प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज में ज्योतिष की भूमिका

प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज में ज्योतिष की भूमिका

प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज

शादी दो लोगों के बीच सिर्फ एक सामाजिक या कानूनी बंधन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का पवित्र मिलन है। भारतीय संस्कृति में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, और इसे केवल प्रेम या आकर्षण नहीं, बल्कि भाग्य, कर्म और ग्रहों की दशा भी नियंत्रित करते हैं। आजकल प्रेम विवाह  और अरेंज मैरिज  दोनों ही प्रकार के विवाह सामान्य हो गए हैं, लेकिन दोनों के बीच स्वभाव, सोच और परिस्थितियों को लेकर बड़ा अंतर होता है।

ज्योतिष  एक ऐसा विज्ञान है, जो ग्रहों, नक्षत्रों और भावों की स्थिति के आधार पर यह बता सकता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज के योग हैं या नहीं। कुंडली में सप्तम भाव , पंचम भाव , ग्रहों की युति और दशाएँ व्यक्ति के विवाह के प्रकार और दांपत्य जीवन की सफलता को दर्शाती हैं।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज में ज्योतिष की क्या भूमिका है, कुंडली में किस प्रकार के योग इन दोनों विवाहों को प्रभावित करते हैं, और ग्रहों के आधार पर कैसे सही जीवनसाथी का चयन किया जा सकता है। 

प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज में ज्योतिषीय अंतर 

 प्रेम विवाह: ग्रहों की भूमिका 
प्रेम विवाह के लिए व्यक्ति के जीवन में आकर्षण, रोमांस और स्वतंत्रता की भावना का होना आवश्यक है। कुंडली में कुछ विशेष ग्रह और भाव होते हैं, जो प्रेम विवाह के योग बनाते हैं।

  • पंचम भाव: यह भाव प्रेम, भावनाएँ और आकर्षण को दर्शाता है। अगर इस भाव में शुक्र, बुध या चंद्रमा जैसे ग्रह हों, तो व्यक्ति प्रेम विवाह के इच्छुक होते हैं।
  • सप्तम भाव: विवाह का मुख्य भाव है। अगर सप्तम भाव का स्वामी मंगल, राहु या शुक्र के साथ हो, तो व्यक्ति में अपनी पसंद से शादी करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • शुक्र : प्रेम और आकर्षण का ग्रह है। शुक्र की मजबूत स्थिति व्यक्ति को प्रेम विवाह की ओर झुकाव देती है।
  • मंगल : साहस और स्वतंत्रता का प्रतीक। अगर मंगल पंचम या सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति अपने फैसलों में स्वतंत्र होते हैं और अपनी पसंद से विवाह करना चाहते हैं।
  • राहु: अगर राहु पंचम या सप्तम भाव में हो, तो जातक को सामाजिक बंधनों को तोड़कर प्रेम विवाह करने की इच्छा होती है।

संकेत:

  • प्रेम में साहस, जोखिम और जुनून दिखना।
  • परिवार की मर्ज़ी के बिना अपनी पसंद से शादी करने की इच्छा
  • जातक का विदेशी या भिन्न जाति के व्यक्ति से शादी करने की संभावना

अरेंज मैरिज : ग्रहों की भूमिका 

अरेंज मैरिज

अरेंज मैरिज में परिवार की सहमति, परंपराओं और सामंजस्य को अधिक महत्व दिया जाता है। इस प्रकार के विवाह में शनि, गुरु और चंद्रमा की भूमिका अधिक होती है।

  • सप्तम भाव : विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का कारक है। अगर सप्तम भाव में शनि, गुरु या बुध जैसे स्थिर ग्रह हों, तो अरेंज मैरिज के योग बनते हैं।
  • द्वितीय भाव : यह भाव परिवार और परंपराओं को दर्शाता है। इस भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति पारिवारिक सहमति से होने वाली शादी की संभावना को बढ़ाती है।
  • चंद्रमा : भावनात्मक स्थिरता और पारिवारिक संबंधों को दिखाता है।
  • गुरु : गुरु संस्कार, परंपरा और स्थायित्व का प्रतीक है।
  • शनि : जिम्मेदारी, अनुशासन और स्थायित्व का कारक। शनि के प्रभाव वाले लोग पारंपरिक विवाह को महत्व देते हैं।

