गजकेसरी योग क्या है और यह जीवन में कब बनता है?

गजकेसरी योग क्या है और यह जीवन में कब बनता है?

गजकेसरी योग क्या है और यह जीवन में कब बनता है?

भारतीय वैदिक ज्योतिष में अनेक ऐसे योगों का वर्णन किया गया है जो व्यक्ति के जीवन में महानता, धन, सम्मान और सफलता प्रदान करते हैं। इन योगों में से एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रभावशाली योग है — गजकेसरी योग यह योग बुद्धिमत्ता, प्रतिष्ठा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग बनता है, वह जीवन में न केवल भौतिक सुख-संपत्ति अर्जित करता है बल्कि समाज में सम्मान और नेतृत्व की भूमिका भी निभाता है।

गजकेसरी योग क्या होता है?

गजकेसरी योग दो शब्दों से मिलकर बना है — "गज" अर्थात् हाथी और "केसरी" अर्थात् सिंह। दोनों प्रतीक शक्ति, गरिमा और राजसी व्यक्तित्व के हैं। ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा और गुरु (बृहस्पति) एक-दूसरे के केंद्र भाव (1, 4, 7, या 10) में स्थित होते हैं, तब गजकेसरी योग बनता है। यह योग व्यक्ति को अत्यधिक प्रतिष्ठा, ज्ञान और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह योग व्यक्ति को ऐसा प्रभावशाली व्यक्तित्व देता है कि वह अपने ज्ञान, बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास के बल पर समाज में पहचान बनाता है।

गजकेसरी योग कब बनता है?

गजकेसरी योग बनने की मुख्य शर्त यह है कि चंद्रमा और बृहस्पति एक-दूसरे के केंद्र भावों में हों। उदाहरण के लिए —

  • यदि चंद्रमा पहले भाव (लग्न) में हो और बृहस्पति चौथे, सातवें या दसवें भाव में स्थित हो, तो यह योग बनता है।

  • इसी प्रकार, यदि चंद्रमा चौथे भाव में और बृहस्पति पहले, सातवें या दसवें भाव में हो, तो भी यह योग बनता है।

 इंदौर  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि गजकेसरी योग के प्रभाव को चंद्रमा की शक्ति और बृहस्पति की स्थिति काफी प्रभावित करती है। यदि चंद्रमा पूर्ण, शुभ दृष्टि से युक्त और बृहस्पति बलवान है, तो यह योग अत्यंत शुभ फल देता है। लेकिन यदि चंद्रमा कमजोर हो या राहु-केतु से प्रभावित हो जाए, तो इसका प्रभाव कम हो जाता है।

गजकेसरी योग के प्रमुख लाभ

गजकेसरी योग जीवन के अनेक पहलुओं में सकारात्मक प्रभाव डालता है। भारत  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस योग से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं —

पहला, मान-सम्मान और प्रतिष्ठा: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति समाज में उच्च पद प्राप्त करता है और सम्मानित होता है। ऐसे लोग अक्सर अपने क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभाते हैं।

दूसरा, आर्थिक समृद्धि: गजकेसरी योग वाले जातक धन, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्त करते हैं। उनकी मेहनत का परिणाम सामान्य से अधिक होता है।

तीसरा, बुद्धिमत्ता और निर्णय क्षमता: यह योग मानसिक संतुलन और निर्णय लेने की शक्ति को बढ़ाता है। व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।

चौथा, आध्यात्मिक उन्नति: बृहस्पति ग्रह का संबंध धर्म और ज्ञान से है। इस योग से व्यक्ति आध्यात्मिक दृष्टि से भी प्रगति करता है और समाजसेवा में रुचि रखता है।

 इंदौर  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि गजकेसरी योग नवम या दशम भाव में बने, तो यह व्यक्ति को अत्यंत शुभ परिणाम देता है — ऐसा व्यक्ति अक्सर सरकारी सेवा, शिक्षा, न्याय या धर्म से जुड़ा होता है।

किन परिस्थितियों में गजकेसरी योग कमजोर हो जाता है

हर योग अपने प्रभाव के लिए ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि गजकेसरी योग में शामिल ग्रहों पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो इसका प्रभाव घट सकता है।

