ग्रहण योग: इसके प्रभाव और निवारण के उपाय
![]() |
ग्रहण योग क्या है? |
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण योग एक विशेष प्रकार का योग है, जो तब बनता है जब राहु या केतु सूर्य या चंद्रमा के साथ एक ही राशि में स्थित होते हैं। यह योग जन्म कुंडली में कई तरह के प्रभाव डालता है, जिनमें मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक कठिनाइयाँ और रिश्तों में परेशानी शामिल हो सकती हैं। ज्योतिष में इसे एक अशुभ योग माना जाता है, लेकिन सही उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
ग्रहण योग के प्रकार:
![]() |
ग्रहण योग |
- सूर्य ग्रहण योग: जब सूर्य और राहु या केतु एक साथ आते हैं, तब सूर्य ग्रहण योग बनता है। यह व्यक्ति के आत्मविश्वास, करियर और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
चंद्र ग्रहण योग: जब चंद्रमा और राहु या केतु एक ही स्थान पर स्थित होते हैं, तब चंद्र ग्रहण योग बनता है। यह व्यक्ति के मानसिक संतुलन, भावनात्मक स्थिरता और पारिवारिक जीवन को प्रभावित करता है।
ग्रहण योग के लक्षण:
मानसिक तनाव: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को अनजाना डर, चिंता और डिप्रेशन महसूस हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्याएँ: ग्रहण योग के कारण आँखों, हृदय, त्वचा और मानसिक रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
आर्थिक कठिनाइयाँ: अचानक आर्थिक नुकसान, धन हानि और निवेश में असफलता देखी जा सकती है।
रिश्तों में समस्याएँ: पारिवारिक कलह, वैवाहिक जीवन में असंतोष और दोस्तों से विवाद संभव है।
करियर में बाधाएँ: व्यक्ति को बार-बार नौकरी में असफलता, प्रमोशन में देरी और व्यवसाय में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रहण योग के निवारण के उपाय:
![]() |
ग्रहण योग के निवारण के उपाय |
- सूर्य ग्रहण योग के लिए 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
- चंद्र ग्रहण योग के लिए 'ॐ सोमाय नमः' मंत्र का जाप करें।
- राहु और केतु के लिए 'ॐ रां राहवे नमः' और 'ॐ कें केतवे नमः' मंत्रों का नियमित जाप करें।
दान करें:
- सूर्य ग्रहण योग के निवारण के लिए गेहूँ, गुड़ और लाल वस्त्र दान करें।
- चंद्र ग्रहण योग के निवारण के लिए चावल, दूध और सफेद वस्त्र दान करें।
- राहु और केतु के प्रभाव को शांत करने के लिए काले तिल, सरसों का तेल, और लोहे का दान करें।
रुद्राभिषेक:
- भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक कराना इस योग को शांत करने के लिए अत्यंत लाभकारी है। सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ मिलता है।
गायत्री मंत्र:
- प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
राहु-केतु शांति जाप:
- ग्रहण योग के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए राहु और केतु के शांति जाप करें। किसी विद्वान पंडित से यह जाप करवाना शुभ माना जाता है।
सूर्य ग्रहण योग के लिए माणिक्य (रूबी) धारण करें।
चंद्र ग्रहण योग के लिए मोती (पर्ल) धारण करें।
राहु के दोष के लिए गोमेद (हेसोनाइट) और केतु के लिए लहसुनिया (कैट्स आई) रत्न धारण करें।
व्रत और उपवास:
- ग्रहण के दिन व्रत रखना और उपवास करना लाभकारी होता है। इससे ग्रहों की नकारात्मकता कम होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
हनुमान जी की पूजा:
- हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। इससे राहु और केतु के दोष कम होते हैं।
ग्रहण योग जीवन में कई प्रकार की चुनौतियाँ लाता है, लेकिन सही ज्योतिषीय उपाय और सकारात्मक सोच से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में यह योग है, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना उचित रहेगा। इसके साथ ही, नियमित पूजा-पाठ, मंत्र जाप और दान करने से भी इस योग के नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है।
विजय नगर इंदौर, के निवासी को ग्रहण योग से राहत मिली!
मेरा नाम राजेश तिवारी है, मैं विजय नगर, इंदौर में रहता हूँ। पिछले कुछ वर्षों से जीवन में कई कठिनाइयाँ आ रही थीं—व्यवसाय में नुकसान, मानसिक तनाव और पारिवारिक समस्याएँ बनी हुई थीं। मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि मेरे जन्मकाल में ग्रहण योग बना हुआ है, जिससे ये बाधाएँ आ रही हैं। उन्होंने इसके निवारण के लिए विशेष मंत्र जाप, दान और सूर्य-चंद्र ग्रह शांति पूजा करने की सलाह दी। उपाय करने के कुछ समय बाद ही मेरी परेशानियाँ कम होने लगीं, मानसिक शांति मिली और आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो गई।
आनंद बाजार इंदौर, के निवासी को ग्रहण योग के प्रभाव से मुक्ति मिली!
मेरा नाम संजय वर्मा है, मैं आनंद बाजार, इंदौर में रहता हूँ। जीवन में कई कठिनाइयाँ आ रही थीं—करियर में रुकावटें, पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति बनी हुई थी। कोई भी काम सफल नहीं हो पा रहा था। मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि राहु और केतु के कारण ग्रहण योग बना हुआ है, जिससे ये समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने ग्रह शांति पूजा, दान और महामृत्युंजय मंत्र जाप करने की सलाह दी। उपाय करने के बाद धीरे-धीरे जीवन में स्थिरता आने लगी, करियर में सफलता मिली और पारिवारिक संबंध भी बेहतर हुए।