कौन सा ग्रह लव मैरिज तय करता है?
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| कौन सा ग्रह लव मैरिज तय करता है? |
लव मैरिज हमेशा से मनुष्य के जीवन का एक अत्यंत भावनात्मक और निर्णायक चरण माना गया है, जिसमें मन का झुकाव, संबंधों की गहराई और आत्मीयता की भावना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैदिक ज्योतिष इस विषय को केवल भावनाओं तक सीमित नहीं रखती, बल्कि यह बताती है कि किन ग्रहों की स्थिति और कौन से योग व्यक्ति को प्रेम की ओर आकर्षित करते हैं और कौन से ग्रह इस प्रेम को विवाह में बदलने की क्षमता प्रदान करते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस बात पर जोर देते हैं कि प्रेम विवाह का निर्णय अचानक नहीं होता, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा, दशा-अंतर्दशा और जन्मकुंडली के भाव इस दिशा को सचेत रूप से निर्मित करते हैं। प्रेम विवाह किन ग्रहों से प्रभावित होता है, यह समझने के लिए हमें शुक्र, मंगल, राहु , चंद्रमा और गुरु के स्वभाव, संबंधों और संयोजनों को ध्यान से समझना चाहिए ताकि लव मैरिज के योग की वास्तविक स्थिति सामने आ सके।
लव मैरिज में शुक्र ग्रह की सर्वोच्च भूमिका
शुक्र को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह वैवाहिक जीवन के सुख, आकर्षण, कला, सौंदर्य, रोमांस और संबंधों के मधुर पक्ष का कारक ग्रह है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, स्वगृही होता है, उच्च का होता है या मकर, कुंभ, मिथुन, तुला और मेष जैसे राशियों में शुभ स्थिति बनाता है, तो वह व्यक्ति प्रेम संबंधों में अधिक भावुक, आकर्षक और चुंबकीय व्यक्तित्व वाला होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि सातवें भाव में स्थित शुभ शुक्रलव मैरिज की संभावना को बहुत बढ़ा देता है। इसी प्रकार यदि शुक्र पंचम भाव, ग्यारहवें भाव या लग्न में बैठता है, तो व्यक्ति स्वभाव से प्रेम-प्रधान, स्वतंत्र विचारों वाला और पसंद-नापसंद को लेकर स्पष्ट होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस बात पर जोर देते हैं कि जब शुक्रराहु के साथ संयोजन बनाता है तो व्यक्ति सांस्कृतिक सीमाओं से ऊपर सोचने लगता है और यही कारण है कि कई बार ऐसे योग अंतरजातीय या अंतरधार्मिक प्रेम विवाह करवाते हैं।
मंगल ग्रह आकर्षण की ऊर्जा देता है और निर्णय को तीव्र बनाता है
जहाँ शुक्र प्रेम का संकेत देता है, वहीं मंगल उस प्रेम में निर्णय लेने की क्षमता पैदा करता है। मंगल ऊर्जा, साहस, आकर्षण और यौन चुंबकत्व का कारक है। प्रेम संबंधों में मंगल की शुभ स्थिति व्यक्ति को अपने संबंधों में दृढ़ बनाती है, जिसके कारण वह सामाजिक दबावों से ऊपर उठकर अपने प्रेम को विवाह का रूप देने का मन बना लेता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि जिन लोगों की कुंडली में पंचम भाव या सप्तम भाव का स्वामी मंगल होता है या मंगल उन भावों को दृष्टि देता है, वे लव मैरिज की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मंगल की प्रतिकूल स्थिति कुछ समय संघर्ष ला सकती है, लेकिन यदि मंगल शुभ ग्रहों के साथ संयोजन बनाता है तो प्रेम विवाह मजबूत नींव पर खड़ा होता है। मंगल तब सबसे अधिक प्रभावकारी होता है जब वह शुक्र के साथ योग बनाता है क्योंकि यह संयोजन रोमांस, जुनून और साहस तीनों का संतुलन उत्पन्न करता है।
राहु वह ग्रह है जो पारंपरिक सीमाओं को तोड़कर लव मैरिज कराता है
