क्या मंगल और राहु की युति दुर्घटनाओं का कारण बनती है?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की युति का बहुत गहरा महत्व माना गया है। जब दो या दो से अधिक ग्रह एक ही भाव या राशि में आते हैं, तो वे एक-दूसरे की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। इन युतियों में कुछ संयोजन शुभ परिणाम देते हैं, जबकि कुछ अशुभ फल उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसी ही एक रहस्यमयी और प्रभावशाली युति है — मंगल और राहु की युति, जिसे ज्योतिष में “अंगारक योग” कहा जाता है। इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में तीव्र ऊर्जा, आक्रोश, संघर्ष, और कभी-कभी दुर्घटनाओं या अचानक घटनाओं के रूप में देखा जाता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जब मंगल (जोश, साहस, ऊर्जा, रक्त और आग का प्रतीक) और राहु (भ्रम, असंतुलन, आकस्मिक घटनाएं और छल का कारक) एक साथ आते हैं, तो यह स्थिति व्यक्ति की कुंडली में अत्यंत शक्तिशाली लेकिन अस्थिर ऊर्जा का निर्माण करती है। इस योग का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस भाव में स्थित है, कौन से राशिचक्र में है और किन ग्रहों की दृष्टि उस पर पड़ रही है।
मंगल और राहु की युति का ज्योतिषीय अर्थ
मंगल ग्रह कर्म, उत्साह, पराक्रम और शारीरिक ऊर्जा का द्योतक है। यह व्यक्ति को नेतृत्व, साहस और संघर्ष की भावना देता है। वहीं राहु एक छाया ग्रह है जो भ्रम, आकस्मिकता, असंतुलन और अप्रत्याशित घटनाओं से जुड़ा हुआ है। जब ये दोनों ग्रह मिलते हैं, तो उनकी संयुक्त ऊर्जा व्यक्ति को अत्यधिक क्रियाशील बना सकती है, परंतु साथ ही वह गलत दिशा में भी जा सकता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह युति व्यक्ति के भीतर अनियंत्रित ऊर्जा पैदा करती है। यदि कुंडली में बुध या गुरु का प्रभाव न हो, तो व्यक्ति अपने निर्णयों में जल्दबाजी और आवेग दिखाता है। यही आवेग कई बार दुर्घटनाओं या चोटों का कारण बनता है।
अंगारक योग का प्रभाव भावों के अनुसार
प्रथम भाव में मंगल-राहु युति:
जब यह युति लग्न भाव में होती है, तो व्यक्ति अत्यंत ऊर्जावान और आत्मकेंद्रित हो जाता है। वह जोखिम लेने में संकोच नहीं करता, परंतु कई बार यही जोखिम दुर्घटनाओं या झगड़ों का कारण बनता है। ऐसे जातक वाहन चलाते समय या किसी भी साहसिक कार्य के दौरान सावधानी रखें।
चतुर्थ भाव में युति:
यह स्थिति वाहन, संपत्ति और घर से संबंधित परेशानी ला सकती है। व्यक्ति का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है या घर में विवाद बढ़ सकते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, इस स्थिति में व्यक्ति को वाहन संबंधित कार्यों में विशेष सतर्क रहना चाहिए।
षष्ठ भाव में युति:
इस भाव में यह संयोजन व्यक्ति को प्रतिद्वंद्वियों से संघर्ष में डालता है। यह स्थिति दुर्घटनाओं की बजाय शारीरिक चोट या सर्जरी जैसी घटनाओं का संकेत देती है। राहु यहाँ मंगल की ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अधिक आक्रामक हो सकता है।
अष्टम भाव में युति:
यह स्थिति ज्योतिष में अत्यंत अशुभ मानी गई है। अष्टम भाव स्वयं दुर्घटना, मृत्यु, गुप्त रहस्य और अप्रत्याशित घटनाओं का भाव है। जब मंगल और राहु यहाँ मिलते हैं, तो अचानक दुर्घटनाएँ, जलना, गिरना या आग से हानि की संभावना बढ़ जाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि इस स्थिति में व्यक्ति को विशेष रूप से अग्नि, बिजली और ऊँचाई से जुड़ी गतिविधियों से सावधान रहना चाहिए।
दशम भाव में युति:
यह स्थिति व्यक्ति को अत्यधिक महत्वाकांक्षी बनाती है। यदि अन्य ग्रह सहयोगी न हों, तो यह अति-प्रतिस्पर्धा और तनाव के कारण दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। कभी-कभी कार्यस्थल पर चोट या मशीन से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
मंगल-राहु युति से संबंधित ज्योतिषीय संकेत
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आक्रामक स्वभाव: यह युति व्यक्ति को गुस्सैल और असहनशील बना देती है।
जल्दबाजी में निर्णय: राहु भ्रम फैलाता है, जिससे व्यक्ति गलत समय पर गलत कदम उठा लेता है।
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शारीरिक चोट: दुर्घटनाओं या रक्त से जुड़ी समस्याओं की संभावना।
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धातु और अग्नि से हानि: विशेष रूप से लोहे, मशीन या आग से सावधान रहना चाहिए।
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नींद और मानसिक अस्थिरता: राहु व्यक्ति के मन को अस्थिर बनाता है, जिससे नींद में कमी और तनाव बढ़ता है।
क्या यह युति हमेशा अशुभ होती है?
