क्या बिना कुंडली देखे पुखराज रत्न पहनना सही है?

क्या बिना कुंडली देखे पुखराज रत्न पहनना सही है?

क्या बिना कुंडली देखे पुखराज रत्न पहनना सही है?

रत्नों का उपयोग भारतीय ज्योतिष में बहुत पुराना और प्रभावशाली माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि रत्न न केवल ग्रहों की ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाते हैं। इन रत्नों में सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध रत्नों में से एक है पुखराज जो गुरु ग्रह अर्थात बृहस्पति से संबंधित होता है। यह रत्न ज्ञान, समृद्धि, वैवाहिक सुख, और सौभाग्य से जुड़ा माना जाता है। लेकिन अक्सर लोग बिना ज्योतिषीय परामर्श के, केवल दूसरों की सलाह या फैशन के चलते पुखराज पहन लेते हैं। यही वह गलती है जो जीवन में गंभीर नकारात्मक परिणाम दे सकती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों मानते हैं कि किसी भी रत्न को पहनने से पहले जन्म कुंडली का विश्लेषण आवश्यक है, क्योंकि प्रत्येक रत्न का सीधा प्रभाव ग्रहों की स्थिति और दशा पर पड़ता है।

पुखराज रत्न और गुरु ग्रह का संबंध

वैदिक ज्योतिष में गुरु (बृहस्पति) को ज्ञान, धर्म, न्याय, शिक्षा, धन और सौभाग्य का कारक ग्रह माना गया है। यदि कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में है, तो यह व्यक्ति को विद्या, सफलता, समृद्धि और सम्मान प्रदान करता है। वहीं, जब यह ग्रह कमजोर, पीड़ित या शत्रु ग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यक्ति को मानसिक भ्रम, आर्थिक संकट और निर्णय लेने में अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।

पुखराज रत्न को गुरु ग्रह की ऊर्जा को सशक्त करने वाला रत्न कहा जाता है। यह रत्न पहनने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, आत्मविश्वास और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। लेकिन अगर किसी की कुंडली में गुरु ग्रह प्रतिकूल स्थिति में हो और वह व्यक्ति बिना कुंडली देखे पुखराज पहन ले, तो परिणाम उल्टे भी हो सकते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि पुखराज पहनने से पहले व्यक्ति की जन्म कुंडली में गुरु ग्रह का स्थान, दृष्टि, भाव और दशा का विश्लेषण करना अनिवार्य होता है। तभी यह रत्न अपने पूर्ण शुभ प्रभाव दे सकता है।

बिना कुंडली देखे पुखराज पहनने के नुकसान

कई लोग यह मानते हैं कि पुखराज एक शुभ रत्न है और इसे पहनने से केवल लाभ ही होता है। परंतु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा नहीं है। प्रत्येक रत्न की अपनी विशिष्ट ऊर्जा होती है, जो पहनने वाले व्यक्ति की जन्म कुंडली के ग्रहों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया करती है। यदि यह ऊर्जा व्यक्ति की कुंडली से मेल नहीं खाती, तो यह सकारात्मक की बजाय नकारात्मक परिणाम दे सकती है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह नीच राशि में हो या पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु या शनि के प्रभाव में हो, और वह व्यक्ति पुखराज पहन ले, तो यह रत्न उन नकारात्मक प्रभावों को और बढ़ा सकता है। इससे व्यक्ति के जीवन में आर्थिक हानि, वैवाहिक कलह, स्वास्थ्य समस्याएँ और आत्मविश्वास की कमी जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, पुखराज रत्न अत्यंत प्रभावशाली होता है और इसे पहनने से पहले व्यक्ति को अपनी जन्म कुंडली का गहन विश्लेषण अवश्य करवाना चाहिए। बिना जांचे-परखे इस रत्न का उपयोग करने से लाभ की बजाय हानि होने की संभावना अधिक होती है।

