क्या कुंडली में लिखे योग हमेशा काम करते हैं

क्या कुंडली में लिखे योग हमेशा काम करते हैं

भारतीय वैदिक ज्योतिष मानव जीवन का दर्पण है। जन्म के समय ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के पूरे जीवन का आधार मानी जाती है। जन्म कुंडली में लिखे योग व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य, सफलता, विवाह, धन, स्वास्थ्य, करियर, संतान और जीवन यात्रा से जुड़ी संभावनाओं को दर्शाते हैं। परंतु अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या कुंडली में लिखे सभी योग सच में काम करते हैं। कई बार लग्न कुंडली में राजयोग लिखा होता है लेकिन व्यक्ति को अत्यधिक संघर्ष झेलना पड़ता है। कहीं धनयोग दिखाई देता है पर धन नहीं टिकता। इससे लोग भ्रमित हो जाते हैं कि क्या ज्योतिष सटीक है या नहीं।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली में लिखे योग सटीक होते हैं, लेकिन उनका फल तभी मिलता है जब ग्रह, दशा और जीवन परिस्थिति अनुकूल हों। योग केवल संभावनाओं का संकेत है, उसे सक्रिय करने के लिए कर्म, समय और उपायों का योगदान भी आवश्यक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि कुंडली को केवल एक नक्शा मानें, मंजिल तक पहुंचने के लिए रास्ते में स्वयं चलना पड़ता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि  कुंडली में लिखे योग हमेशा फल क्यों नहीं देते, किन कारकों से योग सक्रिय या निष्क्रिय होते हैं, और कैसे उन्हें अपने पक्ष में किया जा सकता है।

योग क्या होते हैं और इनका महत्व

योग ग्रहों की विशिष्ट स्थिति, युति, दृष्टि या भावों में बने विशेष संयोजन को कहा जाता है।
उदाहरण

  • राजयोग

  • धनयोग

  • विवाह योग

  • संतान योग

  • भाग्य योग

  • विद्या योग

  • व्यापार योग

ये योग बताते हैं कि व्यक्ति के जीवन में किन क्षेत्रों में मजबूत उपलब्धियां संभव हैं।
लेकिन योग का होना और योग का फल देना दोनों अलग बातें हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि योग जीवन की संभावना को दर्शाते हैं लेकिन उसकी पूर्ति के लिए ग्रहों का सक्रिय और शुभ प्रभाव आवश्यक होता है।

योग के फल को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक

 कुंडली में योग बने हों लेकिन फलीभूत न हो, इसके पीछे मुख्य रूप से नीचे दिए गए कारण जिम्मेदार होते हैं।

ग्रहों की शक्ति और बल

यदि योग बनाने वाले ग्रह

  • नीच के हों

  • पाप ग्रहों से प्रभावित हों

  • अस्त या कमजोर हों
    तो वे योग का पूरा फल नहीं दे पाते।

दशा और अंतर्दशा का समय

योग तभी फल देता है जब संबंधित ग्रह की दशा चल रही हो।
यदि दशा किसी अन्य प्रभावी ग्रह की चल रही हो तो योग निष्क्रिय बना रहता है।

गोचर ग्रह यदि योग के विपरीत चल रहे हों तो योग का फल देर से मिलता है।

भावेश और भाव की स्थिति

योग के भाव का स्वामी ग्रह कमजोर होने पर फल आधा रह जाता है।

नक्षत्र प्रभाव

ग्रहीय नक्षत्र खराब होने पर योग निष्क्रिय हो जाता है।

पाप ग्रहों की दृष्टि

विशेषकर राहु, केतु, शनि, मंदारिका ग्रह यदि योग को प्रभावित करें तो बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।

कर्म और प्रयास की भूमिका

वैदिक शास्त्रों के अनुसार
योग = 50 प्रतिशत भाग्य + 50 प्रतिशत कर्म

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि बिना प्रयास कोई योग फल नहीं देता।

