क्या ग्रहों की दशा आपके डिप्रेशन का कारण है?
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ग्रहों की दशा |
आधुनिक जीवनशैली में तनाव और डिप्रेशन आम समस्या बन गए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके जीवन में आने वाले मानसिक उतार-चढ़ाव का संबंध आपके ग्रहों की दशा से भी हो सकता है? ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल व्यक्ति के मनोभावों, मानसिक स्थिति और जीवन की घटनाओं को प्रभावित करती है। जब कोई ग्रह कमजोर होता है या किसी अशुभ ग्रह के प्रभाव में आता है, तो यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं कि किन ग्रहों की दशा डिप्रेशन का कारण बन सकती है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।
डिप्रेशन के ज्योतिषीय कारण:
चंद्रमा की कमजोर स्थिति:
- चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक ग्रह माना जाता है। जब चंद्रमा नीच राशि में हो, शत्रु ग्रहों के प्रभाव में हो या पाप ग्रहों (राहु, केतु, शनि) की दृष्टि में हो, तो व्यक्ति मानसिक अस्थिरता, चिंता और डिप्रेशन से ग्रस्त हो सकता है। विशेष रूप से अगर चंद्रमा छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
राहु और केतु का प्रभाव:
- राहु और केतु छायाग्रह हैं और भ्रम, भय और अनिश्चितता को दर्शाते हैं। कुंडली में इनका चंद्रमा या लग्न पर प्रभाव व्यक्ति को मानसिक तनाव, घबराहट और अवसाद की ओर ले जाता है। राहु की महादशा में व्यक्ति को भ्रम और असुरक्षा का अहसास होता है, जबकि केतु व्यक्ति को अकेलेपन और आत्मविश्लेषण में डाल सकता है, जो कभी-कभी अवसाद में बदल जाता है।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या:
- शनि को कष्ट और बाधाओं का ग्रह माना जाता है। जब शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही हो, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, असफलता और अकेलेपन का सामना करना पड़ सकता है, जिससे डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है। शनि की महादशा में व्यक्ति को अक्सर जीवन में धीमी प्रगति, संघर्ष और निराशा का सामना करना पड़ता है।
छठे, आठवें और बारहवें भाव में ग्रहों की स्थिति:
- कुंडली में छठा भाव रोग, आठवां भाव अचानक घटनाएं और बारहवां भाव हानि, अलगाव और अस्पताल का सूचक होता है। जब इन भावों में पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, तो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से अगर चंद्रमा, बुध या शुक्र इन भावों में अशुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति को मानसिक विकारों की संभावना बढ़ जाती है।
बुध की कमजोर स्थिति:
- बुध ग्रह तर्कशक्ति, संवाद और मानसिक स्पष्टता का कारक है। यदि बुध नीच राशि में हो या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को चिंता, भ्रम और मानसिक अस्थिरता की समस्या हो सकती है। बुध की महादशा में व्यक्ति को तर्कहीनता, गलतफहमियां और संवाद में कठिनाई हो सकती है।
शुक्र और मानसिक स्वास्थ्य:
- शुक्र जीवन में सुख, आनंद और रिश्तों का कारक है। अगर शुक्र अशुभ स्थिति में हो या राहु-केतु के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को रिश्तों में अस्थिरता और मानसिक असंतोष का सामना करना पड़ सकता है। इससे व्यक्ति को अकेलापन और डिप्रेशन महसूस हो सकता है।
डिप्रेशन से बचाव के ज्योतिषीय उपाय:
चंद्रमा को मजबूत करें: सोमवार को सफेद वस्त्र पहनें, दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें और ओम सोमाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके अलावा मोती रत्न धारण करें और चंद्रमा से जुड़े दान करें।
शनि के उपाय करें: शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें, सरसों के तेल का दीपक जलाएं और गरीबों को काले तिल और उड़द दान करें। शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें।
राहु-केतु के दोष निवारण: राहु केतु के लिए महामृत्युंजय मंत्र या राहु के बीज मंत्र का जाप करें। नारियल का दान करें और राहु-केतु से जुड़े उपाय अपनाएं।
बुध को मजबूत करें: बुधवार को हरे वस्त्र पहनें, हरे मूंग का दान करें और ओम बुधाय नमः मंत्र का जाप करें। पन्ना रत्न धारण करें।
शुक्र के उपाय: शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें, चावल और दूध का दान करें, ओम शुक्राय नमः मंत्र का जाप करें। हीरा या ओपल रत्न धारण करें।
योग और ध्यान: मानसिक शांति के लिए नियमित रूप से योग और ध्यान करें। यह चंद्रमा और बुध को मजबूत करता है और मानसिक स्थिरता लाता है। प्राणायाम और मंत्र जाप भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
अगर आप लंबे समय से मानसिक तनाव, चिंता या डिप्रेशन महसूस कर रहे हैं, तो इसका ज्योतिषीय कारण भी हो सकता है। ऐसे में अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाकर सही उपाय अपनाएं। "इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी" इस क्षेत्र में गहरी जानकारी रखते हैं और उनके मार्गदर्शन से आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
इंदौर, विजय नगर के निवासी को ग्रहों के उपायों से डिप्रेशन में राहत
मेरा नाम सौरभ मेहता है, मैं विजय नगर, इंदौर में रहता हूँ। पिछले कुछ वर्षों से मैं डिप्रेशन और मानसिक तनाव से जूझ रहा था। नींद नहीं आती थी, मन हमेशा भारी रहता था और नकारात्मक विचार आते थे। मैंने कई चिकित्सीय उपाय किए, लेकिन सुधार सीमित रहा। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि मेरी कुंडली में चंद्र और शनि की प्रतिकूल स्थिति मानसिक अशांति का कारण बन रही है। उन्होंने मुझे चंद्र शांति उपाय, मोती रत्न धारण करने और नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र जाप करने की सलाह दी। इन उपायों को अपनाने के कुछ ही समय बाद मेरा मानसिक संतुलन बेहतर हुआ, चिंता कम हुई और जीवन में नई ऊर्जा महसूस होने लगी।
इंदौर, सुखलिया के निवासी को ग्रहों के उपायों से डिप्रेशन से राहत
मेरा नाम अजय वर्मा है, मैं सुखलिया, इंदौर में रहता हूँ। लंबे समय से मैं मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन से गुजर रहा था। काम में मन नहीं लगता था, आत्मविश्वास की कमी महसूस होती थी और जीवन में उदासी छाई रहती थी। मैंने कई मनोचिकित्सकों से सलाह ली, लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिला। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली का विश्लेषण कर बताया कि राहु और केतु का अशुभ प्रभाव मानसिक अस्थिरता का कारण बन रहा है। उन्होंने गोमेद रत्न धारण करने, सूर्य को जल अर्पित करने और नियमित रूप से हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह दी। कुछ ही दिनों में मैंने अपने मन में सकारात्मक बदलाव महसूस किया, आत्मविश्वास लौटा और जीवन पहले से बेहतर लगने लगा।