विवाह में देरी के ज्योतिष कारण और उपाय
हर व्यक्ति के जीवन में विवाह का अपना समय होता है, लेकिन कई बार विवाह में देरी, रिश्ते टूटना या उपयुक्त जीवनसाथी का न मिलना चिंता का कारण बन जाता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, विवाह में देरी केवल सामाजिक कारणों से नहीं होती, बल्कि इसके पीछे ज्योतिषीय कारण और ग्रहों की स्थिति भी ज़िम्मेदार होती है।
विवाह से जुड़े ग्रह
विवाह से संबंधित प्रमुख ग्रह हैं —
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शुक्र: प्रेम, आकर्षण और विवाह का कारक।
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गुरु: कन्या या स्त्री जातक के विवाह का कारक।
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शनि: देरी और परीक्षण का ग्रह।
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राहु-केतु: भ्रम और अनिश्चितता का संकेत।
यदि ये ग्रह अशुभ भावों (6, 8, 12) में स्थित हों या परस्पर विरोध में हों, तो विवाह में अड़चनें आती हैं।
ज्योतिष अनुसार विवाह में देरी के कारण
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शनि या राहु का सप्तम भाव (7th House) पर प्रभाव: यह सबसे आम कारण है।
- मंगल दोष: जब मंगल अशुभ भाव में स्थित होता है।
- गुरु का नीच या पाप ग्रहों से दृष्ट: विवाह प्रस्तावों में अड़चनें आती हैं।
- कुंडली में सप्तम भाव का कमजोर स्वामी: उचित जीवनसाथी नहीं मिल पाता।
- दशा-अंतरदशा का अशुभ प्रभाव: समय पर शुभ फल नहीं मिलता।
विवाह में देरी के ज्योतिष उपाय
मनोज साहू जी के अनुसार, यदि आपकी कुंडली में विवाह में विलंब का योग है, तो ये सरल और प्रभावशाली उपाय अपनाएं —
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शुक्र और गुरु की पूजा करें।
शुक्रवार को लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें।
पीले या सफेद वस्त्र पहनें।
मंत्र जप:
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“ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” – प्रतिदिन 108 बार।
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मंगल दोष निवारण:
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हनुमान मंदिर में मंगलवार को दीपक जलाएं।
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कन्यादान या विवाह में योगदान दें।
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शुक्रवार को सफेद चावल और दही का दान करें।
लाभ: विवाह के योग मजबूत होते हैं, उचित जीवनसाथी मिलने के संकेत मिलते हैं, और विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
साथ ही, घर के उत्तर-पश्चिम (Vayavya) कोने को स्वच्छ रखें — यह विवाह के लिए शुभ माना गया है।
विवाह जीवन का महत्वपूर्ण निर्णय है, और यदि इसमें देरी हो रही है, तो निराश न हों।
ग्रहों की शांति, सही पूजा, और सकारात्मक सोच से विवाह योग मजबूत होता है।
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं —
“जब सही ग्रह समय आता है, तो विवाह अपने आप पूर्ण होता है, बस धैर्य और विश्वास बनाए रखें।”
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