क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

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क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

मनुष्य का जीवन स्थायित्व की तलाश में बीतता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसका एक स्थायी घर हो, जहाँ शांति, सुरक्षा और स्थायित्व बना रहे। लेकिन कुछ लोगों को बार-बार घर बदलने की स्थिति का सामना करना पड़ता है — कभी नौकरी के कारण, कभी विवाद के चलते, तो कभी अनजान कारणों से। यह प्रश्न मन में उठता है कि क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह केवल एक संयोग नहीं, बल्कि आपकी जन्म कुंडली के ग्रहों का प्रभाव हो सकता है। इस ब्लॉग में हम गहराई से समझेंगे कि क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?, किन ग्रहों और भावों का इसमें योगदान होता है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

घर और कुंडली का संबंध

ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थ भाव (चौथा घर) को गृह, वाहन, माता, भूमि, और सुख से जोड़ा जाता है। जब इस भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव या दोष उत्पन्न हो जाता है, तो व्यक्ति के जीवन में बार-बार घर बदलने जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

सवाल है — क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?
उत्तर है – हाँ, अगर कुंडली में निम्नलिखित स्थितियाँ पाई जाएँ।

किन योगों और ग्रह स्थितियों से होता है बार-बार घर बदलना?

चतुर्थ भाव में राहु या केतु की उपस्थिति

चतुर्थ भाव में राहु या केतु की उपस्थिति

राहु और केतु छाया ग्रह हैं। ये भ्रम, अस्थिरता और मानसिक बेचैनी के प्रतीक हैं। यदि ये ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हों, तो व्यक्ति का घर बार-बार बदलता है। कभी किराए के मकान में असहजता, तो कभी मानसिक बेचैनी के कारण वह टिक नहीं पाता।

चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव

शनि को धीमा और कठोर ग्रह माना जाता है। जब शनि चतुर्थ भाव में होता है, तो जातक को घर के सुख में बाधा, और कभी-कभी घर से दूर रहने का योग बनता है। खासकर यदि शनि अशुभ दृष्टि से प्रभावित हो, तो बार-बार घर बदलना कुंडली में स्पष्ट दिखाई देता है।

चंद्रमा की स्थिति

चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा नीच का हो, या राहु/केतु से पीड़ित हो, तो व्यक्ति को मानसिक अशांति रहती है। ऐसे में वह एक जगह टिक नहीं पाता और घर बदलने के लिए मजबूर होता है।

चतुर्थ भाव का स्वामी अशुभ स्थिति में

अगर चतुर्थ भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला गया हो, या वह नीच, शत्रु राशि में हो, तो यह भी बार-बार घर बदलना कुंडली में दर्शाता है।

बारहवां भाव और व्यय योग

बारहवां भाव व्यय, विदेश गमन और स्थान परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। यदि चतुर्थ भाव या उसका स्वामी बारहवें भाव से जुड़ जाए, तो जातक को बार-बार घर या स्थान बदलने की स्थिति बनती है।

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है? – वास्तविक जीवन में उदाहरण

  • विदेश गमन और प्रवास

    • जिनकी कुंडली में चतुर्थ और द्वादश भाव में संबंध होता है, वे जीवन में विदेश जाते हैं और वहां भी स्थान परिवर्तन होता रहता है।

  • सेना या प्रशासनिक सेवा

    • पुलिस, आर्मी या प्रशासनिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों की कुंडली में बार-बार स्थानांतरण के योग होते हैं।

  • जिनका करियर बार-बार बदलता है

    • ऐसी स्थिति में व्यक्ति के नौकरी के साथ-साथ घर का भी परिवर्तन होता रहता है।

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है? – मानसिक प्रभाव

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

बार-बार घर बदलने से व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है:

  • शिक्षा में बाधा

  • सामाजिक संबंधों में दूरी

  • परिवार में सामंजस्य की कमी

ऐसे में यह समझना आवश्यक हो जाता है कि क्या यह केवल परिस्थितिजन्य है या फिर कुंडली में ग्रहों की चाल का परिणाम

ज्योतिष उपाय – बार-बार घर बदलने से कैसे बचें?

