कौन सा ग्रह कौन सा चक्र सक्रिय करता है?
ज्योतिष और ऊर्जा विज्ञान के अनुसार मानव जीवन में ऊर्जा का प्रवाह और उसकी दिशा हमारे जीवन की गुणवत्ता, मानसिक संतुलन, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति को प्रभावित करती है। यह ऊर्जा मुख्य रूप से ग्रहों और चक्रों के माध्यम से संचालित होती है। ग्रह हमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा भेजते हैं, जबकि हमारे शरीर के सात प्रमुख चक्र उस ऊर्जा को ग्रहण और रूपांतरित करते हैं। ग्रहों और चक्रों के बीच संबंध को समझना व्यक्ति के जीवन में मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन लाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब ग्रह अनुकूल स्थिति में होते हैं और चक्र खुले रहते हैं, तब व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा में सफलता, शांति और स्वास्थ्य का अनुभव करता है, जबकि अशुभ ग्रह और बंद चक्र तनाव, असंतुलन और समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
मूलाधार चक्र और मंगल ग्रह
मूलाधार चक्र, जिसे रूट चक्र भी कहा जाता है, मानव शरीर का आधार है। यह चक्र स्थिरता, सुरक्षा, अस्तित्व और जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ा होता है। मंगल ग्रह इस चक्र को सक्रिय करता है। जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तब मूलाधार चक्र सक्रिय रहता है, जिससे व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और जीवन में दृढ़ता आती है। अशुभ मंगल मूलाधार चक्र में अवरोध पैदा करता है, जिससे असुरक्षा, भय और मानसिक दबाव उत्पन्न हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मूलाधार चक्र और मंगल ग्रह की सक्रियता व्यक्ति के कर्मों और निर्णयों पर भी गहरा प्रभाव डालती है। सही उपाय और ध्यान से मंगल द्वारा नियंत्रित मूलाधार चक्र को संतुलित किया जा सकता है।
स्वाधिष्ठान चक्र और शुक्र ग्रह
स्वाधिष्ठान चक्र जल तत्व का चक्र है और यह भावनाओं, रचनात्मकता, आनंद, कामुकता और रिश्तों के लिए जिम्मेदार है। शुक्र ग्रह इस चक्र को सक्रिय करता है। जब शुक्र शुभ होता है, स्वाधिष्ठान चक्र खुला रहता है और व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित, रचनात्मक और आनंदमय महसूस करता है। अशुभ शुक्र स्वाधिष्ठान चक्र में बाधा पैदा करता है, जिससे मानसिक अस्थिरता, रिश्तों में तनाव और आनंद की कमी हो सकती है। शुक्र और स्वाधिष्ठान चक्र की सामंजस्यपूर्ण स्थिति प्रेम, आकर्षण और रचनात्मक कार्यों को बल देती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, शुक्र से जुड़े उपाय जैसे रत्न, पूजा और ध्यान इस चक्र को पुनः सक्रिय करने में सहायक होते हैं।
मणिपुर चक्र और सूर्य ग्रह
मणिपुर चक्र, जिसे सौर चक्र भी कहा जाता है, अग्नि तत्व का केंद्र है। यह आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, आत्मसम्मान, नेतृत्व क्षमता और ऊर्जा का प्रतिनिधि है। सूर्य ग्रह इस चक्र को सक्रिय करता है। जब सूर्य शुभ स्थिति में होता है, तब मणिपुर चक्र खुला रहता है, जिससे व्यक्ति में साहस, निर्णय क्षमता और आंतरिक शक्ति विकसित होती है। अशुभ सूर्य मणिपुर चक्र में अवरोध उत्पन्न करता है, जिससे थकान, संकोच और आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि मणिपुर चक्र और सूर्य की सामंजस्यपूर्ण स्थिति जीवन में सफलता और स्थिरता का संकेत देती है। सूर्य मंत्र और ध्यान से मणिपुर चक्र को सक्रिय करना संभव है।
अनाहत चक्र और चंद्रमा ग्रह