जब चंद्रमा कमजोर हो, अमावस्या का प्रभाव हो या राहु-केतु की छाया पड़े, तब व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर हो जाता है और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
इसी प्रकार, बृहस्पति यदि नीच राशि (मकर) में स्थित हो या छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला जाए, तो उसका शुभ प्रभाव सीमित हो जाता है।
भारत  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ऐसे में यह योग केवल आंशिक परिणाम देता है — व्यक्ति में प्रतिभा तो होती है, परंतु अवसरों की कमी या आत्मविश्वास की कमी से वह अपनी क्षमता का पूरा लाभ नहीं उठा पाता।

गजकेसरी योग और करियर में सफलता

 इंदौर  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में गजकेसरी योग होता है, वे अक्सर प्रशासन, शिक्षा, कानून, मीडिया और राजनीति जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं।
इस योग से व्यक्ति में नेतृत्व का गुण, वक्तृत्व कौशल और दूरदर्शिता आती है।
यदि दशा या अंतर्दशा में गुरु या चंद्रमा सक्रिय हों, तो करियर में अचानक उन्नति और पहचान मिलती है।

ऐसे जातक अपने करियर में स्थिरता रखते हैं और उनके कार्य समाज पर प्रभाव डालते हैं। भारत  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार,गजकेसरी योग सरकारी पदों, अध्यापन, सामाजिक सेवा और धार्मिक कार्यों में भी विशेष सफलता प्रदान करता है।

क्या हर गजकेसरी योग समान परिणाम देता है?

हर कुंडली में योग का प्रभाव समान नहीं होता। यह व्यक्ति के कर्म, ग्रह दशा और भावों की स्थिति पर निर्भर करता है।
यदि चंद्रमा अशुभ भाव में हो और बृहस्पति शुभ भाव में, तो परिणाम मिश्रित होता है।
अगर दोनों ग्रह शुभ भावों में और शुभ ग्रहों से दृष्ट हों, तो योग अत्यंत प्रबल होता है।

 इंदौर  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कुछ मामलों में गजकेसरी योग बनने के बावजूद व्यक्ति को प्रारंभिक जीवन में संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन 30 वर्ष की आयु के बाद यह योग धीरे-धीरे फल देने लगता है।
यह योग व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व और प्रतिष्ठा लाने में मदद करता है।

गजकेसरी योग को सशक्त बनाने के उपाय

यदि किसी की कुंडली में गजकेसरी योग कमजोर स्थिति में है, तो कुछ उपायों द्वारा इसे सशक्त किया जा सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी और इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी निम्नलिखित उपाय सुझाते हैं —

पहला, गुरु और चंद्रमा की उपासना: गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा और सोमवार को चंद्रदेव को अर्घ्य देना लाभदायक रहता है।
दूसरा, पीले और सफेद वस्त्रों का प्रयोग: यह ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
तीसरा, मंत्र जाप: “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” और “ॐ चंद्राय नमः” मंत्रों का प्रतिदिन जाप करना शुभ फल देता है।
चौथा, दान-पुण्य: गुरुवार को पीले वस्त्र, चना दाल या हल्दी का दान और सोमवार को सफेद वस्त्र या चावल का दान करने से ग्रह बलवान होते हैं।

इन उपायों से गजकेसरी योग का प्रभाव मजबूत होता है और जीवन में सफलता, स्थिरता तथा मान-सम्मान प्राप्त होता है।

गजकेसरी योग एक अत्यंत शुभ और शक्तिशाली राजयोग है जो व्यक्ति को ज्ञान, प्रतिष्ठा, धन और सम्मान प्रदान करता है। यह योग चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति से बनता है, इसलिए इन ग्रहों का बलवान होना अत्यावश्यक है।
 इंदौर  के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मत है कि इस योग का प्रभाव व्यक्ति के कर्म, दशा और ग्रह स्थिति के अनुसार बदलता है, परंतु यदि यह सही स्थिति में बने तो यह योग जीवन को सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

गजकेसरी योग न केवल भौतिक समृद्धि देता है बल्कि मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को भी मजबूत करता है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि जब चंद्रमा और बृहस्पति का संगम शुभ स्थिति में होता है, तब व्यक्ति के जीवन में सफलता और सम्मान का नया अध्याय आरंभ होता है।

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