कौन से ग्रह मानसिक तनाव और चिंता बढ़ाते हैं?
मानव जीवन में मानसिक शांति सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। जब मन शांत होता है, तो जीवन की सभी परिस्थितियों से सामना करना आसान हो जाता है। लेकिन जब मन अशांत, चिंतित या तनावग्रस्त होता है, तो सफलता, सुख और आत्मविश्वास सब कुछ धुंधला पड़ जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मानसिक तनाव और चिंता का सीधा संबंध हमारे ग्रहों की स्थिति से होता है। कुछ ग्रह मन की स्थिरता देते हैं, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो व्यक्ति के मानसिक संतुलन को प्रभावित करते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब कुछ ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं या किसी भाव पर गलत दृष्टि डालते हैं, तो व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। चलिए विस्तार से समझते हैं कि कौन से ग्रह मानसिक तनाव और चिंता के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं, और उनसे बचने के ज्योतिषीय उपाय क्या हैं।
मानसिक तनाव का ज्योतिषीय आधार
ज्योतिष शास्त्र में मन का प्रतिनिधित्व चंद्रमा करता है। चंद्रमा जितना स्थिर और शुभ स्थिति में होता है, व्यक्ति का मन उतना ही शांत, संतुलित और प्रसन्न रहता है। लेकिन जैसे ही चंद्रमा किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि में आता है या पाप ग्रहों (शनि, राहु, केतु, मंगल) से प्रभावित होता है, व्यक्ति को मानसिक तनाव, भय और चिंता की अनुभूति होने लगती है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि चंद्रमा कमजोर हो, नवमांश कुंडली में पीड़ित हो, या लग्न से द्वादश भाव में चला जाए, तो व्यक्ति के अंदर असुरक्षा, अकेलापन और चिंता की भावना बढ़ने लगती है। यह स्थिति व्यक्ति के व्यवहार, निर्णय शक्ति और आत्मविश्वास को भी कमजोर कर देती है।
चंद्रमा – मन का कारक ग्रह
चंद्रमा को मन और भावनाओं का शासक ग्रह कहा गया है। जब चंद्रमा शनि, राहु या केतु की दृष्टि में होता है या इनसे युति करता है, तो व्यक्ति के मानसिक जीवन में अस्थिरता आती है। इस स्थिति को "चंद्र-शनि योग" या "चंद्र-राहु योग" कहा जाता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इस योग से व्यक्ति को बार-बार बेचैनी, डर और नकारात्मक विचार घेर लेते हैं। उसे लगता है जैसे सबकुछ उसके नियंत्रण से बाहर जा रहा है। यदि चंद्रमा नीच राशि में हो (वृश्चिक), तो व्यक्ति का मानसिक संतुलन और भी कमजोर हो जाता है।
ऐसे लोगों को ध्यान, चंद्र उपासना और सोमवार के दिन उपवास रखने की सलाह दी जाती है। मोती (पर्ल) रत्न का धारण भी चंद्रमा को मजबूत करने में अत्यंत सहायक माना गया है।
शनि – मानसिक दबाव और अवसाद का ग्रह
शनि ग्रह कर्म, अनुशासन और न्याय का प्रतीक है, परंतु जब यह अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति को अवसाद, मानसिक बोझ और निराशा की ओर धकेल देता है। शनि की दशा या साढ़ेसाती के समय व्यक्ति जीवन में बार-बार रुकावटें, असफलता और हताशा अनुभव करता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब शनि चंद्रमा पर दृष्टि डालता है, तो व्यक्ति के अंदर नकारात्मकता और भय की भावना गहराने लगती है। यह स्थिति व्यक्ति को गहराई से प्रभावित करती है, और कभी-कभी वह स्वयं पर नियंत्रण खो देता है।
ऐसे समय में शनि देव की उपासना, शनिवार को तेल का दीपक जलाना और जरूरतमंदों को दान देना लाभदायक होता है। यह उपाय शनि की कठोरता को कम करता है और मन में स्थिरता लाता है।
राहु – भ्रम और मानसिक अस्थिरता का कारण
राहु ग्रह मनुष्य को भ्रम, मोह और मानसिक उलझनों में डाल देता है। राहु के प्रभाव में आने पर व्यक्ति को बार-बार असत्य भय, असमंजस और बेचैनी होती है। कई बार राहु व्यक्ति को अत्यधिक सोचने की आदत में डाल देता है जिससे मानसिक थकान बढ़ जाती है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब राहु चंद्रमा के साथ युति करता है (जिसे "चंद्र-राहु योग" कहा जाता है), तो व्यक्ति कल्पनाओं की दुनिया में खो जाता है। उसे वास्तविकता से जुड़ना कठिन लगने लगता है। इस योग वाले जातकों को बार-बार अनावश्यक चिंता और तनाव की शिकायत रहती है।
राहु को शांत करने के लिए शनिवार या बुधवार को राहु मंत्र का जाप, नारियल दान और तिल के तेल का दीपक जलाना लाभकारी होता है।