अनाहत चक्र हृदय का चक्र है और यह प्रेम, करुणा, क्षमा, सहानुभूति और भावनात्मक संतुलन का केंद्र है। चंद्रमा इस चक्र को सक्रिय करता है। जब चंद्रमा शुभ स्थिति में होता है, अनाहत चक्र खुला रहता है और व्यक्ति रिश्तों में प्रेम, दया और संतुलन का अनुभव करता है। अशुभ चंद्रमा हृदय चक्र में अवरोध उत्पन्न करता है, जिससे भावनात्मक अस्थिरता, मानसिक तनाव और रिश्तों में दूरी बढ़ती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि अनाहत चक्र की स्थिति जीवन की भावनात्मक गुणवत्ता को नियंत्रित करती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ध्यान और चंद्र मंत्र से अनाहत चक्र को सक्रिय किया जा सकता है।
विशुद्ध चक्र और बुध ग्रह
विशुद्ध चक्र, जिसे कंठ चक्र कहा जाता है, संचार, अभिव्यक्ति और ज्ञान के केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह चक्र बुध ग्रह द्वारा सक्रिय होता है। शुभ बुध के समय विशुद्ध चक्र खुला रहता है और व्यक्ति तार्किक, बुद्धिमान और स्पष्ट विचारों वाला होता है। अशुभ बुध इस चक्र में अवरोध पैदा करता है, जिससे संचार में बाधा, गलतफहमियां और संकोच की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि विशुद्ध चक्र का सक्रिय होना व्यक्ति के व्यवसाय, शिक्षा और सामाजिक जीवन को सकारात्मक बनाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, बुध मंत्र और ध्यान से इस चक्र को पुनः सक्रिय किया जा सकता है।
आज्ञा चक्र और गुरु ग्रह
आज्ञा चक्र भौंहों के बीच स्थित है और यह अंतर्ज्ञान, विवेक, ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार का केंद्र है। गुरु ग्रह इस चक्र को सक्रिय करता है। जब गुरु शुभ होता है, तब आज्ञा चक्र खुला रहता है और व्यक्ति निर्णय क्षमता, स्पष्ट दृष्टि और आध्यात्मिक जागरूकता से संपन्न होता है। अशुभ गुरु आज्ञा चक्र में अवरोध उत्पन्न करता है, जिससे भ्रम, निर्णय में कठिनाई और मानसिक अस्पष्टता बढ़ जाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि आज्ञा चक्र की स्थिति व्यक्ति के ज्ञान, शिक्षा और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गुरु मंत्र, ध्यान और सही शिक्षा से आज्ञा चक्र को सक्रिय किया जा सकता है।
सहस्रार चक्र और शनि, केतु ग्रह
सहस्रार चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित है और यह आध्यात्मिक जागृति, चेतना और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। शनि और केतु इस चक्र के मुख्य सक्रियक हैं। शुभ शनि और केतु सहस्रार चक्र को सक्रिय करते हैं, जिससे व्यक्ति में अनुशासन, संयम, वैराग्य और आध्यात्मिक शक्ति विकसित होती है। अशुभ शनि और केतु इस चक्र में अवरोध उत्पन्न करते हैं, जिससे मानसिक अस्थिरता, भ्रम और आध्यात्मिक असंतुलन पैदा होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि सहस्रार चक्र और शनि-केतु ग्रह की स्थिति व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की संभावना को प्रभावित करती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ध्यान, मौन साधना और गुरु मार्गदर्शन से इस चक्र को सक्रिय किया जा सकता है।
ग्रहों और चक्रों के संतुलन के उपाय
ग्रहों और चक्रों के बीच संतुलन जीवन में शांति, सफलता और स्वास्थ्य का आधार है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ग्रहों का दोष सीधे चक्रों को प्रभावित करता है, इसलिए दोनों को संतुलित करना आवश्यक है। उपायों में ध्यान, योग, मंत्र जाप, रत्न, ग्रह शांति, दान, रंग चिकित्सा और सात चक्र ध्यान शामिल हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि जब ग्रह और चक्र संतुलित रहते हैं, तब व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर, भावनात्मक रूप से संतुलित और आध्यात्मिक रूप से उन्नत रहता है।

