ग्रहों का गोचर: जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटना

ग्रहों का गोचर: जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटना

ग्रहों का गोचर: जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटना

जीवन में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है, लेकिन वैदिक ज्योतिष के अनुसार इन उतार-चढ़ावों के पीछे ग्रहों के गोचर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। ग्रह लगातार राशि बदलते हैं और उनका यह परिवर्तन व्यक्ति के मानसिक, आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करता है। कई बार व्यक्ति अचानक खुशियों का अनुभव करता है, तो कभी जीवन स्थितियाँ चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं। इस परिवर्तनशीलता के पीछे मुख्य कारण ग्रहों का गोचर होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि दशा और अंतरदशा के साथ जब गोचर का प्रभाव मिल जाता है, तब व्यक्ति के जीवन में घटनाएँ अत्यधिक तीव्र गति से घटित होती हैं। वहीं इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि जीवन में समस्याएँ तभी बढ़ती हैं जब ग्रह अपने प्रतिकूल स्थान पर होते हैं। यदि ग्रह शुभ भावों में हों, शुभ दृष्टि दे रहे हों और शुभ ग्रहों के साथ हों, तो व्यक्ति का जीवन स्थिर, उन्नत और संतुलित बना रहता है।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि ग्रहों के गोचर जीवन के उतार-चढ़ाव को कैसे प्रभावित करते हैं, क्यों इनका प्रभाव इतना गहरा होता है, तथा व्यक्ति इन उतार-चढ़ावों से कैसे प्रभावी रूप से निपट सकता है।

ग्रहों के गोचर का महत्व

ग्रहों का गोचर जीवन का सबसे सक्रिय परिवर्तनकारी तत्व माना गया है। दशा व्यक्ति के आंतरिक कर्मों के परिणाम को दर्शाती है, जबकि गोचर बाहरी परिस्थितियों को निर्मित करता है। इसलिए जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह गोचर के माध्यम से शुभ भावों पर आते हैं, तब जीवन में उन्नति, प्रगति और सुख-सौभाग्य बढ़ता है। इसके विपरीत जब ग्रह पाप भावों में आते हैं, तब जीवन में चुनौतियाँ, रुकावटें, मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याएँ बढ़ती हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शनि, गुरु और राहु-केतु जैसे ग्रहों का गोचर दीर्घकालिक प्रभाव देता है। चंद्र, बुध और शुक्र का गोचर अल्पकालिक लेकिन तेज प्रभाव देता है। वहीं इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यदि कुंडली में ग्रह पहले से मजबूत हों तो कठिन गोचर भी अधिक नुकसान नहीं करते, बल्कि व्यक्ति को संभालने की शक्ति देते हैं।

ग्रहों का गोचर व्यक्ति की मानसिक अवस्था, निर्णय लेने की क्षमता, स्वास्थ्य, संबंधों, धन, व्यवसाय और आध्यात्मिकता तक पर प्रभाव डालता है। इसलिए मानव जीवन में हर छोटे-बड़े परिवर्तन का संबंध किसी न किसी ग्रह गोचर से जुड़ा होता है।

सूर्य का गोचर और जीवन के उतार-चढ़ाव

सूर्य आत्मा, आत्मविश्वास, ऊर्जा और पिता का कारक है। सूर्य हर महीने राशि बदलता है और इस गोचर से व्यक्ति के जीवन में आत्म-बल और नेतृत्व क्षमता प्रभावित होती है। जब सूर्य शुभ भाव में गोचर करता है, तब व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है, करियर में उन्नति होती है और सरकारी कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ती है।

लेकिन जब सूर्य पाप भावों में गोचर करता है, तब अहंकार, तनाव, पिता से मतभेद और स्वास्थ्य में कमजोरी आ सकती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि सूर्य का प्रतिकूल गोचर व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर कर सकता है, इसलिए इस समय संयम आवश्यक है।

चंद्रमा का गोचर और भावनात्मक उतार-चढ़ाव

चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदलता है और इसके गोचर से व्यक्ति की भावनाएँ, मनोदशा और मानसिक संतुलन गहराई से प्रभावित होता है।

यदि चंद्रमा शुभ स्थान से गुजरता है, तो व्यक्ति प्रसन्न, शांत और आत्मविश्वासी रहता है। लेकिन प्रतिकूल स्थिति में चिंता, बेचैनी, तनाव, नकारात्मक विचार और निर्णयों में अस्थिरता बढ़ती है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार चंद्रमा के गोचर के कारण ही व्यक्ति के मूड और ऊर्जा में तेजी से परिवर्तन होता है। इसलिए मानसिक स्थिरता बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है।

मंगल का गोचर और ऊर्जा के उतार-चढ़ाव

मंगल ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास और क्रोध का प्रतिनिधित्व करता है। इसका गोचर साहस और जोश बढ़ाता है लेकिन गलत स्थिति में यह क्रोध, दुर्घटना, चोट और विवाद बढ़ा सकता है।