नहीं, भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह आवश्यक नहीं कि मंगल और राहु की युति हर कुंडली में अशुभ ही फल दे। यदि यह युति शुभ भावों में हो, शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो या गुरु का प्रभाव साथ में हो, तो यह व्यक्ति को असाधारण सफलता भी दिला सकती है। कई सैनिक, पुलिस अधिकारी, सर्जन और खिलाड़ी जिनकी कुंडली में यह युति होती है, वे अपने क्षेत्र में अद्भुत पराक्रम दिखाते हैं।
मुख्य अंतर इस बात में है कि व्यक्ति अपनी ऊर्जा को किस दिशा में उपयोग करता है। यदि यह ऊर्जा नियंत्रण में है, तो यह सफलता की कुंजी बनती है, लेकिन यदि नियंत्रण से बाहर है, तो यह विनाश का कारण भी बन सकती है।
मंगल-राहु युति से बचाव के उपाय
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हनुमान जी की उपासना करें: मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और लाल चंदन से पूजा करें।
मंगलवार को दान करें: लाल वस्त्र, गुड़, मसूर दाल या तांबे का दान शुभ फल देता है।
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राहु के लिए मंत्र जाप करें: “ॐ रां राहवे नमः” का 108 बार जाप प्रतिदिन करें।
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लाल और काले रंग का संतुलन: अपने वस्त्रों और जीवनशैली में इन दोनों रंगों का संतुलन बनाए रखें।
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शांतिपूर्वक निर्णय लें: किसी भी बड़े कदम से पहले विचार करें और सलाह अवश्य लें।
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रक्तदान और सेवा: मंगल से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए रक्तदान करना शुभ माना गया है।
आधुनिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक विचार
ज्योतिष केवल ग्रहों के प्रभाव की बात नहीं करता, बल्कि यह व्यक्ति की प्रवृत्ति और निर्णय क्षमता को भी दर्शाता है। मंगल और राहु की युति वाले लोग ऊर्जा से भरपूर होते हैं, परंतु उनकी चुनौती यह होती है कि वे अपनी इस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में कैसे लगाएँ। यदि वे अपने गुस्से और आवेग पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो यह युति उन्हें नेता, योद्धा या समाजसेवी बना सकती है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि हर ग्रह की स्थिति व्यक्ति को एक “पाठ” सिखाने के लिए होती है। मंगल-राहु की युति हमें यह सिखाती है कि ऊर्जा, शक्ति और महत्वाकांक्षा तभी लाभकारी हैं जब वे संयम और विवेक से जुड़ी हों।
मंगल और राहु की युति निश्चय ही एक तीव्र और शक्तिशाली योग है। यह दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है, परंतु यह हमेशा दुर्भाग्य का संकेत नहीं होती। यह युति जीवन में जोश, ऊर्जा और लक्ष्य प्रदान करती है। यदि व्यक्ति अपने कर्मों में संयम रखे, गुरु का आशीर्वाद ले और सही दिशा में प्रयत्न करे, तो वही योग सफलता का मार्ग बन जाता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र हमें भय नहीं, बल्कि चेतावनी देता है ताकि हम अपने जीवन को सुधार सकें। इसलिए यदि आपकी कुंडली में मंगल और राहु का योग हो, तो डरने की आवश्यकता नहीं, बल्कि उसे समझदारी से नियंत्रित करने की जरूरत है।

