सुख शांति की कमी का असली ज्योतिष कारण क्या है
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| सुख शांति की कमी का असली ज्योतिष कारण क्या है |
मनुष्य का जीवन सुख और दुख के दो पहलुओं पर चलता है। जब जीवन में सुख-शांति हो, परिवार में प्रेम, आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य और मानसिक शांति बनी रहे, तो व्यक्ति जीवन का आनंद लेता है। लेकिन कई बार प्रयास करने के बावजूद जीवन में कलह, तनाव, आर्थिक बाधाएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ और मानसिक अशांति बनी रहती है। यह स्थिति केवल कर्मों का परिणाम नहीं होती, बल्कि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी इसके मुख्य कारण बनते हैं।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन में किसी न किसी रूप में सुख और शांति प्रदान करता है या उसे बाधित करता है। इसलिए ग्रहों को समझना और उनके अनुसार उपाय करना अत्यंत आवश्यक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यदि कुंडली में किसी ग्रह का दोष या अशुभ योग बन रहा हो, तो जीवन में सुख-शांति प्रभावित होती है।
नीचे हर ग्रह का प्रभाव विस्तार से बताया गया है।
सूर्य और सुख-शांति का संबंध
सूर्य पिता, सम्मान, प्रतिष्ठा, ऊर्जा और आत्मविश्वास का ग्रह है। यह व्यक्ति की मानसिक स्थिरता देता है।
यदि सूर्य कमजोर हो जाता है
● घर में पिता से मतभेद
● आत्मविश्वास की कमी
● बार-बार निराशा
● मानसिक तनाव
● सरकारी कार्यों में अवरोध
जिससे जीवन में सुख-शांति प्रभावित होती है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, नवम और दशम भाव में सूर्य कमजोर होने से परिवार में तनाव और कलह बढ़ता है।
चंद्रमा और मन की शांति
चंद्रमा मन, भावनाएँ और मानसिक सुख का स्वामी है।
कमजोर चंद्रमा से
● तनाव
● अनिद्रा
● भय
● भावनात्मक अस्थिरता
● परिवार में सामंजस्य की कमी
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि अष्टम या षष्ठ भाव में चंद्रमा होने से मन अशांत रहता है और सुख-शांति कम हो जाती है।
मंगल और गृह कलह
मंगल ऊर्जा, साहस और क्रोध का ग्रह है।
जब मंगल खराब स्थिति में हो
● दांपत्य जीवन में विवाद
● भाई-बहनों से विवाद
● दुर्घटना और चोटें
● संपत्ति संबंधी झगड़े
विशेषकर मांगलिक दोष से परिवारिक कलह बढ़ सकता है।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, चौथे और सातवें भाव में मंगल जीवन की शांति को अधिक प्रभावित करता है।
बुध और मानसिक संतुलन
बुध बुद्धि और संचार का ग्रह है।
अशुभ बुध होने से
● गलत निर्णय
● फिजूल विवाद
● व्यापार में हानि
● भय और गुस्सा
यदि व्यक्ति सही ढंग से संवाद न कर पाए, तो अनावश्यक झगड़े उत्पन्न होते हैं। यह सुख शांति खत्म कर देता है।
बृहस्पति और पारिवारिक शांति
बृहस्पति धर्म, ज्ञान, गुरु, संतान और विवाह सुख का ग्रह है।
कमजोर बृहस्पति से
● संतान दुख
● विवाह में समस्याएँ
● विश्वास की कमी
● मार्गदर्शन का अभाव
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, बृहस्पति किसी भी कुंडली में मजबूत हो तो जीवन में शांति अपने आप बढ़ती है।
शुक्र और वैवाहिक सुख
शुक्र प्रेम, सौंदर्य, विलासिता और वैवाहिक जीवन का प्रतिनिधि ग्रह है।
अशुभ शुक्र होने से
● दांपत्य कलह
● प्रेम संबंध टूटना
● आर्थिक अस्थिरता
● स्वास्थ्य समस्याएँ
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि शुक्र खराब होने पर मानसिक और भौतिक दोनों प्रकार की शांति प्रभावित होती है।
शनि और जीवन के संघर्ष
शनि कर्म, न्याय, अनुशासन और जीवन के उतार-चढ़ाव का कारक ग्रह है।
जब शनि पीड़ा देता है
● जीवन में संघर्ष बढ़ता है
● भय और तनाव
● कार्यों में विलंब
● मानसिक थकान
यदि शनि अशुभ हो, व्यक्ति खूब मेहनत करता है लेकिन परिणाम देर से मिलता है। इससे मन में असंतोष बढ़ता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार साढ़ेसाती और ढैय्या के समय विशेष सावधानी जरूरी होती है।
राहु और मानसिक भ्रम
राहु तनाव, भ्रम, लालच और अनियमित विचारों का कारण बनता है।
अशुभ राहु होने पर
● घर में वाद-विवाद
● गलत संगति
● मानसिक भय
● स्वार्थ और ईर्ष्या
राहु जब चंद्रमा को प्रभावित करता है, तब मन अशांत और अस्थिर हो जाता है। सुख-शांति समाप्त होने लगती है।
केतु और वैराग्य
केतु अध्यात्म देता है लेकिन जब खराब हो जाए
● घर से दूरी
● रिश्तों में ठंडापन
● अकेलापन
● मानसिक दर्द
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, केतु अगर चौथे या सप्तम भाव में हो तो गृहस्थ जीवन में अशांति बढ़ जाती है।
सुख-शांति कम होने के प्रमुख ज्योतिषीय कारण
● ग्रहों की अशुभ दृष्टि
● कुंडली में दोष जैसे पितृ दोष, कालसर्प दोष, मांगलिक दोष
● शनि की ढैया या साढ़ेसाती
● चंद्रमा और बुध का दूषित होना
● विवाह या परिवारिक भाव पर पीड़ा
● चौथे भाव का कमजोर होना
● अशुभ ग्रहों का दशा-अंतरदशा में चलना
इन सभी कारणों से जीवन में सुख कम और तनाव अधिक बना रहता है।
सुख-शांति बढ़ाने के सर्वोत्तम ज्योतिषीय उपाय
- प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएँ
- चंद्रमा को मजबूत करने हेतु सोमवार को व्रत करें
- हनुमान चालीसा का पाठ करें
- शनिदेव की पूजा और गरीबों की सेवा
- राहु-केतु दोष के लिए मंदिर में पूजा
- ग्रह शांति पाठ करवाएँ
- घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें
- गुरु और बुजुर्गों का सम्मान करें
- नियमित योग और ध्यान
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी सलाह देते हैं कि बिना कुंडली विश्लेषण के किसी भी रत्न या उपाय का उपयोग नहीं करना चाहिए।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति सीधे जीवन की सुख-शांति को प्रभावित करती है। जब ग्रह शुभ हों, तो जीवन सरल और सुखी होता है। लेकिन ग्रह अशुभ हो जाएँ, तो व्यक्ति को संघर्ष, तनाव और कलह का सामना करना पड़ता है। इसलिए उचित समय पर अपनी जन्म कुंडली का सही विश्लेषण बेहद जरूरी है।
यदि आपके जीवन में भी लगातार तनाव, कलह, आर्थिक समस्याएँ, स्वास्थ्य चिंताएँ या मन की शांति न हो, तो विशेषज्ञ ज्योतिष सलाह अवश्य लें।

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