संकेत:

  • परिवार और समाज की सहमति से शादी करने की इच्छा
  • पारंपरिक मूल्यों और रीति-रिवाजों का पालन
  • विवाह के लिए बड़ों की राय को महत्व देना

कुंडली में प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज के योग कैसे पहचानें

 प्रेम विवाह के योग:

  • पंचम और सप्तम भाव के स्वामी की युति
  • शुक्र और राहु की युति या दृष्टि
  • मंगल और शुक्र की मज़बूत स्थिति
  • चंद्रमा और शुक्र का संयोजन

अरेंज मैरिज के योग:

  • सप्तम भाव में गुरु, बुध या शनि की स्थिति।
  • द्वितीय भाव (परिवार) का संबंध सप्तम भाव से
  • चंद्रमा की मज़बूत स्थिति और गुरु की दृष्टि
  • शुभ ग्रहों का नवम भाव (भाग्य) से संबंध

प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज के लिए ज्योतिषीय उपाय 

प्रेम विवाह

प्रेम विवाह के लिए उपाय:

  • शुक्र को मज़बूत करें: शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें और सफ़ेद मिठाई का दान करें
  • चंद्रमा की शांति करें: सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करें
  • मंगल दोष निवारण: हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार को मसूर दाल का दान करें।

 अरेंज मैरिज के लिए उपाय:

  • गुरु को मज़बूत करें: गुरुवार को पीले कपड़े पहनें और ब्रहस्पति मंत्र का जाप करें
  • शनि की शांति: शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और काले तिल दान करें
  • चंद्रमा को संतुलित करें: सफ़ेद चंदन का तिलक लगाएँ और दूध का दान करें

विवाह के लिए सही समय कैसे चुनें

ज्योतिष में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रहों की सही स्थिति सुखी और सफल दांपत्य जीवन को सुनिश्चित करती है।

  • विवाह के लिए शुभ तिथियाँ: अक्षय तृतीया, वसंत पंचमी, कार्तिक पूर्णिमा।
  • शुभ योग: सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग।
  • राशि मिलान: कुंडली मिलान में गुण मिलान, नाड़ी दोष, भकूट दोष की जाँच ज़रूरी है।
प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज दोनों ही अपने-अपने तरीके से सुंदर और महत्वपूर्ण हैं। सही जीवनसाथी का चुनाव सिर्फ भावना नहीं, बल्कि कुंडली, ग्रहों और भाग्य पर भी निर्भर करता है। सकारात्मक ग्रहों की स्थिति जहाँ सुख, प्रेम और स्थिरता लाती है, वहीं अशुभ ग्रहों की दशा विवाह में तनाव और असंतोष ला सकती है।




पवन यादव,कोरेगांव पार्क, पुणे 
ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति हमारे विवाह के प्रकार को बहुत प्रभावित करती है। प्रेम विवाह में शुक्र और राहु की भूमिका प्रमुख होती है, जबकि अरेंज मैरिज में गुरु और चंद्रमा का प्रभाव देखा जाता है। पुणे की नेहा शर्मा ने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लिया। उनकी कुंडली में विवाह में देरी के योग थे, लेकिन साहू जी के सुझाए गए उपायों से जल्द ही उनकी शादी तय हो गई। आज वे अपने सुखी दांपत्य जीवन के लिए साहू जी की आभारी हैं।

रोहन गुप्ता, साउथ एक्सटेंशन, दिल्ली
ज्योतिष शास्त्र में विवाह के योग को ग्रहों की चाल और दशाओं से जाना जाता है। प्रेम विवाह में शुक्र और मंगल का प्रभाव अधिक होता है, जबकि अरेंज मैरिज में गुरु और शनि की भूमिका अहम मानी जाती है। दिल्ली के रोहन गुप्ता ने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से सलाह ली, क्योंकि उनके प्रेम विवाह में बाधाएं आ रही थीं। साहू जी के उपायों और मार्गदर्शन से जल्द ही सभी रुकावटें दूर हो गईं और उनका विवाह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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