ज्योतिष के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के संकेत कैसे मिलते हैं?

ज्योतिष के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के संकेत कैसे मिलते हैं? 

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ज्योतिष के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के संकेत

प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात, ज्वालामुखी विस्फोट आदि मानवीय नियंत्रण से परे होती हैं, लेकिन वेदिक ज्योतिष के अनुसार, इन घटनाओं के संकेत ग्रहों की चाल, योगों और नक्षत्रों के माध्यम से पहले ही मिल सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि ग्रहों की उग्र स्थिति और विशेष योग जब बनते हैं, तो वे पृथ्वी पर असंतुलन और उथल-पुथल का कारण बन सकते हैं। किसी भी प्राकृतिक आपदा के पीछे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जब ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या आपस में अशुभ संयोजन बनाते हैं, तो प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ जाती है।

इस लेख में हम जानेंगे कि वेदिक ज्योतिष के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के संकेत कैसे मिलते हैं, कौन-कौन से ग्रह इन आपदाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं, और कैसे इन संकेतों को समझकर हम भविष्य में सचेत रह सकते हैं।

प्राकृतिक आपदाओं का ज्योतिषीय विश्लेषण 

भूकंप के ज्योतिषीय संकेत 

भूकंप का संबंध मंगल, राहु, केतु और शनि से माना जाता है। जब ये ग्रह किसी नकारात्मक संयोग में आते हैं और पृथ्वी तत्व वाले नक्षत्रों (रोहिणी, मृगशिरा, पूर्वाषाढ़ा) में होते हैं, तब भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।

भूकंप के संभावित ज्योतिषीय संकेत:

  • जब राहु और केतु वक्री अवस्था में होते हैं और मंगल अशुभ स्थिति में होता है, तो यह पृथ्वी के असंतुलन का संकेत देता है।
  • शनि और मंगल का एक साथ आना (विशेष रूप से मकर, वृषभ या कन्या राशि में) भूकंप की स्थिति को जन्म देता है।
  • अमावस्या या ग्रहण के दौरान मंगल और शनि का प्रभाव जब पृथ्वी तत्व वाली राशियों (वृषभ, कन्या, मकर) पर होता है, तो बड़े भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
  • केतु और मंगल का योग, विशेष रूप से जब यह चतुर्थ या अष्टम भाव में होता है, तो विनाशकारी भूकंप ला सकता है।

बाढ़ और चक्रवात के ज्योतिषीय संकेत 

बाढ़

बाढ़ और चक्रवात मुख्य रूप से चंद्रमा, शुक्र, मंगल और राहु के प्रभाव से होते हैं। जब चंद्रमा जल तत्व की राशियों (कर्क, वृश्चिक, मीन) में पीड़ित होता है, तब भारी वर्षा और बाढ़ की संभावना बनती है।

बाढ़ और चक्रवात के संभावित ज्योतिषीय संकेत:

  • चंद्रमा, राहु और केतु का एक साथ आना जल तत्व की राशियों में बाढ़ और चक्रवात को जन्म देता है।
  • मंगल और राहु का अशुभ योग, विशेष रूप से चंद्रमा के साथ दूषित अवस्था में, बाढ़ और भारी बारिश की ओर इशारा करता है।
  • जब सूर्य और शनि एक साथ होते हैं और चंद्रमा पीड़ित होता है, तो चक्रवात जैसी आपदाएँ जन्म लेती हैं।
  • गुरु और चंद्रमा की युति यदि राहु या केतु से प्रभावित हो, तो समुद्री तूफान और भारी वर्षा की संभावना रहती है।

सूखा  के ज्योतिषीय संकेत 

सूखे की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब जल तत्व के ग्रह (चंद्रमा, शुक्र, गुरु) पीड़ित होते हैं, और अग्नि तत्व के ग्रह (सूर्य, मंगल, राहु) प्रबल होते हैं

सूखे के संभावित ज्योतिषीय संकेत:

