उचित परामर्श के बाद पहने गए रत्न करते हैं अशुभ ग्रह दोष को दूर
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रत्न करते हैं अशुभ ग्रह दोष को दूर |
रत्नों का ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न सिर्फ हमारी कुंडली में ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करते हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता, सुख और शांति भी लाते हैं। लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि सही रत्न को सही परामर्श के बाद ही धारण करना चाहिए। बिना उचित परामर्श के पहने गए रत्न कई बार हानिकारक भी साबित हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे उचित परामर्श के बाद पहने गए रत्न अशुभ ग्रह दोष को दूर करते हैं।
रत्नों और ग्रहों का संबंध
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रत्नों और ग्रहों का संबंध |
प्रत्येक ग्रह का एक विशेष रत्न होता है जो उसकी ऊर्जा को नियंत्रित करता है। जैसे –
माणिक्य – सूर्य ग्रह का रत्न, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है।
मोती – चंद्रमा का रत्न, मन की शांति और भावनात्मक स्थिरता देता है।
मूंगा– मंगल ग्रह का रत्न, साहस और ऊर्जा बढ़ाता है।
पन्ना – बुध ग्रह का रत्न, बुद्धि और संचार कौशल को सुधारता है।
पुखराज – बृहस्पति का रत्न, ज्ञान और समृद्धि देता है।
हीरा– शुक्र ग्रह का रत्न, सौंदर्य और वैवाहिक सुख बढ़ाता है।
नीलम – शनि ग्रह का रत्न, स्थिरता और सफलता लाता है।
गोमेद – राहु ग्रह का रत्न, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
लहसुनिया – केतु ग्रह का रत्न, आध्यात्मिकता और सुरक्षा प्रदान करता है।
अशुभ ग्रह दोष और उनके निवारण में रत्नों की भूमिका
कुंडली में ग्रहों की स्थिति कई बार प्रतिकूल होती है, जिससे जीवन में बाधाएँ, असफलताएँ और मानसिक तनाव आते हैं। उचित रत्न धारण करने से यह दोष काफी हद तक कम हो सकते हैं। जैसे –
- सूर्य ग्रह दोष: माणिक्य पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है और सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है।
चंद्र ग्रह दोष: मोती पहनने से मानसिक शांति और सकारात्मक सोच आती है।
मंगल ग्रह दोष (मांगलिक दोष): मूंगा पहनने से वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनता है।
बुध ग्रह दोष: पन्ना पहनने से वाणी और व्यापार में उन्नति होती है।
बृहस्पति ग्रह दोष: पुखराज पहनने से शिक्षा, विवाह और संतान से संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं।
शनि ग्रह दोष (साढ़ेसाती, ढैय्या): नीलम पहनने से कार्यों में स्थिरता और सफलता मिलती है।
राहु-केतु दोष (कालसर्प दोष, पितृ दोष): गोमेद और लहसुनिया पहनने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
उचित परामर्श क्यों है आवश्यक?
रत्न धारण करने से पहले कुंडली का सही विश्लेषण बहुत जरूरी है। बिना उचित परामर्श के रत्न पहनने से स्थिति और खराब हो सकती है। उदाहरण के लिए –
नीलम बहुत शक्तिशाली रत्न है, लेकिन अगर यह कुंडली में सही स्थान पर न हो, तो यह दुर्भाग्य और स्वास्थ्य समस्याएँ ला सकता है।
माणिक्य अगर कमजोर सूर्य के बिना पहना जाए, तो अहंकार और गुस्सा बढ़ा सकता है।
रत्न पहनने की सही विधि
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रत्न पहनने की सही विधि |
- शुद्धता: केवल असली और शुद्ध रत्न ही पहनें।
धातु: रत्न को सही धातु (सोना, चांदी, तांबा) में जड़वाना जरूरी है।
मंत्र जाप: रत्न धारण करते समय ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें।
उपयुक्त दिन और मुहूर्त: ग्रह से संबंधित दिन और शुभ मुहूर्त में रत्न पहनना लाभकारी होता है।
उचित परामर्श के बाद पहने गए रत्न जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और अशुभग्रह दोष को दूर करते हैं। इसलिए हमेशा किसी अनुभवी और योग्य ज्योतिषी की सलाह लेने के बाद ही रत्न धारण करें। इस तरह, रत्नों की दिव्य शक्ति से आप अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर सकते हैं।
"विजय नगर इंदौर, के निवासी को उचित परामर्श से रत्न धारण करने से लाभ!"
मेरा नाम संजय शर्मा है, मैं विजय नगर, इंदौर में रहता हूँ। मुझे लंबे समय से कार्यक्षेत्र में असफलता और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा था। मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से संपर्क किया। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर बताया कि शनि की अशुभ दशा के कारण बाधाएँ आ रही हैं और मुझे नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी। उचित विधि से नीलम पहनने के बाद मेरी समस्याएँ कम हुईं, आत्मविश्वास बढ़ा और अब मैं अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर रहा हूँ।
"एम.जी. रोड इंदौर, के निवासी को पुखराज धारण करने से मिली तरक्की!"
मेरा नाम अजय वर्मा है, मैं एम.जी. रोड, इंदौर में रहता हूँ। करियर में रुकावटें आ रही थीं और धन हानि भी हो रही थी। मैंने ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी से परामर्श लिया। उन्होंने बताया कि गुरु ग्रह कमजोर है और पुखराज पहनना लाभकारी होगा। मैंने उनकी सलाह के अनुसार पुखराज धारण किया, जिसके बाद मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए, धन लाभ हुआ और करियर में भी उन्नति हुई।