली। साहू जी सच में चमत्कारी हैं।

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