काल पुरुष सिद्धांत: शरीर के विभिन्न अंगों पर ग्रहों का प्रभाव

काल पुरुष सिद्धांत: शरीर के विभिन्न अंगों पर ग्रहों का प्रभाव

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शरीर के विभिन्न अंगों पर ग्रहों का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में काल पुरुष सिद्धांत का अत्यधिक महत्व है। यह सिद्धांत बताता है कि मानव शरीर और 12 राशियों के बीच गहरा संबंध होता है, और हर ग्रह शरीर के किसी न किसी भाग को नियंत्रित करता है। इस सिद्धांत के अनुसार, मेष राशि से लेकर मीन राशि तक का विभाजन मानव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव को दर्शाता है

काल पुरुष और शरीर का संबंध

ज्योतिष में काल पुरुष को एक आदर्श शरीर के रूप में देखा जाता है, जिसमें मेष राशि सिर से शुरू होकर मीन राशि तक पहुँचती है, जो पैरों का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक राशि का संबंध शरीर के एक विशिष्ट हिस्से और उस पर प्रभाव डालने वाले ग्रहों से होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति कमजोर हो या दोषपूर्ण हो, तो उससे संबंधित अंगों पर इसका असर पड़ सकता है।

ग्रहों का शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव

ग्रहों का शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव

सूर्य – आत्मा और हृदय का कारक

  • शरीर में स्थान: हृदय, रीढ़ की हड्डी, नेत्र, हड्डियाँ और रक्त संचार प्रणाली
  • प्रभाव: यदि कुंडली में सूर्य मजबूत हो, तो व्यक्ति का इम्यून सिस्टम अच्छा होता है, और वह ऊर्जावान रहता है। लेकिन यदि सूर्य कमजोर हो, तो हृदय रोग, नेत्र विकार और हड्डियों की कमजोरी हो सकती है
  • उपाय: सूर्य को जल अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।

चंद्रमा – मन और मानसिक संतुलन

  • शरीर में स्थान: मस्तिष्क, फेफड़े, रक्त, पाचन तंत्र और स्त्रियों में प्रजनन प्रणाली
  • प्रभाव: चंद्रमा कमजोर हो तो व्यक्ति मानसिक तनाव, अवसाद, अनिद्रा और पाचन से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त हो सकता है
  • उपाय: चंद्रमा को मजबूत करने के लिए सफेद वस्त्र पहनें, दूध और चावल का दान करें और "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें

मंगल – शक्ति और रक्त संचार का कारक

  • शरीर में स्थान: मांसपेशियाँ, रक्त, हड्डियाँ, मूत्राशय, यकृत और सिर
  • प्रभाव: मजबूत मंगल व्यक्ति को ऊर्जावान और साहसी बनाता है, जबकि कमजोर मंगल चोट, दुर्घटना, रक्तचाप और त्वचा रोग जैसी समस्याएँ ला सकता है
  • उपाय: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और मसूर की दाल दान करें।

बुध – बुद्धि और तंत्रिका तंत्र का कारक

  • शरीर में स्थान: मस्तिष्क, तंत्रिकाएँ, त्वचा, स्वर तंत्र और हाथ-पैरों की गति
  • प्रभाव: बुध कमजोर हो तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, स्मरण शक्ति की कमी, बोलने में दिक्कत और त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं
  • उपाय: हरे वस्त्र पहनें, गणेश जी की पूजा करें और तुलसी का सेवन करें।

गुरु – ज्ञान और पाचन तंत्र का कारक

  • शरीर में स्थान: यकृत (Liver), पाचन तंत्र, हड्डियों की मज्जा और मोटापा
  • प्रभाव: कमजोर गुरु से पाचन संबंधी समस्याएँ, मोटापा, मधुमेह और फैटी लिवर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं
  • उपाय: पीले रंग के वस्त्र पहनें, गुरुवार को चने की दाल का दान करें और बृहस्पति मंत्र "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" का जाप करें।

शनि – हड्डियाँ और त्वचा का कारक

  • शरीर में स्थान: हड्डियाँ, घुटने, दाँत, त्वचा और तंत्रिका तंत्र
  • प्रभाव: कमजोर शनि जोड़ों का दर्द, गठिया, दाँतों की समस्या, त्वचा विकार और अवसाद का कारण बन सकता है
  • उपाय: शनि की कृपा के लिए काले तिल का दान करें, शनि मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों की मदद करें।