कुछ उदाहरण जहाँ योग काम नहीं करते

राजयोग होते हुए भी संघर्ष

कई लोगों की  कुंडली में राजयोग बना होता है लेकिन

  • शिक्षा अधूरी रह जाती है

  • अवसर नहीं मिलते

  • कार्य में बाधाएँ आती रहती हैं

ऐसे मामलों में शनि और राहु का प्रभाव राजयोग को निष्क्रिय कर देता है।

धनयोग फिर भी आर्थिक संताप

धनयोग होने के बाद भी

  • धन रुक जाता है

  • कर्ज बढ़ जाता है

  • गलत निवेश हो जाते हैं

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि यह तब होता है जब बारहवें और छठे भाव के पाप प्रभाव अधिक हों।

संतान योग होते हुए भी विलंब

अष्टम और पंचम भाव कमजोर होने पर योग होने के बावजूद संतान सुख देर से मिलता है।

कुंडली में सक्रिय योग और निष्क्रिय योग में अंतर

योग की स्थितिपरिणाम
सक्रिय योगजीवन में सफलता जल्दी, अवसर बढ़ते
निष्क्रिय योगदेरी, संघर्ष, बाधाएँ अधिक
पाप प्रभाव वाला योगसंघर्ष के बाद सफलता
शुभ प्रभाव वाला योगसहज और सुगम सफलता

योग को सक्रिय करने के लिए ग्रहों का बल बढ़ाना आवश्यक है।

योग कब फल देने लगता है

किसी भी योग के फल का निर्धारण तीन तत्वों पर आधारित है

  • ग्रह की दशा प्रारंभ होते ही

  • अनुकूल गोचर मिलने पर

  • सही समय पर उपयुक्त कर्म होने पर

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि योग देर से फल दे सकता है लेकिन गलत नहीं फल देता।

योग को सक्रिय करने के उपाय

ग्रहों के लिए उचित उपाय

  • मंत्र जाप

  • पूजा पाठ

  • अनुकूल ग्रहों का दान

  • दोष शांति

सही दिशा में कर्म

  • शिक्षा और कौशल विकास

  • करियर में सही विकल्प

  • अनुशासन और परिश्रम

शुभ नक्षत्र और मुहूर्त का उपयोग



शुभ मुहूर्त में कार्य करने से योग अधिक प्रभावी होते हैं।

रत्न धारण

योग में शामिल ग्रहों के अनुसार रत्न लाभकारी हो सकते हैं
लेकिन केवल अनुभवी ज्योतिषी की सलाह से ही पहनना चाहिए।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी बताते हैं कि उपाय ग्रहों को सक्रिय बनाते हैं जिससे योग तेजी से फल देते हैं।

वास्तविक जीवन के उदाहरण

कई लोग सीमित संसाधनों के बावजूद उन्नति कर जाते हैं क्योंकि

  • उनकी दशा अनुकूल होती है

  • योग सक्रिय हो रहे होते हैं

  • आत्मविश्वास और परिश्रम साथ देते हैं

वहीं कई लोग सुविधाओं के बावजूद पीछे रह जाते हैं क्योंकि

  • पाप ग्रह बाधा डालते हैं

  • दशा प्रतिकूल होती है

  • कर्म दिशा सही नहीं होती

यह दर्शाता है कि योग का होना पर्याप्त नहीं, उसे सक्रिय करना आवश्यक है।

कुंडली में लिखे योग हमेशा सत्य होते हैं, लेकिन उनका फल

  • सही समय पर

  • सही परिस्थितियों में

  • उचित कर्म के साथ
    ही प्राप्त होता है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी कहते हैं कि योग बीज है और कर्म उस बीज को वृक्ष बनाने वाली मिट्टी, पानी और देखभाल है। योग तभी फलित होते हैं जब ग्रह शुभ हों और जीवन की दिशा सही हो। भाग्य और कर्म दोनों मिलकर जीवन बनाते हैं।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी सलाह देते हैं कि अपनी कुंडली को समझें, ग्रहों का सही विश्लेषण कराएं और उचित उपाय अपनाएं। इससे निष्क्रिय योग भी सक्रिय होकर जीवन में प्रगति और सफलता के मार्ग खोल सकते हैं।

गूगल में जाकर आप हमारे रिव्यू देख सकते हैं

Astrologer Sahu Ji
428, 4th Floor, Orbit Mall
Indore, (MP)
India
Contact:  9039 636 706  |  8656 979 221
For More Details Visit Our Website:

Suggested Post

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत?

 भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली के कौन से ग्रह होते हैं मजबूत? भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र से कुंडली भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ...