कुंडली में ग्रह बल कम होने पर क्या करें?

कुंडली में ग्रह बल कम होने पर क्या करें?

कुंडली में ग्रह बल कम होने पर क्या करें?

ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा उसके ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह बल कमज़ोर हो जाता है, तो जीवन में अनेक बाधाएं, असफलताएं, मानसिक तनाव, आर्थिक कठिनाइयां और आत्मविश्वास की कमी जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं। ग्रहों का बल हमारे कर्म, विचार और जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों का बल कम होना केवल एक ज्योतिषीय स्थिति नहीं, बल्कि यह जीवन की ऊर्जा का असंतुलन भी दर्शाता है। इसलिए ग्रह बल को बढ़ाने के उपाय जीवन की दिशा बदल सकते हैं।

ग्रह बल क्या होता है?

ग्रह बल का अर्थ है ग्रह की वह क्षमता जिससे वह व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव डालता है। जब ग्रह अपनी उच्च राशि, केंद्र त्रिकोण भावों में स्थित होते हैं या शुभ दृष्टि प्राप्त करते हैं, तो वे मजबूत माने जाते हैं। लेकिन जब ग्रह नीच राशि, शत्रु राशि या पाप ग्रहों की दृष्टि में आ जाते हैं, तो उनका बल घट जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, कमजोर ग्रह व्यक्ति के आत्मबल, निर्णय क्षमता और भाग्य को प्रभावित करते हैं।

ग्रह बल कम होने के कारण

ग्रह बल कम होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
पहला, ग्रह का नीच राशि में होना।
दूसरा, शत्रु ग्रहों की दृष्टि या युति।
तीसरा, जन्म के समय अशुभ दशा या अंतरदशा का चलना।
चौथा, पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु या शनि की प्रतिकूल स्थिति।
पांचवां, पिछले जन्म के कर्मों का प्रभाव।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यह सभी कारण किसी व्यक्ति की ऊर्जा प्रणाली को प्रभावित करते हैं और परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाता।

कमजोर ग्रहों के जीवन पर प्रभाव

जब ग्रहों का बल कम होता है, तो व्यक्ति कई समस्याओं का सामना करता है। सूर्य के कमजोर होने से आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा में गिरावट आती है। चंद्र कमजोर होने से मानसिक अस्थिरता और भावनात्मक कमजोरी होती है। बुध के कम बल से निर्णय क्षमता घटती है और संचार में परेशानी होती है। मंगल के कमजोर होने से साहस और ऊर्जा की कमी होती है। बृहस्पति के कमजोर होने से ज्ञान, विवेक और धन भाग्य प्रभावित होते हैं। शुक्र का कमज़ोर होना वैवाहिक जीवन और भौतिक सुख-सुविधाओं में कमी लाता है। शनि का कमजोर बल व्यक्ति को संघर्ष और कठिनाइयों की ओर ले जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि प्रत्येक ग्रह का बल जीवन के विशेष क्षेत्र से जुड़ा होता है, इसलिए उसका कमजोर होना जीवन के उसी क्षेत्र को प्रभावित करता है।

कमजोर ग्रहों की पहचान कैसे करें

कुंडली के विश्लेषण से कमजोर ग्रहों की पहचान की जाती है। इसके लिए भाव, दृष्टि, युति, दशा और ग्रहों की स्थिति का अध्ययन आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि सूर्य छठे या बारहवें भाव में नीच राशि में हो, तो वह कमजोर माना जाता है। इसी प्रकार चंद्रमा यदि राहु या शनि की दृष्टि में हो तो उसकी मानसिक शक्ति घट जाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, व्यक्ति के चेहरे, स्वास्थ्य और जीवन की घटनाओं से भी ग्रहों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष के अनुसार, कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के कई प्रभावी उपाय हैं।

पहला उपाय है – मंत्र जाप। प्रत्येक ग्रह का अपना बीज मंत्र होता है जिसे नियमित रूप से जाप करने से ग्रह बल बढ़ता है। उदाहरण के लिए, सूर्य के लिए “ॐ घृणि सूर्याय नमः”, चंद्र के लिए “ॐ सोमाय नमः” आदि।

दूसरा उपाय – रत्न धारण करना। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ग्रहों की ऊर्जा रत्नों के माध्यम से शरीर में प्रवाहित होती है। सूर्य के लिए माणिक्य, चंद्र के लिए मोती, बुध के लिए पन्ना, मंगल के लिए मूंगा, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, और शनि के लिए नीलम धारण करना शुभ माना गया है।

तीसरा उपाय – दान और सेवा। प्रत्येक ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करने से उसकी नकारात्मकता घटती है। जैसे सूर्य के लिए गेहूं या तांबा, चंद्र के लिए चावल या दूध, शनि के लिए तेल या काला वस्त्र दान करना लाभकारी होता है।

चौथा उपाय – व्रत और उपवास। ग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए संबंधित दिन का व्रत रखा जा सकता है। जैसे रविवार को सूर्य उपासना, सोमवार को शिव पूजन, शनिवार को शनि पूजा आदि।

पांचवां उपाय – साधना और ध्यान। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों की असंतुलित ऊर्जा को ध्यान और साधना से नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मानसिक शांति और आत्मबल दोनों बढ़ते हैं।

कर्म और ग्रह बल का संबंध

ग्रह बल केवल जन्म कुंडली की स्थिति से नहीं, बल्कि व्यक्ति के वर्तमान कर्मों से भी प्रभावित होता है। अच्छे कर्म, दान, सेवा और सत्कर्मों से ग्रहों का बल स्वतः बढ़ता है। अगर व्यक्ति अपने जीवन में सत्य, निष्ठा और संयम अपनाता है तो ग्रह भी सकारात्मक प्रभाव देना शुरू करते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रह हमें हमारे कर्मों का दर्पण दिखाते हैं। इसलिए ग्रहों का संतुलन केवल पूजा या रत्नों से नहीं, बल्कि जीवन की सच्चाई और कर्म से भी स्थापित होता है।

ग्रह बल बढ़ाने के व्यावहारिक उपाय

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ग्रह बल बढ़ाने के लिए व्यक्ति को अपने व्यवहार, विचार और दिनचर्या में सुधार करना चाहिए। जैसे –
सूर्य को मजबूत करने के लिए सुबह सूर्य नमस्कार करें और तांबे के लोटे में जल अर्पित करें।
चंद्र को शांत करने के लिए सोमवार का व्रत रखें और चावल का दान करें।
बुध को सशक्त करने के लिए हरी वस्तुएं धारण करें और तुलसी की पूजा करें।
मंगल को स्थिर करने के लिए हनुमान जी की आराधना करें।
बृहस्पति को बढ़ाने के लिए गुरुवार को पीले वस्त्र और चना दान करें।
शुक्र को मजबूत करने के लिए स्वच्छता बनाए रखें और सफेद वस्त्र धारण करें।
शनि को संतुलित करने के लिए गरीबों की सेवा करें और शनिदेव की आराधना करें।

ग्रह बल का कमजोर होना जीवन में संघर्ष बढ़ा सकता है, लेकिन सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन, कर्म सुधार और आध्यात्मिक साधना से इसे संतुलित किया जा सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रह हमारे भाग्य के निर्माता नहीं, बल्कि हमारे कर्मों के परिणाम दाता हैं। जब हम अपने कर्मों में सकारात्मकता और श्रद्धा लाते हैं, तो ग्रह स्वयं हमारे पक्ष में कार्य करने लगते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रह बल बढ़ाने के उपाय केवल एक आस्था नहीं, बल्कि जीवन की ऊर्जा को पुनर्संतुलित करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। जो व्यक्ति इसे अपनाता है, उसका जीवन धीरे-धीरे सुख, सफलता और शांति की ओर अग्रसर हो जाता है।

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