गणगौर पूजा का ज्योतिषीय महत्व: सौभाग्य और वैवाहिक सुख का पर्व

गणगौर पूजा का ज्योतिषीय महत्व: सौभाग्य और वैवाहिक सुख का पर्व

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गणगौर पूजा का ज्योतिषीय महत्व

गणगौर पूजा भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है और इसे सौभाग्य, वैवाहिक सुख, और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से गणगौर पूजा के कई महत्व हैं, जो न केवल वैवाहिक जीवन को सुखद बनाते हैं, बल्कि व्यक्ति के भाग्य को भी उज्ज्वल करते हैं। आइए इस पर्व के महत्व और इससे जुड़े ज्योतिषीय पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें। 

गणगौर पूजा का परिचय

गणगौर पूजा का त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह होली के अगले दिन से शुरू होकर 18 दिनों तक चलता है। इस पर्व में भगवान शिव (गण) और माता पार्वती (गौर) की पूजा की जाती है।

  • अविवाहित कन्याएं: मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं।

  • विवाहित महिलाएं: अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए गणगौर व्रत रखती हैं।

यह पूजा विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।

गणगौर पूजा का ज्योतिषीय महत्व

गणगौर पूजा का ज्योतिषीय महत्व

शिव और पार्वती का प्रतीकात्मक महत्व

भगवान शिव और माता पार्वती वैवाहिक जीवन में आदर्श संतुलन के प्रतीक हैं। ज्योतिष में, यह पूजा उन ग्रहों को सशक्त करती है, जो वैवाहिक सुख और प्रेम के लिए उत्तरदायी हैं।

  • शिव का प्रतिनिधित्व: गुरु और चंद्रमा

  • पार्वती का प्रतिनिधित्व: शुक्र और चंद्रमा

वैवाहिक जीवन के लिए ग्रहों का प्रभाव
  • शुक्र ग्रह: यह प्रेम, वैवाहिक सुख, और समृद्धि का कारक है। गणगौर पूजा शुक्र ग्रह को मजबूत करती है।

  • मंगल ग्रह: यह ऊर्जा और विवाह में सामंजस्य का प्रतीक है। मंगल दोष से मुक्ति के लिए यह पर्व प्रभावी है।

  • सप्तम भाव: कुंडली का यह भाव विवाह और साझेदारी को दर्शाता है। गणगौर पूजा से सप्तम भाव मजबूत होता है।

ग्रह दोष का निवारण

यदि कुंडली में शुक्र, मंगल, या सप्तम भाव कमजोर हो, तो गणगौर पूजा के माध्यम से इन दोषों को दूर किया जा सकता है।

चंद्रमा और भावनात्मक स्थिरता

चंद्रमा का संबंध मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता से है। गणगौर पूजा चंद्रमा को मजबूत करती है, जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।

गणगौर पूजा का महत्व: सौभाग्य और वैवाहिक सुख

अविवाहित कन्याओं के लिए लाभ

गणगौर पूजा का व्रत अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त करने में सहायक होता है। इस व्रत से शुक्र ग्रह मजबूत होता है, जो विवाह के लिए महत्वपूर्ण है।

विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य

विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख, और स्वास्थ्य के लिए गणगौर व्रत करती हैं। यह व्रत उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बनाए रखता है।

संतान सुख का प्रतीक

गणगौर पूजा से न केवल वैवाहिक जीवन में सुख आता है, बल्कि यह संतान सुख प्राप्ति में भी सहायक होती है।

पारिवारिक समृद्धि

गणगौर पूजा गृहस्थ जीवन में समृद्धि और शांति लाती है।

गणगौर पूजा विधि

व्रत की तैयारी

  • प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्वर्ण या मिट्टी से बनाएं।

  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

पूजा सामग्री
  • अक्षत (चावल), चंदन, हल्दी, मेहंदी, सुहाग सामग्री, फल, और मिठाई।

  • जल अर्पण के लिए कलश।

मंत्र और आरती
  • "ॐ गौर्ये नमः" मंत्र का जाप करें।

  • शिव और पार्वती की आरती करें।

सुहाग सामग्री का दान

  • विवाहित महिलाओं को सुहाग सामग्री (चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी) दान करें।

ज्योतिषीय उपाय और गणगौर पूजा

ज्योतिषीय उपाय और गणगौर पूजा

शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
  • शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें।

  • सफेद मिठाई और चंदन का दान करें।

मंगल दोष का निवारण
  • मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • लाल वस्त्र और मसूर दाल का दान करें।

चंद्रमा को सशक्त करने के लिए
  • चंद्रमा को दूध मिश्रित जल अर्पित करें।

  • "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें।

सप्तम भाव को मजबूत करने के लिए
  • दांपत्य जीवन में सामंजस्य के लिए शिव-पार्वती की नियमित आराधना करें।

गणगौर पूजा के लाभ

सौभाग्य और समृद्धि:
  • यह पूजा सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
वैवाहिक सुख:
  • पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास, और सामंजस्य बढ़ता है।
ग्रह दोष निवारण:
  • कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों को शांत करने में सहायक।
भविष्य उज्ज्वल बनाना:
  • गणगौर पूजा से व्यक्ति का भविष्य उज्ज्वल होता है।

गणगौर पूजा भारतीय संस्कृति का एक पवित्र पर्व है, जो न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका गहरा महत्व है। शिव और पार्वती की आराधना के माध्यम से सौभाग्य, वैवाहिक सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषीय उपायों के साथ इस पर्व को मनाने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है। यह पर्व वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बनाए रखने का अद्भुत उदाहरण है।


सीमा चौधरी (राजवाड़ा, इंदौर)

मैं हर साल गणगौर पूजा करती हूँ, लेकिन इस बार एस्ट्रोलॉजर साहू जी से इसके ज्योतिषीय महत्व के बारे में जाना। उन्होंने बताया कि यह पूजा शुक्र और चंद्र ग्रह को मजबूत करने में मदद करती है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। उनकी सलाह के अनुसार मैंने पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया और सुहागन स्त्रियों को उपहार दिए। इसके प्रभाव से मेरे दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ा है। इंदौर में गणगौर महोत्सव की भव्यता अद्भुत होती है और इस बार मेरा अनुभव और भी विशेष रहा!"

रितेश शर्मा (56 दुकान, इंदौर)

मेरी पत्नी हर साल गणगौर पूजा करती हैं, लेकिन इस बार मैंने भी एस्ट्रोलॉजर साहू जी से इसके महत्व के बारे में जाना। उन्होंने बताया कि यह पूजा वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने के साथ-साथ कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने में मदद करती है। इस बार हमने पूरी श्रद्धा से व्रत और पूजा की, जिससे हमारे रिश्ते में और भी मधुरता आई है। इंदौर में गणगौर की शोभायात्रा देखने का भी एक अलग ही आनंद है। सच में, यह पर्व जीवन में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा लाता है!"

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