क्या ग्रहों की दशा नौकरी छोड़ने या बदलने के संकेत देती है?

क्या ग्रहों की दशा नौकरी छोड़ने या बदलने के संकेत देती है?

क्या ग्रहों की दशा नौकरी छोड़ने या बदलने के संकेत देती है?

मनुष्य के जीवन में नौकरी या करियर का परिवर्तन एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण घटना होती है। कई बार व्यक्ति अपने कार्यस्थल से असंतुष्ट होकर स्वयं नौकरी छोड़ देता है, जबकि कभी-कभी परिस्थितियाँ उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर देती हैं। कुछ लोगों के जीवन में अचानक नौकरी में बदलाव आ जाता है या उन्हें अप्रत्याशित रूप से नई दिशा मिलती है। ज्योतिष  शास्त्र में इन सभी घटनाओं के पीछे केवल कर्म या निर्णय ही नहीं, बल्कि ग्रहों की दशा और गोचर की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों की दशा व्यक्ति के जीवन में घटनाओं के समय और प्रकार को नियंत्रित करती है। चाहे सफलता हो, पदोन्नति हो, या नौकरी छोड़ने की स्थिति — इन सबका संकेत व्यक्ति की जन्मकुंडली में पहले से मौजूद रहता है। दशा और गोचर केवल उन योगों को सक्रिय करते हैं जो कुंडली में पहले से लिखे होते हैं।

ग्रहों की दशा का अर्थ और उसका प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में "दशा" का अर्थ है — ग्रहों की वह अवधि जिसमें वे व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव डालते हैं। यह अवधि वर्षों तक चल सकती है और इस दौरान वही ग्रह व्यक्ति के कर्म, विचार और परिस्थितियों को दिशा देता है। जब किसी अशुभ ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही होती है, तो व्यक्ति को करियर में अस्थिरता, असंतोष या अचानक परिवर्तन का सामना करना पड़ सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि दशा और गोचर के मेल से जीवन में बड़े निर्णय स्वतः सामने आते हैं। यदि किसी व्यक्ति की दशा में कर्म भाव (दसवां भाव), लाभ भाव (ग्यारहवां भाव) या सप्तम भाव (व्यवसाय भाव) प्रभावित हो, तो नौकरी में परिवर्तन की संभावना बढ़ जाती है।

दसवां भाव – करियर परिवर्तन का मूल केंद्र

कुंडली का दसवां भाव व्यक्ति के कार्य, पद, प्रतिष्ठा और करियर की स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है। यदि इस भाव के स्वामी ग्रह पर किसी अन्य ग्रह की दृष्टि या प्रभाव बदलता है, तो व्यक्ति के करियर में भी बदलाव आता है। उदाहरण के लिए, यदि राहु या केतु दसवें भाव में प्रवेश करते हैं या गोचर करते हैं, तो अचानक बदलाव, नई जिम्मेदारियाँ या पद परिवर्तन संभव होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब दसवें भाव का स्वामी कमजोर हो जाए या अशुभ दशा में आ जाए, तो व्यक्ति अपने काम में असंतोष अनुभव करता है। वह नए अवसरों की तलाश में नौकरी छोड़ने या दिशा बदलने के बारे में सोचने लगता है। इसके विपरीत, जब दशम भाव में शुभ ग्रहों का प्रभाव आता है, तो व्यक्ति नई और बेहतर नौकरी प्राप्त करता है।

शनि की दशा और करियर अस्थिरता

शनि ग्रह कर्म, अनुशासन और मेहनत का कारक माना जाता है। जब शनि की दशा या साढ़ेसाती चल रही होती है, तब व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में परिवर्तन, स्थानांतरण या नौकरी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।शनि कभी-कभी व्यक्ति को पुराने कार्य से हटाकर नई दिशा देता है ताकि वह अपने कर्मों में सुधार कर सके।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि शनि जन्म कुंडली में शुभ स्थिति में है, तो उसकी दशा व्यक्ति को नई नौकरी या उच्च पद का अवसर देती है। लेकिन यदि शनि कमजोर हो या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यक्ति को अस्थिरता, असंतोष और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

