स्वस्तिक का वास्तु में महत्व:

स्वस्तिक का वास्तु में महत्व: 

स्वस्तिक का वास्तु में महत्व:

स्वस्तिक एक ऐसा प्राचीन, पवित्र और अत्यंत शक्तिशाली चिन्ह है जिसका उल्लेख वैदिक काल से लेकर आज के आधुनिक वास्तु विज्ञान तक समान रूप से प्रभावकारी माना गया है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक केवल एक आकृति नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का केंद्र है, जो घर, परिवार, जीवन और मन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। स्वस्तिक को शुभता, समृद्धि, सुरक्षा, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि स्वस्तिक किसी भी स्थान की ऊर्जा को पुनः संतुलित करने, ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और जीवन में निरंतर प्रगति के मार्ग खोलने में अद्भुत और तेज़ प्रभाव दिखाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार स्वस्तिक हर घर, हर व्यवसायिक स्थान और हर शुभ कार्य में अनिवार्य रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी ऊर्जा सीधे घर की दिशा, ग्रहों की चाल और वास्तु के सिद्धांतों से जुड़ी हुई होती है।

स्वस्तिक का वैदिक अर्थ और आध्यात्मिक महत्व

स्वस्तिक शब्द संस्कृत के “सु” और “अस्ति” से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है—शुभ, कल्याणकारी और मंगलकारी। यह शब्द स्वयं में सकारात्मक संकेत देता है और यही कारण है कि स्वस्तिक को सृष्टि के मंगल और शुभता का प्रतीक माना गया। प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि स्वस्तिक ब्रह्मा के चार मुख, चार वेद, चार युग और चार दिशाओं की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अर्थ है कि स्वस्तिक उस समग्र ऊर्जा का केंद्र है जो संसार की रचना और संचालन करती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब किसी स्थान पर स्वस्तिक अंकित किया जाता है, तब वह स्थान ऊर्जा के स्तर पर अत्यंत शक्तिशाली बन जाता है और नकारात्मक ऊर्जा वहां टिक नहीं पाती। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि स्वस्तिक का प्रत्येक भाग एक विशेष दिशा और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसका निर्माण हमेशा शुद्धता और विधि के अनुसार करना चाहिए। यह चिह्न घर के वातावरण को पवित्र बनाता है, मनुष्य के मन को शांत करता है और परिवार में सौहार्द को बढ़ाता है।

वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक का महत्व और भूमिका

वास्तु शास्त्र दिशा, ऊर्जा और स्थान के विज्ञान पर आधारित है। हर दिशा एक ग्रह और एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। यदि किसी घर में ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में नहीं होता, तो उस घर में अशांति, बीमारी, बाधाएँ और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। स्वस्तिक इन सभी नकारात्मक प्रभावों को संतुलित कर घर को ऊर्जा के स्तर पर स्थिर करता है। जब मुख्य द्वार पर स्वस्तिक होता है, तब घर में प्रवेश करने वाली सभी ऊर्जा पहले शुद्ध होती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाती। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मुख्य द्वार को घर की ऊर्जा का प्रवेशद्वार माना गया है, इसलिए स्वस्तिक को मुख्य द्वार के दाईं ओर लगाना या बनाना अत्यंत शुभ होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार घर के भीतर यदि बार-बार बीमारी, कलह, आर्थिक रुकावट, कोर्ट-कचहरी के मामले, नौकरी में स्थिरता की कमी या मानसिक तनाव जैसी स्थितियाँ बनती हों, तो स्वस्तिक का उपयोग तुरंत राहत देता है, क्योंकि इसकी ऊर्जा सीधे घर के वातावरण को प्रभावित करती है।

ग्रहों और स्वस्तिक का अद्भुत संबंध

वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की स्थिति सीधे व्यक्ति के जीवन की दिशा तय करती है। ग्रह जब प्रतिकूल स्थितियों में होते हैं या अशुभ भावों में बैठते हैं, तो जीवन में घटनाएँ प्रतिकूल होने लगती हैं। स्वस्तिक ग्रहों के इस नकारात्मक प्रभाव को कम करने और शुभ ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। सूर्य ग्रह का संबंध स्वस्तिक से अत्यधिक गहरा माना गया है। सूर्य आत्मविश्वास, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा और व्यक्तित्व का ग्रह है। जब कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, तब व्यक्ति आत्मबल खो देता है, निर्णय लेने में कठिनाई होती है और सम्मान में कमी आती है। ऐसे लोगों को लाल स्वस्तिक का प्रयोग विशेष रूप से लाभ देता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि शनि की प्रतिकूल स्थिति, राहु-केतु का प्रभाव, मंगल दोष या चंद्रमा की अशांति जैसे दोषों में स्वस्तिक एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि राहु और केतु मानसिक भ्रम पैदा करते हैं, जबकि स्वस्तिक का प्रयोग मन के विचारों को स्थिर करता है और ऊर्जा को संतुलित करता है।