राहु आधुनिक विचारों, आकर्षण, विदेशी संस्कृति, असामान्य संबंधों और तेजी से जुड़ने वाली भावनाओं का कारक ग्रह है। ज्योतिषानुसार राहु जब पंचम भाव या सप्तम भाव में प्रवेश करता है, तो व्यक्ति में सामाजिक सीमाओं से बाहर प्रेम संबंध बनाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि राहु -शुक्र, राहु-चंद्रमा, राहु-मंगल या राहु-लग्न का संयोजन लव मैरिज के लिए अत्यंत शक्तिशाली योग माना जाता है क्योंकि राहु व्यक्ति को अपनी इच्छाओं का पालन करने के लिए साहस और अवसर दोनों देता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस बात की पुष्टि करते हैं कि राहु के कारण कई बार व्यक्ति माता-पिता के दबाव से ऊपर उठकर अपने मन की बात कह पाता है और यह ग्रह भावनाओं में अत्यधिक तीव्रता लाकर संबंध को अगले स्तर तक ले जाता है। राहु ऐसे मामलों में भी प्रभावशाली होता है जहाँ प्रेम विवाह जातिगत या सांस्कृतिक भिन्नता पर आधारित हो क्योंकि यह परंपराओं को चुनौती देने वाला ग्रह माना जाता है।
चंद्रमा भावनात्मक गहराई देता है और मानसिक रूप से प्रेम की ओर आकर्षित करता है
चंद्रमा मन, भावना, कोमलता और संबंधों की संवेदनशीलता का कारक है। प्रेम संबंधों की नींव भावनाओं पर आधारित होती है और चंद्रमा इन भावनाओं को गहराई, स्थिरता और कोमलता प्रदान करता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि चंद्रमा पंचम भाव में हो, लग्न से दृष्टि दे रहा हो या शुक्र के साथ शुभ योग बनाता हो, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से स्थिर, आकर्षक और प्रेम को समझने वाला होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि चंद्रमा की शुभ स्थिति व्यक्ति को संवेदनशील, समझदार और अपने साथी के साथ गहरी आत्मीयता रखने वाला बनाती है, जबकि प्रतिकूल स्थिति कभी-कभी असुरक्षा और अत्यधिक भावुकता ला सकती है। चंद्रमा-राहु या चंद्रमा-शुक्र का संयोजन भी कई बार प्रेम को विवाह में बदलने में गहरा योगदान देता है क्योंकि यह व्यक्ति को अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करता है।
गुरु ग्रह संबंधों को वैधता और स्थिरता प्रदान करता है
गुरु ग्रह ज्ञान, नैतिकता, सम्मान, सामाजिक संरचना, विवाह और स्थिरता का कारक है। ज्योतिषानुसार प्रेम विवाह केवल आकर्षण या भावनाओं पर नहीं टिकता, बल्कि इसमें स्थायित्व और सामाजिक वैधता भी आवश्यक होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि गुरु की शुभ स्थिति प्रेम संबंधों में स्थिरता लाती है और विवाह की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता करती है। यदि गुरु सप्तम भाव को प्रभावित करता है या पंचम भाव में शुभ स्थिति में बैठा है, तो यह प्रेम संबंध को सम्मानजनक और परिवार द्वारा स्वीकार्य बनाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गुरु का मंगल, चंद्रमा या शुक्र के साथ विन्यास कई बार प्रेम विवाह को सुरक्षित, स्थिर और दीर्घकालिक बनाता है।
कुंडली के भाव जो लव मैरिज तय करते हैं
वैदिक ज्योतिष में लव मैरिज के लिए पंचम भाव, सप्तम भाव, एकादश भाव और लग्न अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। पंचम भाव प्रेम, रोमांस और आकर्षण का प्रतिनिधित्व करता है। सप्तम भाव विवाह, साझेदारी और जीवनसाथी का संकेतक माना जाता है। एकादश भाव इच्छाओं की पूर्ति, साथी के साथ जुड़ाव और सामाजिक समर्थन देता है। लग्न व्यक्ति की सोच, दृष्टिकोण और व्यक्तिगत निर्णय-शक्ति को दर्शाता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि जब पंचम भाव का स्वामी शुभ होता है और सप्तम भाव के स्वामी या उसमें बैठने वाले ग्रहों के साथ सकारात्मक संबंध बनाता है, तब लव मैरिज की संभावनाएं मजबूत हो जाती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह भी बताते हैं कि यदि एकादश भाव इन दोनों भावों को समर्थन देता है, तो संबंध न केवल मजबूत होते हैं बल्कि सामाजिक रूप से स्वीकार्य भी बन जाते हैं।
