ग्रहों की दशा में अचानक दुर्घटनाएँ क्यों होती हैं
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| ग्रहों की दशा में अचानक दुर्घटनाएँ क्यों होती हैं |
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की दशा, अंतर्दशा और गोचर का जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह अच्छा फल दे रहा होता है तो जीवन में सफलता, सम्मान, स्वास्थ्य और सुरक्षा बनी रहती है। वहीं जब ग्रहों की दशा प्रतिकूल हो जाती है तो व्यक्ति के जीवन में अचानक दुर्घटनाएँ, आर्थिक हानि, स्वास्थ्य संकट, पारिवारिक परेशानी और मानसिक तनाव जैसे गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। विशेष रूप से ऐसे मामलों में दुर्घटनाओं का संबंध शनि, मंगल, राहु और केतु जैसे ग्रहों से अधिक माना जाता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार किसी दुर्घटना का होना एक संयोग भर नहीं है, बल्कि यह ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति का मजबूत प्रभाव होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि समय रहते ज्योतिषीय चेतावनियों को समझ लिया जाए तो दुर्घटनाओं से बचाव और सुरक्षा संभव है। इस ब्लॉग में हम ज्योतिषीय दृष्टि से समझेंगे कि ग्रहों की दशा में अचानक दुर्घटनाएँ क्यों होती हैं और उनके निवारण क्या हैं।
ग्रहों की दशा क्या होती है और इसका प्रभाव कैसे दिखता है
कुंडली में ग्रहों का प्रभाव केवल उनके स्थान पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उनके कालखंड अर्थात दशा और अंतर्दशा पर भी निर्भर करता है। ग्रहों की दशाएं जीवन में घटनाओं का समय निर्धारित करती हैं। उदाहरण के लिए यदि मंगल की महादशा और राहु की अंतर्दशा लगे तो व्यक्ति जल्दबाजी में गलत निर्णय, चोट, आग, वाहन दुर्घटना या झगड़े में फंस सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जब ग्रह पीड़ित अवस्था में होते हैं या पाप ग्रहों की दृष्टि में आ जाते हैं, तब दुर्घटनाएँ होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ग्रहों के प्रभावों को समझकर सतर्क रहना आवश्यक है।
किन ग्रहों से अधिकांश दुर्घटनाओं का संकेत मिलता है
मंगल का प्रभाव
मंगल ऊर्जा, साहस, वाहन, हथियार, अग्नि और रक्त का कारक ग्रह माना जाता है।
यदि मंगल
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अष्टम भाव में हो
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नीच का हो
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राहु, केतु या शनि से पीड़ित हो
तो व्यक्ति को अग्नि, हादसा, झगड़ा या वाहन दुर्घटना का भय अधिक रहता है।
राहु का प्रभाव
राहु अचानक होने वाली घटनाओं का कारक है।
राहु वाहन से गिरना, ऊँचाई से चोट लगना, गैस या विषाक्त पदार्थों से दुर्घटना का कारण बनता है।
शनि का प्रभाव
शनि चोट, हड्डियों में चोट और सड़क दुर्घटनाओं का कारक ग्रह है।
यदि शनि छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठकर खराब दृष्टि डाल रहा हो तो चोट की संभावना बढ़ जाती है।
केतु का प्रभाव
केतु अनियंत्रित दुर्घटनाएँ और आकस्मिक आघात देता है।
केतु की दशा में व्यक्ति अचानक डर, भ्रम और दुर्घटना का शिकार हो सकता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि मंगल, राहु, शनि और केतु एक दूसरें के साथ युति या दृष्टि में हों तो जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।
कुण्डली के विशेष भाव जिनसे दुर्घटनाओं का संबंध होता है
अष्टम भाव
अचानक घटनाएँ, चोट, मृत्यु और शोध कार्य।
अष्टम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति अत्यंत दुर्घटनाजनक होती है।
तृतीय भाव
यात्रा, हिम्मत और जोखिम।
तृतीय भाव खराब होने पर गलत निर्णय व जोखिम अधिक होते हैं।
छठा भाव
बीमारी, चोट, शत्रु और अदालत।
यहां ग्रह खराब होने पर दुर्घटना के बाद कानूनी परेशानियाँ भी हो सकती हैं।
बारहवाँ भाव
अस्पताल, खर्च, विदेशी स्थल।
बारहवें भाव में पीड़ित ग्रह अस्पताल का चक्कर बढ़ाते हैं।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब इन भावों के स्वामी ग्रहों की दशा या गोचर प्रतिकूल हो जाए, तब विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
दुर्घटनाओं के ज्योतिषीय कारण
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मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा
शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या
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मंगल मेष, वृश्चिक या मकर में पाप प्रभाव से पीड़ित हो
