कब ग्रह नौकरी छुड़वाते हैं?
जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है करियर। हर व्यक्ति चाहता है कि उसका कार्यक्षेत्र स्थिर, सम्मानजनक और प्रगति से भरपूर हो। लेकिन कई बार अचानक नौकरी छूट जाती है, काम में अस्थिरता आ जाती है या व्यक्ति अपनी ही इच्छा से कार्य परिवर्तन करने के लिए बाध्य हो जाता है। इन सबके पीछे केवल भौतिक या सामाजिक कारण नहीं होते, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहों की दशा, अंतरदशा और गोचर भी इसके प्रमुख कारण माने गए हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब कुछ विशेष ग्रह योग या दशाएँ बनाते हैं, तब व्यक्ति की नौकरी में परिवर्तन, अस्थिरता या नौकरी छूटने जैसे योग बनते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि किन ग्रहों की दशा और स्थिति नौकरी छूटने का संकेत देती है।
ग्रह और करियर का आपसी संबंध
वैदिक ज्योतिष में दसवां भाव व्यक्ति की कर्मभूमि या करियर से जुड़ा होता है। यही भाव यह बताता है कि व्यक्ति किस प्रकार के कार्य में सफलता पाएगा और कब उसके कार्य में बाधा उत्पन्न होगी। दसवें भाव का स्वामी ग्रह, उस पर दृष्टि डालने वाले ग्रह, और दशम भाव से संबंधित ग्रहों की दशा व्यक्ति के व्यावसायिक जीवन को प्रभावित करती है। जब इन ग्रहों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ जाता है या दशा बदलती है, तब नौकरी खोने की संभावना बढ़ जाती है।
साथ ही, छठा भाव (प्रतिस्पर्धा और सेवा), सातवां भाव (व्यापार और साझेदारी) और बारहवां भाव (हानि और विदेश) भी नौकरी या करियर परिवर्तन से जुड़े माने जाते हैं। इन भावों में होने वाले गोचर या दशाएँ व्यक्ति को कार्य में अस्थिरता दे सकती हैं।
शनि ग्रह की भूमिका – कर्मफलदाता का न्याय
शनि ग्रह को कर्मफलदाता कहा गया है। यह ग्रह व्यक्ति को उसके कर्मों का उचित परिणाम देता है। जब शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही होती है, तब अक्सर व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में चुनौतियाँ आने लगती हैं। शनि व्यक्ति को परिश्रम की परीक्षा में डालता है और कभी-कभी यह नौकरी छूटने तक की स्थिति भी ला देता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब शनि दशम भाव में पाप दृष्टि डालता है या नौकरी के स्वामी ग्रह से शत्रुता रखता है, तब व्यक्ति को अपनी नौकरी में कठिनाई, असंतोष या हानि झेलनी पड़ सकती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यह समय व्यक्ति को नई दिशा की ओर प्रेरित भी करता है ताकि वह अपने कर्म और योग्यताओं के अनुरूप नया मार्ग खोज सके।
राहु और केतु का प्रभाव – अचानक घटनाओं के कारक
राहु और केतु ऐसे ग्रह हैं जो जीवन में अचानक घटनाएँ लाते हैं। जब इन ग्रहों की दशा या गोचर करियर से जुड़े भावों पर आती है, तब व्यक्ति को बिना किसी पूर्व संकेत के नौकरी से निकाल दिया जा सकता है या वातावरण ऐसा बन जाता है कि व्यक्ति स्वयं इस्तीफा देने को विवश हो जाता है।
राहु भ्रम और अस्थिरता का ग्रह है। इसकी दशा में व्यक्ति गलत निर्णय ले सकता है, जिससे नौकरी या करियर में नुकसान होता है। वहीं केतु व्यक्ति को भौतिक संसार से अलग कर आध्यात्मिक मार्ग की ओर ले जाता है। इसलिए जब केतु दशम भाव या उसके स्वामी पर प्रभाव डालता है, तब व्यक्ति का कार्यक्षेत्र से मोहभंग हो सकता है और वह नौकरी छोड़ने का निर्णय ले सकता है।
मंगल ग्रह – संघर्ष और ऊर्जा का सूचक
मंगल ग्रह कार्यशक्ति और साहस का प्रतीक है। जब मंगल प्रतिकूल स्थिति में आ जाता है या अशुभ दृष्टि से पीड़ित होता है, तब व्यक्ति में असंतुलन, आक्रोश और गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, अगर दशम भाव में मंगल राहु या शनि के साथ हो, तो नौकरी में विवाद, अनुशासनहीनता या संघर्ष की स्थिति बन सकती है। कई बार यह संयोजन व्यक्ति को वरिष्ठ अधिकारियों से टकराव की ओर ले जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नौकरी छूटने तक की नौबत आ जाती है।
बुध ग्रह – बुद्धिमत्ता और संचार का कारक
