ज्योतिष की नजर से भाग्य का गणित

ज्योतिष की नजर से भाग्य का गणित

ज्योतिष की नजर से भाग्य का गणित

हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख-शांति चाहता है। जीवन में अवसर और चुनौतियाँ हमारी मेहनत, परिश्रम और भाग्य पर निर्भर होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसे समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, व्यक्ति का भाग्य जन्म कुंडली, ग्रहों की स्थिति और उनके योगों पर आधारित होता है। कुंडली में ग्रहों की चाल, दशा-गोचर और विभिन्न योग यह निर्धारित करते हैं कि किस समय व्यक्ति को सफलता मिलेगी और किन क्षेत्रों में उसे अधिक संघर्ष करना पड़ेगा।

भाग्य का गणित केवल कर्म और मेहनत पर नहीं, बल्कि ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव पर भी निर्भर करता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि ज्योतिष की दृष्टि से भाग्य का गणित कैसे काम करता है, कौन-से ग्रह और योग व्यक्ति के भाग्य को मजबूत या कमजोर करते हैं, और किन उपायों से भाग्य को संतुलित किया जा सकता है।

भाग्य और जन्मकुंडली का संबंध

जन्म कुंडली व्यक्ति के जीवन का एक मानचित्र है। इसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की स्थिति व्यक्ति के स्वभाव, जीवन के क्षेत्र और भाग्य को दर्शाती है। कुंडली में यदि ग्रहों का प्रभाव शुभ होता है तो व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता पाता है, जबकि अशुभ ग्रह बाधाएँ और कठिनाइयाँ उत्पन्न करते हैं।

मुख्य बातें:

  • सूर्य: भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है।

  • चंद्रमा: मानसिक स्थिति और भावनाओं को नियंत्रित करता है।

  • गुरु: शिक्षा, ज्ञान और धन को प्रभावित करता है।

  • शनि: कठिन परिश्रम, विलंब और बाधाओं का कारक है।

  • राहु और केतु: पिछले जन्म के कर्मों और जीवन में असामान्य घटनाओं का संकेत देते हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि कुंडली में शुभ ग्रहों का सटीक स्थान और उनकी दृष्टि व्यक्ति के भाग्य को निर्धारित करती है।

भाग्य के प्रमुख कारक – ग्रहों की भूमिका

सूर्य – भाग्य और प्रतिष्ठा का प्रतीक

सूर्य व्यक्ति के आत्मविश्वास, प्रतिष्ठा और पिता से मिलने वाले लाभ को नियंत्रित करता है। यदि सूर्य मजबूत है तो व्यक्ति समाज में मान-सम्मान पाता है और उसका भाग्य उसे लाभ देता है। कमजोर सूर्य आत्मविश्वास में कमी और स्वास्थ्य संबंधित बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है।

उपाय: रविवार को सूर्य मंत्र का जप करना, सूर्य देव को जल अर्पित करना और तांबे के बर्तन का प्रयोग करना लाभकारी होता है।

चंद्रमा – मानसिक स्थिरता और भावनाएँ

चंद्रमा कमजोर होने पर व्यक्ति मानसिक तनाव, उलझन और भावनात्मक अस्थिरता से प्रभावित होता है। मानसिक संतुलन और सकारात्मक सोच भाग्य को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।

उपाय: सोमवार को गाय को दाना देना, चंद्र मंत्र का जप करना और शांति बनाए रखना लाभकारी होता है।

गुरु – शिक्षा, धन और भाग्य

गुरु ग्रह कुंडली में शिक्षा, ज्ञान, वैवाहिक जीवन और धन के कारक होते हैं। यदि गुरु मजबूत हो तो व्यक्ति को भाग्य के लाभ और आर्थिक सफलता प्राप्त होती है। अशुभ गुरु संघर्ष और असफलता का कारण बन सकता है।

उपाय: गुरुवार को पीले वस्त्र दान करना, गुरु मंत्र का जाप और धार्मिक कार्य करना लाभप्रद है।

शनि – कर्म और बाधाएँ

शनि जीवन में संघर्ष और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। अशुभ शनि व्यक्ति को विलंब, बाधाएँ और मानसिक तनाव देता है। शनि की सही पूजा और उपाय से जीवन में बाधाएँ कम की जा सकती हैं।

उपाय: शनिवार को काले तिल दान करना, शनि मंत्र का जाप और जरूरतमंदों की सेवा करना लाभकारी है।

राहु और केतु – पिछले जन्म और कर्मफल

राहु और केतु व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों का संकेत देते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में अचानक बदलाव, संकट और मानसिक उलझन लाते हैं। इनका अशुभ प्रभाव भाग्य को प्रभावित कर सकता है।

उपाय: राहु-केतु मंत्र का जाप, नीले और काले रंग के वस्त्र का प्रयोग और गुरुवार को दान करना लाभकारी है।

भाग्य को प्रभावित करने वाले योग

कुंडली में कुछ विशेष योग व्यक्ति के भाग्य को मजबूत या कमजोर करते हैं।

  • राजयोग: व्यक्ति को सफलता और सम्मान दिलाने वाले योग।

  • धनयोग: आर्थिक सफलता और समृद्धि के योग।
  • गजकेसरी योग: बुद्धिमत्ता और सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
  • दुर्लभ अशुभ योग: जीवन में संघर्ष, बाधाएँ और असफलता उत्पन्न करता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि योगों का सही विश्लेषण और उपाय व्यक्ति के भाग्य को बदल सकता है।

भाग्य सुधारने के उपाय

भाग्य मजबूत करने के लिए केवल कर्म करना पर्याप्त नहीं होता। ग्रहों के अनुसार उपाय करना और मनोबल बनाए रखना भी आवश्यक है।

मुख्य उपाय:

  • शुभ ग्रहों के मंत्रों का नियमित जाप।

  • शुक्रवार, शनिवार, रविवार और गुरुवार को ग्रहों के अनुसार दान और पूजा।

  • उचित रंगों और रत्नों का प्रयोग।

  • मानसिक संतुलन बनाए रखना और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इन उपायों का नियमित पालन व्यक्ति के भाग्य को मजबूत करता है और जीवन में सफलता सुनिश्चित करता है।

भाग्य और कर्म का संतुलन

ज्योतिष के अनुसार भाग्य केवल ग्रहों पर निर्भर नहीं होता। व्यक्ति के कर्म, मेहनत और सोच भी उसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रह व्यक्ति को दिशा दिखाते हैं, लेकिन मेहनत और निरंतर प्रयास से ही वास्तविक सफलता मिलती है।

भाग्य का गणित समझकर उचित उपाय करना, ग्रहों की दशा और गोचर का अध्ययन करना व्यक्ति को जीवन में समृद्धि और संतुलन प्रदान करता है।

ज्योतिष की नजर से भाग्य का गणित यह समझाता है कि व्यक्ति का जीवन ग्रहों की स्थिति, कुंडली में योग और दशा-गोचर पर निर्भर करता है। सूर्यचंद्रमा, गुरु, शनि, राहु और केतु जैसे ग्रह व्यक्ति के भाग्य और जीवन में सफलता या असफलता के लिए जिम्मेदार होते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों का सही अध्ययन और उपाय व्यक्ति के भाग्य को संतुलित कर सकता है। इस प्रकार, भाग्य का गणित केवल ग्रहों का नहीं, बल्कि व्यक्ति के कर्म और मानसिक संतुलन का परिणाम भी है।

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