राहु और केतु का प्रभाव

राहु और केतु जीवन में अप्रत्याशित घटनाओं के प्रतीक माने जाते हैं। ये ग्रह परिवर्तन, अनिश्चितता और नए अनुभवों का संकेत देते हैं। जब राहु की दशा चल रही होती है, तो व्यक्ति अचानक अपने करियर या नौकरी के क्षेत्र में परिवर्तन देख सकता है। राहु व्यक्ति को विदेशी कार्य, नई तकनीक या अलग दिशा में ले जा सकता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि राहु दसवें या ग्यारहवें भाव में सक्रिय हो, तो व्यक्ति नौकरी बदलकर किसी नए उद्योग या विदेशी कंपनी में कार्य करना शुरू कर सकता है। वहीं केतु का प्रभाव व्यक्ति को आत्मिक रूप से थका हुआ महसूस कराता है, जिससे वह वर्तमान नौकरी छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन की तलाश में निकल सकता है।

मंगल की दशा और निर्णय की प्रवृत्ति

मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और निर्णय का कारक है। जब मंगल की दशा आती है, तो व्यक्ति में नई शुरुआत करने की इच्छा प्रबल होती है। वह जोखिम उठाने को तैयार रहता है और कई बार अचानक नौकरी छोड़कर नया व्यवसाय या प्रोजेक्ट शुरू कर देता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि मंगल शुभ भावों में स्थित है, तो उसकी दशा व्यक्ति को आत्मविश्वास और सफलता प्रदान करती है। लेकिन यदि यह ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति जल्दबाजी में निर्णय लेकर नुकसान झेल सकता है। इसलिए मंगल की दशा में नौकरी बदलने से पहले ग्रह स्थिति और दशा का विश्लेषण आवश्यक है।

बुध और गुरु की दशा – करियर में स्थिरता और प्रगति

बुध और गुरु ग्रह व्यक्ति के विवेक, समझ और निर्णय क्षमता के प्रतीक हैं। जब इन ग्रहों की दशा चलती है, तो व्यक्ति अपने करियर में स्थिरता और समझदारी से निर्णय लेता है। यदि बुध मजबूत है, तो व्यक्ति नई नौकरी में अपने संवाद कौशल और बुद्धिमत्ता के बल पर सफलता पाता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि गुरु की दशा अक्सर करियर में उन्नति, पदोन्नति या नौकरी में सुधार का संकेत देती है। यदि गुरु दसवें भाव या लग्न से शुभ दृष्टि डालता है, तो व्यक्ति को ऐसे अवसर मिलते हैं जो उसकी योग्यता के अनुरूप होते हैं।

चंद्रमा की दशा और भावनात्मक निर्णय

चंद्रमा मन और भावना का ग्रह है। जब इसकी दशा या अंतर्दशा चल रही होती है, तो व्यक्ति का निर्णय भावनाओं से प्रभावित होता है। कई बार व्यक्ति अस्थिर मन से नौकरी छोड़ देता है, जबकि थोड़े धैर्य से वह बेहतर अवसर प्राप्त कर सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि यदि चंद्रमा पाप ग्रहों से प्रभावित हो या नीच राशि में स्थित हो, तो व्यक्ति का मन बार-बार नौकरी या क्षेत्र बदलने की ओर झुकता है। इसलिए ऐसे समय में अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेकर निर्णय लेना उचित होता है।