बुध ग्रह व्यक्ति के तर्क, संचार और निर्णय क्षमता का कारक है। जब बुध नीचस्थ होता है या उस पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, तब व्यक्ति गलत निर्णय लेता है, अनुचित व्यवहार करता है या अपनी वाणी से विवाद उत्पन्न कर देता है। ऐसे में कार्यस्थल पर उसकी छवि बिगड़ती है और नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि बुध और राहु का संयोजन व्यक्ति को भ्रमित करता है, जिससे वह अपने कार्य में अस्थिर हो जाता है। अगर बुध की महादशा में राहु या शनि की अंतरदशा हो, तो यह समय करियर में बदलाव या नौकरी छूटने की ओर संकेत कर सकता है।
गुरु ग्रह – दिशा परिवर्तन का सूचक
गुरु ग्रह ज्ञान, मार्गदर्शन और अवसरों का प्रतिनिधित्व करता है। जब गुरु अशुभ स्थिति में आता है या अपनी दृष्टि से दशम भाव को कमजोर करता है, तब व्यक्ति अपने करियर में ठहराव या असंतोष महसूस करता है। कई बार गुरु का प्रभाव व्यक्ति को अपने करियर की दिशा पूरी तरह बदलने के लिए प्रेरित करता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यह स्थिति नौकरी खोने जैसी लग सकती है, पर वास्तव में यह व्यक्ति को एक बेहतर और अधिक उपयुक्त राह पर ले जाने का अवसर होती है।
सूर्य ग्रह – पद, सम्मान और अधिकार का प्रतीक
सूर्य ग्रह व्यक्ति के पद और सम्मान से जुड़ा होता है। जब सूर्य कमजोर या अस्त स्थिति में होता है, तब व्यक्ति को अपने वरिष्ठों से सम्मान नहीं मिलता और उसके अधिकार कम हो जाते हैं।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि अगर सूर्य बारहवें भाव में हो या उस पर राहु-केतु की दृष्टि हो, तो व्यक्ति को प्रशासनिक या सरकारी क्षेत्रों में विशेष चुनौतियाँ झेलनी पड़ती हैं। यह समय नौकरी छूटने या पदावनति का कारण बन सकता है।
गोचर और दशा का प्रभाव – कब बनते हैं नौकरी छूटने के योग
ज्योतिष में दशा और गोचर (transit) का संयोजन बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में दशम भाव का स्वामी किसी अशुभ ग्रह की दशा से गुजर रहा हो और साथ ही शनि, राहु या केतु का गोचर उस भाव पर हो, तब नौकरी में अस्थिरता, हानि या छूटने की स्थिति बनती है।
उदाहरण के लिए, यदि दशम भाव का स्वामी चंद्रमा हो और उस समय शनि उसकी दृष्टि में आ जाए, तो व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में मानसिक दबाव और अस्थिरता बढ़ती है। यही स्थिति जब राहु या केतु के गोचर के साथ मिलती है, तो नौकरी खोने की संभावना बढ़ जाती है।
ज्योतिषीय उपाय – ग्रहों को शांत करने के लिए क्या करें
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, अगर आपकी कुंडली में नौकरी छूटने या करियर अस्थिरता के योग हैं, तो कुछ उपाय करके इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सूर्य के लिए रोज सुबह जल अर्पण करें और "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
शनि के लिए शनिवार को तेल का दीपक जलाएं और गरीबों को दान करें।
बुध को मजबूत करने के लिए हरे कपड़े पहनें और हरी मूंग का दान करें।
गुरु के प्रभाव के लिए गुरुवार को पीली वस्तुएँ दान करें और विष्णु भगवान की पूजा करें।
राहु और केतु के प्रभाव से बचने के लिए नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और ध्यान का अभ्यास करें।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि इन उपायों को श्रद्धा और नियमितता से करने पर व्यक्ति को करियर में स्थिरता और सफलता प्राप्त होती है।
नौकरी छूटना या करियर में रुकावट आना जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नया अध्याय होता है। ग्रहों का प्रभाव हमें केवल दिशा बदलने और स्वयं को सुधारने का अवसर देता है। जब हम अपनी कुंडली को समझकर उचित उपाय करते हैं, तब ग्रह भी हमारा साथ देते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, सही समय पर ग्रहों की स्थिति को पहचानकर व्यक्ति अपने भविष्य को स्थिर और सफल बना सकता है। ज्योतिष न केवल भविष्यवाणी करने का माध्यम है, बल्कि जीवन को सही दिशा देने की विद्या भी है। इसलिए अगर आपको भी अपने करियर में अस्थिरता या नौकरी छूटने का भय है, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेकर सही उपाय करना ही सबसे बुद्धिमानी भरा कदम होगा।

