गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य और सौभाग्य पर पड़ने वाला प्रभाव

गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य और सौभाग्य पर पड़ने वाला प्रभाव

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गणगौर व्रत करने से स्त्रियों के भाग्य

गणगौर व्रत भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन को समर्पित है और उनके आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है। इस व्रत का पालन करने से न केवल वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है, बल्कि यह स्त्रियों के भाग्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस लेख में हम गणगौर व्रत के ज्योतिषीय महत्व, इसके प्रभाव, और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

गणगौर व्रत का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

गणगौर व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्हें ‘गण’ (शिव) और ‘गौर’ (पार्वती) के नाम से भी जाना जाता है।

  • धार्मिक महत्व:

    • यह व्रत सौभाग्य, सुख, और समृद्धि का प्रतीक है।

    • अविवाहित कन्याएँ इसे मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

    • विवाहित महिलाएँ अपने पति के दीर्घायु और समृद्ध जीवन के लिए व्रत रखती हैं।

  • ज्योतिषीय दृष्टिकोण से:

    • इस दिन चंद्रमा, शुक्र, और गुरु ग्रह का विशेष प्रभाव होता है।

    • व्रत से शुक्र ग्रह मजबूत होता है, जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

    • कुंडली में यदि सप्तम भाव (पति-पत्नी का भाव) कमजोर हो, तो यह व्रत उसे संतुलित करता है।

गणगौर व्रत करने के ज्योतिषीय लाभ

गणगौर व्रत करने के ज्योतिषीय लाभ

वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की वृद्धि

गणगौर व्रत से सप्तम भाव और शुक्र ग्रह को बल मिलता है, जिससे वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बढ़ता है।

  • जिन महिलाओं की कुंडली में शुक्र नीच का हो या कमजोर हो, उनके लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है।

  • व्रत से पारिवारिक जीवन में शांति और खुशहाली आती है।

मनचाहे वर की प्राप्ति

अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत कुंडली में सप्तम भाव और गुरु ग्रह को मजबूत करता है।

  • यह व्रत उन कन्याओं के लिए अत्यंत प्रभावी है जो विवाह में विलंब या बाधाओं का सामना कर रही हों।

  • यह व्रत शुभ योग बनाने में सहायक होता है, जिससे मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

आर्थिक समृद्धि और भाग्य का उदय

गणगौर व्रत से कुंडली में नवम भाव (भाग्य का भाव) और द्वितीय भाव (धन का भाव) प्रभावित होते हैं।

  • नवम भाव के मजबूत होने से जीवन में भाग्य का उदय होता है।

  • धन संबंधी समस्याएँ कम होती हैं, और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार

व्रत के दौरान की गई पूजा और देवी पार्वती का स्मरण पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को बेहतर बनाता है।

  • कुंडली में चतुर्थ भाव (परिवार) और एकादश भाव (संबंधों का भाव) को बल मिलता है।

  • व्रत करने से स्त्री के व्यक्तित्व में आकर्षण और संतुलन आता है, जिससे लोग उसकी ओर खिंचते हैं।

गणगौर व्रत करने की विधि और परंपराएँ


गणगौर व्रत की तैयारी
  • व्रत करने से एक दिन पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएँ।

  • देवी पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की मूर्तियाँ बनवाएँ।

व्रत का पालन
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • मिट्टी या धातु की गणगौर की मूर्ति स्थापित करें।

  • मूर्ति को सुंदर वस्त्र पहनाकर सजाएँ।

  • जल, फल, और फूल चढ़ाएँ।

विशेष पूजा विधि
  • रोली, चावल, और हल्दी का प्रयोग करके मूर्ति की पूजा करें।

  • विधिपूर्वक देवी पार्वती और भगवान शिव का आवाहन करें।

  • “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ गौर्ये नमः” मंत्र का जाप करें।

व्रत का समापन
  • व्रत का समापन दूसरे दिन जल में मूर्ति विसर्जित करके करें।

  • व्रत समाप्ति पर ब्राह्मण या गरीबों को दान दें।

गणगौर व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

गणगौर व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
  • व्रत के दिन क्रोध, कटु वचन, और बुरे विचारों से बचें।

  • किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को अपने मन में न आने दें।

  • व्रत के दिन केवल सात्विक भोजन करें।

  • पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।

गणगौर व्रत से जुड़े ज्योतिषीय उपाय


शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
  • व्रत के दिन सफेद वस्त्र पहनें और चाँदी के आभूषण धारण करें।

  • सफेद मिठाई या चावल का दान करें।

  • शुक्र के मंत्र “ॐ शुक्राय नमः” का जाप करें।

नवम और सप्तम भाव को सुधारने के उपाय
  • भगवान शिव और पार्वती को दूध और गंगा जल अर्पित करें।

  • गरीब कन्याओं को भोजन कराएँ।

  • गोधूलि बेला में दीपक जलाकर देवी पार्वती की आरती करें।

मनचाही इच्छाओं की पूर्ति के लिए उपाय
  • गणगौर व्रत के दौरान “ॐ गौरी शिवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

  • लाल या हरे वस्त्र पहनकर पूजा करें।

  • केले और पीपल के पेड़ की पूजा करें।

गणगौर व्रत के आध्यात्मिक लाभ

  • व्रत से मन और आत्मा शुद्ध होती है।

  • यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।

  • व्रत करने वाली स्त्रियों का आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

गणगौर व्रत केवल धार्मिक या परंपरागत अनुष्ठान नहीं है; यह स्त्रियों के जीवन में भाग्य, सौभाग्य, और समृद्धि लाने का माध्यम भी है। यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।



सीमा जैन (रामबाग, इंदौर)

हर साल मैं गणगौर व्रत करती थी, लेकिन सही विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी नहीं थी। इस बार मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श लिया और उन्होंने मुझे विशेष उपाय और पूजा विधि बताई। व्रत के बाद मैंने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किए – पति का सहयोग बढ़ा, पारिवारिक खुशियां बढ़ीं और मानसिक शांति भी मिली। इंदौर में यदि कोई गणगौर व्रत के ज्योतिषीय महत्व को समझना चाहता है, तो एस्ट्रोलॉजर साहू जी से जरूर मिलें!"

पूजा श्रीवास्तव (सुखलिया, इंदौर)

गणगौर व्रत से सौभाग्य में वृद्धि होती है, यह तो मैंने सुना था, लेकिन जब मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से इस विषय में मार्गदर्शन लिया, तब मुझे इसकी वास्तविक शक्ति का अहसास हुआ। उन्होंने बताया कि यह व्रत सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि ग्रहों की अनुकूलता बढ़ाने का भी माध्यम है। उनकी सलाह के अनुसार पूजन करने से मेरे वैवाहिक जीवन में और भी मधुरता आई। सच में, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी की सलाह से मेरा विश्वास ज्योतिष पर और बढ़ गया!"

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