यदि कुंडली में बार-बार घर बदलने के योग बन रहे हों, तो कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय अपनाकर इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

चतुर्थ भाव की शांति

  • यदि चतुर्थ भाव पीड़ित हो, तो उसका स्वामी ग्रह जो भी हो, उसकी शांति कराएं।

  • चतुर्थ भाव के स्वामी की पूजा करें।

राहु-केतु के उपाय

  • शनिवार को काले तिल और नारियल का दान करें।

  • “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” मंत्र का नियमित जाप करें।

शनि की कृपा प्राप्त करें

  • शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।

  • शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

घर के वास्तु में सुधार

  • दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी वस्तुएँ रखें।

  • मुख्य द्वार के पास सकारात्मक प्रतीकों (स्वस्तिक, ॐ, दीपक) का प्रयोग करें।

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है? – आध्यात्मिक दृष्टिकोण

ज्योतिष केवल भौतिक दिशा नहीं दिखाता, बल्कि यह आध्यात्मिक संकेत भी देता है। बार-बार घर बदलना कभी-कभी आत्मा की उस यात्रा का भाग होता है, जो उसे विभिन्न अनुभवों से गुजरने को कहती है।

  • ऐसे लोग जीवन में जल्दी मोक्ष, अध्यात्म या जीवन का सत्य समझने की ओर झुकते हैं।

  • कभी-कभी यह पूर्वजन्म के अधूरे कार्यों का परिणाम होता है।

ज्योतिष परामर्श क्यों जरूरी है?

यदि आप जीवन में बार-बार स्थान परिवर्तन से परेशान हैं, तो केवल तात्कालिक कारण देखने की बजाय कुंडली का गहराई से विश्लेषण करवाएं। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी दशा-अंतर्दशा, भावों की स्थिति, और ग्रहों के संयोग के आधार पर यह बता सकता है कि क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है?

क्या बार-बार घर बदलना कुंडली का संकेत है? – इस प्रश्न का उत्तर अब हमारे सामने स्पष्ट है। ग्रहों की चाल, विशेष रूप से चतुर्थ भाव, शनि, राहु-केतु और चंद्रमा की स्थिति, इस परिवर्तनशीलता के पीछे मुख्य कारण होते हैं।

लेकिन ज्योतिष यह भी सिखाता है कि हर दोष का समाधान होता है। अगर आप बार-बार घर बदलने से परेशान हैं, तो अपनी कुंडली का गहन अध्ययन करवाएं और उचित उपाय अपनाएं। तभी आप अपने जीवन में स्थायित्व, सुख और मानसिक शांति प्राप्त कर सकेंगे।


पूजा शर्मा, विजय नगर, इंदौर

"हम पिछले 6 सालों में 4 बार घर बदल चुके थे। कोई न कोई परेशानी हमेशा बनी रहती थी – कभी किरायेदार से विवाद, तो कभी अचानक स्थान परिवर्तन। विजय नगर में एस्ट्रोलॉजर साहू जी से मिलकर हमने कुंडली दिखवाई, तब पता चला कि चंद्रमा और राहु का प्रभाव हमारे चतुर्थ भाव (चौथा घर) पर है, जिससे बार-बार घर बदलने की स्थिति बन रही थी। उन्होंने कुछ खास उपाय बताए, जैसे घर में गंगाजल का छिड़काव और सोमवार का व्रत – और वाकई अब शांति बनी हुई है।"

दीपक वर्मा, राजवाड़ा क्षेत्र, इंदौर

"मुझे लगता था बार-बार घर बदलना सिर्फ हमारी किस्मत का हिस्सा है, लेकिन एस्ट्रोलॉजर साहू जी (राजवाड़ा के पास) से मिलने पर समझ आया कि ग्रहों की स्थिति भी जिम्मेदार हो सकती है। मेरी कुंडली में शनि और मंगल की युति चौथे भाव में थी, जिससे स्थायित्व नहीं बन पा रहा था। साहू जी ने रत्न और कुछ दान से जुड़े उपाय बताए। अब हम पिछले 2 सालों से एक ही घर में शांति से रह रहे हैं। बहुत भरोसेमंद अनुभव रहा।"

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