नक्षत्रों के आधार पर नामकरण कैसे करें?

नक्षत्रों के आधार पर नामकरण कैसे करें?

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नक्षत्रों के आधार पर नामकरण 

हिंदू ज्योतिष में नामकरण संस्कार (नामकरण विधि) को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, उसी के अनुसार बच्चे के नाम का पहला अक्षर निर्धारित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम उसके जन्म नक्षत्र से मेल खाता है, तो यह उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शुभता लाता है।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नक्षत्र के आधार पर बच्चे का नामकरण कैसे किया जाता है, कौन-कौन से नक्षत्र होते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के अनुसार कौन से अक्षर शुभ माने जाते हैं।

नक्षत्र और उनका नामकरण में महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं, और प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण (पद) होते हैं। प्रत्येक चरण से एक विशेष अक्षर जुड़ा होता है, जिससे नामकरण किया जाता है।

जन्म नक्षत्र से नाम रखने के फायदे:
 बच्चे की कुंडली के ग्रह अनुकूल होते हैं।
जीवन में सफलता और समृद्धि में सहायता मिलती है।
सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
ग्रह दोषों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है।

अब आइए जानते हैं कि किस नक्षत्र के अनुसार कौन-कौन से अक्षर शुभ माने जाते हैं।

27 नक्षत्रों के अनुसार नामकरण के शुभ अक्षर

नक्षत्रपहला अक्षर (नामकरण हेतु)
अश्विनीचू, चे, चो, ला
भरणीली, लू, ले, लो
कृतिकाअ, ई, उ, ए
रोहिणीओ, वा, वी, वू
मृगशिरावे, वो, का, की
आर्द्राकू, घ, ङ, छ
पुनर्वसुके, को, हा, ही
पुष्यहु, हे, हो, डा
आश्लेषाडी, डू, डे, डो
मघामा, मी, मू, मे
पूर्वा फाल्गुनीमो, टा, टी, टू
उत्तर फाल्गुनीटे, टो, पा, पी
हस्तपू, ष, ण, ठ
चित्रापे, पो, रा, री
स्वातिरू, रे, रो, ता
विशाखाती, तू, ते, तो
अनुराधाना, नी, नू, ने
ज्येष्ठानो, या, यी, यू
मूलये, यो, भा, भी
पूर्वाषाढ़ाभू, धा, फा, ढा
उत्तराषाढ़ाबे, बो, जा, जी
श्रवणखी, खू, खे, खो
धनिष्ठागा, गी, गु, गे
शतभिषागो, सा, सी, सू
पूर्वा भाद्रपदसे, सो, दा, दी
उत्तर भाद्रपददू, थ, झ, ञ
रेवतीदे, दो, चा, ची

उदाहरण: यदि किसी बच्चे का जन्म "रोहिणी" नक्षत्र में हुआ है, तो उसके नाम का पहला अक्षर "ओ, वा, वी, वू" में से कोई एक होना चाहिए।

नामकरण के लिए सही समय और मुहूर्त

नामकरण के लिए सही समय और मुहूर्त

नामकरण संस्कार का सही मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार निकाला जाता है।
जन्म के 11वें दिन (या कभी-कभी 12वें, 21वें या 30वें दिन) यह संस्कार किया जाता है।
चंद्रमा की शुभ स्थिति और शुभ नक्षत्रों में नामकरण करना श्रेष्ठ माना जाता है।
नामकरण के समय राहु काल और अशुभ योग का ध्यान रखना चाहिए

क्या करें और क्या न करें 

क्या करें:
जन्म नक्षत्र के अनुसार पहला अक्षर चुनें।
बच्चे के नाम में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता हो।
नाम छोटा और उच्चारण में आसान हो।
ज्योतिषीय परामर्श लेकर शुभ मुहूर्त में नामकरण करें।

क्या न करें:
नकारात्मक या अशुभ अर्थ वाले शब्दों से बचें।
बहुत कठिन उच्चारण वाले नाम न रखें।
बिना पंचांग देखे नामकरण न करें।

नामकरण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह जीवनभर व्यक्ति की पहचान और उसके भाग्य से जुड़ा होता है। जन्म नक्षत्र के अनुसार नामकरण करने से जीवन में सकारात्मकता और सफलता की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसलिए, ज्योतिषीय दृष्टि से नामकरण करवाना एक श्रेष्ठ परंपरा मानी जाती है।

अगर आप अपने बच्चे का नामकरण करवाना चाहते हैं और सही नाम चुनना चाहते हैं, तो किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेना लाभकारी होगा। 


संगीता शर्मा, इंदौर

हमने साहू जी से अपने बेटे के नामकरण के लिए सलाह ली। उन्होंने नक्षत्र और कुंडली के अनुसार नाम सुझाया। आज हमारा बेटा अपने नाम के अनुरूप ही सफलता प्राप्त कर रहा है। साहू जी का मार्गदर्शन अमूल्य है!"

अजय मिश्रा, 

"साहू जी से नामकरण संस्कार के लिए सलाह ली और उन्होंने हमारे बच्चे के नक्षत्र के अनुसार सही नाम बताया। अब हमारे परिवार में सब खुश हैं और हमें लगता है कि सही नाम से भविष्य उज्ज्वल होगा। धन्यवाद साहू जी!"

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Astrologer Sahu Ji
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