मृत्यु योग (मारक ग्रह) और आयु का निर्धारण ज्योतिषीय दृष्टि से

मृत्यु योग (मारक ग्रह) और आयु का निर्धारण ज्योतिषीय दृष्टि से 

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मृत्यु योग (मारक ग्रह) 

वैदिक ज्योतिष में मृत्यु योग और आयु निर्धारण एक अत्यंत जटिल विषय है। किसी व्यक्ति की आयु और मृत्यु का समय ग्रहों की स्थिति, दशाओं और योगों से निर्धारित होता है। जन्म कुंडली में कुछ विशेष ग्रह और भाव ऐसे होते हैं जो आयु को प्रभावित करते हैं और कुछ मारक ग्रह जीवन को समाप्त करने की क्षमता रखते हैं।

आयु का विभाजन ज्योतिष में

आयु को तीन भागों में बांटा गया है:

  1. बाल्यावस्था (0-12 वर्ष) – इस समय शनि, राहु और मंगल के प्रभाव से मृत्यु की संभावना होती है।
  2. मध्यम आयु (12-50 वर्ष) – इस अवस्था में ग्रहों की दशाएँ और योग जीवन को स्थिर या अस्थिर बनाते हैं।
  3. पूर्ण आयु (50+ वर्ष) – यदि ग्रह शुभ हों, तो व्यक्ति लंबी उम्र जीता है, अन्यथा अल्पायु की संभावना रहती है।

मारक ग्रह और मृत्यु योग

ज्योतिष में द्वितीय और सप्तम भाव को मारक स्थान कहा जाता है। यदि इन भावों में अशुभ ग्रह स्थित हों या उनकी दशाएँ चल रही हों, तो व्यक्ति के जीवन पर खतरा बढ़ जाता है।

द्वितीय और सप्तम भाव (मारक स्थान)

  • द्वितीय भाव – धन और वाणी का कारक, लेकिन यह मृत्यु का द्वार भी खोल सकता है।
  • सप्तम भाव – विवाह और संबंधों का कारक, लेकिन मृत्यु का प्रमुख कारक भी हो सकता है।

यदि इन भावों में अशुभ ग्रह (मंगल, शनि, राहु, केतु) हों और दशाएँ प्रतिकूल चल रही हों, तो ये व्यक्ति की आयु को प्रभावित करते हैं।

अष्टम भाव (आयु भाव)

  • अष्टम भाव को "आयु भाव" कहा जाता है, और यह व्यक्ति की जीवन अवधि और अकस्मात मृत्यु का संकेत देता है।
  • यदि अष्टम भाव में अशुभ ग्रह हों या उसका स्वामी पीड़ित हो, तो अल्पायु योग बनता है।
  • यदि अष्टम भाव में शुभ ग्रह हों और उनका स्वामी मजबूत हो, तो व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है।

बारहवां भाव (मोक्ष भाव)

  • बारहवां भाव मृत्यु के बाद की स्थिति और पुनर्जन्म को दर्शाता है।
  • यदि बारहवें भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो और शनि या राहु से प्रभावित हो, तो मृत्यु पीड़ादायक हो सकती है।

आयु का निर्धारण ग्रहों के अनुसार

आयु का निर्धारण ग्रहों

दीर्घायु 

यदि कुंडली में अष्टम भाव और उसका स्वामी बलवान हो, तथा चंद्रमा, गुरु और शुक्र शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति लंबी उम्र प्राप्त करता है।

 मध्यम आयु 

यदि अष्टम भाव में मंगल, राहु, शनि या केतु हों और वे अशुभ ग्रहों से दृष्ट हों, तो व्यक्ति को मध्यम आयु तक जीवन मिलता है।

अल्पायु 

यदि अष्टम भाव, द्वितीय भाव और सप्तम भाव पीड़ित हों, और इन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो व्यक्ति की आयु कम हो सकती है।

विशेष मृत्यु योग और उनके प्रभाव

बालारिष्ट योग

  • यदि चंद्रमा, शनि, मंगल और राहु लग्न, द्वितीय या अष्टम भाव में हों और पीड़ित हों, तो यह बालारिष्ट योग बनता है।
  • यह योग शिशु अवस्था में मृत्यु की संभावना को दर्शाता है।

अकाल मृत्यु योग

अकाल मृत्यु योग
  • यदि मंगल, शनि, राहु, केतु अष्टम भाव में हों और इनकी महादशा या अंतरदशा चले, तो अचानक मृत्यु हो सकती है
  • दुर्घटना, आत्महत्या, या किसी बीमारी से मृत्यु हो सकती है।

रोगजनित मृत्यु योग

  • यदि अष्टम भाव में शनि या राहु-केतु पीड़ित अवस्था में हों, और चंद्रमा या सूर्य कमजोर हों, तो व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो सकता है।

जल मृत्यु योग

  • यदि चंद्रमा और राहु बारहवें भाव में हों, और चंद्रमा नीच राशि में हो, तो व्यक्ति की जल में मृत्यु हो सकती है

 शस्त्र मृत्यु योग

  • यदि मंगल और राहु अष्टम भाव में हों, और शनि की दृष्टि हो, तो व्यक्ति की मृत्यु किसी हथियार से हो सकती है

मृत्यु योग से बचाव के उपाय

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मृत्यु योग या अल्पायु योग बन रहा हो, तो उसे निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
भगवान शिव की उपासना करें और रुद्राभिषेक करवाएँ।
शनि, मंगल, राहु और केतु की शांति के लिए उपाय करें।
गाय को हरा चारा और पक्षियों को दाना डालें।
रोग से बचाव के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
अमावस्या या पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करें।

वैदिक ज्योतिष में मृत्यु योग और आयु निर्धारण का अध्ययन करने के लिए दशाओं, ग्रहों की स्थिति, भावों की शक्ति और ग्रहों के संयोगों को ध्यान में रखा जाता है। द्वितीय और सप्तम भाव को मारक भाव माना जाता है, जबकि अष्टम भाव आयु का कारक होता है। यदि इन भावों में अशुभ ग्रह स्थित हों और उनकी महादशा या अंतरदशा चल रही हो, तो व्यक्ति की आयु कम हो सकती है। सही उपाय और आध्यात्मिक साधनाओं से नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और जीवन को सुखद बनाया जा सकता है


सुषमा अग्रवाल, कोलकाता

जब मैंने अपनी कुंडली दिखवाई, तो साहू जी ने बताया कि मेरी जन्मकुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति आयु पर प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने विशेष मंत्र जाप, हवन और रुद्राभिषेक करने की सलाह दी। उपाय करने के बाद मेरा स्वास्थ्य बेहतर हुआ और जीवन में सकारात्मकता आई। उनकी सलाह जीवन बदलने वाली है!"

अमित वर्मा

साहू जी से परामर्श लेने के बाद मैंने अपनी कुंडली में मौजूद मृत्यु योग (मारक ग्रह) को समझा। मुझे कई अनहोनी घटनाओं का डर सताता था, लेकिन साहू जी ने बताया कि उचित उपाय करने से नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सकता है। उनके सुझाए गए मंत्र और पूजा विधि करने के बाद, मेरे मन का भय दूर हुआ और आत्मविश्वास बढ़ा। साहू जी का ज्योतिषीय ज्ञान अद्भुत है!"

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Astrologer Sahu Ji
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