क्या कुंडली के शुभ योग जीवन में देर से फल देते हैं?
वैदिक ज्योतिष में शुभ योग वह शक्ति हैं जो व्यक्ति के जीवन में सफलता, धन, प्रतिष्ठा, और सुख-समृद्धि को बढ़ाती है। लेकिन कई बार देखा जाता है कि कुंडली में अत्यंत शुभ योग होने के बाद भी जीवन में सफलता बहुत देर से मिलती है। आरंभिक समय में संघर्ष अधिक होता है और व्यक्ति को लगता है कि उसकी कुंडली में लिखे योग कार्य ही नहीं कर रहे। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कई योग समयानुसार ही फलित होते हैं और उनकी वास्तविक शक्ति ग्रहों के दशा-अंतर्दशा और भाव स्थिति पर आधारित होती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, शुभ योग का फल तभी प्रकट होता है जब ग्रह पूर्ण रूप से सक्रिय अवस्था में आते हैं। इससे पहले व्यक्ति को संघर्ष, प्रतीक्षा और कर्मों की परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।
शुभ योग देर से फल क्यों देते हैं
कुंडली में शुभ योग बन जाने का अर्थ यह नहीं कि तुरंत लाभ मिलने लगे। ज्योतिष शास्त्र में इसे समय तत्व की प्रधानता माना गया है। जैसे राजा बनने का योग हो लेकिन राजयोग का सक्रिय काल 40 वर्ष की आयु के बाद आए, तो उससे पहले व्यक्ति सामान्य जीवन ही जी सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि ग्रह जब तक पूर्ण बल में नहीं आते, तब तक योग निष्क्रिय क्षेत्र में रहते हैं। ग्रहों की उम्र संबंधी शक्ति भी महत्वपूर्ण है। कुछ ग्रह युवा अवस्था में फल देते हैं और कुछ ग्रह परिपक्व होने पर।
दशा-अंतर्दशा का प्रभाव
कुंडली में शुभ योग तभी सक्रिय होते हैं जब संबंधित योग के ग्रहों की दशा और अंतर्दशा चलती है। सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र और बुध की शुभ दशा आने पर योग जीवन में उभरते हैं। लेकिन यदि अशुभ ग्रह जैसे शनि, राहु और केतु की दशाएँ बीच में लंबी चल रही हों, तो शुभ योग का प्रभाव दब जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि जब शुभ ग्रहों की दशा आरंभ होती है, व्यक्ति की जिंदगी में अचानक परिवर्तन और सफलता का दरवाजा खुलता है। कभी-कभी युवा आयु संघर्षों से गुजरती है और 35-45 के बाद सफलताएँ मिलती हैं, जो जन्मकुंडली की दशाओं का स्पष्ट परिणाम होता है।
शनि का विलंबित फल सिद्धांत
शनि कर्म का दाता है और विलंब का भी प्रतीक है। जिनकी कुंडली में शनि का प्रभाव अधिक होता है या शुभ योग शनि से संबंधित होते हैं, उनका फल देर से मिलना निश्चित माना जाता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शनि व्यक्ति की क्षमता, धैर्य और सत्यनिष्ठा की परीक्षा लेता है। अगर व्यक्ति इस परीक्षा में सफल रहा तो जीवन के उत्तरार्ध में उसे अद्भुत सफलता हासिल होती है। ऐसे लोगों की उपलब्धियाँ स्थायी और सम्मानपूर्ण होती हैं। संघर्ष और इंतजार इनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं।
शुभ योग पर पाप ग्रहों की दृष्टि
कभी-कभी शुभ ग्रह पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु या शनि से पीड़ित हो जाते हैं। उनकी दृष्टि शुभ फल को रोकती है। इस कारण योग तो जन्म से ही बना हुआ होता है, लेकिन उसका फल सही समय तक छिपा रहता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि ग्रहों की शांति और सही उपाय करने से दबे हुए शुभ योग सक्रिय होने लगते हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में पलटाव अचानक आता है और वे समाज में सम्मानित स्थान प्राप्त करते हैं।
कर्म और शुभ योग का संबंध
कुंडली का शुभ योग तभी फलित होता है जब व्यक्ति का कर्म भी उसके अनुकूल हो। यदि व्यक्ति आलसी, नकारात्मक सोच वाला या गलत कर्म करने वाला हो, तो योग अपना फल नहीं देता। इंडिया के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रह केवल वातावरण और अवसर प्रदान करते हैं, उन्हें वास्तविक उपलब्धि में बदलना कर्म पर निर्भर है। कर्म सही दिशा में होगा तभी शुभ योग तेजी से और पूरी क्षमता के साथ फल देगा।
देवताओं के आशीर्वाद से योग सक्रिय होना
ज्योतिष और अध्यात्म का घनिष्ठ संबंध है। शुभ योग कार्य तभी करते हैं जब ईश्वरीय अनुकंपा भी हो। इसलिए पूजा-पाठ, दान, व्रत और सद्कर्म योगों के फल को सक्रिय करते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि धैर्य और श्रद्धा जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकती है। आध्यात्मिकता ग्रहों की शक्ति को प्रसन्न करती है और शुभ फलों की प्राप्ति सुनिश्चित होती है।
ग्रहों की परिपक्व आयु और फल
प्रत्येक ग्रह विशेष आयु में फल देता है। उदाहरण:
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मंगल की परिपक्व आयु 28 वर्ष
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राहु 42 वर्ष
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केतु 48 वर्ष
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शनि 36 वर्ष
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गुरु 16 वर्ष के बाद निरंतर बलवान
इस आधार पर कई शुभ योग तभी पूर्ण फल देते हैं जब संबंधित ग्रह अपनी परिपक्व अवस्था में पहुँचते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि यही कारण है कि राजयोग वाले भी प्रारंभिक जीवन में संघर्ष से गुजरते हैं लेकिन बाद में समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।
विलंबित शुभ योग के लाभ
देर से मिलने वाली सफलता स्थायी होती है। धीरे-धीरे बढ़ने वाला भाग्य जीवन में मजबूती लाता है। ऐसे लोग जीवन के अंतिम चरण तक सम्मान, धन और प्रतिष्ठा का सुख भोगते हैं। संघर्ष के दौरान सीखे गए अनुभव इन्हें जीवन की वास्तविकताओं से परिचित कराते हैं। इस प्रकार विलंबित शुभ योग व्यक्ति को धरातल से जुड़कर प्रगति करने में सहायता करते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि देर से मिलने वाला फल सदैव मधुर और स्थायी होता है।
कुंडली में शुभ योग जीवन बदलने की क्षमता रखते हैं, लेकिन उनका फल नियत समय पर ही प्राप्त होता है। विलंबित फल केवल ग्रहों का स्वभाव नहीं, बल्कि भाग्य और कर्म का संतुलन है। जीवन में देर से मिलने वाली सफलता व्यक्ति को अधिक परिपक्व और समझदार बनाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, शुभ योग तभी फलते-फूलते हैं जब समय, कर्म और विश्वास सब एक दिशा में कार्य करते हैं। इसलिए यदि आपकी कुंडली में शुभ योग हैं, तो संघर्ष से घबराएँ नहीं। समय के साथ ग्रहों की कृपा अद्भुत परिवर्तन लाती है और जीवन को वह ऊंचाई प्रदान करती है जिसका आप सपना देखते हैं।

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