ग्रहों के गोचर से नौकरी परिवर्तन के संकेत

दशा के साथ-साथ गोचर भी व्यक्ति के करियर में अहम भूमिका निभाता है। जब शनि या राहु गोचर करते हुए दशम भाव या उसके स्वामी पर प्रभाव डालते हैं, तो नौकरी में बदलाव या स्थानांतरण की संभावना बनती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गुरु का गोचर जब लाभ भाव या कर्म भाव से गुजरता है, तो व्यक्ति को नई नौकरी या पदोन्नति के अवसर मिलते हैं। वहीं राहु-केतु का गोचर अचानक परिवर्तन या विदेश से जुड़े प्रस्तावों की दिशा में संकेत देता है।

कुंडली में नौकरी परिवर्तन के योग कैसे पहचानें

कुंडली में कुछ विशेष योग ऐसे होते हैं जो नौकरी परिवर्तन या पेशे में बदलाव का संकेत देते हैं।

  • जब दसवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में चला जाए।

  • जब राहु-केतु दशम भाव या कर्मेश पर प्रभाव डालें।

  • जब दशा या अंतर्दशा बदलते समय ग्रह दशम भाव के स्वामी से शत्रु भाव में हों।

  • जब गोचर में शनि कर्म भाव से गुजरता हो।

  • जब लाभ भाव सक्रिय हो और नए अवसर के संकेत मिले।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यदि ये योग कुंडली में मौजूद हैं, तो व्यक्ति के जीवन में करियर परिवर्तन निश्चित होता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि यह परिवर्तन लाभकारी होगा या हानिकारक — यह ग्रहों की स्थिति और दशा की अनुकूलता पर निर्भर करता है।

ज्योतिषीय उपाय जो करियर को स्थिर बनाते हैं

जब ग्रहों की दशा या गोचर के कारण नौकरी अस्थिर हो जाए या व्यक्ति लगातार नौकरी बदलने की स्थिति में हो, तो कुछ सरल उपायों से स्थिति सुधारी जा सकती है।

  • प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें और “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करें।

  • शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए शनिवार को गरीबों को भोजन और तेल दान करें।

  • गुरु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को पीले वस्त्र और चने का दान करें।

  • बुधवार को हरे वस्त्र पहनें और गणेश जी की उपासना करें।

  • सोमवार को शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाकर चंद्रमा को संतुलित करें।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि इन उपायों से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और व्यक्ति के करियर में स्थिरता तथा प्रगति का मार्ग खुलता है।

नौकरी छोड़ने से पहले क्या करें?

ज्योतिष शास्त्र केवल भविष्य बताने का साधन नहीं, बल्कि सही निर्णय लेने का मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। यदि व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार नौकरी छोड़ने या बदलने का निर्णय लेता है, तो वह अनिश्चितता से बच सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी सलाह देते हैं कि नौकरी छोड़ने से पहले अपनी दशा, अंतर्दशा और गोचर का विश्लेषण अवश्य कराएं। यदि शुभ ग्रहों की दशा आरंभ हो रही हो, तो नई नौकरी या व्यवसाय में सफलता सुनिश्चित होती है। लेकिन यदि अशुभ ग्रह सक्रिय हों, तो थोड़ा धैर्य रखना बेहतर होता है।

ग्रहों की दशा व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करती है — चाहे वह करियर हो, परिवार हो या आर्थिक स्थिति। नौकरी छोड़ने या बदलने जैसे निर्णय भी इन्हीं ग्रहों की चाल से जुड़े होते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब व्यक्ति अपने कर्म को ज्योतिषीय दृष्टि से समझकर निर्णय लेता है, तो उसके जीवन में स्थिरता और सफलता स्वतः आती है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का कहना है कि हर परिवर्तन अपने साथ एक अवसर लेकर आता है। ग्रहों की दशा व्यक्ति को न केवल दिशा दिखाती है, बल्कि सही समय पर सही कदम उठाने की प्रेरणा भी देती है। इसलिए यदि आप अपने करियर में अस्थिरता, असंतोष या बदलाव का अनुभव कर रहे हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य कराएँ। संभव है कि आपका भाग्य किसी नई दिशा में जाने का संकेत दे रहा हो।

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