कुंडली में नौकरी बदलने या प्रमोशन के योग कैसे पहचानें?

कुंडली में नौकरी बदलने या प्रमोशन के योग कैसे पहचानें?

कुंडली में नौकरी बदलने या प्रमोशन के योग कैसे पहचानें?

हर व्यक्ति के जीवन में करियर या नौकरी एक महत्वपूर्ण आधार होता है। कुछ लोग अपने करियर में स्थिरता चाहते हैं, जबकि कुछ को लगातार बदलाव और नई चुनौतियाँ पसंद होती हैं। किसी व्यक्ति को समय-समय पर नौकरी बदलने का अवसर मिलता है, जबकि किसी को लंबे समय तक एक ही पद पर रहना पड़ता है। कई बार प्रमोशन या उन्नति का समय आने के बाद भी अवसर हाथ से निकल जाते हैं। ऐसे सभी घटनाक्रम केवल मेहनत या योग्यता से ही नहीं, बल्कि ग्रहों की दशा और योगों से भी प्रभावित होते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, जन्म कुंडली में नौकरी परिवर्तन, प्रमोशन और करियर उन्नति के योग स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, यदि कुंडली को सही ढंग से विश्लेषित किया जाए।

करियर से जुड़े भाव

कुंडली में करियर और प्रोफेशन से संबंधित तीन मुख्य भाव होते हैं — दशम भाव (10th house), षष्ठ भाव (6th house) और एकादश भाव (11th house)
दशम भाव व्यक्ति की नौकरी, पेशा, और समाज में प्रतिष्ठा को दर्शाता है। षष्ठ भाव प्रतियोगिता, संघर्ष और कार्यस्थल की स्थिति बताता है। वहीं, एकादश भाव आय, प्रमोशन और लाभ से संबंधित होता है।

यदि इन तीनों भावों के स्वामी मजबूत हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि प्राप्त कर रहे हों, तो व्यक्ति को अपने करियर में निरंतर उन्नति मिलती है। लेकिन यदि इन भावों में अशुभ ग्रह जैसे शनि, राहु या केतु का नकारात्मक प्रभाव हो, तो व्यक्ति को नौकरी में अस्थिरता, परिवर्तन या बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

दशम भाव – करियर का मुख्य भाव

दशम भाव को “कर्मस्थान” कहा गया है, क्योंकि यह व्यक्ति के कर्म, व्यवसाय, पद और प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। जब दशम भाव मजबूत होता है, व्यक्ति को अच्छे अवसर और प्रमोशन मिलते हैं।
यदि दशम भाव का स्वामी शुभ ग्रह जैसे सूर्य, बृहस्पति या बुध के साथ स्थित हो, तो व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त होता है। वहीं, दशम भाव का स्वामी यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला जाए, तो नौकरी में अस्थिरता या बार-बार परिवर्तन के योग बनते हैं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि दशम भाव में सूर्य, मंगल या बृहस्पति मजबूत स्थिति में हों, तो व्यक्ति अपनी मेहनत से उच्च पदों तक पहुंचता है। लेकिन यदि दशम भाव राहु या केतु से प्रभावित हो, तो अचानक नौकरी परिवर्तन या अप्रत्याशित बदलाव की स्थिति बनती है।

षष्ठ भाव और कार्यस्थल की स्थिति

षष्ठ भाव व्यक्ति के कार्यस्थल, सहकर्मियों और प्रतियोगिता से जुड़ा होता है। यह भाव यह भी बताता है कि व्यक्ति को नौकरी में संघर्ष कैसा रहेगा।
यदि षष्ठ भाव में मंगल या शनि जैसे ग्रह हों, तो व्यक्ति को मेहनत के बाद सफलता मिलती है, लेकिन कार्यस्थल पर मतभेद या विवाद की संभावना रहती है।
बुध का प्रभाव इस भाव पर अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को व्यावहारिक और संवाद कुशल बनाता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि षष्ठ भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा में विजयी बनाती है, जबकि अशुभ ग्रह बार-बार नौकरी बदलने के संकेत देते हैं। यदि इस भाव पर राहु या केतु की दृष्टि हो, तो व्यक्ति को कार्यस्थल पर अप्रत्याशित परिवर्तन या ट्रांसफर का सामना करना पड़ता है।

एकादश भाव और प्रमोशन के योग

एकादश भाव लाभ और आय का भाव होता है। जब यह भाव मजबूत होता है, व्यक्ति को प्रमोशन, वेतन वृद्धि और नए अवसर प्राप्त होते हैं।
यदि एकादश भाव का स्वामी दशम भाव से संबंधित हो, तो करियर में तेजी से उन्नति होती है।
बृहस्पति और शुक्र की दृष्टि इस भाव पर हो, तो व्यक्ति को उच्च पद, सामाजिक सम्मान और स्थिर आय प्राप्त होती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि दशम और एकादश भाव के बीच शुभ संबंध करियर ग्रोथ के प्रमुख संकेत होते हैं। वहीं, जब इन भावों के स्वामी विपरीत ग्रहों से प्रभावित हों, तो प्रमोशन में देरी या बाधाएँ आती हैं।

