जन्मकुंडली में आयुर्वेदिक चिकित्सा के योग कैसे पहचानें?

जन्मकुंडली में आयुर्वेदिक चिकित्सा के योग कैसे पहचानें?

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जन्मकुंडली में आयुर्वेदिक चिकित्सा

आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक प्राचीन और प्राकृतिक शैली है। भारत की वेदिक परंपरा से जन्मे इस चिकित्सा विज्ञान में जड़ी-बूटियों, पंचतत्वों और प्रकृति के सिद्धांतों के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाया जाता है। आज भी, कई लोग आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने की इच्छा रखते हैं और इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को अपनाकर लोगों की सेवा करना चाहते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी जन्मकुंडली भी यह बता सकती है कि आप आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में सफल होंगे या नहीं? ज्योतिष शास्त्र  के अनुसार, स्वास्थ्य, चिकित्सा और प्राकृतिक ज्ञान से जुड़े ग्रह और भाव कुंडली में यह संकेत देते हैं कि आयुर्वेद के क्षेत्र में सफलता और रुचि है या नहीं।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे:

  • आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए ज़रूरी ग्रह और उनका प्रभाव
  • कुंडली में कौन-से भाव आयुर्वेद से जुड़े होते हैं?
  • आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए शुभ योग कौन-से हैं?
  • इस क्षेत्र में सफलता के ज्योतिषीय उपाय 

आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए ज़रूरी ग्रह और उनका प्रभाव 

 गुरु : ज्ञान और चिकित्सा का ग्रह 

  • गुरु शिक्षा, ज्ञान, आयुर्वेद, आयु और चिकित्सा का प्रमुख कारक है।
  • अगर कुंडली में गुरु की मज़बूत स्थिति हो, तो व्यक्ति में स्वास्थ्य, चिकित्सा और लोगों की सेवा की भावना प्रबल होती है।
  • नवम (9वें) या दशम (10वें) भाव में गुरु होने से व्यक्ति को आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के प्रबल योग मिलते हैं।

चंद्रमा : मन और संवेदनशीलता का प्रतीक 

  • आयुर्वेद में मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है।
  • चंद्रमा की शुभ स्थिति व्यक्ति को संवेदनशील, करुणामय और दूसरों की सेवा के लिए प्रेरित करती है।
  • अगर चंद्रमा पंचम (5वें) या नवम (9वें) भाव में हो, तो व्यक्ति को आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष रुचि होती है।

 बुध : बुद्धि और औषधीय ज्ञान का ग्रह 

  • बुध जड़ी-बूटियों, औषधियों और चिकित्सा विज्ञान का प्रतीक है।
  • आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए बुद्धिमत्ता और औषधीय ज्ञान ज़रूरी है, जो बुध देता है।
  • बुध की मज़बूत स्थिति व्यक्ति को विज्ञान, रिसर्च और विश्लेषण में निपुण बनाती है।

सूर्य : आत्मविश्वास और नेतृत्व का ग्रह 

  • सूर्य स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और चिकित्सा के क्षेत्र में नेतृत्व को दर्शाता है।
  • दशम भाव  में सूर्य की स्थिति व्यक्ति को आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रसिद्धि और सम्मान दिलाती है।

मंगल : ऊर्जा और सर्जरी का कारक 

  • आयुर्वेदिक चिकित्सा में निर्णय लेने की क्षमता और तेज़ी से कार्य करने की प्रवृत्ति आवश्यक होती है, जो मंगल देता है।
  • मंगल की शुभ स्थिति व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा में साहस और आत्मविश्वास देती है।

कुंडली में आयुर्वेद से जुड़े महत्वपूर्ण भाव 

कुंडली में आयुर्वेद

छठा भाव : रोग और उपचार का घर 

  • छठा भाव रोग, चिकित्सा और उपचार से जुड़ा है।
  • अगर इस भाव में गुरु, बुध या सूर्य की शुभ स्थिति हो, तो व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा और आयुर्वेदिक चिकित्सा में सफलता पाता है।

