क्या गजकेसरी योग हर किसी के लिए शुभ नहीं होता?
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| क्या गजकेसरी योग हर किसी के लिए शुभ नहीं होता? |
वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग एक ऐसा विशेष योग है जिसे अक्सर अत्यंत शुभ माना जाता है। गजकेसरी योग तब बनता है जब जन्म कुंडली में चंद्र और गुरु का विशेष संयोग बनता है। इसे धन, वैभव, सम्मान, बुद्धि और सामाजिक प्रतिष्ठा का योग माना जाता है। हालांकि, बहुत से लोग यह सवाल करते हैं कि क्या यह योग हर किसी के लिए समान रूप से शुभ होता है? क्या यह योग सभी व्यक्तियों के जीवन में सफलता, समृद्धि और लाभ सुनिश्चित करता है?
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गजकेसरी योग के प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली, भावों की स्थिति, ग्रहों की दृष्टि और दशा-अंतरदशा पर निर्भर करता है। केवल योग का नाम देखकर यह निष्कर्ष निकालना कि व्यक्ति का जीवन अत्यंत सफल होगा, सही नहीं है। कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण आवश्यक है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार गजकेसरी योग का प्रभाव व्यक्ति की मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और सामाजिक प्रतिष्ठा पर अलग-अलग तरीके से दिखाई देता है। कुछ व्यक्तियों के लिए यह योग अत्यंत शुभ होता है, जबकि कुछ के लिए इसकी पूर्ण शक्ति प्रकट नहीं होती। यह अंतर मुख्य रूप से कुंडली में गुरु और चंद्र की स्थिति, राहु और केतु का प्रभाव और अन्य ग्रहों के दृष्टि-संयोग से निर्धारित होता है।
गजकेसरी योग की उत्पत्ति और महत्व
गजकेसरी योग तब बनता है जब जन्म कुंडली में चंद्र ग्रह और गुरु ग्रह किसी भी भाव में संयोग बनाते हैं। यह योग व्यक्ति के जीवन में बुद्धि, वैभव, सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान लाने वाला माना जाता है। गजकेसरी योग को “गज” और “केसरी” शब्दों से नाम दिया गया है। यहां “गज” का अर्थ है शक्ति और “केसरी” का अर्थ है सिंह, यानी यह योग व्यक्ति में साहस, नेतृत्व क्षमता और बुद्धि का मिश्रण उत्पन्न करता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गजकेसरी योग व्यक्ति को प्रशासनिक क्षमता, विद्वत्ता और समाज में सम्मान दिलाने में सक्षम बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति जीवन में उतार-चढ़ाव के बावजूद स्थिरता और सफलता प्राप्त करता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गजकेसरी योग के प्रभाव में व्यक्ति में बुद्धि का तेज, निर्णय क्षमता की शक्ति और मानसिक संतुलन की विशेषता आती है। यह योग शिक्षा, करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा में सफलता लाने वाला माना जाता है।
क्या गजकेसरी योग हमेशा शुभ होता है?