केतु – आत्मचिंतन से उत्पन्न मानसिक तनाव
केतु ग्रह मोक्ष, आत्मबोध और अध्यात्म से जुड़ा है, लेकिन जब यह अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को अंदरूनी बेचैनी, आत्म-संदेह और मानसिक थकावट देता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब केतु चंद्रमा पर प्रभाव डालता है, तो व्यक्ति बार-बार जीवन के उद्देश्य पर प्रश्न करता है, खुद में दोष खोजता है और एक प्रकार का मानसिक एकांत अनुभव करता है। ऐसे लोग कभी-कभी आत्ममंथन में इतने डूब जाते हैं कि सामान्य जीवन जीना कठिन हो जाता है।
केतु के प्रभाव को कम करने के लिए ध्यान, योग और भैरव पूजा अत्यंत प्रभावी मानी गई है। मंगलवार या शनिवार को कुत्तों को भोजन कराने से भी केतु की नकारात्मकता कम होती है।
मंगल – क्रोध और आवेग से उपजा तनाव
मंगल ग्रह ऊर्जा, आत्मबल और साहस का प्रतीक है। लेकिन जब यह पाप प्रभाव में आ जाता है या अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति के अंदर अत्यधिक क्रोध, आवेग और अधैर्य उत्पन्न होता है। यह मानसिक तनाव का कारण बनता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, अशुभ मंगल व्यक्ति को हर छोटी बात पर प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाता है। वह हर परिस्थिति में नियंत्रण खो बैठता है और अंततः मानसिक थकावट और तनाव का शिकार हो जाता है।
मंगल को शांत करने के लिए मंगलवार को हनुमान जी की उपासना, लाल चंदन का तिलक और लाल वस्त्र धारण करना लाभकारी होता है।
बुध – मानसिक उलझनों और भ्रम की स्थिति
बुध ग्रह बुद्धि और विचार का प्रतीक है। जब यह ग्रह पीड़ित होता है, तो व्यक्ति की निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप व्यक्ति बार-बार गलत निर्णय लेकर तनाव में आता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब बुध राहु या केतु के साथ युति करता है, तो व्यक्ति को मानसिक उलझनों और संदेह का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति व्यापार, शिक्षा और रिश्तों में भ्रम पैदा करती है।
बुध को मजबूत करने के लिए बुधवार को हरे वस्त्र पहनना, हरी मूंग का दान और गणेश जी की उपासना करना अत्यंत शुभ होता है।
मानसिक शांति के लिए ज्योतिषीय उपाय
मानसिक तनाव केवल बाहरी परिस्थितियों का परिणाम नहीं होता, बल्कि यह ग्रहों की असंतुलित स्थिति का भी प्रभाव होता है। इसीलिए ज्योतिष में ग्रहों को संतुलित करने के उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से मन स्थिर और शांत रहता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार:
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सोमवार के दिन चंद्रमा को दूध चढ़ाना और रात्रि में ध्यान करना लाभकारी होता है।
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शनिवार को तेल दान और शनि स्तोत्र का पाठ मानसिक स्थिरता देता है।
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राहु-केतु पीड़ित लोगों को ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
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चांदी की चेन धारण करना या सफेद वस्त्र पहनना मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
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सूर्य नमस्कार और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।
मानसिक तनाव और चिंता आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है, और इसके पीछे ग्रहों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। जब मन के कारक ग्रह चंद्रमा पर पाप ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर हो जाता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि कुंडली के अनुसार उचित ग्रहों को संतुलित कर लिया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मकता प्राप्त कर सकता है।
ज्योतिष केवल भविष्यवाणी का विज्ञान नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित करने की कला है। इसलिए यदि आप मानसिक रूप से थके हुए महसूस करते हैं या जीवन में बार-बार चिंता का अनुभव कर रहे हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य कराएं। सही ग्रहों को शांत करने के उपाय आपके जीवन में नई ऊर्जा, स्थिरता और मानसिक शांति लेकर आएंगे।