  • जब चंद्रमा निर्बल होता है और शुक्र पीड़ित अवस्था में होता है, तब सूखे की संभावना बढ़ जाती है।
  • सूर्य और मंगल की युति और गुरु का अशुभ स्थिति में होना, वर्षा की कमी और अकाल की ओर संकेत करता है।
  • जब केतु और शनि का प्रभाव जल तत्व की राशियों (कर्क, वृश्चिक, मीन) पर होता है, तो यह सूखे का संकेत देता है।
  • मंगल और सूर्य का अष्टम या द्वादश भाव में रहना, और चंद्रमा पर शनि का प्रभाव, भूमि को जलविहीन बना सकता है।

ज्वालामुखी विस्फोट के ज्योतिषीय संकेत 

ज्वालामुखी विस्फोट का संबंध मुख्य रूप से मंगल, सूर्य और राहु-केतु से होता है। जब मंगल अधिक उग्र होता है और राहु-केतु से प्रभावित होता है, तो ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना बढ़ जाती है।

ज्वालामुखी विस्फोट के संभावित ज्योतिषीय संकेत:

  • मंगल, राहु और शनि का एक साथ आना पर्वतीय क्षेत्रों में ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना बढ़ाता है।
  • जब सूर्य और मंगल एक साथ अशुभ स्थिति में होते हैं, और राहु या केतु से दृष्ट होते हैं, तो ज्वालामुखी का फटना संभव हो जाता है।
  • केतु और मंगल की युति विशेष रूप से अग्नि तत्व की राशियों (मेष, सिंह, धनु) में हो तो विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट हो सकते हैं।

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के ज्योतिषीय उपाय 

वैदिक ज्योतिष में प्राकृतिक आपदाओं से बचने और उनके प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यदि कोई क्षेत्र या व्यक्ति प्रभावित हो सकता है, तो निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

मंत्र और यज्ञ:

  • महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • गायत्री मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • राहु-केतु शांति यज्ञ करने से अप्रत्याशित आपदाओं से बचा जा सकता है।

ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय:

ग्रहों 

  • मंगल दोष निवारण के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • शनि दोष को शांत करने के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें।
  • चंद्रमा को मजबूत करने के लिए सोमवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएँ।
  • राहु और केतु के दोष को शांत करने के लिए काले तिल और नारियल का दान करें।

दान और सेवा:

  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • मंदिरों में जल स्रोतों की स्थापना करें और सार्वजनिक जल आपूर्ति में योगदान दें।
  • पक्षियों और जानवरों को खाना खिलाने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।
प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी पूर्ण सटीकता से करना कठिन हो सकता है, लेकिन वैदिक ज्योतिष के माध्यम से ग्रहों की चाल, नक्षत्रों की स्थिति और विभिन्न योगों के आधार पर संकेत अवश्य मिल सकते हैं। यदि सही समय पर इन संकेतों को समझा जाए और सतर्कता व उचित उपाय अपनाए जाएँ, तो हम आपदाओं से बचाव कर सकते हैं और उनके प्रभाव को कम कर सकते हैं।

राहुल शर्मा, जयपुर

साहू जी से ज्योतिषीय परामर्श लेने के बाद मैं हैरान रह गया कि ग्रहों की चाल से प्राकृतिक आपदाओं के संकेत पहले ही मिल सकते हैं। उनकी गहरी ज्योतिषीय समझ ने मुझे चौंका दिया। अब मैं नियमित रूप से उनके मार्गदर्शन का अनुसरण करता हूँ। अत्यधिक अनुशंसित!"

सुमिता वर्मा,

साहू जी की भविष्यवाणियाँ सच में अद्भुत हैं! उन्होंने बताया था कि ग्रहों की विशेष स्थिति से जलवायु परिवर्तन और भूकंप जैसी घटनाओं के संकेत मिलते हैं। उनकी सटीक भविष्यवाणी देखकर मैं अचंभित हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद साहू जी!"

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Astrologer Sahu Ji
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