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गोचर में मंगल, राहु, शनि अष्टम भाव में आएं
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ग्रहों के बीच युद्ध (Grah Yuddha)
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दोषित नक्षत्र जैसे अश्विनी, मृगशिरा या पूर्वा फाल्गुनी में खराब ग्रह
कुंडली में कालसर्प दोष
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मंगल-शनि की युति या दृष्टि का प्रभाव
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ये स्थितियां जब एक साथ आ जाती हैं तो दुर्घटना का खतरा अधिक शत-प्रतिशत बन जाता है।
गोचर के समय सावधानी क्यों जरूरी
कभी-कभी व्यक्ति की जन्म कुंडली में खतरे वाले योग कम होते हैं, लेकिन गोचर ग्रह उनकी कमजोरी बढ़ा देते हैं। जैसे
यदि गोचर में मंगल आठवें भाव में और राहु चौथे भाव में हो तो यात्रा के दौरान दुर्घटना संभावित है।
इसलिए केवल जन्म कुंडली ही नहीं बल्कि वर्तमान ग्रहों की स्थिति भी देखना जरूरी है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ग्रहों के गोचर पर उचित परामर्श और सतर्कता जीवन की रक्षा कर सकती है।
ग्रहों के संकेत जिन्हें हल्के में न लें
जब ग्रह दुर्घटना का संकेत भेजते हैं तो व्यक्ति के जीवन में कुछ विशेष चेतावनी संकेत दिखने लगते हैं जैसे
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बार-बार वाहन खराब होना
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शीशा टूटना
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अचानक गिर जाना
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काले रंग की वस्तुओं से अनचाहा नुकसान
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खून निकलना या चोट लगना
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बार-बार दुर्घटना का सपना
यदि यह लगातार हो रहा हो तो कुंडली अवश्य दिखानी चाहिए।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यह ग्रहों का संदेश होता है कि सावधान हो जाओ।
दुर्घटना से बचाव के ज्योतिषीय उपाय
मंगल दोष में
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हनुमान चालीसा पाठ
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मंगलवार को रक्त दान या लाल वस्त्र दान
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तांबे का कड़ा धारण
शनि की खराब दशा में
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काली वस्तु दान, तिल का तेल दान
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पीपल वृक्ष की पूजा
शनि मंत्र का जाप
राहु-केतु दोष में
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नाग देवता की पूजा
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शनिवार या मंगलवार को नारियल बहाना
राहु के मंत्र का जप
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि इन उपायों के साथ अपनी दिनचर्या को अनुशासित रखना भी अत्यंत आवश्यक है।
ज्योतिषीय सावधानियाँ जिन्हें अमल में लाना चाहिए
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अशुभ गोचर में अनावश्यक यात्रा से बचें
शाम के समय वाहन चलाने में सतर्कता रखें
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निर्माण स्थल, ऊँचाई या मशीनों से दूरी बनाए रखें
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गुस्से और जल्दबाजी पर नियंत्रण रखें
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वाहन चलाते समय पूर्ण ध्यान रखें
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शराब पीकर वाहन बिलकुल न चलाएं
जब ग्रह प्रतिकूल हों तभी सतर्कता जीवनरक्षक बन जाती है।
ज्योतिष यह बताता है कि ग्रहों की दशा में अचानक दुर्घटनाएँ यूं ही नहीं होतीं। ग्रह जब पीड़ित होते हैं तो व्यक्ति का मन, बुद्धि और परिस्थितियाँ विपरीत दिशा में काम करने लगती हैं। इस कारण दुर्घटनाएँ, हानि और संकट उत्पन्न होते हैं। लेकिन समय रहते उचित परामर्श, सावधानी और ज्योतिषीय उपाय अपनाकर इन जोखिमों को काफी हद तक टाला जा सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में दुर्घटना योग दिखाई दे रहे हों तो हर वर्ष ग्रह दशा और गोचर का विश्लेषण अवश्य कराना चाहिए। इससे जीवन सुरक्षित, सफल और सुखमय बना रहता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से परामर्श लेकर आप अपनी कुंडली की विस्तृत जांच करवा सकते हैं और उचित उपायों के माध्यम से दुर्घटना की संभावनाओं को समाप्त कर सकते हैं।

