भाग्य कब और कैसे सक्रिय होता है

भाग्य कब और कैसे सक्रिय होता है 

भाग्य कब और कैसे सक्रिय होता है 

ज्योतिष शास्त्र में भाग्य को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना गया है। यह केवल एक साधारण अवधारणा नहीं है बल्कि व्यक्ति के जन्मकाल, ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र और दशाओं के अनुसार बदलता रहता है। भाग्य का सक्रिय होना या न होना पूरी तरह से ग्रहों की चाल, उनकी दृष्टि और व्यक्ति के कर्मों से जुड़ा होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जन्म कुंडली में यदि ग्रह शुभ स्थिति में हों और जीवन के योग बने हों तो भाग्य स्वाभाविक रूप से सक्रिय होता है।

भाग्य का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष में भाग्य को अक्सर 2 प्रकार से देखा जाता है – जन्मजात भाग्य और अर्जित भाग्य। जन्मजात भाग्य वह है जो व्यक्ति के जन्म समय में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों से निर्धारित होता है। जबकि अर्जित भाग्य व्यक्ति के कर्मों, प्रयासों और ग्रहों की वर्तमान दशा के अनुसार सक्रिय होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जन्म कुंडली में जो भाव और ग्रह भाग्य को प्रभावित करते हैं, उनमें मुख्य रूप से चौथा, पाँचवाँ और नौवाँ भाव शामिल होते हैं।

भाग्य कब सक्रिय होता है?

भाग्य की सक्रियता का निर्धारण मुख्य रूप से जन्म कुंडली में ग्रहों की दशा और योग से किया जाता है। गुरु, शुक्र और बृहस्पति जैसे शुभ ग्रह जब किसी व्यक्ति के भाग्य भाव में प्रभाव डालते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में सफलता, मान-सम्मान और सुख की प्राप्ति होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि व्यक्ति की जन्म कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत हो और पंचम भाव में स्थित हो, तो शिक्षा और ज्ञान से संबंधित क्षेत्र में भाग्य खुलता है। इसी तरह धन और संपत्ति के लिए भाग्य का सक्रिय होना लाभकारी होता है यदि द्वादश भाव और द्वितीय भाव में शनि और शुक्र की दृष्टि अनुकूल हो।

ग्रहों की दशा और भाग्य

ज्योतिष में ग्रहों की दशा का बहुत महत्व है। विशेषकर गुरु, शनि, बुध और सूर्य की महादशा व्यक्ति के भाग्य को सक्रिय या निष्क्रिय कर सकती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि गुरु की दशा में व्यक्ति के जीवन में अचानक सफलता और सुख की प्राप्ति होती है, जबकि शनि की कठिन दशा में व्यक्ति को कष्ट और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह बुध ग्रह का प्रभाव व्यावसायिक और बुद्धि से जुड़े मामलों में भाग्य को प्रभावित करता है।

नक्षत्र और भाग्य का संबंध

नक्षत्र भी भाग्य की सक्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जन्म समय के अनुसार व्यक्ति का चंद्रमा नक्षत्र निर्धारित होता है, जो उसके मानसिक और भावनात्मक स्थिति को दर्शाता है। यदि चंद्रमा शुभ नक्षत्र में स्थित हो, तो व्यक्ति के भाग्य में सहजता और सफलता की संभावना अधिक होती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शुभ नक्षत्र जैसे रोहिणी, मृगशिरा और उत्तराभाद्रपदा में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए भाग्य स्वाभाविक रूप से सक्रिय रहता है।

योग और भाग्य

जन्म कुंडली में बने योग भी भाग्य को सक्रिय करने में सहायक होते हैं। विशेष रूप से राजयोग, धन योग और चंद्र-गुरु योग व्यक्ति के जीवन में सफलता और संपन्नता लाते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र और बृहस्पति अच्छे भावों में स्थित हों और राजयोग बनता हो, तो भाग्य स्वयं सक्रिय होकर व्यक्ति के जीवन में संपन्नता और सम्मान लाता है।

कर्म और भाग्य का सम्बन्ध

ज्योतिष शास्त्र में यह कहा गया है कि कर्म के बिना भाग्य कभी भी स्थायी रूप से सक्रिय नहीं हो सकता। व्यक्ति के अच्छे कर्म और धर्म का पालन उसके भाग्य को मजबूत बनाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि व्यक्ति अपने कर्मों में सच्चाई और ईमानदारी बनाए रखता है, तो ग्रहों की अनुकूल दशा के समय उसका भाग्य स्वतः सक्रिय होकर जीवन में सफलता और सुख लाता है।

