जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

जीवन में शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में शांति, सफलता और सम्मान बना रहे, लेकिन कभी-कभी बिना कारण ही विरोधी, ईर्ष्यालु लोग या गुप्त शत्रु हमारे मार्ग में बाधा बन जाते हैं। ऐसा लगता है कि किसी अदृश्य शक्ति के कारण कार्य सफल नहीं हो पा रहे, बार-बार रुकावटें आ रही हैं, या दूसरों से अनावश्यक शत्रुता हो रही है।
ज्योतिष शास्त्र इस स्थिति को “शत्रु दोष” कहता है।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी के अनुसार —

“जब व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या शत्रु भाव (षष्ठ भाव) प्रभावित होता है, तब जीवन में विरोधियों की वृद्धि होती है और बार-बार संघर्ष का सामना करना पड़ता है।”

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि शत्रु दोष क्या है, इसके ज्योतिषीय कारण क्या हैं, और इससे मुक्ति पाने के सशक्त उपाय कौन-से हैं।

शत्रु दोष क्या होता है?

ज्योतिष के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में षष्ठ भाव (छठा घर) शत्रु, रोग और ऋण का सूचक होता है।
जब इस भाव में पाप ग्रहों (मंगल, राहु, केतु, शनि) का अशुभ प्रभाव पड़ता है या यह भाव कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन में शत्रु बढ़ते हैं, बिना कारण विवाद होता है और दूसरों की ईर्ष्या से कार्य बाधित होते हैं।

कभी-कभी शुभ ग्रह भी अशुभ स्थिति में आने पर शत्रु दोष का निर्माण करते हैं।
यह दोष केवल बाहरी विरोधियों से नहीं, बल्कि मन के शत्रुओं — जैसे अहंकार, भय, क्रोध, ईर्ष्या और असुरक्षा से भी संबंधित होता है।

कुंडली में शत्रु दोष के ज्योतिषीय संकेत

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी बताते हैं कि कुंडली में कुछ ग्रह स्थिति विशेष रूप से शत्रु दोष का संकेत देती है —

  • षष्ठ भाव में राहु या केतु — व्यक्ति को छिपे हुए शत्रु और षड्यंत्रों से पीड़ा होती है।

  • षष्ठ भाव में मंगल या शनि — जीवन में संघर्ष, झगड़े और कानूनी विवाद बढ़ते हैं।

  • षष्ठ भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि — अनावश्यक शत्रु बनते हैं, लोग पीछे से विरोध करते हैं।

  • दशा या अंतरदशा में शत्रु भाव के ग्रह सक्रिय हों — यह समय विरोधियों के कारण हानि दे सकता है।

  • चंद्रमा और राहु का संबंध — मानसिक तनाव और भय का संकेत।

यदि कुंडली में इन ग्रह योगों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति को बार-बार अनचाही शत्रुता और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

शत्रु दोष के कारण होने वाली परेशानियाँ

  • मित्र या सहकर्मी शत्रु बन जाते हैं।

  • बिना कारण झगड़े या कानूनी विवाद होते हैं।

  • कार्य में अड़चनें या विलंब होता है।

  • सफलता के समय कोई न कोई रुकावट आ जाती है।

  • मन में भय, असुरक्षा या बेचैनी बनी रहती है।

  • कभी-कभी नकारात्मक ऊर्जा या नजर दोष का भी प्रभाव होता है।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी कहते हैं कि शत्रु दोष केवल बाहरी विरोधियों से नहीं, बल्कि ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से उत्पन्न मानसिक असंतुलन का परिणाम भी होता है।

शत्रु दोष से मुक्ति के ज्योतिष उपाय

यदि आपकी कुंडली में शत्रु दोष के योग हैं, तो निम्न उपायों द्वारा इससे मुक्ति पाई जा सकती है।
ये उपाय ज्योतिष शास्त्र पर आधारित और पूर्णतः शुभ परिणाम देने वाले हैं —

हनुमान जी की उपासना

हनुमान जी को बल, साहस और शत्रु विनाश का देवता माना गया है।
प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार या शनिवार को “शत्रुनाशक हनुमान कवच” का पाठ विशेष रूप से लाभकारी है।

मंत्र:

ॐ हं हनुमते नमः
यह मंत्र शत्रु भय को दूर करता है और आत्मबल को बढ़ाता है।

दुर्गा सप्तशती या देवी उपासना

यदि शत्रु मानसिक या आध्यात्मिक स्तर पर हानि पहुंचा रहे हों, तो माता दुर्गा की उपासना अत्यंत प्रभावी होती है।
नवरात्रि या शुक्रवार के दिन “दुर्गा सप्तशती” का पाठ करें।
यह नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती है।