नवम भाव : ज्ञान और उच्च शिक्षा का भाव 

  • नवम भाव उच्च शिक्षा, वेद और आयुर्वेद से जुड़ा है।
  • अगर नवम भाव में गुरु या बुध की मज़बूत स्थिति हो, तो व्यक्ति आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित होता है।

दशम भाव : करियर और प्रतिष्ठा का घर 

  • दशम भाव व्यक्ति के करियर, व्यवसाय और समाज में प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
  • अगर दशम भाव में सूर्य, गुरु या बुध हों, तो व्यक्ति को आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रसिद्धि और स्थिरता मिलती है।

पंचम भाव : शिक्षा और अनुसंधान का घर 

  • पंचम भाव शिक्षा, अनुसंधान और रचनात्मकता को दर्शाता है।
अगर पंचम भाव में गुरु, बुध या चंद्रमा हों, तो व्यक्ति को आयुर्वेदिक शिक्षा में सफलता मिलती है।

कुंडली में बनने वाले शुभ योग 

गजकेसरी योग: 

  • जब गुरु और चंद्रमा केंद्र भाव (1, 4, 7, 10) में होते हैं, तो यह योग बनता है।
  • इस योग से व्यक्ति को आयुर्वेदिक चिकित्सा में गहरी रुचि और सफलता मिलती है।

     बुधादित्य योग: 

  • जब सूर्य और बुध एक साथ होते हैं, तो यह योग बनता है।
  • यह योग तेज़ दिमाग, वैज्ञानिक सोच और चिकित्सा में सफलता को दर्शाता है।

    लक्ष्मी योग: 

  • जब गुरु और शुक्र की शुभ स्थिति हो, तो व्यक्ति को विद्या, धन और चिकित्सा में प्रसिद्धि मिलती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में सफलता के ज्योतिषीय उपाय 


आयुर्वेदिक चिकित्सा

गुरु को करें मज़बूत: 

  • गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें
  • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें
  • पीले वस्त्र और चने की दाल का दान करें

बुध को करें सशक्त: 

  • बुधवार को गणेश जी की पूजा करें
  • “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें
  • हरी मूँग दाल और हरे फलों का दान करें

सूर्य की कृपा प्राप्त करें: 

  • रोज़ सुबह सूर्य को जल अर्पित करें
  • “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें
  • लाल चंदन का तिलक लगाएँ

आयुर्वेदिक चिकित्सा में करियर बनाने के लिए सही शिक्षा, गहरी रुचि और सकारात्मक ग्रहों की स्थिति ज़रूरी है। अगर आपकी कुंडली में गुरु, बुध, चंद्रमा और सूर्य की शुभ स्थिति है, तो आयुर्वेद के क्षेत्र में सफलता के योग बहुत प्रबल हैं।

अगर ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल है, तो सही ज्योतिषीय उपाय, मंत्र जाप और दान के ज़रिए आप अपने सपनों को साकार कर सकते हैं और आयुर्वेद के क्षेत्र में एक सफल करियर बना सकते हैं



राकेश गुप्ता, सतना
साहू जी ने मेरी कुंडली में छठे और दशम भाव का विश्लेषण किया और बताया कि मैं आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत सफल हो सकता हूं। उनकी सलाह और उपायों ने मेरी राह आसान बना दी। आज मैं एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक हूं। उनकी गहरी ज्योतिषीय समझ के लिए मैं उनका दिल से धन्यवाद करता हूं।

नीलम शर्मा, ग्वालियर
मनोज साहू जी ने मेरी कुंडली का बारीकी से अध्ययन किया और बताया कि छठे भाव में सूर्य और बुध की स्थिति के कारण मुझे आयुर्वेद के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। उनकी सलाह मानकर मैंने आयुर्वेदिक चिकित्सा में करियर बनाया और आज मैं एक सफल वैद्य हूं। साहू जी का मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत लाभकारी साबित हुआ।"

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