ग्रहों की भूमिका करियर परिवर्तन में

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह व्यक्ति के करियर पर विशेष प्रभाव डालता है।

सूर्य – यह सरकारी नौकरी, नेतृत्व और पद प्रतिष्ठा का प्रतीक है। जब सूर्य मजबूत होता है, व्यक्ति को ऊंचा पद प्राप्त होता है। लेकिन सूर्य कमजोर हो तो अधिकारी वर्ग से टकराव या पद से अस्थिरता की संभावना रहती है।

चंद्रमा – चंद्रमा की स्थिति मनोवैज्ञानिक स्थिरता दर्शाती है। यदि यह बारहवें या छठे भाव में चला जाए, तो व्यक्ति बार-बार नौकरी बदलने के निर्णय लेता है।

मंगल – मंगल ऊर्जावान और सक्रिय ग्रह है। जब यह दशम भाव या लग्न में शुभ स्थिति में हो, व्यक्ति महत्वाकांक्षी होता है और जल्द प्रमोशन पाता है। लेकिन राहु या केतु के साथ युति होने पर अचानक नौकरी परिवर्तन के योग बनते हैं।

बुध – यह संचार और बुद्धिमत्ता का ग्रह है। इसकी शुभ स्थिति व्यक्ति को व्यापारिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में सफलता दिलाती है। लेकिन कमजोर बुध करियर में अस्थिरता और गलत निर्णय का कारण बनता है।

बृहस्पति – यह गुरु ग्रह करियर में स्थिरता और उन्नति प्रदान करता है। जब यह दशम या एकादश भाव पर दृष्टि डालता है, व्यक्ति को सम्मान, उच्च पद और स्थायी सफलता मिलती है।

शुक्र – यह सृजनात्मक क्षेत्रों और कला से जुड़ा ग्रह है। शुक्र की शुभ स्थिति व्यक्ति को आकर्षक व्यक्तित्व और रचनात्मक करियर में सफलता देती है।

शनि – शनि परिश्रम और अनुशासन का प्रतीक है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे लेकिन स्थायी सफलता दिलाता है। कमजोर शनि देरी लाता है, लेकिन मजबूत शनि व्यक्ति को मेहनती और सफल बनाता है।

राहु और केतु – ये छाया ग्रह करियर में अचानक बदलाव के कारक हैं। राहु विदेश संबंधी कार्यों और अप्रत्याशित अवसरों को दर्शाता है, जबकि केतु आत्मचिंतन और करियर में असमंजस का कारण बनता है।

दशा और गोचर का प्रभाव

केवल ग्रहों की स्थिति ही नहीं, बल्कि उनकी दशा (महादशा और अंतर्दशा) भी नौकरी परिवर्तन या प्रमोशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • जब दशम भाव का स्वामी या उससे संबंधित ग्रह की दशा चल रही होती है, तब व्यक्ति को नए अवसर प्राप्त होते हैं।

  • राहु या शनि की दशा में अप्रत्याशित परिवर्तन या ट्रांसफर होते हैं।

  • बृहस्पति या शुक्र की दशा व्यक्ति को प्रमोशन और पदोन्नति के रूप में फल देती है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि गोचर के समय यदि बृहस्पति दशम भाव से गुजर रहा हो या उस पर दृष्टि डाल रहा हो, तो यह करियर में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत होता है।

नौकरी में स्थिरता के उपाय

  • सूर्य को मजबूत करें — रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य दें और रविवार का व्रत रखें।

  • शनि की शांति के लिए — शनिवार को तेल का दीपक जलाएं और गरीबों को दान दें।
  • बुध के लिए उपाय — बुधवार को हरे वस्त्र पहनें और तुलसी को जल चढ़ाएं।
  • बृहस्पति की कृपा के लिए — गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें, चने की दाल दान करें।
  • राहु-केतु दोष निवारण — नाग देवता की पूजा करें और शनिवार को तिल का दान करें।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यदि व्यक्ति अपने ग्रहों के अनुसार उपाय करता है, तो करियर की रुकावटें दूर होकर सफलता और प्रमोशन के योग प्रबल हो जाते हैं।

कुंडली में नौकरी बदलने या प्रमोशन के योग केवल भाग्य या मेहनत से नहीं, बल्कि ग्रहों की स्थिति, दशा और भावों की शक्ति पर निर्भर करते हैं। जब दशम, षष्ठ और एकादश भाव शुभ ग्रहों से प्रभावित होते हैं, तब व्यक्ति अपने करियर में निरंतर आगे बढ़ता है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि सही समय पर कुंडली का विश्लेषण और उचित ज्योतिषीय उपाय व्यक्ति को नौकरी में स्थिरता, प्रमोशन और सफलता की राह दिखाते हैं। करियर केवल मेहनत का नहीं, बल्कि ग्रहों के संतुलन का भी परिणाम है। जब ग्रह अनुकूल होते हैं, तब व्यक्ति के प्रयासों को सही दिशा मिलती है और जीवन में सफलता निश्चित होती है।

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