क्या अशुभ ग्रह भी शुभ फल दे सकते हैं?
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| क्या अशुभ ग्रह भी शुभ फल दे सकते हैं? |
जन्मपत्रिका में अशुभ ग्रहों को देखकर बहुत से लोग घबरा जाते हैं। वह मान लेते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे ग्रह अशुभ स्थिति में हों तो उनका जीवन बाधाओं और संघर्षों से भरा रहेगा। लेकिन वास्तविक ज्योतिष यह कहता है कि ग्रहों का स्वभाव ही सब कुछ निर्धारित नहीं करता, बल्कि उनकी स्थिति, दृष्टि, घर का स्वामीत्व, योग, दशा-अंतर्दशा और ग्रहों के बीच संबंध यह तय करते हैं कि वह ग्रह जीवन में किस प्रकार का फल प्रदान करेगा। इसी गहन विद्या को भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी वर्षों से लोगों को समझाते आ रहे हैं।
अशुभ ग्रह वास्तव में क्या होते हैं
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रहों को शुभ और अशुभ वर्गों में विभाजित किया जाता है। सामान्यतः सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र शुभ ग्रह कहे जाते हैं। वहीं शनि, राहु, केतु और कभी-कभी मंगल और बुध अशुभ फल देने वाले ग्रह कहलाते हैं। परन्तु यह वर्गीकरण स्थायी नहीं होता।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि किसी भी ग्रह के शुभ या अशुभ होने का निर्णय उसके स्वभाव से नहीं, बल्कि स्थिति से होता है। जैसे एक अच्छा व्यक्ति भी बुरे वातावरण में गलत कार्य कर सकता है और एक कठोर स्वभाव वाला व्यक्ति भी उचित परिस्थितियों में समाज का श्रेष्ठ मार्गदर्शक बन सकता है।
अशुभ ग्रह शुभ क्यों बन जाते हैं
ज्योतिषीय सिद्धांत के अनुसार अशुभ ग्रह कई स्थितियों में श्रेष्ठ शुभ फल प्रदान कर सकते हैं। जब ग्रह उच्च राशि में हो, अपने स्वगृही भाव में हो, मित्र ग्रहों से संबंध बना हो, त्रिकोण या केंद्र भाव में स्थित हो, योगकारक बन जाए, तब वह व्यक्ति को बल, सफलता और जीवन में बड़े परिवर्तन प्रदान कर सकता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि अशुभ ग्रह कभी-कभी व्यक्ति के भीतर अद्भुत नेतृत्व क्षमता, आत्मबल, कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति और जीवन में अद्वितीय उपलब्धियां प्राप्त करने की प्रेरणा उत्पन्न करते हैं।
ग्रह अनुसार विस्तृत विश्लेषण
यहां प्रत्येक अशुभ ग्रह के वह कारण और स्थितियाँ स्पष्ट की जा रही हैं, जिनमें वे सर्वश्रेष्ठ शुभ फल प्रदान करते हैं।
शनि: कर्म का न्यायाधीश जो बनाता है राजा
शनि ग्रह को अक्सर कष्ट और देरी का कारक माना जाता है। लेकिन जब शनि केंद्र या त्रिकोण में, उच्च राशि तुला में, मकर या कुंभ राशि में स्वगृही होकर स्थित हो, तथा लग्नेश से शुभ संबंध रखता हो तो यह व्यक्ति को परिश्रम के बल पर सफलता और प्रतिष्ठा के शिखर तक पहुंचा देता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि सफल प्रशासनिक अधिकारी, न्यायाधीश, उद्योगपति और व्यवस्थित जीवन जीने वाले लोग प्रायः मजबूत शनि के जातक होते हैं। शनि धैर्य और अनुशासन का प्रतीक है, और वही गुण जीवन में स्थायी सुख और सम्मान प्रदान करते हैं।
मंगल: ऊर्जा, साहस और विजय का कारक
मंगल ग्रह यदि अशुभ होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाए तो दुर्घटनाओं और क्रोध का कारण बनता है। लेकिन यदि वही मंगल लग्न, पंचम, नवम या दशम भाव में शुभ दृष्टि के साथ बैठा हो तो वह राजयोग प्रदान करने वाला ग्रह बन जाता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इसे वीरता, पुलिस सेवा, सेना, खेलकूद और संपत्ति के योग का मूल ग्रह बताते हैं। मंगल यदि शुभ बन जाए तो जातक को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और वह प्रतिस्पर्धा में हमेशा विजय प्राप्त करता है।
राहु: विदेश, आधुनिकता और अचानक लाभ का दाता
राहु को रहस्यमय ग्रह कहा जाता है। इसका प्रभाव अनिश्चित और तीव्र होता है। यह आमतौर पर भ्रम, मानसिक तनाव और बाधा देता है। लेकिन यदि राहु त्रिकोण या केंद्र भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि में आए तो यह व्यक्ति को अचानक धन, विदेश यात्रा, राजनीति में उच्च पद, आधुनिक तकनीकी क्षेत्र में सफलता और समाज में प्रभावशाली स्थान दिला सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि बड़े व्यापारियों, बड़े खिलाड़ियों और प्रसिद्ध राजनीतिक नेताओं की कुंडली में राहु मजबूत होता है।
