अचानक सफलता और असफलता के ज्योतिष कारण

अचानक सफलता और असफलता के ज्योतिष कारण

अचानक सफलता और असफलता के ज्योतिष कारण

जीवन में कभी-कभी ऐसा होता है कि एक व्यक्ति बहुत कम समय में ऊँचाइयों को छू लेता है, जबकि दूसरा व्यक्ति वर्षों की मेहनत के बावजूद मंज़िल तक नहीं पहुँच पाता। कई बार बिना किसी कारण के सफलता अचानक हाथ लग जाती है, तो कभी सब कुछ होते हुए भी असफलता मिलती है। ज्योतिष के अनुसार, इन उतार-चढ़ावों के पीछे केवल कर्म नहीं, बल्कि ग्रहों की चाल और दशा-भुक्ति का गहरा संबंध होता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति, योग, दोष और दशा परिवर्तन जीवन में आने वाली अचानक घटनाओं का संकेत पहले से दे देते हैं। आइए समझते हैं कि अचानक सफलता या असफलता के ज्योतिष कारण क्या हैं और उनके सकारात्मक उपाय क्या हो सकते हैं।

ग्रहों की दशा और भुक्ति का प्रभाव

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राजयोग, धनयोग या भाग्ययोग सक्रिय हो जाते हैं, तो वह अचानक उन्नति प्राप्त करता है।
उदाहरण के लिए –

  • यदि गुरु (बृहस्पति) उच्च राशि में हो और दशा में आए, तो शिक्षा, करियर और सामाजिक मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

  • वहीं शनि या राहु की प्रतिकूल दशा व्यक्ति के संघर्ष को बढ़ा देती है, जिससे असफलता या अड़चनें आती हैं।

ज्योतिष के अनुसार, दशा परिवर्तन जीवन में टर्निंग पॉइंट साबित होता है। यदि दशा शुभ ग्रहों की हो तो सफलता, और अशुभ ग्रहों की हो तो असफलता सामने आती है।

कुंडली के योग और दोष

कई बार अचानक सफलता का कारण राजयोग, गजकेसरी योग, लक्ष्मी योग या भद्र योग जैसे शुभ योग होते हैं।
वहीं असफलता का कारण कालसर्प दोष, पितृ दोष या ग्रहण दोष भी हो सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं —

“हर योग तभी फल देता है जब ग्रह मज़बूत हों और दशा-भुक्ति अनुकूल चल रही हो। इसलिए कुंडली का विस्तृत विश्लेषण आवश्यक है।”

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और सूर्य शुभ स्थान में हों, तो अचानक सरकारी नौकरी, पदोन्नति या प्रसिद्धि मिल सकती है। वहीं यदि राहु या केतु केंद्र या त्रिकोण में हों और अशुभ प्रभाव डाल रहे हों, तो अचानक संकट या असफलता भी संभव है।

भाग्यभाव और कर्मभाव का संतुलन

जन्म कुंडली का 9वां भाव (भाग्य भाव) और 10वां भाव (कर्म भाव) सफलता और असफलता का मूल आधार होते हैं।
यदि भाग्यभाव मज़बूत हो लेकिन कर्मभाव कमजोर हो, तो व्यक्ति को मौके तो मिलते हैं लेकिन वे टिक नहीं पाते।
वहीं अगर कर्मभाव मजबूत हो लेकिन भाग्य का साथ न हो, तो मेहनत का परिणाम देर से मिलता है।

ज्योतिष के अनुसार, जब ये दोनों भाव एक-दूसरे से दृष्टि संबंध बनाते हैं, तब जीवन में अचानक बड़ी सफलता संभव होती है।

 ग्रहों का गोचर (Transit)

कभी-कभी व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रहों का गोचर उसके ऊपर विशेष कृपा बरसाता है।
उदाहरण के लिए —

  • गुरु का गोचर यदि लग्न या भाग्य भाव में हो, तो भाग्य का द्वार खुलता है।

  • शनि का गोचर यदि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हो, तो व्यक्ति कठिन परिश्रम से अचानक सफलता प्राप्त करता है।

  • वहीं राहु और केतु का गोचर यदि लग्न या दशम भाव में प्रतिकूल हो, तो असफलता, धोखा या मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ग्रहों के गोचर पर नज़र रखना जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने का सबसे सरल तरीका है।

कर्म और ग्रहों का तालमेल

अक्सर लोग केवल ग्रहों को दोष देते हैं, जबकि ज्योतिष यह मानता है कि कर्म ही ग्रहों को सक्रिय करता है।
यदि व्यक्ति अपने कर्म सुधार ले, तो ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव भी कम हो जाते हैं।

मनोज साहू जी कहते हैं —

“अच्छे कर्म, दान, सेवा और नियमित पूजा ग्रहों को प्रसन्न करते हैं। जब ग्रह प्रसन्न होते हैं, तभी अचानक सफलता मिलती है।”

सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय

अगर आप जीवन में असफलताओं से घिरे हैं और लगातार प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिल रही, तो नीचे दिए गए उपाय उपयोगी हो सकते हैं:

  1. गुरुवार को बृहस्पति को प्रसन्न करें – पीले वस्त्र धारण करें, चने की दाल और गुड़ का दान करें।

  2. शनिवार को शनि देव की उपासना करें – तिल के तेल का दीपक जलाएं, काले वस्त्र धारण करें।

  3. सूर्य को जल अर्पित करें – रोज़ सुबह सूर्य नमस्कार करें और तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।

  4. कालसर्प या पितृ दोष के लिए शिव पूजन करें – सोमवार को महामृत्युंजय जाप करें।

  5. भाग्य वृद्धि के लिए – हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार को गरीबों में अन्नदान करें।

इन सरल उपायों से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा कम होकर जीवन में सकारात्मकता और सफलता का संचार होता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से सफलता का सही समय

हर व्यक्ति के जीवन में एक “दशा परिवर्तन” या ग्रहों की विशेष स्थिति” ऐसा समय लेकर आती है जब अचानक सब कुछ अनुकूल हो जाता है।
इसे ही “सफलता का स्वर्ण काल” कहा जाता है।
ज्योतिष में इस समय की पहचान केवल जन्म कुंडली विश्लेषण के माध्यम से संभव है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार –

“यदि किसी व्यक्ति को अपनी कुंडली में आने वाले शुभ काल की जानकारी पहले से हो, तो वह सही समय पर सही निर्णय लेकर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ सकता है।”

अचानक सफलता या असफलता जीवन का हिस्सा है, लेकिन यह संयोग नहीं होता।
ज्योतिष के अनुसार, इसके पीछे ग्रहों की दशा, योग, दोष और कर्म का संतुलन गहराई से काम करता है।
यदि व्यक्ति अपने ग्रहों की स्थिति को समझकर उचित उपाय करे, तो असफलता को भी सफलता में बदला जा सकता है।

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