राहु  – मानसिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारक

  • शरीर में स्थान: तंत्रिका तंत्र, विषैले पदार्थ, पैरासाइट इंफेक्शन, भ्रम और सिरदर्द
  • प्रभाव: कमजोर या दूषित राहु डिप्रेशन, नशे की लत, फोड़े-फुंसी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ ला सकता है
  • उपाय: राहु से बचने के लिए नारियल जल में प्रवाहित करें और "ॐ राहवे नमः" मंत्र का जाप करें।

केतु – आध्यात्मिकता और रहस्यमय रोगों का कारक

  • शरीर में स्थान: रीढ़ की हड्डी, पैर, तंत्रिका तंत्र और मानसिक चेतना
  • प्रभाव: यदि केतु अशुभ हो तो व्यक्ति को फोड़े-फुंसी, भ्रम की स्थिति, चिंता और पैर में चोट लगने की संभावना अधिक होती है
  • उपाय: केतु को शांत करने के लिए कुत्तों को भोजन कराएँ और "ॐ केतवे नमः" मंत्र का जाप करें।

राशियों और शरीर के अंगों का संबंध

राशियों और शरीर के अंगों का संबंध

  • मेष राशि: सिर और मस्तिष्क
  • वृषभ राशि: गला और स्वर तंत्र
  • मिथुन राशि: हाथ, कंधे और श्वसन तंत्र
  • कर्क राशि: छाती, फेफड़े और पेट
  • सिंह राशि: हृदय और रीढ़ की हड्डी
  • कन्या राशि: आँतें और पाचन तंत्र
  • तुला राशि: किडनी और त्वचा
  • वृश्चिक राशि: प्रजनन अंग और मूत्राशय
  • धनु राशि: जांघ और मोटापा
  • मकर राशि: घुटने और हड्डियाँ
  • कुंभ राशि: पिंडली और नर्वस सिस्टम
  • मीन राशि: पैर और इम्यून सिस्टम

काल पुरुष सिद्धांत ज्योतिष में शरीर और ग्रहों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है, तो उसका प्रभाव संबंधित अंगों पर देखा जा सकता है। ग्रहों की शांति और उचित ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को संतुलित रख सकता है और रोगों से बच सकता है।

भंवरकुआं, इंदौर के निवासी को काल पुरुष सिद्धांत से स्वास्थ्य लाभ मिला!

मेरा नाम अरविंद मिश्रा है, मैं इंदौर, भंवरकुआं में रहता हूँ। लंबे समय से जोड़ों के दर्द और बार-बार स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान था। डॉक्टर की दवाइयाँ भी ज्यादा असर नहीं कर रही थीं। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली और काल पुरुष सिद्धांत के आधार पर बताया कि शनि और मंगल की अशुभ स्थिति हड्डियों और रक्त संचार संबंधी समस्याएँ पैदा कर रही है। उन्होंने मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने, तांबे के पात्र में जल पीने और शनि मंत्र जाप करने की सलाह दी। उपाय करने के बाद स्वास्थ्य में सुधार आया और जोड़ों के दर्द में भी राहत मिली।

अन्नपूर्णा नगर, इंदौर के निवासी को काल पुरुष सिद्धांत से मानसिक शांति मिली!

मेरा नाम रोहित गुप्ता है, मैं इंदौर, अन्नपूर्णा नगर में रहता हूँ। लंबे समय से मानसिक तनाव, अनिद्रा और सिरदर्द की समस्या बनी हुई थी। दवाइयाँ लेने के बावजूद समस्या बनी रही। तब मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली का विश्लेषण कर बताया कि काल पुरुष सिद्धांत के अनुसार चंद्रमा और राहु की स्थिति मेरे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। उन्होंने सोमवार को शिवजी का जलाभिषेक करने, चंद्र मंत्र का जाप करने और चाँदी की चूड़ी धारण करने की सलाह दी। उपाय करने के कुछ ही हफ्तों बाद मेरी मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, अनिद्रा की समस्या दूर हुई और सिरदर्द भी कम हो गया।

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