क्या मंगल ग्रह क्रोध स्वभाव का कारण होता है?
भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को शक्ति, ऊर्जा, साहस, उत्साह और आक्रोश का प्रतीक माना गया है। यह ग्रह व्यक्ति के भीतर जोश, पराक्रम और आत्मविश्वास का संचार करता है। लेकिन जब यह ग्रह जन्म कुंडली में अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के स्वभाव में अत्यधिक क्रोध, अधीरता और आक्रामकता का कारण बन सकता है।ज्योतिष के अनुसार, मंगल केवल बाहरी शक्ति का ग्रह नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के आंतरिक मनोबल और भावनात्मक स्थिरता से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत हो और शुभ दृष्टि में हो, तो वह व्यक्ति साहसी, आत्मविश्वासी और दृढ़ निश्चयी होता है। वहीं अगर मंगल नीच राशि में या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तो वही ऊर्जा क्रोध और असंतुलन के रूप में प्रकट होती है।
मंगल ग्रह का स्वभाव और प्रतीकात्मक महत्व
मंगल ग्रह को ज्योतिष में “भौम” या “कुज” कहा गया है। यह ग्रह अग्नि तत्व से संबंधित है और इसका संबंध रक्त, मांसपेशियों, हड्डियों और ऊर्जा से माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के साहस, नेतृत्व क्षमता, आत्मरक्षा और निर्णय शक्ति को नियंत्रित करता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल बलवान होता है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियों का डटकर सामना करता है और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता। परंतु जब यह ग्रह कमजोर या अशुभ प्रभाव में होता है, तो यही ऊर्जा व्यक्ति के अंदर अस्थिरता, गुस्सा और आक्रोश के रूप में प्रकट होती है।इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि मंगल की यह स्थिति व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों पर भी क्रोधित कर देती है, जिससे रिश्तों में दरार और निर्णयों में गलती की संभावना बढ़ जाती है।
कुंडली में मंगल की स्थिति और उसका प्रभाव
मंगल ग्रह की स्थिति किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह बताती है कि उसकी ऊर्जा किस दिशा में प्रवाहित होगी। यदि मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो, तो उसे “कुज दोष” या “मंगलिक दोष” कहा जाता है। यह दोष विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में संघर्ष और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
अगर मंगल अपनी उच्च राशि मकर में हो, तो व्यक्ति संयमी और लक्ष्य-केन्द्रित होता है। लेकिन यदि मंगल अपनी नीच राशि कर्क में हो, तो व्यक्ति जल्दी भड़कने वाला और अस्थिर स्वभाव का हो जाता है। ऐसे जातक छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा कर बैठते हैं, और कई बार बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया दे देते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ऐसे मामलों में मंगल का शुभ प्रभाव बढ़ाने के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय आवश्यक होते हैं।
मंगल ग्रह और क्रोध के बीच का सीधा संबंध
मंगल ग्रह का संबंध शरीर में प्रवाहित ऊर्जा और रक्त से है। जब यह ग्रह संतुलित होता है, तो व्यक्ति की ऊर्जा रचनात्मक दिशा में प्रवाहित होती है। लेकिन जब यह ग्रह असंतुलित हो जाता है, तो यह ऊर्जा विनाशक रूप ले लेती है। यही कारण है कि कमजोर या अशुभ मंगल व्यक्ति के भीतर चिड़चिड़ापन, असंतोष और गुस्से का कारण बनता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से यह भी माना गया है कि यदि मंगल ग्रह का संबंध चंद्रमा या लग्नेश ग्रह से हो और वह पाप दृष्टि में आए, तो व्यक्ति की भावनाएं अस्थिर हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति भावनात्मक नियंत्रण खो देता है और क्रोध उसके निर्णयों पर हावी हो जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यह स्थिति न केवल व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती है, बल्कि उसके स्वास्थ्य और संबंधों पर भी गहरा असर डालती है।
अशुभ मंगल के लक्षण और पहचान
अशुभ मंगल वाले व्यक्ति में कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे –
वह व्यक्ति जल्दी उत्तेजित हो जाता है, छोटी-सी असहमति पर भी बहस कर बैठता है, धैर्य की कमी रहती है, और अक्सर उसे लगता है कि सब कुछ उसके नियंत्रण से बाहर है।
कभी-कभी ऐसे व्यक्ति अत्यधिक प्रतिस्पर्धी या आक्रामक स्वभाव के हो जाते हैं। वे दूसरों की बात को कम महत्व देते हैं और स्वयं को सही ठहराने की प्रवृत्ति रखते हैं।
अशुभ मंगल व्यक्ति के जीवन में दुर्घटनाओं, झगड़ों और शारीरिक चोटों की संभावना भी बढ़ा देता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों को अपनी कुंडली का सही विश्लेषण करवाना चाहिए ताकि यह समझा जा सके कि मंगल किस भाव में स्थित है और किन ग्रहों के प्रभाव में है।
मंगल ग्रह को शांत करने के प्रभावी ज्योतिषीय उपाय
मंगल ग्रह की शांति के लिए सबसे पहले उसके प्रभाव को समझना जरूरी है। यदि यह ग्रह कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रहा हो, तो कुछ उपाय अपनाकर इसे संतुलित किया जा सकता है।
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मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना करना मंगल दोष के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक माना जाता है।
- हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन में स्थिरता आती है और क्रोध पर नियंत्रण बनता है।
- मंगलवार को मसूर दाल, लाल वस्त्र या लाल फूल का दान करने से भी मंगल ग्रह का दोष कम होता है।
- लाल मूंगा रत्न धारण करना लाभकारी होता है, लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी जैसे इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
- मंगल बीज मंत्र – “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” – का जप करने से भी यह ग्रह शांत होता है और मन में संतुलन आता है।मंगल ग्रह और जीवन की दिशा
मंगल ग्रह केवल क्रोध का कारण नहीं है, बल्कि यह जीवन में निर्णय लेने की शक्ति भी प्रदान करता है। जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहता है, मेहनती बनता है और किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होता है। लेकिन जब यह ग्रह अशुभ होता है, तो वही ऊर्जा विनाशकारी बन जाती है। व्यक्ति गलत निर्णय लेता है, और उसका आत्मविश्वास टूटने लगता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल अशुभ है, तो उसे ध्यान, प्राणायाम और योग का अभ्यास करना चाहिए। इससे मन शांत रहता है और क्रोध पर नियंत्रण मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह व्यक्ति के स्वभाव, साहस और आत्मबल का प्रतीक है। जब यह ग्रह संतुलित रहता है, तो व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ता है, लेकिन जब यह ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो यह क्रोध, असंतोष और अस्थिरता का कारण बन जाता है। इसलिए, यदि किसी की कुंडली में मंगल ग्रह से संबंधित दोष या अशांति दिखाई दे, तो तुरंत किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस क्षेत्र में अपनी गहरी विद्या और अनुभव के माध्यम से यह बताते हैं कि सही समय पर किए गए उपाय व्यक्ति के जीवन को संतुलित कर सकते हैं। ज्योतिष के माध्यम से हम न केवल अपने ग्रहों को समझ सकते हैं बल्कि अपने स्वभाव और मानसिक स्थिति को भी नियंत्रित कर सकते हैं। इस प्रकार, मंगल ग्रह को संतुलित रखकर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, आत्मविश्वास और शांति प्राप्त कर सकता है।