भाग्य की सक्रियता के संकेत

भाग्य सक्रिय होने के कई संकेत होते हैं। व्यक्ति को अचानक आर्थिक लाभ, नौकरी में पदोन्नति, वैवाहिक जीवन में सफलता, शिक्षा में उत्कृष्टता, सामाजिक मान-सम्मान और स्वास्थ्य में सुधार जैसी चीजें अनुभव हो सकती हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि व्यक्ति की जन्म कुंडली में पंचम, नौवाँ और द्वादश भाव में शुभ ग्रह दृष्टि डाल रहे हों और नक्षत्र भी अनुकूल हों, तो ये संकेत स्पष्ट रूप से दिखते हैं।

भाग्य बढ़ाने के उपाय

ज्योतिष शास्त्र में भाग्य बढ़ाने के कई उपाय बताये गए हैं। इनमें मंत्र जाप, ग्रह पूजा, दान और धर्मिक कार्य प्रमुख हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गुरु मंत्र का नियमित जाप, सूर्य और चंद्रमा की पूजा, तथा नीले या पीले रंग के वस्त्र पहनना भाग्य को सक्रिय करने में सहायक होता है। इसके अलावा किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत अच्छे मुहूर्त में करना भी भाग्य को जल्दी सक्रिय करता है।

भाग्य और सही समय

सही समय पर किए गए प्रयास भी भाग्य को सक्रिय करते हैं। व्यक्ति यदि शुभ दिन, शुभ नक्षत्र और शुभ महादशा में महत्वपूर्ण निर्णय लेता है, तो उसके प्रयास सफल होते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, भाग्य केवल ग्रहों और नक्षत्रों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि व्यक्ति के प्रयास, धैर्य और सोच पर भी निर्भर करता है।

भाग्य और मानसिक स्थिति

मानसिक स्थिति भी भाग्य की सक्रियता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति के जीवन में भाग्य जल्दी सक्रिय होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि नकारात्मक मानसिकता और भय का भाव ग्रहों के शुभ प्रभाव को कम कर सकता है। इसलिए भाग्य को सक्रिय रखने के लिए मन का संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है।

भाग्य की सक्रियता में समय का महत्व

ज्योतिष में भाग्य की सक्रियता का समय भी महत्वपूर्ण है। व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार ग्रहों की दशा और गोचर निश्चित करते हैं कि कौन सा समय भाग्य के लिए अनुकूल है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत में ग्रहों की स्थिति और पंचांग का अध्ययन करना आवश्यक है। यही समय व्यक्ति के भाग्य को अधिक सक्रिय बनाता है।

भाग्य और वैदिक उपाय

वैदिक ज्योतिष में भाग्य को सक्रिय करने के लिए कई उपाय बताये गए हैं। इसमें दान, यज्ञ, मंत्र और तीर्थ यात्रा शामिल हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, शुक्र और बृहस्पति ग्रह के लिए विशेष दान करना, किसी धार्मिक स्थान पर भोजन दान करना, और गुरु मंत्र का जाप भाग्य को सक्रिय करने में अत्यंत प्रभावशाली होता है।


ज्योतिषीय दृष्टि से भाग्य किसी भी व्यक्ति के जीवन में तभी सक्रिय होता है जब ग्रहों की अनुकूल दशा, शुभ नक्षत्र, योग्य योग और अच्छे कर्म सभी एक साथ हों। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों का अनुभव यह दर्शाता है कि जन्म कुंडली की गहन अध्ययन, सही समय पर प्रयास और सकारात्मक मानसिकता से व्यक्ति का भाग्य स्वाभाविक रूप से सक्रिय हो जाता है। भाग्य केवल आकाशीय योगों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह कर्म, प्रयास और मानसिक स्थिरता से जुड़ा हुआ है।

इस प्रकार भाग्य की सक्रियता जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, स्वास्थ्य, सुख और मान-सम्मान सुनिश्चित करती है।जन्म कुंडलीमें ग्रहों की अनुकूल स्थिति और योग व्यक्ति के भाग्य को तुरंत सक्रिय कर सकते हैं, लेकिन यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति अपने कर्म और मानसिकता पर विशेष ध्यान रखे। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि भाग्य का सही सक्रिय होना केवल शुभ ग्रहों की कृपा नहीं, बल्कि व्यक्ति के प्रयास और कर्मों का परिणाम भी है।

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