क्या सही रत्न पहनने से तुरंत लाभ मिलता है
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| क्या सही रत्न पहनने से तुरंत लाभ मिलता है |
भारत की प्राचीन ज्योतिष प्रणाली में रत्नों का उपयोग हजारों वर्षों से होता आ रहा है। जब ग्रहों की ऊर्जा कमजोर हो जाती है या जन्मकुंडली में ग्रह बाधा उत्पन्न करते हैं, तब ज्योतिष विशेषज्ञ ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने और दोषों को कम करने के लिए रत्न पहनने की सलाह देते हैं। यह मान्यता केवल परंपरा तक सीमित नहीं है बल्कि आधुनिक साइंस भी यह मानता है कि रत्न में विशेष प्रकार की ऊर्जा और कंपन होते हैं जो मानव शरीर, मानसिक स्थिति और जीवन के परिणामों पर प्रभाव डालते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि सही रत्न सही व्यक्ति के लिए तुरंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों और ज्योतिषीय विश्लेषण के बाद ही यह लाभ संभव है। यदि बिना ज्योतिष परामर्श के रत्न धारण किया जाए तो यह जीवन में अशांति और हानि का कारण भी बन सकता है। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि रत्न कब लाभ देता है और कब नुकसान कर सकता है।
रत्नों का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह होते हैं और प्रत्येक ग्रह का संबंध एक विशिष्ट रत्न से होता है। हर ग्रह की ऊर्जा की एक आवृत्ति होती है और रत्न उस ऊर्जा को ग्रहण करके शरीर तक पहुंचाता है। जब ग्रह जन्म कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में होते हैं, तब उनकी ऊर्जा कम होकर व्यक्ति के जीवन में मदद करने के बजाय अवरोध उत्पन्न करती है। ऐसे में उस ग्रह से जुड़े रत्न को धारण करना लाभकारी होता है क्योंकि यह ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
रत्न धारण करना केवल आभूषण पहनना नहीं है बल्कि यह ग्रहों की सूक्ष्म शक्तियों को सक्रिय करने की प्रक्रिया है। सही समय, सही धातु और सही मंत्र के साथ धारण किए गए रत्न का असर कई बार कुछ ही घंटों में स्पष्ट दिखने लगता है।
ग्रहों और रत्नों का संबंध
नीचे उन रत्नों और ग्रहों का संबंध बताया गया है जो ज्योतिष शास्त्र में मान्य हैं।
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सूर्य के लिए माणिक
चंद्र के लिए मोती
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मंगल के लिए मूंगा
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बुध के लिए पन्ना
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गुरु के लिए पुखराज
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शुक्र के लिए हीरा
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शनि के लिए नीलम
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राहु के लिए गोमेद
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केतु के लिए लहसुनिया
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि रत्न ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करके व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य, धन और सफलता का प्रवाह मजबूत करते हैं।
क्या रत्न तुरंत लाभ देता है
बहुत से लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि क्या रत्न पहनते ही तुरंत लाभ मिलता है या इसके असर के लिए समय देना पड़ता है। इसका उत्तर यह है कि यह पूरी तरह व्यक्ति की कुंडली, दशा-अंतर्दशा और ग्रह की सक्रियता पर निर्भर करता है। जब ग्रह की दशा चल रही हो और वह रत्न वाला ग्रह जन्मकुंडली में शुभ फल देने की क्षमता रखता हो, तब रत्न धारण करते ही प्रभाव दिखना प्रारंभ हो सकता है।
विशेषकर नीलम, गोमेद और लहसुनिया का प्रभाव बहुत तेज होता है और कई बार लोग कुछ ही मिनटों में बदलाव महसूस करने लगते हैं।इसके विपरीत यदि ग्रह की दशा सक्रिय न हो तो रत्न का असर धीरे-धीरे दिखाई देता है।
तुरंत लाभ कैसे और क्यों मिलता है
रत्न शरीर के सात चक्रों को प्रभावित करते हैं और रक्त में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा तरंगों को संतुलित करते हैं। जब एक रत्न धारण किया जाता है, तब ग्रह की संबंधित ऊर्जा तरंगें तेज गति से शरीर में प्रवेश करती हैं और नकारात्मक प्रभावों को रोककर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने लगती हैं। यही कारण है कि रत्न मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर तुरंत बदलाव ला सकते हैं।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, रत्न का तत्काल प्रभाव अक्सर तीन रूपों में दिखाई देता है
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आत्मविश्वास और मानसिक शांति में वृद्धि
काम में तुरंत तेजी और सफलता
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बाधाओं और रुकावटों में कमी