अधिकांश लोग मानते हैं कि गजकेसरी योग जन्म के समय बनते ही व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की सफलता सुनिश्चित करता है। यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है।
गजकेसरी योग का शुभ प्रभाव निर्भर करता है:
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चंद्र और गुरु की स्थिति – यदि चंद्र ग्रह कमजोर है या अशुभ भाव में स्थित है तो योग का प्रभाव कमजोर हो सकता है।
- गुरु ग्रह की दशा – गुरु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, वैभव और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। अशुभ दशा में योग का पूर्ण लाभ नहीं मिलता।
- राहु और केतु का प्रभाव – यदि राहु या केतु चंद्र और गुरु के संयोग को प्रभावित करते हैं, तो योग का प्रभाव कभी-कभी उल्टा पड़ सकता है।
- सूर्य और अन्य ग्रहों की दृष्टि – किसी भी योग का प्रभाव अन्य ग्रहों की दृष्टि और स्थिति से बदल सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कुंडली के अन्य भावों और दशाओं का प्रभाव गजकेसरी योग की शक्ति को बढ़ा या घटा सकता है। इसलिए यह योग हर व्यक्ति के लिए समान रूप से लाभकारी नहीं होता।
गजकेसरी योग के विभिन्न प्रभाव
गजकेसरी योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई तरह से दिखाई देता है।
मानसिक शक्ति और बुद्धि
गजकेसरी योग वाले व्यक्ति में तेज बुद्धि और उच्च मानसिक शक्ति देखने को मिलती है। यह योग निर्णय लेने, समस्या सुलझाने और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
सामाजिक प्रतिष्ठा
यह योग व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है। गजकेसरी योग वाले लोग समाज में अपने कार्य और व्यवहार से लोकप्रिय होते हैं।
वैभव और धन
गजकेसरी योग व्यक्ति के जीवन में वित्तीय स्थिरता और धन लाभ लाने वाला माना जाता है। हालांकि, यह लाभ कुंडली में अन्य ग्रहों के प्रभाव और दशा-अंतरदशा पर निर्भर करता है।
करियर और शिक्षा
इस योग से व्यक्ति में शिक्षा में सफलता और करियर में उन्नति का योग बनता है। इसे प्रशासनिक क्षमता और नेतृत्व कौशल बढ़ाने वाला योग भी माना जाता है।
मानसिक संतुलन
गजकेसरी योग व्यक्ति में मानसिक संतुलन और धैर्य बनाए रखने की क्षमता देता है। इसका प्रभाव व्यक्ति को जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करने में मदद करता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गजकेसरी योग की शुभता व्यक्ति की मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन से भी संबंधित होती है।
कब गजकेसरी योग शुभ नहीं होता?
गजकेसरी योग हमेशा शुभ नहीं होता। इसके कुछ विशेष कारण हैं:
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गुरु ग्रह कमजोर या दोषयुक्त हो – यदि गुरु ग्रह किसी अशुभ भाव में है या शनि, राहु, केतु जैसी ग्रहों से प्रभावित है, तो योग का प्रभाव कमजोर हो सकता है।
चंद्र ग्रह अशुभ स्थिति में हो – कमजोर या दोषयुक्त चंद्र योग की शक्ति को प्रभावित करता है।
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दशा और अंतरदशा का प्रभाव – किसी समय योग का प्रभाव कमजोर या उल्टा पड़ सकता है।
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अन्य ग्रहों का अशुभ दृष्टि प्रभाव – सूर्य, मंगल, शनि या राहु की दृष्टि से गजकेसरी योग का शुभ प्रभाव कम हो सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गजकेसरी योग में अशुभ परिस्थितियों के बावजूद सही उपायों और मंत्र जाप से इसके लाभ को बढ़ाया जा सकता है।
उपाय और सिफारिशें
यदि गजकेसरी योग शुभ प्रभाव नहीं दे रहा है, तो कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
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गुरु मंत्र का नियमित जाप
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गुरुवार का व्रत और हवन
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चंद्र मंत्र का जाप और चंद्र को शांत करना
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पवित्र जल का दान और धार्मिक कार्यों में भाग लेना
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नवग्रह पूजा के माध्यम से दोष निवारण
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस बात पर जोर देते हैं कि योग का शुभ प्रभाव बढ़ाने के लिए व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
गजकेसरी योग जन्म कुंडली में एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है, जो बुद्धि, वैभव, सामाजिक प्रतिष्ठा और मानसिक शक्ति लाने वाला होता है। लेकिन यह हर किसी के लिए समान रूप से शुभ नहीं होता। इसकी प्रभावशीलता व्यक्ति की कुंडली में गुरु और चंद्र की स्थिति, अन्य ग्रहों की दृष्टि और दशा-अंतरदशा पर निर्भर करती है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस बात पर जोर देते हैं कि कुंडली का गहन अध्ययन और उचित उपाय करने से गजकेसरी योग के प्रभाव को अधिकतम किया जा सकता है। इस योग का सही अध्ययन व्यक्ति के जीवन में सफलता, समृद्धि और मानसिक संतुलन लाने में मदद करता है।