ग्रह शांति पूजा

यदि शत्रु दोष का कारण राहु, केतु या शनि हैं, तो इन ग्रहों की शांति के लिए विशेष उपाय करें —

  • शनिवार को तिल का तेल और काली उड़द का दान करें।

  • राहु-केतु शांति यंत्र की स्थापना करें।

  • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” और “ॐ रां राहवे नमः” मंत्रों का जाप करें।

विष्णु सहस्रनाम और गायत्री मंत्र

जो व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री मंत्र या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है, उसके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा स्वतः नष्ट हो जाती है।
यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में अत्यंत सहायक होता है।

रत्न उपाय (Gemstone Remedies)

शत्रु दोष से मुक्ति के लिए कुंडली अनुसार उचित रत्न धारण करना भी अत्यंत प्रभावी होता है।

  • नीलम (Blue Sapphire) – यदि शनि शुभ हो।

  • मूंगा (Red Coral) – यदि मंगल शुभ हो।

  • गोमेद (Hessonite) – यदि राहु शुभ स्थिति में हो।
    इन रत्नों का धारण केवल किसी अनुभवी ज्योतिषी जैसे एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह पर ही करें।

यंत्र स्थापना

शत्रु दोष से सुरक्षा के लिए निम्न यंत्र प्रभावी माने गए हैं —

  • शत्रुनाशक यंत्र

  • हनुमान यंत्र

  • कालभैरव यंत्र
    इन यंत्रों की स्थापना मंगलवार या शनिवार को विधि-विधान से करें।

सेवा और दान

ज्योतिष कहता है कि जब व्यक्ति दूसरों की सेवा करता है, तो उसके ग्रह संतुलित हो जाते हैं।

  • शनिवार को गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करें।

  • किसी मंदिर में दीप जलाएं।

  • गौसेवा या ब्राह्मण सेवा करें।
    इससे शत्रु ग्रहों की शांति होती है।

शत्रु दोष को दूर करने के अतिरिक्त आध्यात्मिक उपाय

  • प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पण करें।
  • घर में नियमित रूप से शुद्धिकरण (धूप, दीप, कपूर) करें।
  • अपने कमरे में नकारात्मक चित्र या वस्तुएँ न रखें।
  • घर में हनुमान जी या माता दुर्गा का चित्र स्थापित करें।
  • बुरी नज़र और ईर्ष्या से बचने के लिए “नजर कवच” पहनें।

ग्रह स्थिति जो शत्रु दोष को नियंत्रित करती है

  • शनि का शुभ प्रभाव व्यक्ति को धैर्य और संयम देता है।

  • मंगल का संतुलन साहस और आत्मरक्षा की शक्ति प्रदान करता है।

  • बृहस्पति का प्रभाव शत्रुओं के षड्यंत्रों से रक्षा करता है।

  • सूर्य की शक्ति आत्मविश्वास और सम्मान बढ़ाती है।

इसलिए यदि कुंडली में ये ग्रह अनुकूल हों, तो व्यक्ति हर प्रकार के विरोध से विजयी होता है।

 एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी कहते हैं —

“शत्रु दोष से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझकर सुधारना चाहिए। ग्रहों का असंतुलन व्यक्ति को भ्रमित करता है, लेकिन सही उपाय करने से वही ग्रह रक्षा कवच बन जाते हैं।”

वे आगे बताते हैं कि शत्रु दोष से मुक्ति केवल मंत्र-जाप से नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच और अच्छे कर्मों से भी संभव है।
जब व्यक्ति अपने जीवन में सत्य, अनुशासन और सेवा का भाव अपनाता है, तब कोई शत्रु या बाधा उसे हानि नहीं पहुंचा सकती।

शत्रु दोष नहीं, आत्मबल बनाइए

शत्रु दोष जीवन की एक परीक्षा है जो हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाती है।
ज्योतिष केवल ग्रहों का अध्ययन नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना को संतुलित करने का विज्ञान है।
यदि हम अपने कर्मों को शुद्ध रखें, ईश्वर में विश्वास रखें और उचित ज्योतिष उपाय करें, तो कोई भी शत्रु दोष लंबे समय तक प्रभाव नहीं डाल सकता।

एस्ट्रोलॉजर साहू जी कहते हैं —

“ग्रहों से बड़ा कोई शत्रु नहीं, और सही कर्म से बड़ा कोई उपाय नहीं।”

इसलिए सदैव नकारात्मक विचारों से दूर रहें, ईश्वर का स्मरण करें और जीवन में शांति का मार्ग अपनाएँ।

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