रत्न देर से असर कब करता है
रत्न का असर तुरंत नहीं बल्कि धीरे-धीरे भी दिखाई दे सकता है। ऐसा तब होता है जब
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ग्रह की दशा सक्रिय नहीं होती
ग्रह कमजोर होते हैं और धीरे-धीरे मजबूत होते हैं
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रत्न का वजन कम होता है
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गलत धातु में जड़ा हो
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पूर्ण विधि से सक्रिय करना नहीं किया गया हो
ऐसी स्थिति में रत्न का प्रभाव कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों में स्पष्ट रूप से दिखने लगता है।
गलत रत्न पहनने का दुष्परिणाम
रत्न ग्रह की ऊर्जा को बढ़ाते हैं लेकिन वह ग्रह शुभ है या अशुभ, यह जानना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि यदि ग्रह अशुभ है और उसका रत्न पहन लिया जाए तो उसके नकारात्मक प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं।
गलत रत्न धारण करने से व्यक्ति को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है
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मानसिक तनाव और अवसाद
धन की हानि और कर्ज
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स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ
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रिश्तों में विवाद
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दुर्घटनाएं और कानूनी समस्याएँ
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी हमेशा सलाह देते हैं कि बिना विशेषज्ञ परामर्श के रत्न कभी न पहनें।
रत्न पहनने की सही ज्योतिषीय प्रक्रिया
रत्न पहनने की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका पालन करना आवश्यक है।
रत्न धारण करने से पूर्व निम्न नियम अनिवार्य हैं
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कुंडली विश्लेषण
ग्रहों की दशा और गोचर की जाँच
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रत्न की शुद्धता और वास्तविकता
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वजन और धातु का सही निर्धारण
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मंत्रोच्चारण और ऊर्जित प्रक्रिया
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शुभ मुहूर्त का चयन
इन सभी चरणों का सही तरीके से पालन करने पर ही रत्न जीवन में सर्वोत्तम फल प्रदान करते हैं।
रत्न धारण के शुभ दिन
ग्रह और रत्न के अनुसार शुभ दिन निश्चित किए जाते हैं। जैसे
गुरु के रत्न पुखराज के लिए गुरुवार
शुक्र के रत्न हीरे के लिए शुक्रवार
शनि के रत्न नीलम के लिए शनिवार
इसके अतिरिक्त ज्योतिषीय परामर्श के आधार पर भी शुभ और विशेष मुहूर्त निकाला जाता है।
रत्न का परीक्षण
रत्न धारण करने से पहले उसका ऊर्जा परीक्षण करना लाभदायक होता है।
परीक्षण विधि
रत्न को 72 घंटों तक बाएं हाथ में रखकर उसकी ऊर्जा को परखा जाता है। यदि इस दौरान कोई नकारात्मक संकेत न मिले तो ही उसे धारण करना चाहिए।
यह परीक्षण व्यक्ति को गलत रत्न पहनने से होने वाली जोखिम से बचाता है।
रत्न और मानव शरीर का वैज्ञानिक संबंध
रत्न फोटॉन और कॉस्मिक किरणें को अवशोषित करके शरीर में ऊर्जा प्रवाहित करते हैं। यह ऊर्जा विभिन्न ग्रंथियों और तंत्रिकाओं को सक्रिय करती है जिससे मानसिक संतुलन और आत्मबल बढ़ता है।
पन्ना हृदय और मस्तिष्क को सशक्त बनाता है
हीरा शरीर में प्रेम और आकर्षण की ऊर्जा बढ़ाता है
नीलम जीवन में स्थिरता और जिम्मेदारी की भावना जगाता है
गोमेद अचानक लाभ की ऊर्जा बढ़ाता है
रत्न और ज्योतिषीय चक्र
शरीर में सात ऊर्जा चक्र होते हैं। प्रत्येक ग्रहऔर रत्न इन चक्रों को प्रभावित करते हैं।
मनोज साहू जी के अनुसार
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माणिक मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है
पन्ना हृदय चक्र को मजबूत करता है
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पुखराज सौलर प्लेक्सस को जगाता है
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नीलम मूलाधार चक्र को स्थिर करता है
जब ये चक्र संतुलित होते हैं, तब व्यक्ति का जीवन भी संतुलित होता है।
रत्न खरीदते समय सावधानियाँ
रत्न खरीदते समय नकली रत्न से बचना अत्यंत आवश्यक है।
खरीददारी के समय
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लैब प्रमाण पत्र अवश्य जांचें
स्थानीय दुकानदार की जगह प्रमाणिक रत्न विक्रेता से खरीदें
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रत्न की स्पष्टता, कट और transparency पर ध्यान दें
प्रमाणित रत्न ही ग्रहों की ऊर्जा को संचारित करने की क्षमता रखते हैं।