केतु: आध्यात्मिकता और मोक्ष का मार्गदर्शक
केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है क्योंकि यह भौतिक सुखों में कटौती करता है। लेकिन इसकी यही विशेषता इसे अत्यन्त शुभ बनाती है। केतु यदि कुंडली में नवम, पांचवें या बारहवें भाव में शुभ ग्रहों के साथ हो तो यह व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान, दर्शन, अनुसंधान, अध्यापन और योग-साधना में अत्यंत उच्च सफलता दिलाता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी मानते हैं कि केतु व्यक्ति को संसार के भ्रम से मुक्त करके सच्चे ज्ञान की ओर ले जाता है।
कब अशुभ ग्रहों से बड़े योग बनते हैं
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जब ग्रह केंद्र-त्रिकोण संबंध बनाता है
मेंत्र राशि और स्वगृही स्थिति में हो
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गुरु की दृष्टि अशुभ ग्रहों को शुभ बनाती है
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योगकारक ग्रह के भाव में स्थित होने पर
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दशा-अंतर्दशा के शुभ समय में
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नीच भंग राजयोग की स्थिति बने तो
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विपरीत राजयोग: जब अशुभ ग्रह अशुभ भाव में बैठकर शुभ फल देता है
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यदि व्यक्ति जीवन में संघर्ष के मार्ग से सफलता प्राप्त करता है तो वह उसी कारण से अधिक मजबूत और समझदार बनता है, यही अशुभ ग्रहों की सबसे बड़ी शक्ति है।
अशुभ ग्रह क्यों देते हैं सफलता
अशुभ ग्रह व्यक्ति को कठिनाइयों से गुजरने पर मजबूर करते हैं। यही कठिनाइयाँ व्यक्ति के चरित्र, अनुभव और क्षमता को विकसित करती हैं। यही कारण है कि कई सफल और महान व्यक्ति अशुभ ग्रहों के प्रभाव में जन्मे होते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ज्योतिष केवल भविष्य बताने का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह आत्मविकास की कला है। ग्रहों का हर प्रभाव व्यक्ति को आगे बढ़ने की दिशा देता है।
क्या उपायों से अशुभ ग्रह हमेशा शुभ बने रह सकते हैं
हाँ, क्योंकि ग्रहों का प्रभाव स्थिर नहीं होता। उपायों के माध्यम से energy को redirect किया जा सकता है।
उपायों में शामिल हैं
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दान और सेवा
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मंत्र जाप
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ग्रह संबंधित अनुष्ठान
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रंग, रत्न और आचरण परिवर्तन
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ध्यान और आध्यात्मिक साधना
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सही उपाय जीवन को तुरंत परिवर्तन की राह पर ले जाता है, विशेषकर अशुभ ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा दिलाता है।
ज्योतिष शास्त्र में कोई भी ग्रह स्थायी रूप से शुभ या अशुभ नहीं होता। परिस्थिति बदलने पर ग्रह भी अपना स्वरूप बदल देते हैं। अशुभ ग्रह ही व्यक्ति को मजबूती, सफलता, प्रसिद्धि और ज्ञान की ओर अग्रसर करते हैं। इसीलिए कहा गया है कि ग्रहों का निर्णय उनके योग और स्थिति से होता है, केवल नाम से नहीं।
यदि किसी की कुंडली में राहु, केतु, शनि या मंगल अशुभ दिखाई दें तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। एक योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेकर आप इन ग्रहों को अपने पक्ष में कार्य करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी इस विषय का गहन विश्लेषण करके प्रत्येक व्यक्ति को सही समाधान प्रदान करते हैं।

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