दशा-अंतर्दशा लव मैरिज के वास्तविक समय का संकेत देती है
दशा प्रणाली वैदिक ज्योतिष का सबसे सटीक भाग माना जाता है। लव मैरिज किस समय होगी, यह अधिकतर दशा-अंतर्दशा से ही पता चलता है। शुक्र, मंगल, राहु या चंद्रमा की दशा आने पर व्यक्ति प्रेम संबंधों में सक्रिय हो जाता है और यदि इस समय सप्तम भाव या पंचम भाव की अंतर्दशा मिल जाती है, तो विवाह के अवसर स्वतः प्रबल हो जाते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि राहु, शुक्र और मंगल की महादशा प्रेम विवाह के लिए अत्यंत प्रभावशाली होती है, विशेषकर तब जब यह ग्रह जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में हों। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी यह स्पष्ट करते हैं कि यदि गुरु की दशा चल रही हो और उसमें पंचम या सप्तम भाव का ग्रह अंतर्दशा में आता है, तो प्रेम संबंध को पारिवारिक स्वीकृति भी आसानी से प्राप्त हो जाती है।
प्रेम विवाह और अंतरजातीय विवाह में राहु-शुक्र की भूमिका
यह संयोजन ज्योतिष में सबसे तेजी से प्रेम को विवाह में बदलने वाला माना गया है। राहु व्यक्ति को सामाजिक सीमाओं से ऊपर उठाता है जबकि शुक्र प्रेम, आकर्षण और रोमांस का कारक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह योग कई बार ऐसे संबंधों को विवाह में बदल देता है जिनके बारे में समाज या परिवार शुरू में स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि राहु-शुक्र योग अंतरजातीय विवाह के मामलों में सबसे प्रभावी साबित होता है क्योंकि यह व्यक्ति के भीतर अपने साथी के प्रति गहरी लगन और प्रतिबद्धता पैदा करता है।
ज्योतिषीय उपाय जो प्रेम विवाह को सफल बनाते हैं
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कई ऐसे व्यावहारिक और पारंपरिक उपाय बताते हैं जो ग्रहों के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं। इनमें शुक्र को मजबूत करने के लिए सफेद वस्त्र धारण करना, शुक्रवार का उपवास रखना, सुगंधित द्रव्यों का उपयोग करना और संबंधों में शुद्धता बनाए रखना अत्यंत उपयोगी माना जाता है। मंगल को संतुलित करने के लिए हनुमान चालीसा पाठ, मंगलवार का व्रत और लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। चंद्रमा को शांत करने के लिए सोमवार का व्रत, चावल का दान और मन में शांति बनाए रखना लाभकारी होता है। राहु को नियंत्रित करने के लिए शनिवार को तिल का दान, सूक्ष्म जीवों को भोजन देना और ध्यान-योग करने की सलाह दी जाती है। गुरु को मजबूत करने के लिए पीला वस्त्र, गुरुवार का उपवास और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताया जाता है।
लव मैरिज किस ग्रह से तय होती है, यह एक अकेले ग्रह से निर्धारित नहीं होता, बल्कि कई ग्रहों के संयुक्त प्रभाव, उनकी स्थिति, दिशाओं और योगों पर निर्भर करता है। शुक्र, मंगल, राहु, चंद्रमा और गुरु सभी किसी न किसी रूप में प्रेम, आकर्षण, निर्णय-शक्ति, स्थिरता और विवाह की दिशा पर असर डालते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब ये ग्रह अनुकूल स्थिति में होते हैं, तब व्यक्ति का प्रेम न केवल गहराता है बल्कि सामाजिक रूप से स्वीकार्य और स्थिर विवाह का रूप भी ले लेता है।
यदि आप अपनी जन्मकुंडली में लव मैरिज के योग जानना चाहते हैं या प्रेम संबंध को स्थिर और सफल रूप देना चाहते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आपके ग्रहों की वर्तमान दशा-अंतर्दशा, भावों की स्थिति और योगों की पूरी तरह से ज्योतिषीय जांच की जाए।

