वास्तु और ग्रहों का संबंध
वास्तु शास्त्र और ग्रहों का गहरा संबंध है। वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो भवन निर्माण और उसके वातावरण को संतुलित करने की विधा है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव को दर्शाता है। जब दोनों का सही तालमेल होता है, तो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, लेकिन अगर वास्तु दोष और ग्रहों की अशुभ स्थिति हो, तो जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
वास्तु और ज्योतिष में संबंध क्यों महत्वपूर्ण है?
वास्तु शास्त्र में दिशाओं और ग्रहों का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक दिशा किसी न किसी ग्रह से जुड़ी होती है, और उस दिशा में दोष होने से संबंधित ग्रह भी अशुभ फल देने लगते हैं। सही वास्तु नियमों का पालन करने से ग्रहों का प्रभाव सकारात्मक बनता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
दिशाएं और उनके स्वामी ग्रह
पूर्व दिशा – सूर्य
- पूर्व दिशा का संबंध सूर्य से होता है, जो आत्मविश्वास, सफलता और ऊर्जा का प्रतीक है।
- यदि घर का मुख्य द्वार पूर्व में है और खुला, साफ-सुथरा है, तो व्यक्ति के आत्मविश्वास और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
- यदि इस दिशा में कोई रुकावट या दोष हो, तो व्यक्ति को करियर और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
पश्चिम दिशा – शनि
- पश्चिम दिशा के स्वामी शनि हैं, जो कर्म और न्याय के कारक माने जाते हैं।
- इस दिशा में अधिक दोष होने पर व्यक्ति को करियर में बाधाएं, आलस्य और अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
- इस दिशा को संतुलित रखने के लिए सफाई और उचित रोशनी का ध्यान रखना आवश्यक है।
उत्तर दिशा – बुध
- उत्तर दिशा का स्वामी बुध ग्रह है, जो बुद्धिमत्ता, व्यापार और संचार से जुड़ा हुआ है।
- इस दिशा में जल का स्रोत (जैसे जलकुंड, हैंडपंप) होना शुभ माना जाता है।
- इस दिशा में दोष होने से मानसिक तनाव, व्यापार में नुकसान और रिश्तों में कड़वाहट बढ़ सकती है।
दक्षिण दिशा – मंगल
- दक्षिण दिशा के स्वामी मंगल हैं, जो ऊर्जा, साहस और शक्ति के प्रतीक हैं।
- यदि दक्षिण दिशा में भारी वास्तुदोष हो, तो व्यक्ति को क्रोध, दुर्घटनाएं और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- इस दिशा में लाल रंग के तत्वों का उपयोग करना मंगल के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ा सकता है।
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) – गुरु
- यह दिशा बृहस्पति ग्रह से संबंधित होती है, जो ज्ञान, धन और आध्यात्मिकता का कारक है।
- इस दिशा में पूजा स्थल या जलस्रोत रखना शुभ माना जाता है।
- इस दिशा में दोष होने से आर्थिक हानि, शिक्षा में बाधा और मानसिक अशांति हो सकती है।
नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) – राहु
- इस दिशा का संबंध राहु ग्रह से होता है, जो छाया ग्रह होने के कारण रहस्यमयी और अप्रत्याशित परिणाम देने वाला माना जाता है।
- इस दिशा में भारी वस्तुएं रखना शुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो।
- इस दिशा में दोष होने से दुर्घटनाएं, शत्रु बाधा और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) – चंद्रमा
- इस दिशा का संबंध चंद्रमा से होता है, जो मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतीक है।
- इस दिशा में दोष होने से व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनिद्रा और पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता है।
अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) – शुक्र
- इस दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह है, जो सौंदर्य, विलासिता और भौतिक सुखों का कारक है।
- इस दिशा में रसोईघर होना शुभ माना जाता है।
- इस दिशा में दोष होने से विवाह जीवन में समस्याएं, स्वास्थ्य समस्याएं और धन हानि हो सकती है।
ग्रहों के अनुसार वास्तु दोष और समाधान
सूर्य दोष और उपाय
- घर में अशांति बनी रहती है।
- सरकारी कार्यों में बाधाएं आती हैं।
- उपाय:
- तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- घर के मुख्य द्वार को हमेशा साफ रखें।
चंद्रमा दोष और उपाय
लक्षण:
- मानसिक तनाव और भावनात्मक अस्थिरता रहती है।
उपाय: - घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में सफेद रंग का प्रयोग करें।
- सोमवार को दूध और चावल का दान करें।
मंगल दोष और उपाय
लक्षण:
- अनावश्यक क्रोध और दुर्घटनाओं की संभावना।
उपाय: - मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें।
- घर में लाल रंग के फूल लगाएं।
बुध दोष और उपाय
लक्षण:
- व्यापार में हानि और वाणी में कठोरता।
उपाय: - हरे रंग के कपड़े पहनें और बुधवार को हरे मूंग का दान करें।
- घर की उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाएं।
गुरु दोष और उपाय
लक्षण:
- धन और शिक्षा में बाधा।
उपाय: - पीले रंग के वस्त्र पहनें और गुरुवार को पीली चीजों का दान करें।
- ईशान कोण को हमेशा स्वच्छ और हल्का रखें।
शुक्र दोष और उपाय
लक्षण:
- वैवाहिक जीवन में समस्याएं और भौतिक सुखों की कमी।
उपाय: - शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें और चावल, दूध का दान करें।
- घर के दक्षिण-पूर्व में चमकीले और सुंदर सजावट करें।
शनि दोष और उपाय
लक्षण:
- करियर में बाधाएं, आलस्य और स्वास्थ्य समस्याएं।
उपाय: - शनिदेव की पूजा करें और सरसों का तेल दान करें।
- पश्चिम दिशा को साफ और व्यवस्थित रखें।
राहु-केतु दोष और उपाय
लक्षण:
- अचानक समस्याएं आना, भय और मानसिक अशांति।
उपाय: - नारियल और काले तिल का दान करें।
- घर के नैऋत्य और वायव्य कोण में सफाई रखें।
मेरा नाम राहुल शर्मा है, मैं इंदौर, स्कीम नंबर 78 में रहता हूँ। घर में लगातार आर्थिक समस्याएँ बनी हुई थीं, धन आता था लेकिन टिकता नहीं था। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि मेरे घर का मुख्य दरवाजा और रसोई गलत दिशा में है, जिससे शुक्र और बुध ग्रह प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने, तुलसी का पौधा लगाने और घर के उत्तर-पूर्व को साफ रखने की सलाह दी। उपाय करने के बाद आर्थिक स्थिति में सुधार आया और घर में सकारात्मकता बनी।
बिचोली मर्दाना, इंदौर के निवासी को वास्तु और ग्रहों के सही संतुलन से उन्नति मिली!
मेरा नाम विवेक अग्रवाल है, मैं इंदौर, बिचोली मर्दाना में रहता हूँ। पिछले कुछ वर्षों से घर में कलह बढ़ गई थी और बिज़नेस में नुकसान हो रहा था। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से परामर्श लिया। उन्होंने मेरी कुंडली और घर का वास्तु निरीक्षण कर बताया कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में दोष है, जिससे मंगल और शनि ग्रह प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पीला बल्ब लगाने, हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने और तांबे का पिरामिड रखने की सलाह दी। उपाय करने के बाद घर का माहौल शांत हुआ और बिज़नेस में भी सुधार आया।