जन्म कुंडली कैसे बनाएं और ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कैसे करें
जन्म कुंडली, जिसे राशिफल चार्ट भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यक्ति के जन्म समय पर ग्रहों की स्थिति का खाका होता है, जिससे उसका स्वभाव, करियर, विवाह, स्वास्थ्य और अन्य जीवन क्षेत्रों का आकलन किया जाता है।
जन्म कुंडली बनाने के लिए आवश्यक जानकारी
जन्म कुंडली बनाने के लिए तीन मुख्य विवरण आवश्यक होते हैं:
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जन्म तिथि – व्यक्ति का सटीक जन्म दिन, महीना और वर्ष।
जन्म समय – जिस समय व्यक्ति का जन्म हुआ था, वह सटीक होना चाहिए।
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जन्म स्थान – जिस स्थान पर व्यक्ति का जन्म हुआ, उसकी सही लोकेशन (देश, राज्य, शहर)।
ये तीन कारक यह निर्धारित करते हैं कि ग्रहों की स्थिति और राशि चक्र में उनकी स्थिति क्या थी।
जन्म कुंडली बनाने की विधि
मैन्युअल रूप से जन्म कुंडली बनाना
- यदि आप पारंपरिक तरीके से जन्म कुंडली बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ ज्योतिषीय गणनाएँ करनी होती हैं:
लग्न
की गणना:- पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में घूमती है और हर 2 घंटे में एक नया लग्न बनता है।
- जन्म स्थान और समय के आधार पर जन्म के समय कौन सा लग्न था, इसे पंचांग और गणना पद्धति से निकाला जाता है।
भावों की स्थापना:
जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं, और प्रत्येक भाव जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाता है।
ग्रहों को उनके सही भावों में रखने के लिए भोगांश गणना की जाती है।
जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कैसे करें?
12 भावों का महत्व
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पहला भाव (लग्न भाव) – व्यक्तित्व, स्वभाव, शरीर।
दूसरा भाव – धन, वाणी, परिवार।
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तीसरा भाव – भाई-बहन, पराक्रम, संचार।
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चौथा भाव – माता, घर, सुख-सुविधाएँ।
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पाँचवाँ भाव – संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध।
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छठा भाव – रोग, शत्रु, मुकदमेबाजी।
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सातवाँ भाव – विवाह, जीवनसाथी, व्यापार।
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आठवाँ भाव – आयु, गुप्त रहस्य, दुर्घटनाएँ।
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नौवाँ भाव – भाग्य, धर्म, आध्यात्मिकता।
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दसवाँ भाव – करियर, समाज में प्रतिष्ठा।
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ग्यारहवाँ भाव – लाभ, इच्छाओं की पूर्ति।
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बारहवाँ भाव – हानि, विदेश यात्रा, मोक्ष।
पहला भाव (लग्न भाव) – व्यक्तित्व, स्वभाव, शरीर।
दूसरा भाव – धन, वाणी, परिवार।
तीसरा भाव – भाई-बहन, पराक्रम, संचार।
चौथा भाव – माता, घर, सुख-सुविधाएँ।
पाँचवाँ भाव – संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध।
छठा भाव – रोग, शत्रु, मुकदमेबाजी।
सातवाँ भाव – विवाह, जीवनसाथी, व्यापार।
आठवाँ भाव – आयु, गुप्त रहस्य, दुर्घटनाएँ।
नौवाँ भाव – भाग्य, धर्म, आध्यात्मिकता।
दसवाँ भाव – करियर, समाज में प्रतिष्ठा।
ग्यारहवाँ भाव – लाभ, इच्छाओं की पूर्ति।
बारहवाँ भाव – हानि, विदेश यात्रा, मोक्ष।
ग्रहों का प्रभाव
ग्रह प्रभाव संबंधित राशि सूर्य आत्मविश्वास, नेतृत्व, पिता सिंह चंद्रमा मन, भावनाएँ, माता कर्क मंगल साहस, ऊर्जा, संघर्ष मेष, वृश्चिक बुध बुद्धि, संचार, व्यापार मिथुन, कन्या गुरु (बृहस्पति) ज्ञान, धर्म, शिक्षा धनु, मीन शुक्र प्रेम, भौतिक सुख, कला वृषभ, तुला शनि कर्म, न्याय, अनुशासन मकर, कुंभ राहु भ्रम, राजनीति, अचानक लाभ वृषभ, मिथुन केतु मोक्ष, रहस्य, आध्यात्मिकता वृश्चिक, मीन
ग्रह | प्रभाव | संबंधित राशि |
---|---|---|
सूर्य | आत्मविश्वास, नेतृत्व, पिता | सिंह |
चंद्रमा | मन, भावनाएँ, माता | कर्क |
मंगल | साहस, ऊर्जा, संघर्ष | मेष, वृश्चिक |
बुध | बुद्धि, संचार, व्यापार | मिथुन, कन्या |
गुरु (बृहस्पति) | ज्ञान, धर्म, शिक्षा | धनु, मीन |
शुक्र | प्रेम, भौतिक सुख, कला | वृषभ, तुला |
शनि | कर्म, न्याय, अनुशासन | मकर, कुंभ |
राहु | भ्रम, राजनीति, अचानक लाभ | वृषभ, मिथुन |
केतु | मोक्ष, रहस्य, आध्यात्मिकता | वृश्चिक, मीन |
ग्रहों की दशा और गोचर का विश्लेषण
उदाहरण: यदि शुक्र सप्तम भाव में है, तो व्यक्ति का विवाह जीवनसाथी के साथ सुखद रहेगा। लेकिन यदि शुक्र शनि या राहु से पीड़ित है, तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष हो सकता है।
रवि वर्मा, एम.जी. रोड, इंदौर
मैंने अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करवाने के लिए इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने न केवल मेरी कुंडली को विस्तार से समझाया, बल्कि ग्रहों की स्थिति को सुधारने के उपाय भी बताए। उनकी सलाह से मुझे अपने करियर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। यदि आप भी ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाहते हैं, तो साहू जी से जरूर संपर्क करें।"
रोहित वर्मा, राजमोहल्ला, इंदौर
करियर में सही दिशा नहीं मिल रही थी, तब मैंने इंदौर के जाने-माने ज्योतिषाचार्य साहू जी से कुंडली का विश्लेषण करवाया। उनकी सलाह और उपायों ने मेरे जीवन को बेहतर बनाया। आज मैं एक अच्छी नौकरी में हूँ। साहू जी का मार्गदर्शन अवश्य लें।"