किन लोगों को पुखराज पहनना चाहिए

पुखराज रत्न उन व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह शुभ स्थिति में हो और लग्न, पंचम, नवम या दशम भाव का स्वामी हो। ऐसे व्यक्ति को पुखराज पहनने से बौद्धिक उन्नति, आर्थिक स्थिरता और जीवन में सुख-संतोष प्राप्त होता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो लेकिन शुभ भावों में स्थित हो, तो पुखराज रत्न उस ग्रह की शक्ति को बढ़ाकर शुभ परिणाम प्रदान कर सकता है। विशेष रूप से वे लोग जो शिक्षा, अध्यापन, कानून, धर्म, वित्त, बैंकिंग, या प्रशासनिक कार्यों में हैं, उनके लिए यह रत्न अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि पुखराज पहनने से पहले यह देखना आवश्यक है कि गुरु ग्रह किसी प्रकार की शत्रु स्थिति में न हो। यदि ऐसा है, तो रत्न की जगह किसी वैकल्पिक उपाय जैसे मंत्र जाप, दान या पूजा का चयन करना अधिक उचित होता है।

कब पुखराज नहीं पहनना चाहिए

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह पाप प्रभाव में हो, जैसे कि राहु, केतु या शनि से युति या दृष्ट हो, तो पुखराज रत्न नहीं पहनना चाहिए। इसी प्रकार, यदि गुरु ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो और शुभ दृष्टि प्राप्त न कर रहा हो, तो इस स्थिति में भी पुखराज हानिकारक साबित हो सकता है।

ऐसे व्यक्ति को पुखराज पहनने से मानसिक भ्रम, आर्थिक नुकसान, वैवाहिक समस्याएँ और सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कुछ मामलों में गुरु ग्रह का प्रभाव इतना संवेदनशील होता है कि केवल रत्न पहनने से संपूर्ण ग्रह व्यवस्था असंतुलित हो सकती है। इसलिए बिना कुंडली देखे रत्न धारण करना जोखिमपूर्ण होता है।

पुखराज रत्न पहनने का सही तरीका

अगर आपकी कुंडली में गुरु ग्रह शुभ है और आप पुखराज पहनना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ ज्योतिषीय नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

पुखराज को गुरुवार के दिन, शुद्ध मन और स्नान के बाद, पीले वस्त्र धारण करके, गुरु के बीज मंत्र “ॐ ब्रं बृहस्पतये नमः” का 108 बार जाप करते हुए धारण करना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में जड़वाकर दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में पहनना सबसे शुभ माना गया है।

रत्न की शुद्धि के लिए इसे गंगाजल और कच्चे दूध में कुछ समय तक रखकर भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की प्रार्थना करनी चाहिए। यह प्रक्रिया न केवल रत्न को शुद्ध करती है, बल्कि इसकी सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय भी करती है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी सलाह देते हैं कि रत्न खरीदते समय हमेशा प्रमाणिकता और गुणवत्ता की जांच अवश्य करें, क्योंकि नकली या निम्न गुणवत्ता का रत्न विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

पुखराज रत्न के लाभ

यदि कुंडली के अनुसार पुखराज सही तरीके से धारण किया जाए, तो यह व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के शुभ परिणाम देता है। जैसे—

  • आर्थिक स्थिति में सुधार और धन वृद्धि।

  • शिक्षा और करियर में सफलता।

  • वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और स्थिरता।

  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास की वृद्धि।

  • आध्यात्मिक उन्नति और धर्म की ओर झुकाव।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि पुखराज न केवल बाहरी जीवन को सुधारता है, बल्कि यह व्यक्ति की आंतरिक सोच और आत्मा की शुद्धि में भी सहायक होता है।

पुखराज के स्थान पर वैकल्पिक उपाय

अगर किसी की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है लेकिन रत्न धारण करना संभव नहीं है, तो कुछ वैकल्पिक ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। जैसे—

  • गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करना।

  • हल्दी, चना दाल या पीले फूलों का दान करना।

  • गुरुवार को व्रत रखना या भगवान विष्णु की पूजा करना।

  • बृहस्पति मंत्र का नियमित जाप करना।

इन उपायों से भी गुरु ग्रह की स्थिति में सुधार होता है और पुखराज जैसे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

अंत में कहा जा सकता है कि पुखराज रत्न अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली रत्न है, जो सही व्यक्ति के लिए सौभाग्य का द्वार खोल सकता है। लेकिन अगर इसे बिना कुंडली देखे या उचित परामर्श के बिना पहना जाए, तो यह शुभ की बजाय अशुभ परिणाम दे सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी दोनों का यह मत है कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले कुंडली का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक है। केवल तभी यह रत्न अपने सकारात्मक प्रभाव से जीवन को बेहतर दिशा में ले जा सकता है।

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