जब मंगल शुभ भाव में गोचर करता है, तब व्यक्ति नई शुरुआत करता है, चुनौतियों का सामना करता है और कामों को तेजी से पूरा करता है। लेकिन जब यह पाप भाव से गुजरता है, तब क्रोध, दुर्घटना, चोट, रक्त संबंधी परेशानियाँ और परिवारिक तनाव बढ़ते हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मंगल का गोचर गलत दिशा में ऊर्जा प्रवाहित कर देता है, इसलिए इस समय शांति और धैर्य बनाए रखना आवश्यक है।

बुध का गोचर और निर्णय क्षमता में उतार-चढ़ाव

बुध बुद्धिमत्ता, व्यापार, संचार और तर्क क्षमता का ग्रह है। इसका गोचर करियर, शिक्षा और बिजनेस पर तेज असर डालता है। शुभ गोचर में व्यक्ति की बातचीत, निर्णयों और विश्लेषण शक्ति में सुधार आता है।

लेकिन जब बुध पाप भाव में हो, तब गलत निर्णय, गलतफहमी, हानि, व्यापार में गलत समझौते और संचार में भ्रम बढ़ सकते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि बुध के प्रतिकूल गोचर में व्यक्ति को हर निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए।

गुरु का गोचर और जीवन की स्थिरता


गुरु हर वर्ष राशि बदलता है और इसका गोचर जीवन में बड़े बदलाव लाता है। गुरु ज्ञान, सौभाग्य, धन, विवाह और संतान का कारक है। शुभ गोचर में करियर में उन्नति, विवाह की संभावना, धन वृद्धि और भाग्य की मजबूती देखी जाती है।

लेकिन जब गुरु प्रतिकूल स्थान में हो, तब भाग्य साथ नहीं देता, निर्णय गलत होते हैं, योजनाएँ फेल होती हैं और मानसिक भ्रम बढ़ता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार गुरु का गोचर जीवन की दिशा बदल देता है, इसलिए इसका असर सबसे गहरा माना जाता है।

शुक्र का गोचर और सुख-सौभाग्य में परिवर्तन

शुक्र प्रेम, विवाह, सौंदर्य और भौतिक सुख का ग्रह है। इसका गोचर संबंधों, दांपत्य, धन और भौतिक सुखों में उतार-चढ़ाव लाता है।

शुभ गोचर में संबंधों में मधुरता, धन प्राप्ति, रचनात्मकता, प्रतिष्ठा और घर में खुशियाँ बढ़ती हैं। लेकिन प्रतिकूल गोचर प्रेम जीवन में तनाव, गलत संबंधों की ओर आकर्षण, खर्चों में वृद्धि और भावनात्मक अस्थिरता बढ़ा देता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि शुक्र का प्रतिकूल गोचर वैवाहिक जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।

शनि का गोचर और जीवन की परीक्षा

शनि का गोचर सबसे प्रभावशाली और दीर्घकालिक माना जाता है। शनि न्यायप्रिय ग्रह है और कर्मों के अनुसार फल देता है। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की दृष्टि जीवन में कठिन चुनौतियाँ लेकर आती है।

शुभ स्थिति में यह करियर में उन्नति, अनुशासन, स्थिरता और सफलता लाता है। प्रतिकूल गोचर में संघर्ष, बाधाएँ, आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव बढ़ जाते हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि शनि का गोचर व्यक्ति को मजबूत बनाता है, क्योंकि यह जीवन के वास्तविक पाठ सिखाता है।

राहु-केतु का गोचर और अचानक बदलाव

राहु-केतु का 18 महीनों का गोचर जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव लाता है। राहु भ्रम, लालच, इच्छाएँ और भौतिकता का प्रतीक है, जबकि केतु विरक्ति, आध्यात्मिकता और मोक्ष का कारक है।

इन दोनों ग्रहों का गोचर अचानक घटनाएँ, रिश्तों में परिवर्तन, करियर की दिशा बदलना और मानसिक उतार-चढ़ाव ला सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि राहु-केतु का प्रभाव व्यक्ति को अपने जीवन में गंभीर अनुभव कराता है, जो आगे जाकर बहुत गहरा ज्ञान देता है।

ग्रहों के गोचर से आने वाले उतार-चढ़ाव से कैसे निपटें?

पहला उपाय ग्रहों की स्थिति का सही विश्लेषण करना है। अपनी जन्म कुंडली और वर्तमान गोचर का सही अध्ययन करवाना आवश्यक है।
दूसरा उपाय कर्म और आचरण में सुधार करना है।
तीसरा उपाय ग्रहों के लिए उपयुक्त उपाय करना है।
चौथा उपाय मानसिक स्थिरता बनाए रखना है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रह परिस्थिति बदल सकते हैं, लेकिन सही कर्म जीवन बदल देता है।

ग्रहों का गोचर जीवन के हर उतार-चढ़ाव का मूल कारण है। कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं होता, हर घटना के पीछे ग्रहों की ऊर्जा सक्रिय होती है। यदि ग्रह शुभ स्थिति में हों, तो जीवन सहज और सरल होता है। यदि ग्रह प्रतिकूल हों, तो चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रहों का प्रभाव केवल बाधाएँ नहीं देता, बल्कि व्यक्ति को समझ, अनुभव और विकास के अवसर भी प्रदान करता है। यदि हम इन गोचरों को समझकर आगे बढ़ें, तो जीवन के उतार-चढ़ाव को बहुत आसानी से संभाला जा सकता है।

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