ऊर्जा विज्ञान और स्वस्तिक की संरचना

ऊर्जा विज्ञान यह मानता है कि हर आकृति की अपनी एक विशिष्ट कंपन शक्ति होती है। स्वस्तिक का आकार ऊर्जा को चारों दिशाओं में समान रूप से वितरित करता है। यह एक ऐसा ऊर्जा चक्र बनाता है जो सकारात्मक तरंगों को बढ़ाता है और नकारात्मक तरंगों को रोकता है। जब किसी स्थान पर स्वस्तिक बनाया जाता है, तो उसकी तरंगें उस स्थान की दुर्बल या अशांत ऊर्जा को दूर कर वातावरण को संतुलित करती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि स्वस्तिक का केंद्र ऊर्जा का स्थिर बिंदु होता है, इसलिए वास्तु दोषों में यह तुरंत प्रभाव देता है। उदाहरण के लिए, घर के उत्तर दिशा में पानी का रिसाव, दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी सामान, उत्तर-पूर्व दिशा में अव्यवस्था या पूर्व दिशा में रुकावट जैसे वास्तु दोषों को स्वस्तिक संतुलित करता है और धीरे-धीरे घर की ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करना शुरू कर देता है।

स्वस्तिक का सही स्थान और उसके लाभ

स्वस्तिक का प्रभाव तभी पूर्ण रूप से मिलता है जब इसे सही स्थान पर बनाया जाए। मुख्य द्वार पर इसे दाईं ओर बनाना सबसे आवश्यक माना गया है। पूजा कक्ष में स्वस्तिक लगाने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत रहता है। तिजोरी, अलमारी, व्यापार स्थल और कैश काउंटर पर स्वस्तिक बनाने से धन की वृद्धि और स्थिरता बढ़ती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि व्यापार में लगातार घाटा, उधार न लौटना, धन की रुकावट और नकारात्मक प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याओं में स्वस्तिक अत्यंत लाभ देता है। रसोईघर में उत्तर-पूर्व दिशा में स्वस्तिक बनाने से परिवार का स्वास्थ्य संतुलित रहता है और रोगों से सुरक्षा मिलती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि स्वस्तिक का प्रयोग हमेशा शुभ मुहूर्त में, शुद्ध स्थान पर और उचित विधि से करना चाहिए, ताकि उसकी ऊर्जा संपूर्ण रूप से सक्रिय हो सके।

स्वस्तिक के रंगों का महत्व और ग्रहों पर प्रभाव

स्वस्तिक के रंग का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रत्येक रंग का संबंध एक विशेष ग्रह और उसकी ऊर्जा से होता है। लाल रंग सूर्य और मंगल की ऊर्जा को बढ़ाता है, इसलिए साहस, नेतृत्व, प्रगति और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए लाल स्वस्तिक अत्यंत प्रभावी होता है। पीला स्वस्तिक गुरु ग्रह की ऊर्जा को सक्रिय करता है, जो ज्ञान, धन, भाग्य और आदर का प्रतीक है। सफेद स्वस्तिक चंद्रमा की शीतल ऊर्जा को बढ़ाता है और मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन तथा परिवार में सामंजस्य लाता है। नारंगी या हरा स्वस्तिक बुध ग्रह को सक्रिय करता है और व्यापार, शिक्षा तथा बुद्धि से जुड़े कार्यों में सफलता प्रदान करता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यदि कुंडली में कोई ग्रह कमजोर हो, तो उसी ग्रह से संबंधित रंग का स्वस्तिक बनाना चाहिए। इससे ग्रह की कमजोरी दूर होती है और शुभ फल मिलने लगते हैं।

स्वस्तिक के प्रयोग से जीवन में होने वाले सकारात्मक बदलाव

स्वस्तिक के निरंतर प्रयोग से घर में कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। वातावरण हल्का और शांत महसूस होने लगता है। उन स्थानों पर जहां बार-बार विवाद, तनाव या मतभेद होते हों, वहां स्वस्तिक लगाने के कुछ दिनों बाद ही परिवर्तन दिखने लगता है। आर्थिक रूप से परेशान लोग जब तिजोरी पर स्वस्तिक बनाते हैं, तो धन का आगमन बढ़ता है और रुकावटें समाप्त होने लगती हैं। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में भी स्वस्तिक की ऊर्जा व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि स्वस्तिक का प्रभाव केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी सक्रिय होता है। यह व्यक्ति के भीतर सकारात्मक विचारों को बढ़ाता है और नकारात्मक भावनाओं को दूर करता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि स्वस्तिक के प्रभाव से घर के लोगों में आपसी प्रेम, सम्मान, सहयोग और समझ बढ़ती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

स्वस्तिक एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच

स्वस्तिक को प्राचीन काल से ही सुरक्षा कवच माना गया है। मंदिरों, यज्ञ स्थलों, महलों और पवित्र स्थानों पर इसका प्रयोग इसलिए किया जाता था कि नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न कर सके। आज भी स्वस्तिक उसी शक्ति से कार्य करता है। यह तंत्र-बाधा, नजर दोष, ग्रह दोष, वशीकरण या किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय कर देता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि स्वस्तिक का प्रयोग एक दिव्य सुरक्षा परत बनाता है जो व्यक्ति और परिवार दोनों को सुरक्षित रखता है। जब घर में किसी प्रकार का भय, असुरक्षा, मानसिक बेचैनी या अनिश्चितता बढ़ जाए, तब स्वस्तिक का प्रयोग तुरंत राहत देता है। 

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